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Class 7 – हिंदी (मल्हार)
Class 7 Hindi Model Question Paper (80 Marks)
One of the biggest advantages of this Hindi Model Question Paper is that it allows students to revise the entire syllabus in one go. It includes all key components such as reading comprehension, grammar, writing skills, and literature based on the Hindi (Malhar) textbook. Practicing with this paper helps students improve their writing fluency, grammar accuracy, and comprehension abilities. It’s a valuable resource for building confidence and reducing exam stress. The Class 7 Hindi Model Question Paper has four sections and each section has different types to questions.
अधिकतम अंक: 80
निर्धारित समय: 3 hours
सामान्य निर्देश:
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- कुछ प्रश्नों में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर यथासंभव क्रम से लिखें।
-
खंड – क अपठित बोध
- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर लिखिए:
हमारा देश भारत एक विशाल देश है। इसका इतिहास अत्यंत प्राचीन तथा समृद्ध रहा है। भारत एक बहुआयामी संस्कृति वाला अद्भुत देश है। यहाँ अनेक भाषा, धर्म, संप्रदाय, वर्ग, जाति तथा मान्यताओं को मानने वाले लोग निवास करते हैं। विविधता में एकता भारत की पहचान है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी मिल-जुलकर प्रेम भाव से यहाँ रहते आए हैं। विविधता के बीच एकता तथा राष्ट्र प्रेम की भावना के कारण ही हमारे देश की आन, बान तथा शान का झण्डा पूरे विश्व में लहरा रहा है।- भारत की पहचान किससे है?
(क) प्राकृतिक सौंदर्य
(ख) विविधता में एकता
(ग) कृषि प्रधानता
(घ) आधुनिक तकनीक - भारत में कौन-कौन से धर्म के लोग रहते हैं?
(क) केवल हिन्दू और मुस्लिम
(ख) हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई
(ग) केवल हिन्दू
(घ) केवल सिख और ईसाई - भारत का इतिहास किस प्रकार का रहा है?
(क) आधुनिक
(ख) सीमित
(ग) प्राचीन और समृद्ध
(घ) अस्पष्ट - विविधता और एकता के कारण भारत का कौन-सा गुण विश्व में प्रतिष्ठित है?
- इस गद्यांश से हमें भारतवासियों के लिए क्या संदेश मिलता है?
- भारत की पहचान किससे है?
- निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
तितली तितली! कहाँ चली हो नंदन-वन की रानी सी।
वन-उपवन में, गिरि कानन में फिरती हो दीवानी सी।
फूल-फूल पर, अटक-अटक कर करती कुछ मनमानी सी
पत्ती-पत्ती से कहती कुछ अपनी प्रणय कहानी सी।
यह मस्ती, इतनी चंचलता किससे अलि! तुमने पाई?
कहाँ जा रही हो इस निर्जन मंदिर उषा में अलसाई?
सोते ही सोते मीठी-सी सुधि तुमको किसकी आई?
जो चल पड़ी जाग तुम झटपट लेते-लेते अंगड़ाई?- कविता में तितली को किससे तुलना की गई है?
(क) सूरज की रानी
(ख) नंदन-वन की रानी
(ग) आकाश की रानी
(घ) पर्वत की रानी - तितली अपने समय का उपयोग कैसे कर रही है?
(क) सोकर आराम कर रही है
(ख) फूलों और पत्तियों पर उड़कर मस्ती कर रही है
(ग) पेड़ों की जड़ें खोद रही है
(घ) जल में खेल रही है - कविता का मुख्य भाव क्या है?
(क) तितली की चंचलता और मस्ती का वर्णन
(ख) तितली का संघर्ष और परिश्रम
(ग) तितली का भय और डर
(घ) तितली का ज्ञान और बुद्धिमत्ता - कविता में तितली किस समय में अपने अंगड़ाई लेती हुई दिखाई देती है?
- तितली फूल-फूल और पत्ती-पत्ती पर उड़कर क्या व्यक्त करती है?
- कविता में तितली को किससे तुलना की गई है?
-
खंड – ख व्यावहारिक व्याकरण
- व्याकरण आधारित निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं 16 के उत्तर दीजिए।
- सापेक्ष का विपरीतार्थक शब्द क्या है?
क) निरपेक्ष
ख) प्रक्षेप
ग) आक्षेप
घ) आपेक्ष
- ऊष्म व्यंजनों का उचित समूह है-
क) य, र, ल, व
ख) य, र, श, ष
ग) श, ष, स, ह
घ) ल, व, ष, स
- वस्तु शब्द का उचित बहुवचन है-
क) वस्तुएँ
ख) वस्तुयाँ
ग) वस्तुइयाँ
घ) वस्तुओ
- कमलनयन – यह किस समास का उदाहरण है –
क) अव्ययीभाव
ख) कर्मधारय
ग) बहुब्रीहि
घ) तत्पुरुष
- सम + योग की संधि करो-
क) संयोग
ख) सृंयोग
ग) संयूग
घ) संयाग
- शिक्षक ग्रामीणों को पढ़ाता है – यह वाक्य किस क्रिया का उदाहरण है –
क) अकर्मक क्रिया
ख) विशेषण
ग) सकर्मक क्रिया
घ) सर्वनामे
- कान का कच्चा – मुहावरे का उचित अर्थ चुनो।
क) परिश्रमी
ख) आलसी
ग) किसी की बात पर अविश्वास करना
घ) झूठी शिकायतों पर ध्यान देना
- अभिराम इस शब्द का समानार्थक बताओ –
क) इन्साफ
ख) बदसूरत
ग) कुरुप
घ) सुन्दर
- ‘वि’ उपसर्ग से बना हुआ शब्द है-
क) अनजाना
ख) विरोध
ग) अनसुना
घ) उपासना
- हरे- हरे ये पात – इन शब्दों में कौन-से शब्द विशेषण शब्द हैं?
क) पात
ख) हरे- हरे
ग) सोना
घ) ये
- निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-
- भक्ष्य
- भोगी
- देवनागरी लिपि में कौन-कौन-सी भाषाएँ लिखी जाती हैं?
- लिंग बदलो-
- लोटा
- मयूर
- निम्नलिखित सामासिक विग्रह कीजिए एवं समास भी लिखिए-
- आजन्म
- परलोकगमन
- निम्नलिखित शब्दों में संधि कीजिए-
- सदा + एव
- महा + उदय
- रूप के आधार पर क्रियाविशेषण के भेद लिखिए।
- भेद खुलना मुहावरे का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए।
- निम्नलिखित शब्दों के लिए दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
- पत्ता
- मछली
- निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग व मूलशब्द को अलग-अलग कीजिए-
- उपदेश
- अनुवाद
- निम्नलिखित वाक्यों में विशेषण की पहचान कीजिए-
- दुनिया में सात अजूबे हैं।
- मुझे भारतीय खाना बहुत पसंद है।
- सापेक्ष का विपरीतार्थक शब्द क्या है?
-
खंड – ग पाठ्य पुस्तक
- पठित बोध पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
- निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
छेद कर काँटा किसी की उँगलियाँ,
फाड़ देता है किसी का वर बसन।
प्यार – डूबी तितलियों का पर कतर,
भौंर का है बेध देता श्याम तन ।
फूल लेकर तितलियों को गोद में,
भौंर को अपना अनूठा रस पिला।
निज सुगंधों औ निराले रंग से,
है सदा देता कली जी की खिला ।प्रश्न:- काँटा किसे हानि पहुँचाता है? (1)
(क) तितलियों को
(ख) मनुष्यों और भौंरों को
(ग) पक्षियों को
(घ) पेड़ों को - फूल अपने ________ और निराले रंग से सबका मन मोह लेता है। (1)
- काँटे और फूल के व्यवहार में क्या अंतर है? (1)
- कवि ने इस अंश में फूल के सौंदर्य और आकर्षण को कैसे चित्रित किया है? (2)
- काँटा किसे हानि पहुँचाता है? (1)
- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
एक बड़े से वार्ड में कई एक जैसे पलंग लाइन से लगे हुए थे। सब पर एक जैसी सफेद चादर और लाल कंबल। सफेद दीवारें, ऊँची छत, खिड़कियों पर हरे परदे और फर्श एकदम चमकता हुआ। एक पलंग पर सुधाकर काका लेटे हुए थे। एकदम पास पहुँचने पर दिखाई दिया।
हमें देखकर सुधाकर काका जैसे खुश हो गए। नानीजी ने उनके सिर पर हाथ फेरा और उनके सिरहाने खड़ी हो गईं और हालचाल पूछने लगीं।
अस्पताल का माहौल मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे। न ट्रैफिक का शोरगुल, न धूल, न मच्छर-मक्खी…। सिर्फ लोगों के धीरे-धीरे बातचीत करने की धीमी-धीमी गुनगुन। बाकी एकदम शांति।प्रश्न:- लेखक को अस्पताल का माहौल कैसा लगा? (1)
(क) डरावना
(ख) अच्छा
(ग) शोरगुल वाला
(घ) गंदा - अस्पताल के फर्श को लेखक ने ________ बताया। (1)
- नानीजी ने सुधाकर काका के साथ क्या किया? (1)
- लेखक को अस्पताल क्यों अच्छा लगा? (2)
- लेखक को अस्पताल का माहौल कैसा लगा? (1)
- निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
- पाठ्य पुस्तक मल्हार पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर 30-40 शब्दों में दीजिए।
- गिरिधर कविराय की कविता में समयबोध का क्या महत्त्व है?
- “चिड़िया” कविता में ‘सोने की कड़ियाँ’ तोड़ने का क्या आशय है?
- हंस को मारने वाले तथा बचाने वाले के बीच हुए विवाद का निर्णय राहुल ने क्या किया?
- “पानी रे पानी” निबंध अनुसार लेखक को बचपन में पानी भरने के लिए किस तरह की कठिनाइयाँ झेलनी पड़ीं?
- तीनों भाइयों ने बिना ऊँट को देखे उसके विषय में कैसे बता दिया था?
- “नहीं होना बीमार” कहानी अनुसार बच्चे ने बीमार होने का नाटक करने के लिए कौन-कौन से लक्षण बताए थे?
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर 50-60 शब्दों में दीजिये:
- “वर्षा-बहार” कविता के माध्यम से कवि मुकुटधर पांडेय का प्रकृति के प्रति दृष्टिकोण क्या प्रतीत होता है?
- मीरा बाई का जीवन और काव्य आज के सामाजिक संदर्भ में कितना उपयोगी है?
- “पानी रे पानी” निबंध के अनुसार जल-चक्र के महत्व को समझाते हुए, बताइए कि हमें जलस्रोतों का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
- तीनों भाइयों की बुद्धिमत्ता ने उन्हें जीवन में क्या उपलब्धि दिलाई? तीन बुद्धिमान लोककथा के अनुसार उत्तर दीजिए।
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खंड – घ रचनात्मक लेखन
- विज्ञान-वरदान या अभिशाप विषय पर अनुच्छेद लिखिए।
अथवा
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाऔ विषय पर अनुच्छेद लिखिए।
- आज का दिन हमेशा याद रहेगा … विषय पर एक लघुकथा लिखिए।
अथवा
लोभ दुख का कारण विषय पर एक लघु कथा लिखिए।
- खेल के मैदान में खेल अध्यापक और विद्यार्थी के बीच हुए संवाद को लिखिए।
अथवा
आपके शहर में लाउडस्पीकर के बढ़ते शोर पर दो पड़ोसियों की बातचीत संवाद के रूप में लिखिए।
- छोटे भाई को परिश्रम का महत्व समझाते हुए पत्र लिखिए।
अथवा
पुनः प्रवेश के लिए प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।
Class 7 – हिंदी (मल्हार)
Class 7 Hindi Model Question Paper Solution
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खंड – क अपठित बोध
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- (ख) विविधता में एकता
- (ख) हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई
- (ग) प्राचीन और समृद्ध
- विविधता और एकता के कारण भारत की आन, बान और शान का झण्डा पूरे विश्व में लहरा रहा है।
- इस गद्यांश से संदेश मिलता है कि विविध धर्म, जाति और भाषाओं के बावजूद एकता, प्रेम और राष्ट्रभक्ति बनाए रखने से ही देश की प्रतिष्ठा और सम्मान बना रहता है। हमें सभी के साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए।
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- (ख) नंदन-वन की रानी
- (ख) फूलों और पत्तियों पर उड़कर मस्ती कर रही है
- (क) तितली की चंचलता और मस्ती का वर्णन
- तितली सुबह के समय, उषा में अलसाई अवस्था में अंगड़ाई लेती हुई दिखाई देती है।
- तितली अपने उड़ने और मस्ती के माध्यम से अपनी स्वतंत्रता और चंचल स्वभाव व्यक्त करती है।
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खंड – ख व्यावहारिक व्याकरण
Class 7 Hindi Model Question Paper - व्याकरण आधारित निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं 16 के उत्तर दीजिए।
- (क)
निरपेक्ष
व्याख्या: निरपेक्ष
- (ग)
श, ष, स, ह
व्याख्या: श, ष, स, ह
- (क)
वस्तुएँ
व्याख्या: वस्तुएँ
- (ख)
कर्मधारय
व्याख्या: कर्मधारय समास- कमल के समान नयन
- (क)
संयोग
व्याख्या: संयोग
- (ग)
सकर्मक क्रिया
व्याख्या: कर्म -ग्रामीणों को।
- (घ)
झूठी शिकायतों पर ध्यान देना
व्याख्या: वाक्य- मालिक अकसर कान के कच्चे होते हैं जो चापलूसों की बात पर ध्यान देते हैं।
- (घ)
सुन्दर
व्याख्या: सुन्दर, मनोहर, मनोरम।
- (ख)
विरोध
व्याख्या: विरोध
- (ख)
हरे- हरे
व्याख्या: ‘हरे -हरे’ क्योंकि या शब्द ‘ पत्तों’ की विशेषता बता रहे हैं|
हरे-हरे- गुणवाचक विशेषण
पात -visheshya -
- अभक्ष्य
- योगी
- संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, नेपाली, तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं।
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- लुटिया
- मयूरी
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- आजन्म – जन्म से लेकर (अव्ययीभाव समास)
- परलोकगमन – परलोक को गमन (तत्पुरुष समास)
- (i) सदैव (ii) महोदय
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- मूल क्रियाविशेषण
- यौगिक क्रियाविशेषण
- स्थानीय क्रियाविशेषण
- भेद खुलना – (रहस्य मालूम होना) दीपक तस्करी का काम करता है, यह भेद खुलते ही उसकी गर्दन झुक गई।
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- पत्र, पर्ण
- मीन, मत्स्य
- (i) उप + देश, (ii) अनु + वाद
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- संख्यावाचक विशेषण
- व्यक्तिवाचक विशेषण
- (क)
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खंड – ग पाठ्य पुस्तक
Class 7 Hindi Model Question Paper - पठित बोध पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
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- (ख) मनुष्यों और भौंरों को
- सुगंध
- काँटा हानि पहुँचाता है जबकि फूल आनंद और आकर्षण देता है।
- कवि ने कहा है कि फूल तितलियों को गोद में लेता है, भौंरों को रस पिलाता है और अपनी सुगंध व रंगों से सबको आनंदित करता है। यह उसे आकर्षक और प्रिय बनाता है।
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- (ख) अच्छा
- एकदम चमकता हुआ
- नानीजी ने उनके सिर पर हाथ फेरा और हालचाल पूछा।
- अस्पताल साफ-सुथरा था, चारों ओर शांति थी, हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे और शोरगुल या मच्छर-मक्खी नहीं थे, इसलिए लेखक को अच्छा लगा।
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- पाठ्य पुस्तक मल्हार पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर 30-40 शब्दों में दीजिए।
- कवि ने समय के महत्त्व को उजागर करते हुए यह बताया है कि बीते समय को लेकर पछताना व्यर्थ है। हमें वर्तमान में जीते हुए भविष्य को सुखमय बनाने का प्रयास करना चाहिए।
- ‘सोने की कड़ियाँ’ तोड़ने का अर्थ है कि मनुष्य को अपने भौतिक लोभ, इच्छाओं और स्वार्थ के बंधनों को छोड़ देना चाहिए। इससे वह स्वतंत्रता, प्रेम और मानवता की ओर बढ़ सकता है, जैसा चिड़िया सिखाती है।
- हंस को मारने वाले तथा बचाने वाले के बीच हुए विवाद के निर्णय में राहुल ने कहा कि रक्षक सदैव भक्षक से महान होता है।
- लेखक ने बताया कि बचपन में उन्हें नल पर लाइन में लगना पड़ता था, टंकी से पानी भरना पड़ता था और कई बार बाल्टी डोरी से खींचनी पड़ती थी। गर्मियों में तो दूर-दूर तक पानी मिलना मुश्किल होता था।
- तीनों भाइयों ने निम्नलिखित बिंदुओं का अवलोकन, अनुमान एवं विश्लेषण करके ऊँट के विषय में बताया-
- धूल पर ऊँट के पैरों के चिह्नों से।
- ऊँट एक आँख से नहीं देख पाता था क्योंकि उसने सड़क के केवल एक तरफ़ से ही घास चरी थी।
- बच्चे और महिला के पैरों के निशान से।
- बच्चे ने सिरदर्द, पेट दर्द और बुखार की शिकायत की। उसने यह सब इसलिए कहा क्योंकि वह स्कूल नहीं जाना चाहता था और जानता था कि घर में थर्मामीटर नहीं है, जिससे उसका झूठ पकड़ा नहीं जाएगा।
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर 50-60 शब्दों में दीजिये:
- कविता से स्पष्ट होता है कि कवि मुकुटधर पांडेय प्रकृति के प्रति अत्यंत संवेदनशील, प्रेमपूर्ण और सराहनात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। उन्होंने वर्षा ऋतु के प्रत्येक पक्ष को सुंदरता, जीवन, आनंद और ऊर्जा से जोड़ा है। कविता में उन्होंने न केवल प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन किया है, बल्कि यह भी बताया है कि कैसे प्रत्येक जीव, चाहे वह मोर हो या किसान, वर्षा के आगमन से आनंदित होता है। कवि की भाषा सरल, सरस और सजीव है, जिससे पाठक भी प्रकृति के प्रति आकर्षित और संवेदनशील बनता है। उनका दृष्टिकोण पर्यावरण के महत्व को समझाने वाला है।
- मीरा बाई का जीवन और काव्य आज के समाज में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना अपने समय में था। वे हमें सिखाती हैं कि आस्था, आत्मबल और नारी-सम्मान किसी युग के बंधनों में नहीं बँधते। आज जब स्त्रियाँ बराबरी के अधिकार की बात करती हैं, मीरा का उदाहरण प्रेरणादायक बनता है। उनका जीवन सत्य, स्वतंत्रता और भक्ति की मिसाल है। उनके पद न केवल आध्यात्मिक चेतना को जाग्रत करते हैं, बल्कि सामाजिक सीमाओं को तोड़ने का साहस भी प्रदान करते हैं। वे एक समयहीन आदर्श हैं, जो हर पीढ़ी को मार्गदर्शन दे सकती हैं।
- जल-चक्र पृथ्वी पर जल का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित करता है, जिससे जीवन की अनिवार्य आवश्यकता यानी जल की उपलब्धता सुनिश्चित होती है। जलस्रोतों का संरक्षण जल – चक्र को स्थिर रखता है और जल की निरंतर उपलब्धता की गारंटी देता है। जलस्रोतों का संरक्षण न केवल हमें बाढ़ और अकाल से बचाता है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण के संतुलन को भी बनाए रखता है।
- तीनों भाइयों की बुद्धिमत्ता, निरीक्षण शक्ति और तर्क ने उन्हें जीवन में असाधारण उपलब्धि दिलाई। वे निर्धन थे, परंतु उनके पिता की दी हुई शिक्षा – “बुद्धि और पैनी दृष्टि का धन संचित करो” – उन्होंने आत्मसात की थी। यात्रा के दौरान उन्होंने ऊँट और उसकी सवारी के बारे में बिना देखे सटीक अनुमान लगाए और राजा की परीक्षा में बिना पेटी खोले उसमें रखे अनार की पहचान की। इन बातों से राजा बहुत प्रभावित हुआ और तीनों को अपने दरबार में स्थान दिया। इससे यह सिद्ध होता है कि ज्ञान और विवेक का प्रयोग करके मनुष्य किसी भी स्थिति में सम्मान और सफलता प्राप्त कर सकता है।
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खंड – घ रचनात्मक लेखन
Class 7 Hindi Model Question Paper -
विज्ञानं-वरदान या अभिशाप
विज्ञान-वरदान या अभिशाप आज का युग विज्ञान का युग है। ‘विज्ञान’ का अर्थ है-विशेष ज्ञान। विज्ञान के इस युग में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन और अनेक नए-नए आविष्कार हुए हैं। भाप से चलने वाले इंजन के स्थान पर विद्युत परिचालित रेल तथा मेट्रो आज देश की शान हैं।कंप्यूटर की शिक्षा अब मानो अनिवार्य शिक्षा हो गई है। बिना कंप्यूटर-ज्ञान के आज के मानव का जीवन पंगु हो गया है। बैंकों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों के अतिरिक्त वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, इंजीनियरों, शिक्षाविदों, व्यापारी वर्ग द्वारा भी कंप्यूटर का अधिकाधिक उपयोग किया जाता है। इलेक्टॉनिक मीडिया से आशय रेडियो, टेलीविजन, वीडियो आदि माध्यमों से है। इसके अतिरिक्त अस्त्र-शस्त्र बनाने में भी विज्ञानं उपयोग होता है।
अत: आज की आवश्यकता इन समस्त वैज्ञानिक उपकरणों के समुचित एवं संतुलित प्रयोग की है, तभी हमारा समाज संदर बन सकेगा एवं मानव-जीवन सफल होगा।
अथवाबेटी बचाओ, बेटी पढ़ाऔ
भारतीय समाज में लड़कियों को वर्तमान में भी लड़कों से कम आँका जाता है जबकि आज के समय में उन्नति का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं जहाँ लड़कियों ने लड़कों से कम स्थान दर्शाया हो। राजनीति, शिक्षा, विज्ञान, खेलकूद आदि सभी क्षेत्रों में लड़कियाँ लड़कों से आगे कदम रखती हैं। समाज में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो लड़कियों को प्रोत्साहित करने लगा है लेकिन अभी भी ग्रामीण क्षेत्र एवं कई पिछड़े क्षेत्र ऐसे हैं जो लड़कियों की शिक्षा को नजरअंदाज करते हैं। सरकार ने इस बात का बीड़ा उठाया है कि बेटी बचाओ अर्थात ‘भ्रूण हत्या’ पर रोक लगाई जाए और बेटी को पढ़ाकर सक्षम बनाया जाए। इस हेतु मुफ़्त शिक्षा की व्यवस्था की गई है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एक पढ़ी-लिखी लड़की पूरे परिवार को पढ़ाने में सक्षम हो सकती है। यह कार्य सरकार के साथ-साथ समाज सेवी संस्थाएँ एवं युवा वर्ग भी करें तो हम गाँवों के लोगों को सचेत करके न जाने कितनी ही लड़कियों का भविष्य सुधार सकते है। आज भी ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहाँ के लोग सरकारी सुविधाओं से ही अपरिचित हैं।
- मुझे आज भी वो दिन याद है जब मैंने पहली बार विश्वविद्यालय में कदम रखा था। जो सपना मैंने बचपन से देखा था वो उस दिन साकार हो गया था। उस दिन का अनुभव मुझे आज भी याद है। हम सभी के जीवन में कुछ खास दिन होते है, जो हमें हमेशा याद रहता है। मै गाँव में पला बढ़ा था और मेरी प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण परिवेश में हुई थी। मेरा विश्वविद्यालय शहर में था। विश्वविद्यालय का वातावरण मेरे लिए बिल्कुल नया था। मेरे हाथ में मेरा परिचय पत्र था, जिसे लेकर मै विश्वविद्यालय के विभाग में गया और मेरा पहली कक्षा शुरू होने वाली थी। उस कक्षा में में बैठना मेरे लिए सौभाग्य था और यहाँ से मेरे करियर की शुरुआत हुई। मैंने वहाँ मित्र बनाये और गुरुओं का सम्मान किया। आज मै ऊँचे पद पर हूँ। आज भी मुझे मेरा वो पहला दिन याद है। उस दिन मैंने यह जाना कि अगर आप सपने देखते है और उन सपनो को पूरा करने के लिए परिश्रम करते है तो सपने सच हो जाते है। उस दिन मै इसका प्रत्यक्ष प्रमाण था। उस दिन के बाद से मुझे आगे की शिक्षा प्राप्त करने और जीवन जीने के लिए एक नई ऊर्जा मिल गई। सभी के जीवन में कुछ ऐसे पल होते है, जो उनके लिए बहुत खास होते है। हमें उन पलों को याद रखना चाहिए और उन पलों से सीखना भी चाहिए। हमारे जीवन के ये खास पल हमारे जीवन में खुशियों के स्त्रोत होते है। इन पलों का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व होता है।
अथवालोभ दुख का कारण
एक जंगल में एक शिकारी शिकार खेलने के लिए आया तो उसे भयंकर सूअर मिला। शिकारी ने उस मोटे ताजे सूअर को देखते ही उस पर तीर चला दिया मगर सूअर ने उस तीर की परवाह किए बिना ही मुड़कर उस शिकारी पर पूरी ताकत से हमला कर दिया। बस फिर क्या था कुछ क्षणों में उस शिकारी की लाश खून से लथपथ पड़ी नजर आई। मगर सूअर के पेट में लगा तीर उसे भी ले डूबा। यानी शिकारी के साथ-साथ उसकी भी लाश वहाँ पर नजर आने लगी मारने वाला भी मर गया और मरने वाला तो मरेगा ही। थोड़ी देर के पश्चात वहाँ पर एक गीदड़ घूमता हुआ आ निकला तो उसने मोटे सूअर की लाश को वहाँ पर पड़े देखा तो उसके मुँह में पानी भर आया। वह खुशी से नाच ही उठा था। वाह वाह आज तो अपना नसीब ही जाग उठा है पूरे का पूरा जंगली सूअर वह भी मोटा ताजा अब तो कई दिन तक काम करने की भी जरूरत नहीं रहेगी। गीदड़ ने उसके पेट में लगा तीर निकाला उससे जो अंतडियो का टुकड़ा लगा था उस गीदड़ ने ने सोचा कि आज इसी टुकड़े को खा कर गुजारा करेंगे कल से उसे खाना शुरू करेंगे। लालची गीदड़ लालच में फंस गया और तीर पर लगा मास खाने लगा। उस लालची गीदड़ ने यह भी नहीं सोचा कि तीर के आगे लोहे का टुकड़ा भी लगा हुआ है। बस अंतडी के टुकड़े के साथ ही लोहे के टुकड़े को खाने लगा। मगर लोहे का टुकड़ा उस गीदड़ के गले में फंस गया जिसके कारण उसकी वहीं पर मौत हो गई। इसे कहते हैं भाग्य का खेल और लालच का फल जीवन में इंसान यह भी भूल जाते हैं कि वह जो चीज तुम्हारे सामने मरी पड़ी है वह भी तो पहले जीवित थी और जब संसार में नहीं रही तो तुम भी कौन-सा संसार में सदा रहोगे।
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खेल के मैदान में संवाद
खेल अध्यापक: (सीटी बजाते हुए) “सभी छात्र ध्यान दें! आज हम फुटबॉल खेलेंगे।”
विद्यार्थी 1: (उत्साहित होकर) “वाह! सर, हम फुटबॉल खेलेंगे?”
खेल अध्यापक: “हाँ, बेटे। तुम सब दो टीमों में बँट जाओ।”
विद्यार्थी 2: (थोड़ा डरते हुए) “सर, मैं खेलना नहीं जानता।”
खेल अध्यापक: “चिंता मत करो, बेटा। मैं तुम्हें सिखाऊँगा। हम सब यहाँ सीखने के लिए ही हैं।”
विद्यार्थी 3: (खुशी से) “सर, मैं गोलकीपर बनना चाहता हूँ!”
खेल अध्यापक: “ठीक है, तुम गोलकीपर बनो।”
(खेल शुरू होता है। सभी छात्र उत्साह से खेलते हैं।)
खेल अध्यापक: (सीटी बजाते हुए) “बस, खेल खत्म। आज के लिए इतना ही।”
विद्यार्थी 1: (थककर) “वाह! सर, कितना मज़ा आया!”
खेल अध्यापक: “हाँ, बेटे। खेलकूद से शरीर स्वस्थ रहता है और मन प्रसन्न होता है। इसलिए हमें कोई ना कोई खेल अवश्य खेलना चाहिए।”
विद्यार्थी 2: (मुस्कुराते हुए) “सर, आज मैंने बहुत कुछ सीखा।”
खेल अध्यापक: “बहुत अच्छा, बेटे। अभ्यास करते रहो।”
अथवापहला पड़ोसी – “आजकल लाउडस्पीकर का शोर बहुत ज्यादा हो गया है। रात-दिन शोरगुल होता रहता है।”
दूसरा पड़ोसी – “हाँ, यह सच है। इस शोर से बहुत परेशानी होती है और यह कई मायनों में हानिकारक है।”
पहला पड़ोसी – “कल रात को तो मुझे नींद ही नहीं आई।”
दूसरा पड़ोसी – “मेरे बच्चे भी इस शोर से डर जाते हैं।”
पहला पड़ोसी – “हमें कुछ करना होगा।”
दूसरा पड़ोसी – “हाँ, हमें मिलकर इस शोर को कम करने का प्रयास करना चाहिए।”
पहला पड़ोसी – “हम पहले तो उन लोगों से बात करेंगे जो लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं।”
दूसरा पड़ोसी – “अगर वे नहीं मानते हैं तो हमें पुलिस से शिकायत करनी होगी।” - न्यू मुनिरका छात्रावास,
न्यू दिल्ली कान्वेंट स्कूल,
पूर्व नई दिल्ली- 110005
दिनांक : 4 मार्च, 20XX
प्रिय लक्खन,
शुभाशीष,
आज ही तुम्हारी माता जी का पत्र मिला। पढ़कर बहुत दुःख हुआ कि तुम बहुत आलसी हो गए हो। किसी भी काम को मन लगाकर नहीं करते। अर्द्धवार्षिक परीक्षा में भी तुम्हें कम अंक मिले हैं। यह ठीक नहीं, अभी भी समय है यदि तुम परिश्रम करो तो वार्षिक परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हो।
परिश्रम सफलता की कुंजी है। एक बार परिश्रम करने से सफलता नहीं मिलती, तो बार-बार श्रम करना चाहिए। जन्म से कोई भी व्यक्ति बुद्धिमान या विद्वान नहीं होता। परिश्रम के बल पर ही परिश्रमी व्यक्ति संसार में सम्मान प्राप्त करते हैं। महापुरुषों की महानता का मूलमंत्र ‘परिश्रम’ ही है।
मुझे आशा है कि परिश्रम का महत्त्व समझते हुए, तुम अपनी पढ़ाई पर अवश्य ध्यान दोगे। माता जी व पिता जी को प्रणाम व तुम्हें बहुत-बहुत प्यार।
तुम्हारा अग्रज,
नवीन
अथवासेवा में,
प्रधानाचार्या महोदया
बाल भारती विद्यालय,
रामगढ़, तिलक नगर, दिल्ली
विषय:- पुनः प्रवेश के संबंध में।
महोदया,
सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की छठी कक्षा की छात्रा हूँ। लगभग बीस दिन पहले मेरे दादाजी की मृत्यु गाँव में हो गई। यह खबर सुनते ही हमारे परिवार को अचानक गाँव जाना पड़ा। इसकी सूचना मैं अपनी कक्षा अध्यापिका को न दे सकी। मेरे लगातार अनुपस्थित रहने के कारण उन्होंने मेरा नाम काट दिया। अब मैं इस गलती के लिए क्षमा माँगते हुए अपना नाम पुनः लिखवाना चाहती हूँ।
आपसे प्रार्थना है कि मेरी स्थिति पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए मेरा नाम दुबारा लिखने की कृपा करें।
सधन्यवाद,
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या
भारती सिंह
VI ‘अ’
अनुक्रमांक 2
29 अगस्त, 2019
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