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Class 10 Hindi – A Pad Extra Questions

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Class 10 Hindi – A Pad Extra Questions. myCBSEguide has just released Chapter Wise Question Answers for class 10 Hindi – A. There chapter wise Test papers with complete solutions are available for download in myCBSEguide website and mobile app. These test papers with solution are prepared by our team of expert teachers who are teaching grade in CBSE schools for years. There are around 4-5 set of solved Hindi Extra questions from each and every chapter. The students will not miss any concept in these Chapter wise question that are specially designed to tackle Board Exam. We have taken care of every single concept given in CBSE Class 10 Hindi – A syllabus and questions are framed as per the latest marking scheme and blue print issued by CBSE for Class 10.

CBSE Class 10 Hindi Ch – 1 Practice Test

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CBSE Chapter wise Questions for Class 10 Hindi

 सूरदास (पद)

  1. निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    ऊधौ, तुम हो अति बड़भागी।
    अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।
    पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
    ज्य जल माहूँ तेल की गागरिं, बूंद न ताका लागी।
    प्रीति-नदी में पाउँ न बोर्दी, दृष्टि न रूप परागी।
    ‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पाग।

    1. गोपियों ने ‘बड़भागी’ कहकर उद्धव के व्यवहार पर कौन-सा व्यंग्य किया है?
    2. उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किससे की गई है?
    3. अंतिम पंक्तियों में गोपियों ने स्वयं को ‘अबला’ और ‘भोरी’ क्यों कहा है?
  2. गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण कैसा है?

  3. राजा का क्या धर्म होता है?

  4. कृष्ण जी ने उद्धव को योग का संदेश लेकर गोपियों के पास क्यों भेजा ?

  5. गोपियाँ उद्धव की बातों से क्यों निराश हो गई ?

  6. आपके द्वारा पठित सूरदास के पदों में किस रस की प्रधानता है? इसमें कौन-कौन प्रमुख पात्र हैं?

सूरदास (पद)

Answer

    1. गोपियों द्वारा व्यंग्य-उद्धव का इतना ज्ञानी होना कि कृष्ण के साथ रहते हुए भी उनके मन में प्रेम के प्रति तनिक भी अनुरक्ति की भावना का उद्भव नहीं हुआ।
    2. पानी के अन्दर रहने वाले कमल के पत्ते से की गई हैं जो कीचड़ और जल से अछूता रहता हैं। तेल से चुपड़ी गगरी से जिसके ऊपर पानी की एक बूँद भी नहीं ठहरती है। यह स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी प्रेम के साकार रूप श्रीकृष्ण के समीप रहते हुए भी उद्धव उनके कृपापात्र नहीं बन पाए।
    3. गोपियाँ ज्ञानी नहीं हैं। जिस प्रकार चीटियाँ गुड़ में चिपक जाती हैं उसी प्रकार वे भी कृष्ण के प्रेम में डूबी रहती हैं। उन्हें प्रेम के अतिरिक्त ज्ञान की बातें समझ नहीं आतीं अर्थात कृष्ण के प्रति उनका एकनिष्ठ प्रेम है ।
  1. गोपियों के अनुसार योग-साधना एक कड़वी ककड़ी के समान है योग साधना को वे एक ऐसी व्याधि के समान माना है जिसे पहले कभी न देखा, न सुना और न भोगा है। वे उसे निरर्थक एवं अरुचिकर मानती हैं। कृष्ण प्रेम को छोड़कर वह किसी अन्य मार्ग को अपनाना ही नहीं चाहते वह जीते मरते सिर्फ कृष्ण प्रेम में ही जीना और मरना चाहती हैं।
  2. उद्धव से गोपिया कहती है कि राजा का धर्म वह होता है जो सदैव अपनी प्रजा का हित चिंतन करे, उन्हें कभी न सताये उनके हित में कार्य करें किन्तु कृष्ण जी ने राजधर्म का पालन नहीं किया वे मथुरा जाकर हमको भूल गए और आपको हमें योग की शिक्षा देने के लिए गोकुल में भेजा है तो यह कहां का राजधर्म है।
  3. क्योंकि उध्दव अपने आप को निर्गुण भक्ति का सबसे बड़ा भक्त मानता था इसलिए कृष्ण जी ने सोचा कि इसे गोपियों के पास भेजते हैं और देखते हैं कि यह उन्हें निर्गुण भक्ति का संदेश दे पाते हैं या नहीं क्योंकि गोपियाँ रात-दिन सोते जागते सिर्फ उन को ही याद करती रहती है और उनके वापस आने की अवधि को आधार बना कर विरह रूपी अग्नि से अपने शरीर को जला रही है। उस रास्ते की ओर देखती रहती हैं जिधर से कृष्ण जी को वापस आना था इसलिए गोपियों की विरहग्नि को शांत करने और उनके मन को नियंत्रित करने के लिए उन्होंने उद्धव को योग का संदेश लेकर भेजा ताकि उनके व्याकुल मन को शांति मिल सके।
  4. गोपियाँ उद्धव से श्रीकृष्ण के प्रेम का सकारात्मक उत्तर सुनने को विचलित हो रहीं थीं, किन्तु उद्धव कृष्ण की बात न करके ज्ञान और योग की संदेश देना आरम्भ कर दिया, जिसे सुनकर वे निराश हो उठीं कि यह किस प्रकार का संदेश कृष्ण ने हमारे लिए भेजा है।
  5. सूरदास के पदों में श्रृंगार और वात्सल्य रस की प्रधानता है। परन्तु इन पदों में गोपियों का विरह का वर्णन है इसलिए इनमें वियोग श्रृंगार रस की प्रधानता है। सूरदास के काव्य में गेयता का गुण विद्यमान है। सूरदास को श्रृंगार और वात्सल्य का सम्राट कहा जाता है । इनमें कृष्ण, उद्धव, गोपियाँ तथा माता यशोदा आदि प्रमुख पात्र हैं।
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