Class 6 Hindi Malhar Sample Papers will make your exam preparation much easier. The Class 6 Hindi Sample Papers are thoughtfully created to help students get ready for their half-yearly and annual exams with confidence. These papers are designed according to the latest syllabus and exam pattern, giving students a clear understanding of how to approach different types of questions effectively.
कक्षा – 6 हिंदी मल्हार आदर्श प्रश्न पत्र (60 अंक)
Across most schools in India, especially in Kendriya Vidyalayas (KVS), the Class 6 Hindi exam is conducted for 60 marks and follows a consistent paper format. The Class 6 Hindi Sample Papers provided here are aligned with this KVS pattern, ensuring that students get authentic practice material. They not only cover key topics from the textbook but also reflect the real structure of school exams, helping students prepare systematically.
Regular practice with these Class 6 Hindi Sample Papers builds confidence and enhances writing skills. Students can identify their weak areas, improve their time management skills, and enhance their understanding of key lessons. With consistent effort and smart practice using these model papers, students can perform exceptionally well in their Hindi exams and achieve excellent grades.
Class 6 Hindi Malhar Sample Papers
Class 6 Hindi Malhar (मल्हार) is basically a textbook by NCERT, New Delhi. All CBSE schools follow this book (मल्हार) as a main textbook for class 6 Hindi languge. In this article, we have given you a model question paper for CBSE class 6 Hindi based on the NCERT textbook Malhar. If you are a KV School student, these Class 6 Hindi Malhar Sample Papers will definitely help you throughout the academic year.
अधिकतम अंक: 60
निर्धारित समय : 2 hours
सामान्य निर्देश:
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- कुछ प्रश्नों में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर यथासंभव क्रम से लिखें।
-
खंड – क अपठित बोध
- निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए:-
जन्म जन्मांतरों के पुण्य का परिणाम है जिंदगी,
स्वर्ग के देवों का पैगाम है जिंदगी।
जिंदगी एक विलक्षण अभियान है,
जिंदगी अनायास लब्ध चंदन का उद्यान है,
मौत को भी हँसकर गले लगाए जिंदगी।
तर्पण व समर्पण का परिणाम है जिंदगी,
सेवा और बलिदान का अंजाम है जिंदगी।
जिंदगी तपोनिष्ठ मनीषियों का तत्व ज्ञान है।
ऐसे जियो कि मरकर भी मुस्काए जिंदगी।- कविता में जिंदगी को किस रूप में प्रस्तुत किया गया है?
(क) केवल दुःख और संघर्ष
(ख) पुण्य, बलिदान और ज्ञान का परिणाम
(ग) केवल आनंद और सुख
(घ) कोई महत्व नहीं - “अनायास लब्ध चंदन का उद्यान” से क्या अभिप्राय है?
(क) जीवन में खुशियाँ और सौभाग्य
(ख) कठिनाइयाँ और संघर्ष
(ग) मृत्यु का भय
(घ) शिक्षा का महत्व - कविता में जीवन जीने का सही तरीका क्या बताया गया है?
(क) केवल सुख की खोज करना
(ख) दूसरों की नकल करना
(ग) सेवा, समर्पण और साहस के साथ जीना
(घ) अपने लिए केवल धन कमाना - कविता के अनुसार जिंदगी का मूल्य क्या है और इसे कैसे जीना चाहिए?
- जीवन में बलिदान और समर्पण का क्या महत्व है, कविता के संदर्भ में समझाइए।
- कविता में जिंदगी को किस रूप में प्रस्तुत किया गया है?
- निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
भारत एक धर्मनिरपेक्ष अर्थात् किसी धर्म विशेष में विश्वास न रखने वाला देश है। प्रत्येक संप्रदाय के लोग अपने-अपने धर्म और अपनी-अपनी संस्कृति के अनुकूल जीवनयापन करने में स्वतंत्र हैं। राष्ट्र किसी धर्म और संस्कृति में बाधक नहीं है तथा न एक संप्रदाय को दूसरे संप्रदाय के धर्म और संस्कृति में बाधक होना चाहिए क्योंकि धर्म एकता का द्योतक है। उसे पार्थक्य का साधन नहीं बनाना चाहिए। जो संप्रदाय अपने धर्म का आदर चाहता है उसको दूसरे धर्म का आदर करना चाहिए। सब धर्म मूल में एक ही हैं, सभी धर्म मनुष्य को सद्व्यवहार सिखाते हैं, ईश्वर किसी विशेष धर्म या जाति का नहीं। सर्वव्यापक किसी एक संप्रदाय में सीमित नहीं हो सकता। हमारे देश में अनेक धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। सभी लोग अपनी-अपनी जाति, धर्म और संप्रदाय के अनुसार अपने त्योहार मिल-जुल कर मनाते हैं। यहाँ लोग जाति-रंग का भेदभाव भुलाकर एक-साथ त्योहार मनाने में विश्वास करते हैं।- भारत को किस रूप में वर्णित किया गया है?
(क) केवल हिन्दू राष्ट्र
(ख) केवल बहुलतावादी राष्ट्र
(ग) धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र
(घ) केवल मुस्लिम राष्ट्र - राष्ट्र का धर्मों और संस्कृतियों में क्या कर्तव्य है?
(क) किसी धर्म में बाधा डालना
(ख) केवल अपने धर्म का प्रचार करना
(ग) किसी धर्म और संस्कृति में बाधक नहीं होना
(घ) केवल त्योहार मनाना - सभी धर्मों का मूल उद्देश्य क्या है?
(क) भौतिक लाभ
(ख) सद्व्यवहार सिखाना
(ग) सत्ता प्राप्त करना
(घ) धार्मिक भेद बनाना - गद्यांश के अनुसार भारत में लोग त्योहार कैसे मनाते हैं?
- भारत में धर्मनिरपेक्षता और समानता का महत्व संक्षेप में समझाइए।
- भारत को किस रूप में वर्णित किया गया है?
-
खंड – ख व्यावहारिक व्याकरण
- व्याकरण आधारित निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दस के उत्तर दीजिए।
- अनु + इति – इस संधि विच्छेद में संधि करो
क) अन्वित
ख) अन्विते
ग) अन्विति
घ) अन्विता
- अशुद्ध वर्तनी की पहचान कीजिए:-
अनुयायी, राही, स्वामी, अगामीक) राही
ख) अनुयायी
ग) अगामी
घ) स्वामी
- निम्न में से किस वर्ग के सभी शब्द विशेषण नहीं है?
क) मीठा, बहुत
ख) उदारता, सौंदर्य
ग) थोड़ा, तीन
घ) दूसरा, पापी
- क्या आप खाना खाएंगी में अपेक्षित विराम चिह्न है-
क) प्रश्नवाचक
ख) अर्ध विराम
ग) पूर्ण विराम
घ) विस्मयादिबोधक
- अनाथ – शब्द का उचित विलोम है |
क) बिना
ख) थोड़ा
ग) नाथ
घ) कम
- नीचे लिखी लोकोक्ति का उचित अर्थ चुनिए-
ऊँची दुकान फीका पकवानक) दुकान ऊँची और पकवान कम होना
ख) बड़े दुकान के पकवान
ग) नाम अधिक गुणवत्ता कम
घ) मिठाइयाँ घी की होना
- ‘अधि’ उपसर्ग से दो शब्द बनाइए।
- निम्नलिखित वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखिए-
- स्वयं सेवा करने वाला
- प्रिय बोलने वाला
- निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए-
- कृत्रिम
- विनोद
- निम्नलिखित शब्दों के लिए दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
- पुष्प
- पक्षी
- निम्नलिखित शब्दों में सन्धि कीजिए-
- भिक्षा + अर्थी
- सूर्य + उदय
- निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-
- मानवीय
- यशस्वी
-
खंड – ग पाठ्य पुस्तक
Here are the questions from the textbook for Class 6 Hindi Malhar Sample Papers as per the newly revised curriculum and updated marking scheme.
पठित बोध पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
- निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
जिय तेरे कछु भेद उपजि हैं, जानि परायो जायो।
ये ले अपनी लकुटि कमरिया, बहुतहिं नाच नचायो।
सूरदास तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो।।
प्रश्न:
- कविता के अंत में माँ यशोदा का भाव कैसा है? (1)
क) क्रोधित
ख) दुखी
ग) प्रसन्न और स्नेहमयी
घ) निराश - “ये ले अपनी लकुटि ________” पंक्ति आती है। (1)
- कविता के अंत में माँ यशोदा ने श्रीकृष्ण को कैसे अपनाया? (1)
- कविता के इन अंतिम अंशों से कृष्ण के बालस्वभाव की कौन-सी विशेषताएँ प्रकट होती हैं? (2)
- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
“ग्यारह वर्ष की उम्र में माताजी का विवाह शाहजहाँपुर में हुआ। प्रारंभ में वह अशिक्षित और ग्रामीण जीवन की थीं। कुछ समय बाद दादीजी ने उन्हें गृहकार्य सिखाया। माताजी ने घर का हर काम शीघ्रता से सीख लिया। इसके बाद उन्होंने स्वयं हिंदी पढ़ना शुरू किया और अपने बच्चों को भी पढ़ाया। माताजी ने कभी अपने कर्तव्यों से समझौता नहीं किया और हमेशा अपने पुत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं। उनके मार्गदर्शन और प्रेम ने बिस्मिल के जीवन में दृढ़ता और साहस पैदा किया। माताजी ने अपने जीवन में स्वयं भी परिश्रम किया और पढ़ाई को प्राथमिकता दी। उनके प्रयासों और शिक्षा का प्रभाव बिस्मिल के क्रांतिकारी और नैतिक जीवन में हमेशा दिखाई देता रहा।”प्रश्न:- माताजी ने घर का काम सीखने के बाद कौन-सा कार्य शुरू किया? (1)
(क) सेवा समिति में काम
(ख) पढ़ाई
(ग) बच्चों को शिक्षा देना
(घ) ग़ज़ल लिखना - माताजी ने अपने बच्चों को ________ भी पढ़ाया। (1)
- माताजी के परिश्रम और शिक्षा का बिस्मिल पर क्या प्रभाव पड़ा? (1)
- बिस्मिल ने माताजी के प्रेरक व्यक्तित्व का किस प्रकार वर्णन किया है? (2)
- माताजी ने घर का काम सीखने के बाद कौन-सा कार्य शुरू किया? (1)
- पाठ्य पुस्तक मल्हार पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर 30-40 शब्दों में दीजिए।
- यह कविता आशा और उत्साह जगाने वाली कविता है। इसमें क्या आशा की गई है? यह आशा क्यों की गई है?
- कविता में ‘नीले नयनों-सा अंबर’ का क्या अर्थ है?
- आज हम आपके लिए एक अनोखी पहेली लाए हैं। नीचे कुछ अक्षर दिए गए हैं। आप इन्हें मिलाकर कोई सार्थक शब्द बनाइए। अक्षरों को आगे-पीछे किया जा सकता है यानी उनका क्रम बदला जा सकता है। आप अपने मन से किसी भी अक्षर के साथ कोई मात्रा भी लगा सकते हैं। पहला शब्द हमने आपके लिए पहले ही बना दिया है।
क्रम संख्या अक्षर शब्द 1 स म ह ग र महासागर 2 ह म य ल ________ 3 ग ग ________ 4 भ त र ________ 5 ल क य ________ 6 व न प ________ - जब सरदार सुजानसिंह ने अपने पद से निवृत्त होने की प्रार्थना की, तो राजा ने उन्हें कैसे समझाया और अंततः क्या निर्णय लिया?
- बाबा भारती के शब्द अब कोई गरीबों की सहायता से मुँह न मोड़ेगा का क्या महत्व है?
- एंजेला ने बिहू नृत्य के दौरान क्या देखा और महसूस किया?
- निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर 50-60 शब्दों में दीजिए।
- रहीम के दोहे रहिमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय। हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय।। का विश्लेषण कीजिए और इसे हमारे जीवन में कैसे लागू किया जा सकता है?
- मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में भारत ने बर्लिन ओलंपिक 1936 में किस प्रकार स्वर्ण पदक जीता?
-
खंड – घ रचनात्मक लेखन
- परोपकार विषय पर अनुच्छेद लिखिए।
अथवा
समय का सदुपयोग विषय पर अनुच्छेद लिखिए।
- आपके विद्यालय की ओर से एक शैक्षणिक टूर का आयोजन किया गया है, जिसमें आप शामिल होना चाहते हैं। टूर में शामिल होने की अनुमति माँगते हुए अपने पिताजी को पत्र लिखिए।
अथवा
अपने मोहल्ले की सफाई हेतु स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए।
- दो मित्रों के बीच समाज में बढ़ते अपराध के बारे में बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
अथवा
डॉक्टर और रोगी के बीच होने वाले संवाद को लिखिए।
Class 6 Hindi Malhar Sample Papers (Solution)
The model question papers for class 6 Hindi Malhar have four sections. Section A belongs to unseen passages, Section B carries questions related to Hindi grammar. Section C is dedicated to the Malhar textbook. and the last section (i.e. Section D) comprises questions on creative writing skills. You can get more Class 6 Hindi Malhar Sample Papers from myCBSEguide app.
-
खंड – क अपठित बोध
-
- (ख) पुण्य, बलिदान और ज्ञान का परिणाम
- (क) जीवन में खुशियाँ और सौभाग्य
- (ग) सेवा, समर्पण और साहस के साथ जीना
- कविता के अनुसार जिंदगी जन्म-जन्मांतरी पुण्य, सेवा, बलिदान और ज्ञान का परिणाम है। इसे ऐसे जीना चाहिए कि मृत्यु के बाद भी मुस्कान बनी रहे, अर्थात साहस, समर्पण और उद्देश्यपूर्ण जीवन।
- बलिदान और समर्पण जीवन को मूल्यवान बनाते हैं। कविता में कहा गया है कि सेवा और तर्पण के माध्यम से ही जीवन की वास्तविक महानता और अर्थ प्राप्त होता है।
-
- (ग) धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र
- (ग) किसी धर्म और संस्कृति में बाधक नहीं होना
- (ख) सद्व्यवहार सिखाना
- भारत में लोग जाति-धर्म का भेदभाव भुलाकर मिल-जुल कर त्योहार मनाते हैं, प्रत्येक व्यक्ति अपने धर्म और संस्कृति का आदर रखते हुए दूसरों के धर्म का सम्मान भी करता है।
- धर्मनिरपेक्षता और समानता से भारत में सामाजिक एकता और आपसी सम्मान सुनिश्चित होता है। यह सभी नागरिकों को अपने धर्म का पालन करते हुए दूसरों के धर्म का आदर करने की शिक्षा देता है, जिससे देश में शांति और भाईचारे की भावना बनी रहती है।
-
खंड – ख व्यावहारिक व्याकरण
- व्याकरण आधारित निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दस के उत्तर दीजिए।
- (ग) अन्वितिव्याख्या: उ+इ-व-यण संधि
- (ग) अगामीव्याख्या: आगामी
- (ख) उदारता, सौंदर्यव्याख्या: वे शब्द जो संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, विशेषण कहलाते हैं। यहाँ उदारता और सौंदर्य भाववाचक संज्ञा है, विशेषण नहीं।
- (क) प्रश्नवाचकव्याख्या: क्या आप खाना खाएंगी?
- (ग) नाथव्याख्या: ‘अनाथ’ शब्द में ‘अ’ उपसर्ग जोड़ने का अर्थ है कि जिसका कोई स्वामी न हो तो इसका विलोम शब्द होगा-नाथ |
- (ग) नाम अधिक गुणवत्ता कमव्याख्या: ऊँची दुकान फीका पकवान (नाम अधिक गुणवत्ता कम) – मोहित की दुकान का कपड़ा तो ऊँची दुकान फीका पकवान के समान है।
- अधिनायक, अधिपति
-
- स्वयंसेवक
- प्रियभाषी
-
- अ + न् + क् + इ + त् + अ
- व् + इ + द् + य् + आ + ल् + अ + य् + अ
-
- फूल, कुसुम
- खग, पंखी
- (i) भिक्षार्थी, (ii) सूर्योदय
-
- अमानवीय
- कलंकित
-
खंड – ग पाठ्य पुस्तक
- पठित बोध पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
-
- ग) प्रसन्न और स्नेहमयी
- कमरिया
- कविता के अंत में यशोदा मुस्कुराकर कृष्ण को अपने उर से लगा लेती हैं। वे पुत्र की मासूमियत और भोलेपन पर मोहित हो जाती हैं।
- इस अंश में कृष्ण अपनी लकड़ी और कमरिया माँ को देकर भोलेपन से कहते हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया। उनकी मासूमियत, चंचलता और खेल-भावना स्पष्ट होती है। यह उनका प्यारा बालस्वभाव है।
-
- (ख) पढ़ाई
- पढ़ाई
- माताजी के परिश्रम और शिक्षा के कारण बिस्मिल में साहस, दृढ़ता और नैतिक आदर्श विकसित हुए।
- बिस्मिल ने लिखा कि माताजी ने न केवल अपने कर्तव्य निभाए, बल्कि शिक्षा और प्रेम से उन्हें प्रेरित किया। उन्होंने अपने जीवन में उच्च आदर्श अपनाने और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
-
- पाठ्य पुस्तक मल्हार पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर 30-40 शब्दों में दीजिए।
- यह कविता जीवनरूपी दीप में स्नेह व अपनापन रूपी तेल भरकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। निराशा के बीच ही आशा की एक किरण दिखाई देती है। मानव और विश्व कल्याण हेतु हमें महापुरुषों के पदचिह्नों पर चलना होगा। प्रेम, सद्भावना और मानवीय सौहार्द से यह जीवन खुशहाल बनता है। नई पीढ़ी इतिहास में हुए महान लोगों से प्रेरणा लेकर एक सुंदर भविष्य की नींव रखेगी। कविता मनुष्य के हृदय में विश्व बंधुत्व की आशा जाग्रत करती है।
- ‘नीले नयनों-सा अंबर’ का अर्थ है कि आकाश नीले नयनों की तरह दिखता है, जिसमें बादल काली पुतली के समान होते हैं। यह प्रतीकात्मक अर्थ धरती और आकाश के बीच के संबंध को दर्शाता है।
-
क्रम संख्या अक्षर शब्द 1 स म ह ग र महासागर 2 ह म य ल हिमालय 3 ग ग गंगा 4 भ त र भीतर 5 ल क य कोयल 6 व न प पवन - राजा साहब अपने अनुभवी और नीतिकुशल दीवान का बहुत आदर करते थे। उन्होंने सुजानसिंह को समझाने की पूरी कोशिश की कि वे पद न छोड़ें। किंतु जब उन्होंने दृढ़ निश्चय किया तो राजा ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और शर्त रखी कि नए दीवान की खोज उन्हीं को करनी होगी।
- बाबा भारती के ये शब्द समाज में विश्वास और ईमानदारी की महत्ता को दर्शाते हैं। उन्होंने अपने व्यक्तिगत दुःख और हानि को समाज की भलाई के लिए न्योछावर कर दिया। उनके शब्द इस बात का प्रतीक हैं कि उन्होंने घोड़े को खोने के बावजूद गरीबों की मदद करने के महत्व को प्राथमिकता दी और इस विचार से संतोष प्राप्त किया।
- बिहू नृत्य के दौरान एंजेला ने देखा कि नर्तकियों ने रंगीन और सुंदर परिधान पहने हुए थे, और वे बसंत के आगमन का जश्न मना रहे थे। एंजेला को यह नृत्य बहुत आनंददायक और अद्वितीय लगा, और उसने महसूस किया कि यह नृत्य उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा था।
- निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर 50-60 शब्दों में दीजिए।
- इस दोहे में रहीम ने विपत्ति के महत्व को बताया है। उन्होंने कहा है कि विपत्ति या संकट का समय भले ही कठिन हो, लेकिन यह हमें जीवन में महत्वपूर्ण सबक सिखाता है। विपत्ति के समय ही हमें अपने सच्चे मित्रों और शत्रुओं की पहचान होती है। यह समय हमें जीवन में सही और गलत का भेद समझने में मदद करता है। इस दोहे को जीवन में लागू करना हमें सिखाता है कि कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। विपत्ति हमें आत्मविश्लेषण करने और अपने जीवन को सुधारने का अवसर देती है। हमें विपत्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना चाहिए और इसे अपने जीवन में सुधार के लिए उपयोग करना चाहिए।
- मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में भारत ने बर्लिन ओलंपिक 1936 में स्वर्ण पदक जीता। उनकी कप्तानी में टीम ने अद्वितीय खेल कौशल और रणनीति का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने साथी खिलाड़ियों को गोल करने का मौका दिया और खेल भावना को बनाए रखा। उनकी अद्भुत ड्रिब्लिंग और खेल कौशल ने सभी को प्रभावित किया और उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ का खिताब दिलाया। उनके नेतृत्व ने टीम को एकजुट रखा और उन्हें स्वर्ण पदक जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। खेल के प्रति उनकी समर्पण और अनुशासन ने उन्हें महान खिलाड़ी बनाया और उनकी टीम को ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उनकी सफलता का राज लगन, साधना और खेल भावना थी, जिससे उन्होंने भारत को गर्वित किया।
-
खंड – घ रचनात्मक लेखन
-
विदयार्थी और दूरदर्शन
भारतीय संस्कृति में सदैव से ‘बहुजन हिताय’ को महत्त्व दिया जाता रहा है। ‘परोपकार’ शब्द की रचना भी ‘पर+उपकार’ से हुई है अर्थात् दूसरों की भलाई करना। परोपकार में स्वार्थ का अंश नहीं रहता। दूसरों की नि:स्वार्थ सेवा ही परोपकार की श्रेणी में आती है। प्रकृति में भी परोपकार की भावना दृष्टिगोचर होती है। भर्तृहरि ने लिखा है : “पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भ: स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः। नादन्ति शस्यं खलु वारि वाहाः परोपकाराय सतां विभूतयः।” अर्थात् नदियाँ अपना जल कभी नहीं पीतीं, यद्यपि अनंत जलराशि समेट वे अनवरत रूप से प्रवाहित होती हैं। वृक्ष अपने फल नहीं खाते। आँधी और तूफान सहकर भी वे दूसरों को आश्रय देते हैं। तुलसीदास जी ने भी कहा है – “तुलसी संत सुअंब तरु, फूलहिं फलहिं पर हेत, इतते वे पाहन हनै उतते वे फल देता” हमारे इतिहास में परोपकार के अनेक दृष्टांत उपलब्ध होते हैं। ऋषि दधीचि ने तो परोपकार के लिए अपनी अस्थियाँ तक दान में दे दी थीं। महाराज शिवि ने अपना माँस तक दान में दे डाला था। संतों का जीवन तो परोपकार के लिए ही होता है। रहीमदास जी ने लिखा है – “वृच्छ कबहु नहीं फल भखै, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर।” परोपकार पुण्य है तथा दूसरों को कष्ट देना पाप है। परोपकार मानव का सबसे श्रेष्ठ धर्म है। मनुष्य समस्त जीवन अपने स्वार्थ पूर्ति हेतु प्रयत्नशील रहता है, परन्तु सच्चा मानव वही होता है जो ‘स्व’ की संकुचित परिधि को लांघकर ‘पर’ के लिए जीता तथा मरता है।
अथवासमय का सदुपयोग
समय अमूल्य धन है। इसे खोना जीवन को खोने के समान है। जीवन के बीते हुए पल वापस नहीं आते इसलिए यह आवश्यक है कि हम समय के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करें। ऐसा करने से हम जीवन के हर पल का लाभ और आनंद उठा सकेंगे। समय का दुरुपयोग मनुष्य के लिए घातक सिद्ध होता है और पश्चाताप का कारण बनता है।
समय का दुरुपयोग करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाता इसलिए समय के महत्व को समझना और इसका सदुपयोग करना अति आवश्यक है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए समय का सदुपयोग करना चाहिए। महान व्यक्तियों की सफलता का रहस्य समय का सदुपयोग ही है।
विद्यार्थियों को तो समय के सदुपयोग के महत्व को और अधिक समझना चाहिए। विद्यार्थी जीवन समस्त जीवन का आधार होता है। समय नष्ट करने वाला विद्यार्थी अपने जीवन को सँवार नहीं पाता। वह अपने पूरे भविष्य को बिगाड़ लेता है। बाद में पश्चाताप करने से कोई लाभ नहीं होता। जो व्यक्ति अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करता है उसका भविष्य उज्ज्वल होता है। ऐसा व्यक्ति ही जीवन में सदा प्रसन्न, संतुष्ट और संपन्न रहता है। कहा भी गया है-गया धन, गया जन, गया स्वास्थ्य और गया समय फिर लौटकर नहीं आता।
अतः जो व्यक्ति समय के महत्व को समय पर समझकर उसका उपयोग करते हैं वे जीवन में सफल होते हैं तथा जो मनुष्य समय के महत्त्व को समझकर आगे बढ़ते हैं वही समाज के अगुआ, पूज्य तथा पथ-प्रदर्शक बनते हैं। - सरस्वती छात्रावास
पश्चिम विहार, दिल्ली।
10 अक्टूबर, 2014
पूज्य पिताजी,
सादर चरण स्पर्श!
मैं यहाँ सकुशल रहकर अपनी पढ़ाई अच्छी तरह कर रहा हूँ तथा आपकी कुशलता की कामना करता हूँ। पिताजी, हमारे विद्यालय से एक शैक्षणिक टूर देहरादून-मसूरी जा रहा है, जिसका नेतृत्व हमारे कक्षाध्यापक तथा सामाजिक विज्ञान के अध्यापक कर रहे हैं। यह टूर शैक्षणिक तथा मनोरंजन की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। इस टूर पर जाने हेतु चालीस छात्रों में मुझे भी चुना गया है। इसके लिए आपकी अनुमति एवं पाँच सौ रुपये की आवश्यकता है।
पूज्या माताजी को चरण स्पर्श तथा सोनी को स्नेह और सब कुशल है। शेष छुट्टियों में मिलने पर।
आपका प्रिय पुत्र
ह्रितिक रोशन
अथवासेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी महोदय,
सिविल लाइंस क्षेत्र (दिन०नि०)
116, महरोली रोड, दिल्ली।
विषय- मोहल्ले की सफ़ाई के संबंध में पत्र।
मान्यवर,मैं आपका ध्यान अपने मोहल्ले राजीव नगर की सफ़ाई में की जा रही लापरवाही की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। इस मोहल्ले में सफाई कर्मचारी नियमित रूप से नहीं आते हैं। वे सप्ताह में एक या दो बार ही आते हैं और जैसे-तैसे सफ़ाई करके चले जाते हैं। वे कूड़े के ढेर जगह-जगह छोड़ जाते हैं। इन कूड़ों पर मक्खी-मच्छर अपना बसेरा बना लेते हैं। गाय इनको इधर-उधर बिखरा जाती हैं, जिससे राह चलना मुश्किल हो जाता है। नालियों में पानी रुककर बदबू फैला रहा है, जिससे हैजा आंत्रशोथ जैसी कई बीमारियाँ पैदा होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
आपसे प्रार्थना है कि इस मामले में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करते हुए सफ़ाई व्यवस्था को ठीक कराने की कृपा करें।
सधन्यवाद
भवदीय
अंकित
सी – 3/24, राजीव चौक
नई दिल्ली।
09 अगस्त 2019 - अंकित : आओ सचिन, बैठो। कहो कैसे आना हुआ?
सचिन : आज छुट्टी थी, इसलिए तुमसे मिलने चला आया। तुमने कल शहर में हुई वारदात के बारे में सुना है?
अंकित : मैंने तो नहीं सुना? क्या हुआ?
सचिन : कल सेठ दीनदयाल के इकलौते पुत्र का अपहरण कर लिया गया था। शहर भर में इसकी ही चर्चा चल रही है।
अंकित : यह तो बहुत बुरा हुआ। सेठ दीनदयाल बड़े नेक इंसान हैं, उनसे किसी की क्या दुश्मनी हो सकती है।
सचिन : अपराधी भले-बुरे में अंतर नहीं करते, उन्हें तो बस धन से मतलब है। सुना है, वे लोग दस लाख की फिरौती माँग रहे हैं।
अथवारोगी – नमस्ते डॉक्टर साहब! क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ ?
डॉक्टर- आईये, बैठिए।
रोगी-धन्यवाद डॉक्टर साहब, आज सुबह से तबियत कुछ नर्म सी महसूस हो रही है।
डॉक्टर – क्या हुआ?
रोगी – सारे शरीर में थकान-सी महसूस हो रही है।
डॉक्टर – और कुछ! खाना ठीक से खाया है कि नहीं।
रोगी – न भूख लग रही है और न ही काम करने में मन लग रहा है।
डॉक्टर – अरे ! तुम्हें तो बुखार है।
रोगी – डॉक्टर साहब! मैं ठीक तो हो जाऊँगा।
डॉक्टर – हाँ, क्यों नहीं। तुम समय पर दवाई खाओगे और आराम करोगे तो जल्दी ठीक हो जाओगे।
रोगी – जैसा आप कहेंगे डॉक्टर साहब, मैं वैसा ही करूँगा।
डॉक्टर – ये लो दवाई, इसे सुबह और शाम को पानी के साथ लेना। मसालेदार और तली हुई चीजें मत खाना।
रोगी – बहुत अच्छा! धन्यवाद डॉक्टर साहब।
To get more Class 6 Hindi Malhar Sample Papers, please visit myCBSEguide app or https://myCBSEguide.com.

Test Generator
Create question paper PDF and online tests with your own name & logo in minutes.
Create Now
Learn8 App
Practice unlimited questions for Entrance tests & government job exams at ₹99 only
Install Now