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CBSE Sample Papers Class 12 Hindi Elective 2023

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Class 12 Hindi Elective Sample paper 2023 

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CBSE Sample Papers Class 12 Hindi Elective 2023

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CBSE Sample Papers Class 12 Hindi Elective 2022-23

CBSE Class 12
Hindi Elective (Code No. 002)
(Sample Paper 2022-23)


निर्धारित समय : 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80

सामान्य निर्देश:-

  • इस प्रश्नपत्र में दो खंड हैं – खंड ‘अ’ और ‘ब’। कुल प्रश्न 14 हैं।
  • खंड ‘अ’ में 48 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 40 प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
  • खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
  • निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
  • दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।

खंड – अ

  1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए (1 × 10 = 10)
    संस्कृति और सभ्यता ये दो शब्द हैं और इनके अर्थ भी अलग-अलग हैं। सभ्यता मनुष्य का वह गुण है, जिससे वह अपनी बाहरी तरक्की करता है। संस्कृति वह गुण है, जिससे वह अपनी भीतरी उन्नति करता है और करुणा, प्रेम एवं परोपकार सीखता है। आज रेलगाड़ी, मोटर और हवाई जहाज़, लंबी-चौड़ी सड़के और बड़े-बड़े मकान, अच्छा भोजन और अच्छी पोशाक ये सभी सभ्यता की पहचान हैं और जिस देश में इनकी जितनी ही अधिकता है, उस देश को हम उतना ही सभ्य मानते हैं। मगर संस्कृति इन सबसे कहीं बारीक चीज़ है। वह मोटर नहीं, मोटर बनाने की कला है. मकान नहीं, मकान बनाने की रुचि है। संस्कृति धन नहीं, गुण है। संस्कृति ठाठ-बाट नहीं, विनय और विनमता है। एक कहावत है कि सभ्यता वह चीज़ है जो हमारे पास है, लेकिन संस्कृति वह गुण है जो हममें छिपा हुआ है। हमारे पास घर होता है, कपड़े होते हैं, मगर ये सारी चीज़ें हमारी सभ्यता के सबूत हैं, जबकि संस्कृति इतने मोटे तौर पर दिखलाई नहीं देती, वह बहुत ही सूक्ष्म और महीन चीज़ है और वह हमारी हर पसंद, हर आदत में छिपी रहती है। मकान बनाना सभ्यता का काम है. लेकिन हम मकान का कौन-सा नक्शा पसंद करते हैं यह हमारी संस्कृति बतलाती है। आदमी के भीतर काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह और मत्सर-ये छह विकार प्रकृति के दिए हुए हैं। परंतु अगर ये विकार बेरोक-टोक छोड़ दिए जाएँ तो आदमी इतना गिर जाए कि उसमें और जानवर में कोई भेद नहीं रह जाएगा। इसलिए आदमी इन विकारों पर रोक लगाता है। इन दुर्गुणों पर जो आदमी जितना ज्यादा काबू कर पाता है, उसकी संस्कृति भी उतनी ही ऊँची समझी जाती है। संस्कृति का स्वभाव है कि वह आदान-प्रदान से बढ़ती है। जब दो देशों या जातियों के लोग आपस में मिलते हैं, तब उन दोनों की संस्कृतियाँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं। इसलिए संस्कृति की दृष्टि से वह जाति या वह देश बहुत ही धनी समझा जाता है, जिसने ज़्यादा-से-ज़्यादा देशों या जातियों की संस्कृतियों से लाभ उठाकर अपनी संस्कृति का विकास किया हो।

    1. गद्यांश में ‘सभ्यता को बाहरी तरक्की’ बताया गया है क्योंकि यह –
      1. इच्छापूर्ति में सक्षम है।
      2. भौतिक साधनों की द्योतक है ।
      3. संस्कृति से भिन्न पहचान लिए है।
      4. करुणा, प्रेम एवं परोपकार सिखाती है।
    2. सभ्यता और संस्कृति का मूलभूत अंतर क्रमशः है-
      1. रेलगाड़ी, विनय
      2. प्रत्यक्ष,अप्रत्यक्ष
      3. बाहरी तरक्की,भीतरी द्वंद्व
      4. रिवाज़, सीख
    3. संस्कृति को ‘महीन चीज़’ कहने से लेखक सिद्ध करना चाहते हैं कि संस्कृति है –
      1. अत्यंत तुच्छ
      2. अति महत्वहीन
      3. अत्यधिक उपयोगी
      4. अति सर्वश्रेष्ठ
    4. निम्नलिखित वाक्यों में से सभ्यता के संदर्भ में कौन-सा वाक्य सही है?
      1. सभ्यता मनुष्य के स्वाधीन चिंतन की गाथा है।
      2. सभ्यता मानव के विकास का विधायक गुण है।
      3. सभ्यता मानव को कलाकार बना देती है।
      4. सभ्यता संस्कृति से अधिक महत्वपूर्ण है।
    5. संस्कृति की प्रवृत्ति है –
      1. आदाय-प्रदाय
      2. आदाय-प्राप्ति
      3. क्रय-विक्रय
      4. आबाद-बर्बाद
    6. ‘मकान के लिए नक्शा पसंद करना हमारी संस्कृति का परिचायक है।’ ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि-
      1. घर हमारी सभ्यता की पहचान है।
      2. अन्य लोगों से जोड़ने का माध्यम है।
      3. नक्शे के बिना मकान बनाना कठिन है।
      4. हमारी सोच-समझ को उजागर करता है।
    7. अन्य संस्कृतियों का लाभ उठाकर अपनी संस्कृति का विकास करना दर्शाता है-
      1. समरसता
      2. संपूर्णता
      3. सफलता
      4. संपन्नता
    8. मनुष्य की मनुष्यता इसी बात में निहित है कि वह-
      1. सभ्यता और संस्कृति का प्रचार-प्रसार करता रहे।
      2. संस्कृति की समृद्धि के लिए कटिबद्धता बनाए रहे।
      3. सभ्यता की ऊँचाई की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहे।
      4. मानसिक त्रुटियों पर नियंत्रण पाने के लिए चेष्टावान रहे।
    9. आदमी और जानवर का भेद समाप्त होना दर्शाता है-
      1. (क) सामाजिक असमानता
      2. (ख) चारित्रिक पतन
      3. (ग) सांप्रदायिक भेदभाव
      4. (घ) अणुमात्रिक गिरावट
    10. सुसंस्कृत व्यक्ति से तात्पर्य है-
      1. विकारग्रस्त व्यक्ति
      2. विकासशील व्यक्ति
      3. विचारशील व्यक्ति
      4. विकारमुक्त व्यक्ति
  2. नीचे दो अपठित काव्यांश दिए गए हैं किसी एक काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 8 = 8)
    काव्यांश – एक
    निर्मम कुम्हार की थापी से
    कितने रूपों में कुटी-पिटी,
    हर बार बिखेरी गई, किंतु
    मिट्टी फिर भी तो नहीं मिटी!
    आशा में निश्छल पल जाए, छलना में पड़ कर छल जाए
    सूरज दमके तो तप जाए, रजनी ठुमकी तो ढल जाए,
    यों तो बच्चों की गुड़िया-सी, भोली मिट्टी की हस्ती क्या
    आँधी आये तो उड़ जाए, पानी बरसे तो गल जाए!
    फसलें उगतीं, फसलें कटती लेकिन धरती चिर उर्वर है
    सौ बार बने सौ बार मिटे लेकिन धरती अविनश्वर है।
    मिट्टी गल जाती पर उसका विश्वास अमर हो जाता है।
    रो दे तो पतझर आ जाए, हँस दे तो मधुऋतु छा जाए
    झूमे तो नंदन झूम उठे, थिरके तो तांडव शरमाए
    यों मदिरालय के प्याले सी मिट्टी की मोहक मस्ती क्या
    अधरों को छू कर सकुचाए, ठोकर लग जाए छहराए।
    उनचास मेघ, उनचास पवन, अंबर अवनि कर देते सम
    वर्षा थमती, आँधी रुकती, मिट्टी हँसती रहती हरदम,
    कोयल उड़ जाती पर उसका निश्वास अमर हो जाता है
    मिट्टी गल जाती पर उसका विश्वास अमर हो जाता है।
    मिट्टी की महिमा मिटने में
    मिट-मिट हर बार सँवरती है
    मिट्टी-मिट्टी पर मिटती है
    मिट्टी-मिट्टी को रचती है।

    1. कुम्हार को कठोर कहने से कवि कुम्हार की किस प्रवृत्ति को उजागर करता है?
      1. अत्याचारी
      2. हढ़संकल्पी
      3. क्रोधी
      4. स्वेच्छाचारी
    2. मिट्टी के गल जाने पर भी उसका विश्वास अमर व अटूट रहता है क्योंकि मिट्टी है –
      1. चिरवाई
      2. अधीश्वर
      3. अविनीता
      4. चिरस्थायी
    3. ऋतुओं के अनुसार मिट्टी का रोना, हँसना, झूमना विशेषित करता है कि –
      1. मनुष्य की भाँति भावुक प्रवृत्ति की है।
      2. सब के अनुकूल स्वयं को ढाल लेती है।
      3. प्रकृति में समयानुसार परिवर्तन होता है।
      4. रूप-रंग की भिन्नता भौगोलिक भिन्नता है।
    4. ‘उनचास मेघ, उनचास पवन’ के माध्यम से कवि का आशय है-
      1. मेघ और पवन की सर्वव्यापकता
      2. प्रकृति के भयावह रूप का प्रदर्शन
      3. कई बार या असंख्य बार का संकेत
      4. वर्षा व आँधी का निरंतर कर्मरत रहना
    5. ‘यों तो बच्चों की गुड़िया-सी भोली मिट्टी’ का भावार्थ है-
      1. बच्चों को मिट्टी और गुड़िया से खेलना प्रिय है
      2. गुड़िया की भाँति मिट्टी का अस्तित्व व्यर्थ है
      3. मूक मिट्टी को मनुष्य इच्छानुसार रूप प्रदान करता है
      4. मिट्टी मूक है और फसलें उगा कर लोक सेवा करती है
    6. पेड़-पौधौं का लहराना मिट्टी की किस क्रिया को दर्शाता है-
      1. थिरकना
      2. छलना
      3. टकराना
      4. बसना
    7. अनेक रूप धारण करने के बाद फिर से मिट्टी में विलय होना कविता की निम्नलिखित पंक्तियों द्वारा स्पष्ट होता है-
      1. सौ बार बने सौ बार मिटे
      2. ठोकर लग जाए छहराए
      3. लेकिन धरती चिर उर्वर है
      4. कितने रूपों में कुटी-पिटी
    8. कविता का संदेश है –
      1. मिट्टी के प्रयोग से परिचित करवाना
      2. मिट्टी की मोहक मस्ती की सुंदरता
      3. मिट्टी की महिमा द्वारा प्रेरणा देना
      4. मिट्टी के परोपकारी रूप का वर्णन

        अथवा

    अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूँगा।
    देखो मैंने कंधे चौड़े कर लिए हैं
    मुट्ठियाँ मजबूत कर ली हैं
    और ढलान पर एड़ियाँ जमाकर
    खड़ा होना मैंने सीख लिया है।
    घबराओ मत
    मैं क्षितिज पर जा रहा हूँ।
    सूरज ठीक जब पहाड़ी से लुढ़कने लगेगा
    मैं कंधे अड़ा दूँगा
    देखना वह वहीं ठहरा होगा।
    अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूँगा।
    मैंने सुना है उसके रथ में तुम हो
    तुम्हें मैं उतार लाना चाहता हूँ
    तुम जो स्वाधीनता की प्रतिमा हो
    तुम जो साहस की मूर्ति हो
    तुम जो धरती का सुख हो
    तुम जो कालातीत प्यार हो
    तुम जो मेरी धमनी का प्रवाह हो
    तुम जो मेरी चेतना का विस्तार हो
    तुम्हें मैं उस रथ से उतार लाना चाहता हूँ।
    रथ के घोड़े
    आग उगलते रहें
    अब पहिये टस से मस नहीं होंगे
    मैंने अपने कंधे चौड़े कर लिए हैं।
    सूरज जाएगा भी तो कहाँ
    उसे यहीं रहना होगा
    यहीं हमारी सॉसों में
    हमारी रगों में
    हमारे संकल्पों में
    हमारे रतजगों में
    तुम उदास मत होओ
    अब मैं किसी भी सूरज को
    नहीं डूबने दूगा।

    1. इन पंक्तियों में कवि का निश्चय प्रकट होता है कि वह
      1. पहाड़ी क्षेत्र में जाकर रहेगा
      2. अपने लक्ष्य को पाकर रहेगा
      3. प्रकृति के उपादानों से प्रेरित है
      4. जीवन की उहापोह में उलझा है
    2. कवि का तैयार होना दर्शाता है कि वह –
      1. शारीरिक एवं मानसिक रूप से तैयार है।
      2. दुनिया से लड़ने का साहस रखता है।
      3. नकारात्मक प्रभाव से बचाव चाहता है।
      4. निरंतर कर्मरत एवं उपेक्षित रहता है।
    3. ‘घबराओ मत,मैं क्षितिज पर जा रहा हूँ।’ पंक्ति का भाव है –
      1. पाठक के लिए सहृदयता
      2. सूर्य के लिए अटूट श्रद्धा
      3. पर्वतारोहण के लिए प्रयासरत
      4. प्राप्य को पाने के लिए सावधान
    4. सूरज द्वारा लोगों के जीवन में सुख, समृद्धि एवं प्रकाश का आगमन होता है। यह कथन दर्शाता है कि सूरज है-
      1. चित्रात्मक
      2. प्रतीकात्मक
      3. प्रयोगात्मक
      4. वर्णनात्मक
    5. ‘सूरज जाएगा भी तो कहाँ
      उसे यहीं रहना होगा।’ कथन दर्शाता है –

      1. विवशता
      2. स्थायित्व
      3. आत्मबोध
      4. टृढ़िश्चय
    6. कविता का संदेश क्या है?
      1. अनुकूल परिस्थितियों में स्थिरता रखना
      2. प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना
      3. उद्देश्य प्राप्ति के लिए हढ़ संकल्पित रहना
      4. सूर्यास्त से पूर्व कार्यों का समापन करना
    7. निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई
      एक सही विकल्प चुनकर लिखिए –
      कथन (A) :तुम जो साहस की मूर्ति हो, तुम जो धरती का सुख हो।
      कारण ( R) :कवि स्वयं को साहस की मूर्ति मानता है, जो धरती के जीवों के लिए सुखद परिस्थितियाँ उत्पन्न कर सकता है।

      1. कथन (A) तथा कारण(R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
      2. कथन (A) गलत है लेकिन कारण(R) सही है।
      3. कथन (A) तथा कारण(R) दोनों गलत हैं।
      4. कथन (A) सही है लेकिन कारण(R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
    8. कवि के संबंध में इनमें से सही है कि वह –
      1. सत्य की खोज करता है
      2. भावुक प्रवृत्ति का है
      3. लघुता का जानकार है
      4. अदक्य साहस का धनी है
  3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए । (1 × 5 = 5)
    1. राजप्पा नायडू के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के दफ़्तर में अपना आवेदन दिया। प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात उन्हें अलग डेस्क पर काम करने के लिए कहा गया। यह दर्शाता है कि वह हैं –
      1. ब्लॉगर
      2. साक्षात्कारकर्ता
      3. उपसंपादक
      4. फ्रीलांसर
    2. विशेष लेखन की शब्दावली के उचित मिलान को दर्शाने वाले विकल्प का चयन कीजिए-
      (क) पर्यावरण(i) रौंदा
      (ख) व्यापार(ii) सेंसेक्स
      (ग) खेल(iii) आर्द्रता
      (घ) शेयर बाज़ार(iv) तेजड़िए
      1. (क)-(ii). (ख)-(iii) (ग)-(i) (घ)-(iv)
      2. (क)-(iii). (ख)-(iv) (ग)-(i) (घ)-(ii)
      3. (क)-(i). (ख)-(iii) (ग)-(ii) (घ)-(iv)
      4. (क)-(iv). (ख)-(ii) (ग)-(i) (घ)-(iii)
    3. दिए गए कथनों में से अंशकालिक पत्रकार के लिए सही कथन का चयन कीजिए –
      1. कम समय में उलटा पिरामिड शैली में समाचार लिखने की कला में सिद्धहस्त है।
      2. स्ट्रिंगर किसी समाचार संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय पर काम करने वाला पत्रकार है।
      3. अंशकालिक पत्रकार किसी समाचार संगठन में काम करने वाला नियमित वेतनभोगी पत्रकार है।
      4. लोकतांत्रिक समाज में पहरेदार की भूमिका निभाता है, भष्टाचार के विरोध के लिए कार्य करता है।
    4. ड्राई एंकर वह होता है जो –
      1. समाचार पत्र तक सूचना भिजवाता है।
      2. फ्लैशबैक न्यूज़ के लिए लेखन करता है।
      3. पहले प्रसारित न्यूज़ का पुनः प्रसारण करता है।
      4. चित्रों के बिना खबर के बारे में दर्शकों को सीधे-सीधे बताता है।
    5. एंकर बाइट कौन देता है?
      1. न्यूज़ रीडर
      2. एंकर
      3. अपराधी
      4. प्रत्यक्षदर्शी
  4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछ्छे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 6 = 6)
    भर जलद धरा को ज्यों अपार;
    वे ही सुख-दुख में रहे न्यस्त,
    तेरे हित सदा समस्त व्यस्त;
    वह लता वहीं की, जहाँ कली
    तू खिली, स्नेह से हिली, पली,
    अंत भी उसी गोद में शरण
    ली, मूँदे दृग वर महामरण!
    मुझ भाग्यहीन की तू संबल
    युग वर्ष बाद जब हुई विकल,
    दुख ही जीवन की कथा रही
    क्या कहूँ आज जो नहीं कही!
    हो इसी कर्म पर वज़पात
    यदि धर्म रहे नत सदा माथ।

    1. ‘भर जलद धरा को ज्यों अपार’ पंक्ति द्वारा प्रतिपादित किया गया है –
      (क) वैमनस्य
      (ख) अनुभव
      (ग) स्वेह
      (घ) प्रकाश
    2. कवि स्वयं को भाग्यहीन कहकर क्या सिद्ध करना चाहते हैं ?
      1. मनचाही प्रसिद्धि न मिलना
      2. सरोज की आर्थिक दशा
      3. सरोज ही एकमात्र सहारा
      4. पारिवारिक सदस्यों से बिछोह
    3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
      (क) कवि सरोज को शकुंतला के समान मानते थे।
      (ख) पुत्री सरोज की मृत्यु असमय हो गई थी।
      (ग) सरोज की मृत्यु अपनी ससुराल में हुई थी।
      इन कथनों में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है /हैं-

      1. केवल (क)
      2. (ख) और (ग)
      3. (ग) केवल (ख)
      4. (ख) और (ग)
    4. ‘हो इसी कर्म पर वज्रपात’ के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि वह-
      1. कष्टदायक जीवन के बाद धार्मिक बन रहे हैं।
      2. मस्तक पर वज़पात सहने का साहस कर रहे हैं।
      3. समस्त जीवन दुख में ही व्यतीत करते रहे हैं।
      4. प्रतिकूलताओं के आगे आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
    5. दुख ही जीवन की कथा रही के माध्यम से प्रकट हो रही है –
      1. शैशवावस्था
      2. वृद्धावस्था
      3. वियोगावस्था
      4. विश्लेषणावस्था
    6. ‘क्या कहूँ आज, जो नहीं कही!’
      पंक्ति के माध्यम से कवि की स्वाभाविक विशेषता बताने के लिए सूक्ति कही जा सकती है-

      1. पर उपदेश कुशल बहुतेरे
      2. बिथा मन ही राखो गोय
      3. मुझसे बुरा न कोय
      4. मन के हारे हार है
  5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए (1 × 6 = 6)
    बालक के मुख पर विलक्षण रंगों का परिवर्तन हो रहा था, हृदय में कृत्रिम और स्वाभाविक भावों की लड़ाई की झलक ऑखों में दीख रही थी। कुछ खाँसकर, गला साफ़ कर नकली परदे के हट जाने पर स्वयं विस्मित होकर बालक ने धीरे से कहा, ‘लड्ड्र’। पिता और अध्यापक निराश हो गए। इतने समय तक मेरा श्वास घुट रहा था। अब मैंने सुख से साँस भरी। उन सबने बालक की प्रवृत्तियों का गला घोंटने में कुछ उठा नहीं रखा था। पर बालक बच गया। उसके बचने की आशा है क्योंकि वह ‘लड्ड्र’ की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पतों का मधुर मर्मर था, मरे काठ की अलमारी की सिर दुखाने वाली खड़खड़ाहट नहीं।

    1. ‘बच्चे के मुख पर रंग बदल रहे थे।’ इस पंक्ति के आधार पर आकलन करने से ज्ञात होता है कि बच्चे में उठ रहे भाव……… के हैं ।
      1. सहृदयता
      2. घबराहट
      3. अंतरद्वंद्व
      4. रोमांचकता
    2. गद्यांश के आधार पर कौन-सा वाक्य सही है?
      1. काठ की अलमारी सदैव सिर दुखाती है।
      2. शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्य किया गया है।
      3. बच्चों को पढ़ाना अत्यंत सहज कार्य है।
      4. वृक्ष के हरे पत्तों का संगीत मधुर होता है।
    3. बालक द्वारा धीरे से लड्डू कहना दर्शाता है कि –
      1. छोटी वस्तु भी पुरस्कार है।
      2. कृत्रिमता का लबादा उतर गया।
      3. कृत्रिमता का स्थायित्व संभव है।
      4. लेखक का उद्देश्य पूरा हो गया।
    4. ‘अब मैंने सुख की साँस भरी’ के माध्यम से कह सकते हैं कि वह –
      1. अत्यंत जागरूक नागरिक हैं।
      2. बाल मनोविज्ञान से परिचित हैं।
      3. स्तरानुसार शिक्षा के पक्षधर हैं।
      4. अपने सुख की कामना करते हैं।
    5. गद्यांश हमें संदेश देता है कि-
      1. स्वाभाविक विकास हेतु सहज एवं आनंदपूर्ण वातावरण होना चाहिए।
      2. रटंत प्रणाली के कारण बच्चे की हृदय व्यथा चिंताजनक हो जाती है।
      3. बालक में निडरता थी तभी अपनी लड्ड्र की इच्छा को प्रकट कर पाया है।
      4. अभिभावक एवं अध्यापकों को बालकों का चहुमुखी विकास करना चाहिए ।
    6. निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए –
      कथन (A): लड्डू की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था।
      कारण ( R): बालक द्वारा लड्ड्र माँगा जाना वृक्ष के हरे पत्तों के समान इंगित करता है।

      1. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
      2. कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
      3. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
      4. कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
  6. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)
    1. बिस्कोहर की माटी पाठ के अनुसार निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए –
      (क) पाठ में मनुष्य के संबंधों की मार्मिक पड़ताल निहित है।
      (ख) जीवन की स्थितियाँ ॠतुओं के साथ बदलती हैं।
      (ग) प्रकृति के प्रकोप को ग्रामीण जीवन झेलता है।
      (घ) ग्रामीण जीवन में प्रकृति के प्रति अलगाव है।
      इन कथनों में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है /हैं-

      1. केवल (क)
      2. (ख) और (ग)
      3. केवल (घ)
      4. (क), (ख) और (ग)
    2. विकास की औद्योगिक सभ्यता उजाड़ की अपसभ्यता बन गई है। इसका कारण है-
      1. संपन्नता
      2. प्रदूषण
      3. नदियाँ
      4. पठार
    3. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए-
      (क) भरभंडा : फूल
      (ख) डोंडहा : साँप
      (ग) कोइयाँ : जलपुष्प
      (घ) धामिन : अनाज
      इन युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं-

      1. केवल (क)
      2. (ख) और (ग)
      3. केवल (घ)
      4. (क), (ख) और (ग)
    4. अभिलाषाओं की राख से तात्पर्य है-
      1. जमा पूँजी का जल जाना
      2. इच्छा की पूर्ति होना
      3. आकांक्षा का अधूरा रह जाना
      4. चरित्र पर कलंक लगना
    5. ‘कोई भी तालाब अकेला नहीं है।’ यह कथन दर्शाता है –
      1. राजा बहुत से तालाब बनवाते हैं।
      2. तालाब के पास गाँव बस जाते हैं।
      3. इसमें कूड़ा-कचरा डाल दिया जाता है।
      4. अनेक स्रोतों का जल मिला होता है।

खंड – ब वर्णनात्मक प्रश्न

  1. निम्नलिखित दिए गए तीन शीर्षकों में से किसी एक शीर्षक पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (1 × 5 = 5)
    1. गरमी की पहली बारिश
    2. जैसे ही मैंने अलमारी खोली
    3. मैच खेलने का अवसर
  2. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए – (3 × 2 = 6)
    1. ‘कविता कोने में घात लगाए बैठी है। यह हमारे जीवन में किसी भी क्षण वसंत की तरह आ सकती है।’ इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
    2. रंगमंच को प्रतिरोध का सशक्त माध्यम कहना कहाँ तक उचित है? तीन कारणों का उल्लेख कीजिए।
    3. कहानी के पात्रों का चरित्र-चित्रण कथानक की आवश्यकता के अनुसार प्रभावशाली ढंग से कैसे प्रस्तुत किया जाता है। किन्हीं दो तरीकों का वर्णन उदाहरण सहित दीजिए।
  3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
    1. अधिकांश समाचार एक विशेष शैली में लिखे जाते हैं। इसका कारण बताते हुए शैली का विस्तृत परिचय दीजिए।
    2. अच्छे फीचर की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  4. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में दीजिए- (2 × 2 = 4)
    1. ‘मैंने देखा एक बूँद’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
    2. आशय स्पष्ट कीजिए-
      अधर लगे हैं आनि करि कै पयान प्रान,
      चाहत चलन ये सँदेसो लै सुजान को।
    3. ‘तोड़ो’ कविता नवसृजन की प्रेरणा है। कथन के आलोक में अपने विचार प्रकट कीजिए।
  5. निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (6 × 1 = 6)
    लघु सुरधनु से पंख पसारे-शीतल मलय समीर सहारे।
    उड़ते खग जिस ओर मुँह किए- समझ नीड़ निज प्यारा।
    बरसाती ऑँखों के बादल-बनते जहाँ भरे करुणा जल।
    लहरें टकराती अनंत की- पाकर जहाँ किनारा।
    हेम कुंभ ले उषा सवेरे – भरती ढुलकाती सुख मेरे।
    मदिर ऊँघते रहते जब-जगकर रजनी भर तारा ।

    अथवा

    महीं सकल अनरथ कर मूला । सो सुनि समुझि सहिउँ सब सूला।
    सुनि बन गवनु कीन्ह रघुनाथा। करि मुनि बेष लखन सिय साथा।।
    बिन पानहिन्ह पयादेहि पाएँ। संकरु साखि रहेगँ ऐहि घाएँ।
    बहुरि निहारि निषाद सनेहू । कुलिस कठिन उर भयउ न बेहू।।
    अब सबु आँखिन्ह देखेड आई । जिअत जीव जड़ सबइ सहाई ।।
    जिन्हहि निरखि मग साँपिनि बीछी । तजहिं बिषम बिषु तापस तीछी।।

  6. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में दीजिए- (2 × 2 = 4)
    1. ‘उसके पैर गाँव की ओर बढ़ ही नहीं रहे थे। इसी पगडंडी से बड़ी बहुरिया अपने मैके लौटा आवेगी गाँव छोड़कर चली जावेगी। फिर कभी नहीं आवेगी।’
      लेखक संवदिया और बड़ी बहुरिया के माध्यम से समाज के एक बड़े वर्ग का वर्णन करते प्रतीत हो रहे हैं। इसे स्पष्ट करते हुए वर्तमान परिप्रेक्ष्य के साथ संबंध स्थापित कीजिए।
    2. ‘भीड़ लड़के ने दिल्ली में भी देखी थी, बल्कि रोज़ देखता था। लेकिन इस भीड़ का अंदाज निराला था।’ पंक्ति के माध्यम से भीड़ की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
    3. शेर के मुँह में जानवरों का घुसना विसंगति को प्रतिपादित करता है। स्पष्ट कीजिए।
  7. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (6 × 1 = 6)
    विकास का यह ‘उजला’ पहलू अपने पीछे कितने व्यापक पैमाने पर विनाश का अंधेरा लेकर आया था. हम उसका छोटा-सा जायज़ा लेने दिल्ली में स्थित ‘लोकायन’ संस्था की ओर से सिंगरौली गए थे। सिंगरौली जाने से पहले मेरे मन में इस तरह का कोई सुखद भुम नहीं था कि औद्योगीकरण का चक्का, जो स्वतंत्रता के बाद चलाया गया, उसे रोका जा सकता है। शायद पैंतीस वर्ष पहले हम कोई दूसरा विकल्प चुन सकते थे, जिसमें मानव सुख की कसौटी भौतिक लिप्सा न होकर जीवन की जरूरतों द्वारा निर्धारित होती। पश्चिम जिस विकल्प को खो चुका था भारत में उसकी संभावनाएँ खुली थीं, क्योंकि अपनी समस्त कोशिशों के बावजूद अंग्रेजी राज हिंदुस्तान को संपूर्ण रूप से अपनी ‘सांस्कृतिक कॉलोनी’ बनाने में असफल रहा था।
  8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक का उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 1 = 3)
    1. धरती का वातावरण गरम हो रहा है। कारण बताते हुए निवारण के उपाय भी बताइए।
    2. सूरदास कहाँ तो नैराश्य, ग्लानि, चिता और क्षोभ के अपार जल में गोते खा रहा था,
      कहाँ यह चेतावनी सुनते ही उसे ऐसा मालूम हुआ किसी के उसका हाथ पकड़कर किनारे पर खड़ा कर दिया।
      नकारात्मक मानवीय पहलुओं पर अकेले सूरदास का व्यक्तित्व भारी पड़ गया। जीवन मूल्यों की दृष्टि से इस कथन पर विचार कीजिए।

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