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Question Paper 2011 Class 10 Hindi A
CBSE Question Paper 2011 Class 10 Hindi A
निर्धारित समय: 3 घंटे
अधिकतम अंक: 80
निर्देशः
- इस प्रश्नपत्र के चार खण्ड हैं – क, ख, ग और घ।
- चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड – ‘क’
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाला विकल्प चुनकर लिखिए : 1×5=5
कई लोग असाधारण अवसर की बाट जोहा करते है। साधारण अवसर उनकी दृष्टि में उपयोगी नहीं रहते। परन्तु वास्तव में कोई अवसर छोटा-बड़ा नहीं है। छोटे-से-छोटे अवसर का उपयोग करने से, अपनी बुद्धि को उसी में भिड़ा देने से, वही छोटा अवसर बड़ा हो जाता है। सर्वोत्तम मनुष्य वे नहीं है, जो अवसरों की बाट देखते रहते हैं, जो अवसर को अपना दास बना लेते है। हमारे सामने हमेशा ही अवसर उपस्थित होते रहते हैं। यदि हम में इच्छा-शक्ति है, काम करने की ताकत है, तब तो हम स्वयं ही उनसे लाभ उठा सकते हैं। अवसर न मिलने की शिकायत कमज़ोर मनुष्य ही करते हैं। जीवन अवसरों की एक धारा है। स्कूल, कॉलेज का प्रत्येक पाठ, परीक्षा का समय, कठिनाई का प्रत्येक पल, सदुपदेश का प्रत्येक क्षण एक अवसर है। इन अवसरों से हम नम्र हो सकते हैं, ईमानदार हो सकते प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे अनेक लोग हैं जो अवसर को पकड़कर करोड़पति हो गए। परन्तु अवसरों का क्षेत्र यहाँ समाप्त नहीं हो जाता। अवसर का उपयोग करके हम इंजिनियर, डॉक्टर, कला-विशारद, कवि और विद्वान् भी बन सकते है। यद्यपि अवसरों के उपयोग से धन कमाना अच्छा काम है, परन्तु धन से भी कहीं श्रेष्ठ कार्य सामने है। धन ही जीवन के प्रयत्नों का अंत नहीं है, जीवन के लक्ष्य की चरम सीमा नहीं है। अवसरों के सदुपयोग से हम सर्वदृष्टि से महत्वपूर्ण इंसान बन सकते हैं।
(i) छोटा अवसर भी कब बड़ा और असाधारण हो जाता है?
जब हम में उससे लाभ उठाने की क्षमता हो
जब हम बड़े अवसर की प्रतीक्षा में उसकी उपेक्षा नहीं करते
जब आलस्य के कारण उसके उपयोग से वंचित नहीं होते
जब हम पूरी लगन से उसका भरपूर उपयोग करते हैं
(ii) अवसर का लाभ कैसे उठाया जा सकता है?
- अवसर की राह देखने से
- अनेक अवसरों में उपयोगी अवसर की पहचान से
- कार्य करने की उत्कट लालसा एवं शक्ति के भरपूर उपयोग से
- कठिनाइयों को सहन करने से
(iii) जीवन को अवसरों की एक धारा क्यों कहा है?
- धारा जीवन को विनाश की ओर बहा सकती है
- जीवन की जिम्मेदारियों का बोध करा सकती है
- जीवन में प्रत्येक क्षण अवसर प्राप्त होते रहते हैं
- धारा जीवन में अच्दे मित्र दे सकती है
(iv) कौन सा श्रेष्ठ कार्य है जो धन से भी बढ़कर है?
- इंजीनियर या डॉक्टर बनना
- श्रेष्ठ कवि या कलाकार की ख्याति प्राप्त करना
- खेलों में दक्षता हासिल करना
- समाज में महान एवं आदर्श व्यक्ति बनना
(v) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक हो सकता है:
- अवसर और मनुष्य
- जीवन : अवसरों की एक धारा
- जीवन में अवसरों का महत्व
- अवसर और इच्छाशक्ति
2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाला चुनकर लिखिएः 1×5=5
प्रत्येक सुन्दर प्रभात सुन्दर चीजें लेकर उपस्थित होता है, पर यदि हमने कल तथा परसों के प्रभात की किरणों से लाभ नहीं उठाया तो आज के प्रभात से लाभ उठाने की हमारी शक्ति क्षीण होती जाएगी और यही रफ्तार रही तो फिर हम इस शक्ति को बिल्कुल ही गंवा बैठेगे। किसी विद्वान ने ठीक ही रहा है; खोई हुई संपत्ति प्राप्त की जा सकती है, भूला हुआ ज्ञान अध्ययन से प्राप्त हो सकता है, गँवाया हुआ स्वास्थ्य लौटाया जा सकता है, परंतु नष्ट किया हुआ समय सदा के लिए चला जाता है। वह बस स्मृति की चीज हो जाता है और अतीत की एक छाया-मात्र रह जाता है। संसार के महान् विचारकों को चिंता रहती थी कि उनका एक क्षण भी व्यर्थ न चला जाए। हमको भी अमूल्य समय को नष्ट होने से बचाने के लिए कुछ भी उठा न रखना चाहिए। एक-एक क्षण का सदुपयोग करने वाले इन विचारकों का जीवन हजारों नवयुवकों के जीवन का कितना उपहास कर रहा है। ये विचारक समय के छोटे-छोटे टुकड़ों को बचाकर जिस तरह महान् हुए, हमको भी उनकी भांति ही समय का मूल्य जानना चाहिए।
(i) ‘प्रत्येक सुंदर प्रभात’ का तात्पर्य है:
- सुंदर वस्तुओं की प्राप्ति
- सूर्योदय का समय
- सुनहरा अवसर
- जीवन का नया क्षण
(ii) कौन-सा कथन असत्य है :
- बीता समय लौट सकता है
- नष्ट स्वास्थ्य पाया जा सकता है
- खोई हुई सम्पति मिल सकती है
- भूली हुई जानकारी पाई जा सकती है
(iii) अमूल्य समय को नष्ट होने से कैसे बचाया जा सकता है:
- महान् विचारकों का अनुकरण करके
- प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करके
- कल्पना जगत में विचरण करके
(iv) हजारों नवयुवक उपहास के पात्र हैं, क्योंकि वे :
- अपने भविष्य के बारे में नहीं सोचते
- व्यर्थ के कामों में लगे रहते हैं
- प्रातःकाल नहीं उठते
- समय के महत्व को नहीं जानते
(v) ‘ये विचारक समय के छोटे-छोटे टुकड़ों को बचाकर जिस तरह महान् हुए, हमको भी उनकी भांति समय का मूल्य जानना चाहिए।’ उपर्युक्त वाक्य का प्रकार है:
- साधारण वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- मिश्र वाक्य
- क्रियाविशेषण वाक्य
3. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः 1×5=5
आदमी हो, स्नेहबाती बन नया दीपक जलाना।
दर्द की परछाइयों के दानवी बंधन हटाना।
छटपटाती जिंदगी की चेतना संगीत देना।
विश्व को नवपंथ देना; हारते को जीत देना।
आदमी हो, बुझ रहे ईमान को विश्वास देना।
मुसकराकर वाटिका में मधुभरा मधुमास देना।
शूल के बदले जगत को फूल की सौगात देना।
जो पिछड़ता हो उसे नवशक्ति देना, साथ देना।
आदमी हो, डूबते मँझधार में पतवार देना।
थक चला विश्वास साथी, आस्था आधार देना।
क्रांति का संदेश देकर राह युग की मोड़ देना।
फिर नया मानव बनाना, रूढ़ियों को तोड़ देना।
आदमी हो, द्वेष के तूफान को हँसकर मिटाना।
कठ-भर विषमान करना, किंतु सबको प्यार देना।
मेटना मजबूरियों को; दीन को आधार देना।
खाइयों को पाटना; बिछुड़े दिलों को जोड़ देना।
(i) काव्यांश में बार-बार ‘आदमी ही’ क्यों कहा गया है?
- ईमानदारी पर बल देने के लिए
- मानवोचित काम करने का आग्रह करने के लिए
- बुराइयों से बचाने के लिए
- आदमी होने की याद दिलाने के लिए
(ii) ‘शूल के बदले फूल देना’ का तात्पर्य है :
- मिटते ईमान को विश्वास देना
- दुर्बल को नई शक्ति देना
- दुखों के बदले सुख देना
- जीवन को आनंद से भर देना
(iii) ‘मँझधार’ और ‘नाव’ प्रतीक हैं :
- नदी और नाव
- मुसीबत और सहारा
- विवशता और सहायता
- विवशता और सहयोग
(iv) कविता में ‘खाइयों को पाटना’ का अभिप्राय है :
- गड्ढा भरना
- मेल-मिलाप की बातें करना
- मरीजों की सहायता करना
- आपसी शत्रुता को मिटाना
(v) ‘स्नेहबाती’ में अलंकार है:
- अनुप्रास
- उपमा
- रूपक
- उत्प्रेक्षा
4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाला विकल्प चुनकर लिखिए :1×5=5
ओ निराशा, तू बता क्या चाहती है?
मैं कठिन तूफान कितने झेल आया,
में रुदन के पास हँस-हँस खेल आया।
मृत्यु-सागर-तीर पर पद-चिह्न रखकर-
मैं अमरता का नया संदेश लाया।
आज तू किसको डराना चाहती है?
ओ निराशा, तू बता क्या चाहती है?
शूल क्या देखूँ चरण जब उठ चुके हैं
हार कैसी, हौंसले जब बढ़ चुके हैं।
तेज मेरी चाल आँधी क्या करेगी?
आग में मेरे मनोरथ तप चुके हैं।
आज तू किससे लिपटना चाहती है?
चाहता हूं मैं कि नभ-थल को हिला दूँ,
और रस की धार सब जग को पिता दूँ,
चाहता हूँ पग प्रलब-गति से मिलाकर-
आह की आवाज में मैं आग रख दूँ।
आज तू किसको जलाना चाहती है?
ओ निराशा, तू बता क्या चहती है?
(i) कवि निराशा को ललकारते हुए अपने बारे में बता रहा है कि :
- वह परेशानियों से पराजित हुआ है
- वह तूफानों से डरा है
- उसको दुखों ने रूलाया है
- वह अमरता का संदेश लेकर आया है।
(ii) निराशा किसे डराना चाहती है?
- साहसी कवि को
- मननशील पाठक को
- जुझारू वीरों को
- निराश व्यक्ति को
(iii) कवि क्या चाहता है?
- विश्व में प्रलय
- इच्छाओं की पूर्ति
- संसार में क्रांति
- असीमित अधिकार
(iv) कविता का मुख्य संदेश है :
- वीरता
- अमरता
- क्रांतिकारिता
- आशावादिता
(v) ‘मृत्युसागर’ में अलंकार है :
- श्लेष
- उत्प्रेक्षा
- रूपक
- उपमा
खड – ख
5. नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों के पद-परिचय के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर लिखिए: 1×4=4
(i) मैं पुस्तक पढ़ता हूँ।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग
- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग
- व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग
- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग
(ii) उसने ऊँचा महल देखा।
- विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन
- विशेषण, परिणामवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन
- विशेषण, संख्यावाचक, पुल्लिंग, एकवचन
- विशेषण, सार्वजनिक, स्त्रीलिंग, एकवचन
(iii) कौन आया है?
- सर्वनाम, प्रश्नावचक, पुल्लिंग, एकवचन
- सर्वनाम, पुरुषवाचक, पुल्लिंग, एकवचन
- सर्वनाम, निश्चयवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन
- सर्वनाम, संबंधवाचक, पुल्लिंग, एकवचन
(iv) मैं अवश्य पहुँचूँगा।
- क्रियाविशेषण, रीतिवाचक, ‘पहुँचुँगा’ का विशेषण
- क्रियाविशेषण, स्थानवाचक, ‘पहुँचुँगा’ का विशेषण
- क्रियाविशेषण, कालवाचक, ‘पहुँचुँगा’ का विशेषण
- क्रियाविशेषण, परिणामवाचक, ‘पहुँचुँगा’ का विशेषण
6. (i) जिस वाक्य में एक सरल वाक्य के अलावा अन्य उपवाक्य आश्रित होकर आएं, उसे कहते हैं: 1×4=4
- संयुक्त वाक्य
- साधारण वाक्य
- मिश्र वाक्य
- सरल वाक्य
(ii) निम्नलिखित में से सरल वाक्य पहचानकर लिखिए :
- उसने परीक्षा पास कर ली
- तुम गए और वह आया
- मुझे विदित हुआ है कि तुम कक्षा में प्रथम आए हो
- यही वह छात्र है जिसने स्वर्ण पदक जीता है
(iii) जिस वाक्य में दो या दो से अधिक वाक्य योजना द्वारा जुड़े हों, उसे कहते हैं:
- मिश्र वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- सरल वाक्य
- साधारण वाक्य
(iv) निम्नलिखित वाक्यों में से संयुक्त वाक्य का चयन कीजिए :
- अस्वस्थता के कारण यह आज नहीं आएगा
- वह अस्वस्थ है इसलिए आज नहीं आएगा
- जब वह स्वस्थ ही नहीं है तो कैसे आएगा
- जैसे ही वह स्वस्थ होगा, आ जाएगा
7. निम्नलिखित प्रश्नों के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर लिखिए : 1×4=4
(i) कर्मवाच्य में किसकी प्रधानता होती है:
- कर्ता की
- कर्म की
- किया की
- भाव की
(ii) नीचे लिखे वाक्यों में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य छांटिए :
- मोहन राकेश के नाटक खूब खेले गए हैं
- उससे मंदिर तक नहीं पहुँचा जाएगा
- उससे तो बैठा ही नहीं जाता
- बच्चों ने अच्छा प्रोग्राम प्रस्तुत किया
(iii) निम्नलिखित में से कर्मवाच्य वाला वाक्य छांटिए :
- तुम्हारे वहाँ दहेज दिया जाता है
- हम आपका विरोध करते हैं
- आइए, चला जाय
- रेल मंत्रालय ने महिला स्पेशल चलाई
(iv) नीचे लिखे वाक्यों में से भाववाच्य वाला वाक्य छांटिए :
- वह दर्द के कारण सो गया
- आओ, सैर करने चलें
- मुझसे बैठा नहीं जाता
- यह मकान इसके द्वारा बनाया गया है
8. (i) निम्नलिखित वाक्यों में कर्मवाच्य वाला वाक्य छांटिए : 1×4=4
- मच्छर बढ़ते जा रहे हैं
- मूर्तियां बनाई जा रही है
- वह बारिश में भीग गया है
- आँधी से पेड़ टूट गया
(ii) निम्नलिखित वाक्यों में संयुक्त वाक्य छॉटिए :
- तुम शिमला जाओ और कुफरी जरूर जाना
- रवि टेलीविजन देखता है
- बुरी संगत तुम्हें ले बैठेगी
- जो लोग बतिया रहे हैं वे अभी घर लौटे हैं
(iii) हम देश सेवा करेंगे। इस वाक्य में रेखांकित पद है :
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- अव्यय
(iv) किसान सिंचाई कर रहे हैं।
उपर्युक्त वाक्य है:
- मिश्र
- जटिल
- सरल
- संयुक्त
9. (i) किस अलंकार में एक ही बार प्रयुक्त शब्द के दो या अधिक अर्थ होते हैं? 1×4=4
- यमक
- श्लेष
- उपमा
- अनुप्रास
(ii) अनुप्रास
(ii) अलंकार छॉटिए :
- क्यों सहे संसार हाहाकार
- तुलसीदास सीदत निसदिन
- मुख-चन्द्र शोभा छा रही
- तापस बाला-सी गंगा निर्मल
(iii) नीचे लिखे पंक्ति में उपमान ढूंढ़िए :
‘प्रलय मेघ-से लगे घूमने वानर वन में’।
- वानर
- वन
- प्रलयमेघ
- घूमने लगे
(iv) ‘सियमुख मानो चंद्रमा’ पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
- अनुप्रास
- उत्प्रेक्षा
- श्लेष
- उपमा
खड – ग
10. निम्नलिखित गद्यांश की ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सही विकल्प चुनिए : 1×5=5
अजमेर से पहले पिता जी इंदौर में थे जहाँ उनकी बड़ी प्रतिज्ञा थी, सम्मान था, नाम था। कांग्रेस के साथ-साथ वे समाज-सुधार के कामों से भी जुड़े हुए थे। शिक्षा के वे केवल उपदेश ही नहीं देते थे, बल्कि उन दिनों आठ-आठ, दस-दस विद्यार्थियों को अपने पर रखकर पढ़ाया है जिनमें से कई तो बाद में ऊँचे-ऊँचे ओहदों पर पहुंचे। ये उनकी खुशहाली के दिन थे और उन दिनों उनकी दरियादिली के चर्चे भी कम नहीं थे। एक ओर वे बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे तो दूसरी ओर बेहद क्रोधी और अहंवादी।
(i) गद्यांश में किसके पिता की ओर संकेत है?
- शीला अग्रवाल के
- डॉ. अम्बालाल के
- मन्नू भंडारी के
- कॉलेज की प्रिंसिपल के
(ii) इंदौर में पिता के मान-सम्मानका कारण था :
- कांग्रेसी होना
- समाज-सुधारक होना
- उपदेशक होना
- संवेदनशील होना
(iii) शिक्षा के प्रति पिता के लगाव का उदहारण है:
- शिक्षा का उपदेश देना
- उनका अध्यापक होना
- अपने घर पर विद्यार्थियों को पढ़ाना
- उनके विद्यार्थियों का ऊँचे पद पाना
(iv) पिता के व्यक्तित्व के परस्पर विरोधी गुण हैं :
- अहवादिता और रूढ़िवादिता
- उदाहरता और संकीर्णता
- संपन्नता और निर्धनता
- कोमलता और क्रोध
(v) दरियादिली का अर्थ है:
- उदारता
- कृपणता
- सहनशीलता
- सम्पन्नता
अथवा
फ़ादर बुल्के संकल्प से सन्यासी थे। कभी-कभी लगता है कि वह मन से सन्यासी नहीं थे। रिश्ता बनाते थे तोड़ते नहीं थे। दसियों साल बाद मिलने के बाद भी उसकी गंध महसूस होती थी। वह जब भी दिल्ली आते जरूर मिलते-खोजकर, समय निकालकर, गर्मी, सर्दी, बरसात झेलकर मिलते, चाहे दो मिनट के लिए ही सही। यह कौन संन्यासी करता है? उनकी चिंता हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की थी। हर मंच से इसकी तकलीफ बयन करते, इसके लिए अकाट्य तर्क देते। बस इसी सवाल पर उन्हें झुझलाते देखा है और हिंदी वालों द्वारा ही हिंदी की उपेक्षा पर दुख करते उन्हें पाया है। घर-परिवार के बारे में, निजी दुख-तकलीफ के बारे में पूछना उनका स्वभाव था और बड़े से बड़े दुख में उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है। ‘हर मौत दिखाती है जीवन की नयी राह’। मुझे अपनी पत्नी और पुत्र की मृत्यु याद आ रही है और फादर के शब्दों से झरती विरल शांति।
(i) फादर बुल्के मन से संन्यासी नहीं थे, क्योंकि:
- सांसारिक रिश्तों को निभाते थे
- स्नेह-संबंधों में विश्वास नहीं रखते थे
- संबंध बनाकर भूल जाते थे
- रिश्तों को जोड़ते नहीं थे
(ii) हिंदी के विषय में उनकी इच्छा थी :
- हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखना
- हिंदी में ही बातचीत करना
- हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाना
- छुटपुट हिंदी विरोध को रोकना
(iii) उनके स्वभाव की विशेषता थी :
- आत्मीय संबंधों का निर्वाह
- मानवता की चिंता
- प्रायः मौन रहना।
- दुख के क्षणों को भूल जाना
(iv) ‘हर मौत दिखाती है जीवन को नई राह’ का आशय है कि मृत्यु :
- निराश कर देती है
- नई दिशा देती है
- विरक्ति को जन्म देती है
- अपने-पराये की पहचान कराती है
(v) ‘एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।’
- सरल
- संयुक्त
- मिश्र
- साधारण
11. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए : 2×5=10
- वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है? ‘संस्कृति पाठ के आधार पर लिखिए।
- शहनाई के संदर्भ में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?
- एक कहानी यह भी’ की लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का, किस रूप में प्रभाव पड़ा?
- पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना क्या उनके अपढ़ होने का सबूत है? ‘स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
- काशी में हो रहे कौन से परिवर्तन बिस्मिल्ला खां को व्यथित करते थे? ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
12. निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।
विद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु।
- उपर्युक्त दोहा किसके द्वारा, किस संदर्भ में कहा गया है? (2)
- शूरवीर की क्या-क्या विशेषताएँ बताई गई है? (2)
- कायर का क्या लक्षण है?
अथवा
तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात….
छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा पाषाण।
- बच्चे की मुसकान को ‘दंतुरित’ क्यों कहा है? वह कवि पर कैसा प्रभाव डाल रही है?( 2)
- कवि को बच्चे के अंग किसकी तरह लग रहे हैं? (1)
- ‘परस पाकर तुम्हारा ही प्राण, पिघलकर जल बन गया होगा पाषाण।’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।(२)
13. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए :
- ‘छाया मत छूना’ कविता में व्यक्त दुख के कारणों को स्पष्ट कीजिए। (2)
- ‘कन्यादान’ कविता में बेटी को क्या-क्या सीख दी गई है? (2)
- संगीत में संगतकार की क्या भूमिका होती है? (1)
(किन्हीं दो बिंदुओं का उल्लेख अपेक्षित)
(ख)
- · अपने ही रूप-सौंदर्य पर मत प्रीझना।
- · अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना किंतु उनमें उलझ कर स्वयं को मत जला लेना।
- · वस्त्र और आभूषण भ्रम हैं। स्वयं को इनके बंधन से मुक्त रखना।
- · लड़की की कोमलता, लज्जा, सेवा-भाव, त्याग आदि गुणों को बनाए रखना कितु उन्हें कभी अपनी कमज़ोंरी न बनने देना। (किन्हीं दो बिंदुओं का उल्लेख अपेक्षित)
(ग)
- · संगीत में संगतकार की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। कभी-कभी जब मुख्य गायक सुर से भटक जाता है तब संगतकार ही सुर संभालने में उसकी सहायता करता है।
- · तारसप्तक में जब मुख्य गायक का गला बैठने लगता है, प्रेरणा और उत्साह साथ छोड़ने लगते हैं तब संगतकार अपने स्वर से उसे यह विश्वास दिलाता है कि वह अकेला नहीं है। (किसी एक बिंदु का उल्लेख अपेक्षित)
14. संक्षेप में उत्तर दीजिए :
गंतोक कहां है? उसे ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर क्यों कहा गया है? ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।(5)
अथवा
‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के लेखक ने अपने आप को हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस प्रकार महसूस किया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- अपनी जापान यात्रा के दौरान हिरोशिमा नगर की गलियों से गुजरते हुए जले हुए पत्थर पर लंबी उजली छाया को देखकर लेखक को धक्का लगा। उसे गहरी अनुभूति हुई कि जब विस्फोट हुआ होगा तब रेडियमधर्मी किरणों के प्रभाव से झुलसा हुआ व्यक्ति भाप बन कर उड़ गया होगा। यह दश्य लेखक के अंतर्मन को इतना गहरा छू गया कि उसने स्वयं को विस्फोट का भोक्ता महसूस किया।
खंड – घ
15. किसी एक विषय पर निबंध लिखिए :(5)
- काल्पनिक/वास्तविक विमान यात्रा
- यदि में विद्यालय का प्रधानाचार्य होता
- मनचाही पुस्तक
16. ग्रीष्मावकाश में पर्वतीय यात्रा के दौरान आप कुछ दिन के लिए अपने मित्र के घर ठहरे, जहाँ आप की बहुत आवभगत की गई। मित्र के प्रति आभार प्रकट करते हुए एक पत्र लिखिए। (5)
अथवा
आप वन महोत्सव के अवसर पर अपने नगर में वृक्षारोपण करना चाहते हैं। नगर के उद्यान विभाग के अधिकारी को पत्र लिखकर पौधों की व्यवस्था करने के लिए अनुरोध कीजिए।
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Last Year Question Paper Class 10 Hindi A
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