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Class 10 Hindi – A Chapter 9 Sangatkar Extra Questions

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CBSE Class 10 Hindi Ch – 9 Test Paper

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CBSE Most Important Questions for Class 10 Hindi

संगतकार (मंगलेश डबराल)

  1. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
    मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
    वह आवाज सुंदर कमजोर काँपती हुई थी
    वह मुख्य गायक का छोटा भाई है।
    या उसका शिष्य
    या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
    मुख्य गायक की गरज में
    वह अपनी गूँज मिलाता आया है। प्राचीनकाल से
    गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
    खो चुका होता है
    या अपने ही सरगम को लाँधकर
    चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
    तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है।

    1. कविता की भाषा की विशेषता बताइए।
    2. संगतकार का क्या काम है?
    3. मुख्य गायक तथा संगतकार की आवाजों के लिए किन-किन शब्दों का प्रयोग हुआ है तथा क्यों?
  2. ‘संगतकार’ कविता में ‘नौसिखिया’ से क्या अभिप्राय है? उसका गला कब सँध जाता है?

  3. ‘संगतकार’ की आवाज को कमजोर, काँपती हुई आवाज़ क्यों कहा गया है?

  4. संगतकार द्वारा स्थायी को सँभालने को स्पष्ट कीजिए।

  5. संगतकार कविता में संगतकार त्याग की मूर्ति है, कैसे?

  6. संगतकार में त्याग की उत्कट भावना भरी है-पुष्टि कीजिए।

संगतकार (मंगलेश डबराल)

Answer

    1. कविता की भाषा खड़ी बोली है।
    2. संगतकार का काम मुख्य गायक को सरहद के पार अनहद से वापस स्थायी रूप में लाना होता है |
    3. मुख्य गायक की आवाज़ के लिए ‘गरज’ चट्टान जैसी भारी स्वर तथा संगतकार की आवाज़ के लिए ‘गूँज ‘तथा सुन्दर कमजोर काँपती हुई स्वर शब्दों का प्रयोग किया गया है। क्योंकि मुख्य गायक का स्वर भारी तथा संगतकार का स्वर कोमल होता है। साथ ही संगतकार कभी अपने सुर को मुख्य गायक के सुर से ऊँचा नहीं जाने देता।
  1. ‘संगतकार कविता में नौसीखिया से अभिप्राय मुख्य गायक के बचपन के दिनों से है | जब उसने गायन सीखना शुरू किया था।
    जब मुख्य गायक गाने की स्थायी का गान करते हुए संगीत में स्वर का विस्तार करते हुए कठिन तान में खो जाता है। vh संगीत के साथ स्वरों को पार कर अनहद की खोज में भटक जाता है, उस समय साहयक गायक ही गीत का चरण संभाले रखता है। वह साहयक ठीक मुख्य गायक के साथ ऐसे गायन करता है जैसे यात्री के पीछे छूटे हुए सामान को समेट रहा है। सहायक गायन की भूमिका ऐसी होती है मानो मुख्य गायक को उसके आरंभिक दिनों की याद दिला रहा है यानी जब उसने गायन सीखना शुरू किया था उन दिनों की याद दिलाता है।
  2. संगतकार की आवाज को कमजोर काँपती आवाज कहा गया है क्योंकि जब मुख्य गायक गीत गाता है तो उसके साथ चट्टान के समान कठोर भारी ध्वनि के साथ काँपती हुई आवाज सहायक गायक की होती है। और ऐसा लगता है जैसे वह मुख्य गायक का छोटा भाई हो जो हर कार्यक्षेत्र में बड़े भाई का साथ देता है वैसे ही सहायक गायक मुख्य गायक के स्वर का साथ देकर उसके गायन की कमियों को ढक देता है। वह एक शिष्य की तरह आज्ञाकारी होता है। जब मुख्य गायक को सहायक गायक की आवश्यकता पड़ती है तो संगतकार अपना कर्त्तव्य निभाता है। इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे मुख्य गायक की ऊंँची आवाज पर उसका साथ देने के लिए दूर से पैदल चलकर उसका कोई रिश्तेदार आया है। वह पुराने समय से मुख्य गायक की आवाज के साथ अपनी कोमल आवाज से उसका साथ देता आ रहा है।
  3. जब मुख्य गायक गाते हुए सुरों की मोहक दुनिया में खो जाता है और उसी में रम जाता है, तब संगतकार ही गीत की मुख्य पंक्ति या टेक के मूल स्वर को गाता रहता है। स्वर को बिखरने से बचाता रहता है तथा लय को कम-अधिक नहीं होने देता। वह मुख्य गायक को पुनः वास्तविक स्थिति में लेकर आता है और उनके गीत के बोल को बनाए रखता है।
  4. ‘संगतकार’ त्याग की मूर्ति है क्योंकि उसका संपूर्ण-जीवन मुख्य गायक के लिए अर्पित हो जाता है वह सर्वथा सक्षम होते हुए भी अपनी सामर्थ्य मुख्य गायक की सफलता के लिए अर्पित कर देता है। वह नहीं चाहता कि मुख्य गायक से आगे निकल जाए। मुख्य गायक संगतकार के प्रति प्रायः सम्माननीय भाव रखता है।संगतकार मुख्य गायक की असफलता को सफलता में बदल देता है, और मुख्य गायक के स्वर को ऊँचा उठाने का हर समय प्रयास करता है। संगतकार अपने गुणों सामर्थ्य और अपनी पहचान को छुपाकर मुख्य गायक का ही साथ देता है जिससे मुख्य गायक एक नई ऊंचाइयों पर पहुंच जाता है और उसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाला एकमात्र संगतकार ही होता है।इसलिए संगतकार त्याग की प्रतिमूर्ति बना रहता है।
  5. संगतकार मुख्य गायक की गरजदार आवाज़ में अपनी गूँज मिलाता है। सदा मुख्य गायक के सहायक के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है | वह मुख्या गायक के बुझते स्वर को सँभाले रहता है। ऊँचा गाने की प्रतिभा होने पर भी वह मुख्य गायक के स्वर से अपनी स्वर नीचा रखकर उसका सम्मान करता है जो संगतकार की मनुष्यता है।
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