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NCERT solutions for Hindi Course Sarveshwar Dayal Saxena Download as PDF
NCERT Class 10 Hindi Course A Chapter wise Solutions
Kritika
- 1 Mata ka Aanchal
- 2 George Pancham Ki Naak
- 3 Sana Sana Hath Dodi
- 4 Ehi Thaiyan Jhulani Herani ho Rama
- 5 Main Kyon Likhata hun
Kshitij
- 1 Surdas
- 2 Tulsidas
- 3 Dev
- 4 Jai Shankar Parsad
- 5 Suryakant Tripathi Utsah – A
- 5 Suryakant Tripathi At Nahi Rahi Hai – B
- 6 Nagarjuna Yeh Danturit Muskan – A
- 6 Nagarjuna Fasal – B
- 7 Girija Kumar Mathur
- 8 Rituraj
- 9 Manglesh Dabral
- 10 Svayan Prakash
- 11 Rambriksh Benipuri
- 12 Yashpal
- 13 Sarveshwar Dayal Saxena
- 14 Manu Bhandari
- 15 Mahavir Prasad Dwivedi
- 16 Yatindra Mishra
- 17 Bhadant Anand Kausalyan
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Course A Sarveshwar Dayal Saxena
1. फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी ?
उत्तर:- फ़ादर बुल्के मानवीय करुणा से ओतप्रोत विशाल ह्रदय वाले और सभी के कल्याण की भावना रखने वाले महान व्यक्ति थे। देवदार का वृक्ष आकार में लंबा-चौड़ा होता है तथा छायादार भी होता है।
फ़ादर बुल्के का व्यक्तित्व भी कुछ ऐसा ही है। जिस प्रकार देवदार का वृक्ष लोगों को छाया देकर शीतलता प्रदान करता ठीक उसी प्रकार फ़ादर बुल्के भी अपने शरण में आए लोगों को आश्रय देते थे।
हर व्यक्ति उनसे सहारा और स्नेह पा सकता था तथा दु:ख के समय में सांत्वना के वचनों द्वारा उनको शीतलता प्रदान करते थे।
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2. फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
उत्तर:- फ़ादर बुल्के पूरी तरह से भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर चुके थे। वे भारत को ही अपना देश मानते हुए यहीं की संस्कृति में रच-बस गए थे। वे हिंदी के प्रकांड विद्वान थे एवं हिंदी के उत्थान के लिए सदैव तत्पर रहते थे। उन्होंने हिंदी में पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त ”ब्लू-बर्ड ” तथा ”बाइबिल ”का हिंदी अनुवाद भी किया तथा अपना प्रसिद्ध अंग्रेज़ी-हिंदी कोश भी तैयार किया। उनका पूरा जीवन भारत तथा हिंदी भाषा पर समर्पित था। अत: हम यह कह सकते हैं कि फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं।
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3. पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?
उत्तर:- फ़ादर बुल्के के हिन्दी-प्रेम का सबसेबड़ा प्रमाण यह है कि उन्होंने सबसे प्रमाणिक अंग्रेजी-हिन्दी कोश तैयार किया। भारत आकर उन्होंने कलकत्ता से हिंदी में बी.ए. तथा इलाहाबाद से एम.ए. किया। उन्होंने “रामकथा : उत्पत्ति और विकास।” पर शोध कर पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की। ब्लूबर्ड का अनुवाद ‘नील पंछी’ के नाम से तथा बाइबिल का हिंदी अनुवाद किया। सेंट जेवियर्स कॉलेज राँची में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष बने। वे ‘परिमल’ नामक संस्था के साथ भी जुड़े़ रहे हिंदी को राष्ट्रभाषा के रुप में प्रतिष्ठित करने के लिएउन्होंने अनेक प्रयास किए तथा लोगों को हिंदी भाषा के महत्व को समझाने के लिए विभिन्न तर्क दिए।
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4. इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:- फ़ादर कामिल बुल्के का व्यक्तित्व सात्विक तथा आत्मीय था। ईश्वर के प्रति उनकी गहरी आस्था थी। वे ईसाई पादरी होने के कारण हमेशा एक सफ़ेद चोगा धारण करते थे गोरा रंग, सफ़ेद झाई मारती भूरी दाढ़ी, नीली आँखे थी। बाहें सदा सभी को गले लगाने के लिए आतुर रहती थी। वे वात्सल्यता की मूर्ति थे। हमेशा एक मंद मुस्कान उनके चेहरे पर झलकती थी। दु:ख से विरक्त लोगों को वे सांत्वना के दो बोल बोलकर शीतलता प्रदान करते थे। भारत देश से उन्हें बहुत प्रेम था।
5. लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?
उत्तर:- फ़ादर बुल्के मानवीय करुणा की प्रतिमूर्ति थे। उनके मन में सभी के लिए प्रेम भरा था जो कि उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई देता था। वे लोगों को अपने आशीषों से भर देते थे। उनकी आँखों की चमक में असीम वात्सल्य तैरता रहता था। दुःख से विरक्त लोगों को वे सांत्वना के दो बोल बोलकर शीतलता प्रदान करते थे। किसी भी मानव का दु:ख उनसे देखा नहीं जाता था। उसके कष्ट दूर करने के लिए वे यथाशक्ति प्रयास करते थे।
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6. फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?
उत्तर:- संन्यासी की परंपरागत छवि ऐसी है कि वह घर संसार से विरक्त होकर भगवान् के भजन में लगा रहता है। उसे सांसारिक वस्तुओं व लोगों के प्रति कोई अनुराग नहीं होता। वह समाज से अलग अपने-आप में तल्लीन रहता है। वह अपने तथा अन्य लोगों के सुख-दुख से पूर्णतया विरक्त रहता है। परन्तु संन्यासी जीवन के परंपरागत गुणों से अलग भी फ़ादर बुल्के की भूमिका रही है; जैसे – इन्होंने संन्यास ग्रहण करने के पश्चात् अपना अध्ययन जारी रखा, कुछ दिनों तक ये कॉलेज में भी पढ़ाते रहे तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते रहे। वे धर्माचार की परवाह किए बिना अन्य धर्म वालों के उत्सवों-संस्कारों में भी घर के बड़े बुजर्गों की भांति शामिल होते थे इसलिए फ़ादर बुल्के की छवि परंपरागत संन्यासियों से अलग है।
7.1 आशय स्पष्ट कीजिए –
नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।
उत्तर:- फ़ादर कामिल बुल्के की मृत्यु पर उनके मित्र,परिचित और साहित्यिक मित्र इतनी अधिक संख्या में रोए कि उनको गिनना कठिन है उस समय रोने वालों की सूची तैयार करना कठिन था अर्थात् बहुत लोग थे। इसलिए रोने वालों के बारे में लिखना स्याही खर्च करने जैसा था।
7.2 आशय स्पष्ट कीजिए –
फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।
उत्तर:- हम फ़ादर कामिल को याद करते हैं तो उनका करुणा पूर्ण और शांत व्यक्तित्व सामने आ जाता है। फ़ादर को याद करने से दु:ख होता है और यह दु:ख एक उदास शांत संगीत की तरह हृदय पर एक अमिट छाप छोड़ जाता है। उनके न रहने से मन उदासी से भर जाता है।
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रचना और अभिव्यक्ति
8. आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा ?
उत्तर:- फ़ादर कामिल बुल्के के मन में हिंदी साहित्य, हिंदी भाषा की जानकारी प्राप्त करने की इच्छा थी। फ़ादर के मन में शायद भारत के संतों, ऋषियों तथा आध्यात्मिक पुरूषों का आकर्षण भी रहा होगा साथ ही वे भारत तथा भारतीय संस्कृति के प्रति भी आकर्षित थे। इसलिए वे भारत आना चाहते थे।
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9. ‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि – रेम्सचैपल।’ – इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनीजन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं?
उत्तर:- फ़ादर कामिल बुल्के की जन्मभूमि ‘रेम्सचैपल’ थी। फ़ादर बुल्के के इस कथन से यह स्पष्ट है कि उन्हें अपनी जन्मभूमि से बहुत प्रेम था तथा वे अपनी जन्मभूमि को बहुत याद करते थे।
मनुष्य कहीं भी रहे परन्तु अपनी जन्मभूमि की स्मृतियाँ हमेशा उसके साथ रहती है। हमारे लिए भी हमारी जन्मभूमि अनमोल है। हमें अपनी जन्मभूमि की सभी वस्तुओं से प्रेम है। यहीं हमारा पालन-पोषण हुआ। अत: हमें अपनी मातृभूमि पर गर्व है। हम चाहें जहाँ भी रहे परन्तु ऐसा कोई भी कार्य नहीं करेंगे जिससे हमारी जन्मभूमि को अपमानित होना पड़े।
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भाषा-अध्ययन
10. मेरा भारत देश विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए।
उत्तर:- मेरे देश का नाम भारत है। भारत को इंडिया तथा हिंदुस्तान नाम से भी जाना जाता है। इसकी संस्कृति अति प्राचीन है। भारत की सभ्यता और संस्कृति दुनिया भर में विख्यात है। देश की जनसंख्या लगभग 1 अरब 21 करोड़ है। यहाँ अनेक भाषाओं और बोलियों को बोलने वाले लोग निवास करते हैं।
भारत की संस्कृति अत्यंत उदार है। प्राचीनतम साहित्य वेदों का लेखन यहीं हुआ। उपनिषदों, वेदों, पुराणों की ज्ञानधारा यहीं प्रवाहित हुर्इ। हमारी ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की धारणा तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत हो चुकी है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति के कारण ही हमारा देश विश्वगुरु कहलाता है।
ऋषि – मुनियों की तपों भूमि और सत्य सनातन संस्कृति के लिए हमारा देश जगत प्रसिद्ध है।
यहाँ अनेक संत और महात्माओं ने जन्म लिया है। राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, कबीर, गांधी आदि महापुरुष हमारे आदर्श रहे हैं।
मेरा देश धार्मिक विविधता वाला देश है। हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, मुस्लिम आदि धर्मों को यहाँ एक समान दृष्टि से देखा जाता है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है।
महान हिमालय से रक्षित तथा पवित्र गंगा से सिंचित हमारा भारत एक स्वतंत्र आत्मनिर्भर देश है।
मेरा देश लोकतंत्र में विश्वास रखता है। यहाँ सभी को उन्नति करने के समान अवसर प्राप्त हैं।
भारत तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी आदि शत्रुओं से लोग डटकर मुकाबला कर रहे हैं। यदि हम सब अपने-अपने स्वार्थ त्यागकर देश हित का संकल्प लें तो भारत पुन: विश्व का सिरमौर बन सकेगा। भारत निरंतर प्रगति करता जा रहा है। यह विश्व शकित के रूप् में उभर रहा है। ऐसा सुंदर देश विश्व में और कहीं नहीं है।
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11. आपका मित्र हडसन एंड्री आस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर:-
सरला भवन
रामनगर
दिनाँक – 12 फरवरी 2013
प्रिय मित्र हडसन
मधुर स्मृति।
कैसे हो ?आशा करता हूँ कि तुम अपने परिवार के साथ सानंद होगे। मुझे पिछले वर्ष तुम्हारे साथ बिताए गए वे पल बार-बार याद आते हैं। इसी कारणवश मैंने तुम्हें यह पत्र लिखा है। मेरी इच्छा है कि इस बार की गर्मियों की छुट्टियाँ तुम यहाँ भारत में हमारे साथ बिताओ। मैं तुम्हे भारत के पर्वतीय प्रदेश की यात्रा करवाना चाहता हूँ।
अत:तुम। शीघ्र एक माह की योजना बनाकर भारत आ जाओ।अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में
तुम्हारा मित्र
रितेश
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12.1 निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चयबोधक छाँटकर अलग कीजिए।
तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे।
उत्तर:- और
12.2 निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चयबोधक छाँटकर अलग कीजिए।
माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।
उत्तर:- कि
12.3 निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चयबोधक छाँटकर अलग कीजिए।
वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।
उत्तर:- तो
12.4 निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चयबोधक छाँटकर अलग कीजिए।
उनके मुख से सांत्वना के जादू बारे दो शब्द सुनना एक रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।
उत्तर:- जो
12.5 निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चयबोधक छाँटकर अलग कीजिए।
पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अक्सर डूब जाते।
उत्तर:- लेकिन
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Course A
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