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Important Questions of Class 9 Hindi Everest Meri Shikhar Yatra

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CBSE Class 9 Hindi Ch – 2

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ExtraQuestions for Class 9 Hindi – B

Ch-2 एवेरेस्ट मेरी शिखर यात्रा


  1. शिखर पर चढ़ने वालों को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है? एवरेस्ट- मेरी शिखर यात्रा पाठ के आधार पर बताइए।

  2. अंगदोरजी के पाँव ठंडे क्यों पड़ जाते थे? एवरेस्ट-मेरी शिखर यात्रा पाठ के आधार पर बताइए।

  3. एवरेस्ट-मेरी शिखर यात्रा पाठ के सन्दर्भ में बताइए एवरेस्ट अभियान दल कब रवाना हुआ?

  4. एवरेस्ट-मेरी शिखर यात्रा पाठ के आधार पर बताइए बछेन्द्री पाल ने एवरेस्ट की तरफ क्या देखा?

  5. ‘एवरेस्ट-मेरी शिखर यात्रा’ पाठ के आधार पर बताइए जय लेखिका को देखकर हक्का-बक्का क्यों रह गया?

  6. एवरेस्ट शिखर पर पहुँचकर बछेन्द्री पाल ने स्वयं को किस प्रकार सुरक्षित रूप से स्थिर किया?

  7. एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा पाठ के आधार पर बताइए मई की रात को कैंप तीन में क्या घटना घटी और एक अन्य साथी ने लेखिका की जान कैसे बचाई?

  8. एवरेस्ट की शिखर यात्रा में किन-किन लोगों ने लेखिका बछेन्द्री पाल को सहयोग दिया?

Ch-2 एवेरेस्ट मेरी शिखर यात्रा


Answer

  1. जो पर्वतारोही हिमालय पर्वत के शिखर पर चढ़ते हैं, उन्हें खराब मौसम और बर्फ के तूफ़ान का मुकाबला करना ही पड़ता है।
  2. अंगदोरजी कुशल पर्वतारोही था। वह बिना ऑक्सीजन के बर्फ़ पर चलने का अभ्यस्त था। इसलिए वह यात्रा में ऑक्सीजन नहीं लगाता था। पंरतु बिना ऑक्सीजन के उसके पैर ठंडे पड़ जाते थे।
  3. एवरेस्ट अभियान दल दिल्ली से काठमांडू के लिए 7 मार्च को हवाई जहाज से रवाना हुआ।
  4. बछेंद्री पाल ने एवरेस्ट की तरफ एक भारी बर्फ का का बड़ा फूल (प्लूम) देखा।
  5. जय बछेन्द्री पाल का पर्वतारोही साथी था। उसे भी बछेन्द्री के साथ पर्वत-शिखर पर जाना था। शिखर कैम्प पर पहुँचने में उसे देर हो गई थी। वह सामान ढोने के कारण पीछे रह गया था। अतः बछेन्द्री उसके लिए चाय-जूस आदि लेकर उसे लेने के लिए पहुँची। जय ने यह कल्पना नहीं की थी कि बछेन्द्री उसकी चिन्ता करेगी। इसलिए जब उसने बछेन्द्री पाल को उसके लिए चाय-जूस के साथ देखा तो वह हक्का-बक्का रह गया।
  6. एवरेस्ट शिखर सँकरा व नुकीला था। अतः वहाँ पहुँचकर स्वयं को सुरक्षित रूप से स्थिर करने के लिए बछेन्द्री पाल ने बर्फ के फावड़े से खुदाई की और उसके उपरान्त घुटनों के बल बैठकर ‘सागरमाथे’ के शिखर का चुंबन किया।
  7. 15-16 मई, 1984 को बुद्ध पूर्णिमा के दिन जब लेखिका ल्होत्से की बर्फीली सीधी ढलान पर नाइलॉन के बने तंबू के कैंप तीन में गहरी नींद में सोई हुई थी तभी रात में लगभग 12:30 बजे उसके सिर के पिछले हिस्से में एक ज़ोरदार धमाके के साथ कोई सख्त चीज टकराई। वह बर्फ का बड़ा विशालकाय पंज था। जिसने कैंप को तहस-नहस करने के साथ सभी व्यक्तियों को चोटिल किया। लेखिका तो बर्फ के नीचे फंस गयी थी।
    तभी लोपसांग अपनी स्विस छुरी की मदद से उनके तंबू का रास्ता साफ करने में सफल हो गया तथा उसने ही लेखिका के चारों तरफ के कड़े जमे बर्फ की खुदाई कर लेखिका को बर्फ की कब्र से बाहर खींच कर निकाला। इस तरह लेखिका की जान बची।
  8. एवरेस्ट की शिखर यात्रा में अभियान दल के नेता कर्नल खुल्लर, उपनेता प्रेमचंद, साथी अंगदोरजी तथा डॉक्टर मीनू मेहता ने लेखिका को सफलता प्राप्त करने में उल्लेखनीय सहयोग दिया। कर्नल खुल्लर ने लेखिका को शिखर यात्रा के प्रारंभ से लेकर अंत तक हिम्मत बँधायी, उसका साहस बढ़ाया। उन्होंने अभियान दल के सभी सदस्यों की मृत्यु को सहजता से स्वीकार करने का पाठ पढ़ाकर उन्हें मृत्यु के भय से मुक्त किया। उपनेता प्रेमचंद ने पहली बाधा खंभु हिमपात की स्थिति से उन्हें अवगत कराया और सचेत किया कि ग्लेशियर बर्फ की नदी है तथा बर्फ का गिरना जारी है। अतः सभी लोगों को सावधान रहना चाहिए। डॉक्टर मीनू मेहता ने एल्युमीनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुल बनाने, लट्ठों एवं रस्सियों का उपयोग, बर्फ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना आदि सिखाया। अंगदोरजी ने लेखिका को लक्ष्य तक पहुँचने में सहयोग दिया तथा प्रोत्साहित भी किया।
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