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Install NowExtra Questions of Class 10 Hindi – B Pathjhad ki Patiya. myCBSEguide has just released Chapter Wise Question Answers for class 10 Hindi. There chapter wise Test papers with complete solutions are available for download in myCBSEguide website and mobile app. These Extra Questions with solution are prepared by our team of expert teachers who are teaching grade in CBSE schools for years. There are around 4-5 set of solved Hindi Extra questions from each and every chapter. The students will not miss any concept in these Chapter wise question that are specially designed to tackle Board Exam. We have taken care of every single concept given in CBSE Class 10 Hindi –B syllabus and questions are framed as per the latest marking scheme and blue print issued by CBSE for Class 10.
CBSE Class 10 Hindi Ch – 7 Practice Test
Chapter wise Practice Questions for Class 10 Hindi
पाठ-16 पतझर में टूटी पत्तियां –रवीन्द्र केलेकर
निर्देश –
- सभी प्रश्न अनिवार्य है।
- प्रश्न 1 से 3 एक अंक के है।
- प्रश्न 4 से 8 दो अंक के है।
- प्रश्न 9 से 10 पांच अंक के है।
- जापान में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?
- प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?
- ‘टी सेरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?
- शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?
- “जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब ‘प्रैक्टिकल आइडियलिस्टों’ के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है।“-आशय स्पष्ट कीजिए |
- शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
- चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?
- गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्व है?
- अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जब शुद्ध आदर्श से आपको हानि या लाभ हुआ हो।
- लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।
पाठ-16 पतझर में टूटी पत्तियां –रवीन्द्र केलेकर
(आदर्श उत्तर)
- जापान में चाय पीने की विधि को चा –नो –यू कहते हैं |
- जो लोग शुद्ध आदर्श में थोड़ी व्यावहारिकता मिलाकर काम चलाते हैं, उन्हें प्रैक्टिकल आइडियलिस्ट कहते हैं।
- ‘टी सेरेमनी’ में शांति का अत्यधिक महत्व होता है इसलिए वहाँ पर एक बार में तीन से अधिक व्यक्तियों को प्रवेश नहीं दिया जाता है।
- शुद्ध सोने में कोई मिलावट नहीं होती, लेकिन गिन्नी के सोने में ताँबा मिला होता है। शुद्ध सोने की तुलना में गिन्नी का सोना अधिक मजबूत और उपयोगी होता है।
- लोगों की आदत होती है कि क्षणिक सफलता के मद में वे प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों की सराहना करने लगते हैं। इस प्रशंसा के मद में चूर होकर, प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट धीरे-धीरे आदर्शों से दूर होने लगते हैं। एक समय आता है जब केवल उनकी व्यावहारिक बुद्धि ही दिखती है।
- शुद्ध सोना बहुत कीमती होता है। ताँबे के साथ मिलकर यह ताँबे के महत्व को बढ़ा देता है। जबकी दूसरी ओर ताँबा सोने की कीमत को घटा देता है। शुद्ध आदर्श जब व्यावहारिकता के साथ मिलता है तो इससे व्यावहारिकता की कीमत बढ़ जाती है। लेकिन व्यावहारिकता का ठीक उलटा प्रभाव पड़ता है। इसलिए शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से की गई है।
- चाय पीने के बाद लेखक को अपार शांति महसूस हुई। उसे लगा कि उसके दिमाग की रफ्तार बंद हो चुकी थी। वह अपना अतीत और वर्त्तमान सबकुछ भूल चुका था |उसके मन में और आस पास सब कुछ शून्य सा हो गया था । ऐसा लग रहा था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों |
- जीवन में आदर्शवादिता और व्यावहारिकता दोनों का महत्व है। लेकिन प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट की तरह हमें व्यावहारिकता में आदर्शवादिता मिलाने से बचना चाहिए। इसकी जगह हमें गांधीजी की तरह व्यावहारिकता में आदर्शवादिता मिलाने की सीख लेनी चाहिए।
- (छात्र अपना अनुभव लिखेंगे ) एक बार मैंने फुटपाथ पर बैठे एक भूखे बच्चे को अपना टिफिन दे दिया था। उस दिन मुझे भूखा रहना पड़ा लेकिन अंदर से एक असीम सी संतुष्टि का अहसास हुआ। मुझे लगा कि मुझे अपना भोजन दूसरे को देकार लाभ ही हुआ।वह न जाने कितने दिनों का भूखा था, मुझे यह संतुष्टि थी कि मैंने एक भूखे की भूख मिटाई है और एक गरीब की दुआएँ ली हैं |हम न जाने कितना भोजन प्रतिदिन व्यर्थ फेंक देते हैं |यदि हम एक –एक भूखे को अन्न दे दें तो हमारे देश में कोई भूखा ही न रहे |
- लेखक का कहना है की हमारा भूतकाल सत्य नहीं है क्योंकि वह बीत चुका है। भागे हुए साँप की लकीर पर लाठी पीटने से कोई फायदा नहीं होता है। लेखक का कहना है कि भविष्य तो अनिश्चित है, इसलिए उसके बारे में तनाव पालने से भी कोई लाभ नहीं होता है। वर्तमान में जीना सीखने से ही सही सुख मिलता है। वर्तमान पर हम बहुत हद तक नियंत्रण कर सकते हैं और वर्तमान के सुख दुख की पूरी-पूरी अनुभूति भी कर सकते हैं।
Class 10 Hindi – B Chapter Wise Question Answers
(Sparsh)
- Saakhi
- Pad
- Dohe
- Manushyata
- Parvat Pradesh Mein Pavas
- Madhur madhur mere deepak jal (Deleted)
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- Ab Kaha Dusre Ke Dukh Se Dukhi Hone Wale
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(Sanchayan Bhag)
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