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Class 12 Hindi Core Sample Paper 2025
CBSE Sample Papers Class 12 Hindi Core 2025
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CBSE Sample Papers Class 12 Hindi Core 2025
Class 12 – हिंदी कोर
आदर्श प्रश्न पत्र – 01 (2024-25)
अधिकतम अंक: 80
निर्धारित समय : 3 hours
सामान्य निर्देश:
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए :-
- इस प्रश्न -पत्र तीन खण्ड – खंड- क, ख और ग हैं।
- खंड- क में अपठित बोध पर आधारित प्रश्न पूछे गये हैं। सभी प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।
- खंड- ख में अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्यपुस्तक के आधार पर प्रश्न पूछे गये हैं| कुछ प्रश्नों में आंतरिक विकल्प दिए गये हैं।
- खंड- ग में आरोह भाग – 2 एवं वितान भाग – 2 पाठ्यपुस्तकों के आधार पर प्रश्न पूछे गये हैं। कुछ प्रश्नों में आंतरिक भी विकल्प दिए गये हैं।
खंड क (अपठित बोध)
- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (10)
दबाव में काम करना व्यक्ति के लिए अच्छा है या नहीं, इस बात पर प्रायः बहस होती है। कहा जाता है कि व्यक्ति अत्यधिक दबाव में नकारात्मक भावों को अपने ऊपर हावी कर लेता है, जिससे उसे अक्सर कार्य में असफलता प्राप्त होती है। वह अपना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी खो बैठता है। दबाव को यदि ताक़त बना लिया जाए, तो न सिर्फ सफलता प्राप्त होती है, बल्कि व्यक्ति कामयाबी के नए मापदंड रचता है। ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं जब लोगों ने अपने काम के दबाव को अवरोध नहीं, बल्कि ताक़त बना लिया। ‘सुख-दुख, सफलता-असफलता, शान्ति-क्रोध और क्रिया-कर्म हमारे दृष्टिकोण पर ही निर्भर करता है।’ जोस सिल्वा इस बात से सहमत होते हुए अपनी पुस्तक ‘यू द हीलर’ में लिखते हैं। कि मन-मस्तिष्क को चलाता है और मस्तिष्क शरीर को। इस तरह शरीर मन के आदेश का पालन करता हुआ काम करता है।
दबाव में व्यक्ति यदि सकारात्मक होकर काम करे, तो वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में कामयाब होता है। दबाव के समय मौजूद समस्या पर ध्यान केंद्रित करने और बोझ महसूस करने की बजाय यदि यह सोचा जाए कि हम अत्यंत सौभाग्यशाली हैं, जो एक कठिन चुनौती को पूरा करने के लिए तत्पर हैं, तो हमारी बेहतरीन क्षमताएँ स्वयं जागृत हो उठती हैं। हमारा दिमाग़ जिस चीज़ पर भी अपना ध्यान केंद्रित करने लगता है, वह हमें बढ़ती प्रतीत होती है। यदि हम अपनी समस्याओं के बारे में सोचेंगे, तो वे और बड़ी होती महसूस होंगी। अगर अपनी शक्तियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे, तो वे भी बड़ी महसूस होंगी। इस बात को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि जीतना एक आदत है, पर अफ़सोस ! हारना भी आदत ही है।
(i) दबाव में काम करते समय किस चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने से व्यक्ति अपनी बेहतरीन क्षमताओं को जागृत कर सकता है? (1)
क) समस्याओं पर
ख) दबाव पर
ग) बोझ पर
घ) चुनौती को पूरा करने पर
(ii) जोस सिल्वा की पुस्तक का नाम क्या है? (1)
क) ‘यू द हीलर’
ख) ‘द पावर ऑफ माइंड’
ग) ‘माइंड कंट्रोल’
घ) ‘सक्सेस मंत्रा’
(iii) दबाव को ताक़त में बदलने पर क्या परिणाम प्राप्त होता है? (1)
क) मानसिक तनाव बढ़ता है
ख) स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है
ग) व्यक्ति असफल होता है
घ) व्यक्ति कामयाबी के नए मापदंड रचता है
(iv) दबाव में व्यक्ति नकारात्मक होकर क्या खो देता है? (1)
(v) दबाव को ताक़त बनाने के लिए व्यक्ति को किस दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए? (2)
(vi) जोस सिल्वा के अनुसार मन-मस्तिष्क और शरीर के बीच क्या संबंध है? (2)
(vii) दबाव में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपने दिमाग़ को कैसे संचालित करना चाहिए? (2) - निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: (8)
यादें होती हैं गहरी नदी में उठी भँवर की तरह
नसों में उतरती कड़वी दवा की तरह
या खुद के भीतर छिपे बैठे साँप की तरह
जो औचक्के में देख लिया करता है
यादें होती हैं जानलेवा खुशबू की तरह
प्राणों के स्थान पर बैठे जानी दुश्मन की तरह
शरीर में धंसे उस काँच की तरह
जो कभी नहीं दिखता
पर जब-तब अपनी सत्ता का
भरपूर एहसास दिलाता रहता है
यादों पर कुछ भी कहना
खुद को कठघरे में खड़ा करना है
पर कहना मेरी मजबूरी है।
(i) कविता में ‘यादें होती हैं गहरी नदी में उठी भँवर की तरह’ से क्या दर्शाया गया है? (1)
क) यादों की अस्थिरता
ख) यादों की गहराई
ग) यादों की स्थिरता
घ) यादों की मिठास
(ii) कविता में ‘काँच की तरह’ से यादों का क्या स्वरूप बताया गया है? (1)
क) स्पष्ट और चमकदार
ख) खतरनाक और अस्पष्ट
ग) अदृश्य लेकिन महसूस करने योग्य
घ) सुंदर और आकर्षक
(iii) ‘यादों पर कुछ भी कहना खुद को कठघरे में खड़ा करना है’ का क्या अर्थ है? (1)
क) यादें कभी भी आसानी से बयां नहीं की जा सकतीं
ख) यादों का विवरण व्यक्तिगत आलोचना को आमंत्रित करता है
ग) यादें हमेशा सकारात्मक होती हैं
घ) यादें केवल खुशियों की होती हैं
(iv) कविता में ‘जानलेवा खुशबू’ से यादों का क्या संकेत मिलता है? (1)
(v) कविता में ‘नसों में उतरती कड़वी दवा’ और ‘शरीर में धंसे उस काँच’ के माध्यम से यादों के किस गुण का वर्णन किया गया है? (2)
(vi) कविता के अनुसार, यादों पर कुछ भी कहना क्यों लेखक की मजबूरी है? (2)
खंड- ख (अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्यपुस्तक के आधार पर )
- दिए गए तीन विषयों में से किसी एक विषय पर आधारित लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेखन लिखिए।
- मनुष्य और परोपकार विषय पर रचनात्मक लेख लिखिए।
- तकनीकी विकास विषय पर रचनात्मक लेख लिखिए।
- खेल में मेरी रुचि विषय पर रचनात्मक लेख लिखिए।
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: (2 X 4 = 8)
- पेज थ्री पत्रकारिता क्या है?
- बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में क्या अंतर है? स्पष्ट कीजिए।
- संपादकीय का महत्त्व समझाइए।
- नाटक की भाषा-शैली कैसी होनी चाहिए?
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये: (4 X 2 = 8)
- विशेष लेखन के पाठकों की विशेषता लिखिए?
- समाचार लेखन के छह ककारों का उल्लेख करते हुए बताइए कि समाचार के मुखड़े में कौन-से ककारों को शामिल किया जाता है।
- फ़ीचर लेखन और समाचार लेखन की शैली में क्या अंतर है? किन्हीं तीन बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए।
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: (2 X 4 = 8)
खंड- ग (आरोह भाग – 2 एवं वितान भाग-2 पाठ्यपुस्तकों के आधार पर)
- अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्नलता है
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।- बच्चे नीड़ से किसलिए झाँक रहे होंगे?क) बाहर घूमने के कारणख) प्रकृति का आनंद लेने के कारणग) भूखा होने के कारणघ) माता-पिता की प्रतीक्षा के कारण
- चिड़िया अपने बच्चों के लिए चिंतित है, यह कैसे स्पष्ट होता है?क) बहुत दूर तक उड़ने सेख) चिड़िया की उड़ान की गति सेग) चिड़िया के मंद गति से उड़ने सेघ) चिड़िया द्वारा बच्चों को अकेला छोड़ने से
- प्रस्तुत काव्यांश में कवि किससे प्रभावित होता है?क) अपनी प्रिय सेख) चिड़िया के बच्चों सेग) प्रकृति की अनुपम महिमा सेघ) चिड़िया के परों की चंचल गति से
- कवि के पैरों की गति को कौन-सा भाव शिथिल कर देता है?क) बच्चों की व्याकुलताख) कवि से मिलने को किसी का व्याकुल न होनाग) चिड़िया की तीव्र उड़ानघ) समय का तीव्रगति से व्यतीत होना
- दिन जल्दी-जल्दी ढलता है पंक्ति के माध्यम से किसके महत्त्व को दर्शाया गया है?क) बच्चे केख) कवि केग) समय केघ) चिड़िया के
- बच्चे नीड़ से किसलिए झाँक रहे होंगे?
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
- कवि उमाशंकर जोशी को खेत का रूपक अपनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
- तुलसीदास के सवैया के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि उन्हें भी जातीय भेदभाव का दबाव झेलना पड़ा था।
- बात सीधी थी पर कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
- पतंग लूटने में खतरनाक परिस्थितियों का सामना करके बच्चे चुनौतियों का सामना करना सीखते हैं- इस कथन पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- कैमरे में बंद अपाहिज कविता के आधार पर लिखिए कि अपाहिज व्यक्ति की शब्दहीन पीड़ा को मीडियाकर्मी किस प्रकार अभिव्यक्त करना चाहता है। क्या वह अपने उद्देश्य में सफल हो पाता है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
- अस्थिर सुख पर दुख की छाया पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों? बादल राग कविता के आधार पर बताइए।
- अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
यह विडंबना की ही बात है, कि इस युग में भी ‘जातिवाद’ के पोषकों की कमी नहीं है। इसके पोषक कई आधारों पर इसका समर्थन करते हैं। समर्थन का एक आधार यह कहा जाता है, कि आधुनिक सभ्य समाज ‘कार्य-कुशलता’ के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक मानता है और चूँकि जाति-प्रथा भी श्रम विभाजन का ही दूसरा रूप है इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है। इस तर्क के संबंध में पहली बात तो यही आपत्तिजनक है, कि जाति-प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक-विभाजन का भी रूप लिए हुए है। श्रम विभाजन, निश्चय ही सभ्य समाज की आवश्यकता है, परंतु किसी भी सभ्य समाज में श्रम विभाजन की व्यवस्था श्रमिकों का विभिन्न वर्गों में अस्वाभविक विभाजन नहीं करती। भारत की जाति-प्रथा की एक और विशेषता यह है कि यह श्रमिकों का अस्वाभाविक विभाजन ही नहीं करती, बल्कि विभाजित विभिन्न वर्गों को एक-दूसरे की अपेक्षा ऊँच-नीच भी करार देती है, जोकि विश्व के किसी भी समाज में नहीं पाया जाता।- जातिवाद के पोषकों द्वारा श्रम-विभाजन किसका दूसरा रूप माना जाता है?क) बाल विवाह प्रथा काख) जाति-प्रथा काग) मजदूरी प्रथा काघ) समरसता का
- कौन-सा समाज कार्य-कुशलता के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक मानता है?क) सभ्य सनातनी समाजख) आदि मानव समाजग) असभ्य समाजघ) सभ्य आधुनिक समाज
- भारत की जाति-प्रथा की क्या विशेषता बताई गई है?
- यह श्रमिकों का अस्वाभाविक विभाजन करती है
- विभाजित विभिन्न वर्गों को एक-दूसरे को ऊँच-नीच बताना
- (i) और (ii) दोनों
- सभी को समान अधिकार देना
क) विकल्प (iv)ख) विकल्प (ii)ग) विकल्प (i)घ) विकल्प (iii) - गद्यांश में आए विडंबना शब्द से क्या अभिप्राय है?क) गंभीरताख) अपेक्षाग) आडम्बरघ) उपहास
- गद्यांश के अनुसार कोई भी सभ्य समाज क्या नहीं करता है?क) कट्टर नियमों और सिद्धांतों का पालन करनाख) श्रमिकों का विभिन्न श्रेणियों में अस्वाभाविक विभाजनग) सभी विकल्प सही हैंघ) सभी को रोजगार के अवसर प्रदान करना
- जातिवाद के पोषकों द्वारा श्रम-विभाजन किसका दूसरा रूप माना जाता है?
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
- पहलवान की ढोलक पात्र के आधार पर लुट्टन का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी, पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुष्टि कीजिए।
- कोमल और कठोर दोनों भाव किस प्रकार गांधीजी के व्यक्तित्व की विशेषता बन गए। शिरीष के फूल पाठ के आधार बताइए।
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
- लेखक बाज़ार को किस रूप में देखता है? क्या आप उसके निष्कर्ष से सहमत हैं?
- काले मेघा पानी दे पाठ के आधार पर सूखा पड़ जाए तो लोगों के सामने किस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो जाती है?
- लेखक भीमराव रामजी आंबेडकर के मत से दासता की व्यापक परिभाषा क्या है?
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
- सिल्वर वैडिंग वर्तमान युग में बदलते जीवन-मूल्यों की कहानी है। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- जूझ कहानी प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच संघर्ष की कहानी है। सिद्ध कीजिए।
- मोहनजो-दड़ो की सभ्यता और संस्कृति का सामान भले अजायबघरों की शोभा बढ़ा रहा हो, शहर जहाँ था अब भी वहीं है, कैसे? अतीत में दबे पाँव के आधार पर समझाइए।
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Class 12 – हिंदी कोर
आदर्श प्रश्न पत्र – 01 (2024-25)
उत्तर
खंड क (अपठित बोध)
- घ) चुनौती को पूरा करने पर
- क) ‘यू द हीलर’
- घ) व्यक्ति कामयाबी के नए मापदंड रचता है
- दबाव में व्यक्ति नकारात्मक होकर अपना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य खो बैठता है।
- दबाव को ताक़त बनाने के लिए व्यक्ति को यह सोचना चाहिए कि वह सौभाग्यशाली है जो एक कठिन चुनौती को पूरा करने के लिए तत्पर है। उसे समस्या पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय अपनी शक्तियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- जोस सिल्वा के अनुसार मन मस्तिष्क को चलाता है और मस्तिष्क शरीर को। इस प्रकार शरीर मन के आदेश का पालन करता हुआ काम करता है।
- दबाव में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपने दिमाग़ को सकारात्मक सोच पर केंद्रित करना चाहिए और अपनी बेहतरीन क्षमताओं को जागृत करने के लिए समस्याओं की बजाय अपनी शक्तियों पर ध्यान देना चाहिए।
- i) ख) यादों की गहराई
(ii) ग) अदृश्य लेकिन महसूस करने योग्य
(iii) ख) यादों का विवरण व्यक्तिगत आलोचना को आमंत्रित करता है
(iv) ‘जानलेवा खुशबू’ से यादों का संकेत है कि वे अत्यंत प्रभावशाली और हानिकारक हो सकती हैं, जो कभी भी हानिकारक परिणाम ला सकती हैं।
(v) ‘नसों में उतरती कड़वी दवा’ और ‘शरीर में धंसे उस काँच’ के माध्यम से यादों की गहराई और उनका दर्दनाक प्रभाव दर्शाया गया है। ये यादें स्थायी और परेशान करने वाली होती हैं।
(vi) कविता के अनुसार, यादों पर कुछ भी कहना लेखक की मजबूरी है क्योंकि ऐसा करने से वे खुद को कठघरे में खड़ा महसूस करते हैं और यह उनके लिए एक कठिन और भावनात्मक चुनौती है।
खंड- ख (अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्यपुस्तक के आधार पर )
- दिए गए तीन विषयों में से किसी एक विषय पर आधारित लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेखन लिखिए।
- मनुष्य और परोपकार, ये दो शब्द जब एक-दूसरे से मिलते हैं, तो एक महान और प्रभावशाली संबंध का जन्म होता है। मनुष्य, अपनी अद्वितीयता और बुद्धि के कारण, इस पृथ्वी पर एक विशेष प्राणी है। उसकी मानसिकता, भावनाएँ और संवेदनशीलता उसे अन्य प्राणियों से अलग बनाती है। और इस मानवता की विशेषता को प्रकट करने का सबसे सच्चा और अच्छा तरीका है परोपकार। परोपकार, दूसरों के दुखों को समझना और उन्हें दूर करने की क्षमता है। यह मानवता की उच्चतम भावना है जो हमें अपने स्वार्थ के परे, समाज की सेवा में जुटने की प्रेरणा देती है। परोपकार एक अद्वितीय और स्वार्थहीन भावना है जो हमें एक-दूसरे के सहयोग और समृद्धि की ओर ले जाती है। इसके माध्यम से हम समाज में एकता, सहयोग और प्रेम का आदान-प्रदान करते हैं और एक बेहतर और समृद्ध समाज की संभावना को साकार करते हैं।
- तकनीकी विकास आधुनिक समय की एक महत्वपूर्ण और रुचिकर विषय है। विज्ञान और तकनीक के प्रगतिशील उद्धव से जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव आया है। यह विकास समाज, अर्थव्यवस्था, व्यापार, संचार, और नगरीकरण को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। तकनीकी विकास के प्रमुख लाभों में समय की बचत, कार्य क्षमता और उत्पादकता में वृद्धि, नवीनता और आवास के अवसर, और विश्वसनीय संचार साधनों की उपलब्धता शामिल होती है। तकनीकी उन्नति द्वारा, हमने सौर ऊर्जा, जल संचयन, जीवन को सुखद बनाने के लिए उच्चकोटि के उपकरणों और सुविधाओं का विकास किया हैं।
हालांकि, तकनीकी विकास के साथ-साथ चुनोतियाँ भी हैं। उनमें विशेष रूप से प्राकृतिक संसाधनों की कमी, प्रदूषण, तकनीकी बाधाएँ, उचित उपयोग और नैतिक मुद्दे शामिल हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए, संगठित नीतियों और मानवीय मूल्यों का सम्मान करना आवश्यक होता है। तकनीकी विकास को जनहित में उपयोगी बनाने के लिए, सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय पहलू पर ध्यान देना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करेगा कि हम समृद्ध, सुरक्षित और स्थायी भविष्य का निर्माण करें। - खेल में मेरी रुचि खेल एक ऐसी गतिविधि है जो मेरी जीवन में अहम भूमिका निभाती है। खेलना मेरी प्रिय रुचि है, जो मुझे आनंद, स्वास्थ्य, और सकारात्मकता की अनुभूति प्रदान करती है। खेल मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो मुझे स्वतंत्रता, संगठन, सहयोग, और सामरिक भावनाओं की सीख सिखाता है।
जब मैं खेलता हूँ, मेरा मनोवैज्ञानिक तनाव कम हो जाता है और मैं एक स्थिर और चित्तशांत अवस्था में पहुँचता हूँ। खेल मेरे शरीर को स्वस्थ और मजबूत रखने के साथ-साथ मेरे मस्तिष्क को ताजगी और सक्रियता से भर देता है। यह मेरे जीवन की ऊर्जा को बढ़ाता है और मुझे खुद को पूरी तरह से मेंटली और एमोशनली बैलेंस्ड महसूस करने की क्षमता प्रदान करता है।
खेल मेरी टीम बनाने की क्षमता को विकसित करता है और मुझे सहयोग, संगठन, और अनुकरणीयता का महत्व सिखाता है। मैं खेल के माध्यम से नए मित्र बनाता हूँ और साझा अनुभवों से विश्वास और समर्पण विकसित करता हूँ।
खेल मेरे जीवन को एक दिशा और उद्दीपन देता है। यह मुझे नई चुनौतियों का सामना करने और स्वयं को परखने का अवसर प्रदान करता है। खेल में मेरी रुचि मेरी संतुलित विकास को प्रोत्साहित करती है और मुझे एक निर्णायक और सक्रिय जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: (2 X 4 = 8)
- इसका तात्पर्य ऐसी पत्रकारिता से है जिसमें फैशन, अमीरों की पार्टियों, महफ़िलों और जाने-माने लोगों के निजी जीवन के बारे में बताया जाता है। यह आमतौर पर समाचार-पत्रों के पृष्ठ तीन पर प्रकाशित होती है। इसलिए इसे पेज थ्री पत्रकारिता कहते हैं।
- बीट रिपोर्टिंग में पत्रकार एक विशेष क्षेत्र में काम करता है और उस क्षेत्र के विषयों पर नियमित रिपोर्ट तैयार करता है, जबकि विशेषीकृत रिपोर्टिंग में पत्रकार एक विशेष विषय या मुद्दे पर विशेषज्ञता रखता है और उस पर विस्तृत लेख और रिपोर्ट तैयार करता है। बीट रिपोर्टिंग में पत्रकार अपने बीट क्षेत्र पर जानकारी को लेकर काम करता है, जबकि विशेषीकृत रिपोर्टिंग में पत्रकार विशेष मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- एक अच्छा संपादकीय किसी विषय या मुद्दे पर संपादक द्वारा प्रस्तुत उसके विचारों की सजग एवं ईमानदार प्रस्तुति है। संक्षिप्तता, विश्वसनीयता, तथ्यपरकता, निष्पक्षता एवं रोचकता एक अच्छे संपादकीय का महत्त्व है।
- नाटक की भाषा-शैली निम्नलिखित प्रकार की होनी चाहिए :-
- नाटक की भाषा-शैली सरल और सहज होनी चाहिए।
- इसकी भाषा-शैली स्वाभाविक तथा प्रसंगानुकूल होनी चाहिए।
- इसकी भाषा-शैली पात्रानुकूल होनी चाहिए।
- इसकी भाषा-शैली विषयानुकूल होनी चाहिए।
- इसकी भाषा-शैली संवादों के अनुकूल होनी चाहिए।
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये: (4 X 2 = 8)
- विशेष लेखन को सभी पाठक नहीं पढ़ते, प्रत्येक विषय का पाठक वर्ग अलग होता है जैसे समाचार पत्र में कारोबार औए व्यापार का पन्ना कम पाठक पढ़ते हैं लेकिन जो पाठक पढ़ते है उनकी संख्या सामान्य पाठकों से ज्यादा होती है और उनकी उम्मीद होती है कि उनको उनके विषय की ज्यादा से ज्यादा जानकारी मौजूदा समय के हिसाब से मिले।
- समाचार लेखन के मुखड़े में निम्नलिखित छह ककारों को शामिल किया जाता है:
- स्वर्णमुद्रा: समाचार की महत्वपूर्ण बातें या मुख्य विवरणों को प्रधानता देता है। इसे मुख्य शीर्षक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- सँगठनकारी लेखारंभ: यह लेख मुख्य विषय, घटना या मुद्दे की परिचय देता है और पाठकों की ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
- समयसार: यह बताता है कि जब और कहां घटना हुई है। इसे अक्सर लेख के शुरू में प्रयोग किया जाता है।
- संदर्भांक: यह लेख के मध्य या अंत में प्रयोग किया जाता है और अधिक विवरण उपलब्ध कराता है, जैसे विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया या संदर्भ सामग्री।
- शीर्ष सूचकांक: इसे आमतौर पर सामान्य सूचना, विशेष विषय या आवश्यक विवरण के लिए प्रयोग किया जाता है।
- तिथि लाइन: यह बताता है कि आवृत्ति कब प्रकाशित हुई है और किस दिन की खबर को यह संबंधित होती है।
- फीचर लेखन और समाचार लेखन दो अलग-अलग लेखन शैलियों हैं। पहला अंतर है विषय परिप्रेक्ष्य का, जहाँ फ़ीचर लेखन व्यापक विचारों, व्यक्तिगत अनुभवों और मतों का प्रकटीकरण करता है, जबकि समाचार लेखन घटनाओं और तथ्यों को संक्षेप में प्रस्तुत करता है। दूसरा अंतर है लेखन की भाषा में, जहाँ फ़ीचर लेखन क्रियात्मक और उत्कृष्ट भाषा का प्रयोग करता है, जबकि समाचार लेखन निष्पक्ष और सार्वजनिक भाषा में होता है। तीसरा अंतर है लेखन के उद्देश्य में, जहाँ फ़ीचर लेखन मनोरंजन, विचारशीलता और प्रेरणा प्रदान करता है, जबकि समाचार लेखन न्यूज़ की प्रस्तुति और जागरूकता में महत्वपूर्ण होता है।
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: (2 X 4 = 8)
खंड- ग (आरोह भाग – 2 एवं वितान भाग-2 पाठ्यपुस्तकों के आधार पर)
- (घ) माता-पिता की प्रतीक्षा के कारण
व्याख्या: माता-पिता की प्रतीक्षा के कारण - (ख) चिड़िया की उड़ान की गति से
व्याख्या: चिड़िया की उड़ान की गति से - (ख) चिड़िया के बच्चों से
व्याख्या: चिड़िया के बच्चों से - (ख) कवि से मिलने को किसी का व्याकुल न होना
व्याख्या: कवि से मिलने को किसी का व्याकुल न होना - (ग) समय के
व्याख्या: समय के
- (घ) माता-पिता की प्रतीक्षा के कारण
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
- कवि का उद्देश्य कवि-कर्म को महत्ता देना है। वह कहता है कि काव्य रचना बेहद कठिन कार्य है। चिंतन के बाद कोई विचार उत्पन्न होता है। तथा कल्पना के सहारे उसे विकसित किया जाता है। इसी प्रकार खेती में बीज बोने से लेकर फसल कटाई तक बहुत परिश्रम किया जाता है। इसलिए कवि को खेत का रूपक अपनाने की जरूरत पड़ी।
- तुलसीदास जी ने अपने सवैये में कहा है कि
“धूत कहौ, अवधूत कहौ,
रजपूतु कहौ, जोलहा कहौ कोऊ।
काहू की बेटी सों बेटा न ब्याहब,
काहू की जाति बिगार न सोऊ।।”
वस्तुतः तुलसीदास जी सामाजिक यथार्थ एवं जातिगत ताने-बाने से अच्छी तरह परिचित थे। उन्होंने इस जाति व्यवस्था को लगभग पूरी तरह से नकार दिया। उन्हें कोई राजपूत कहे या जुलाहा, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था। जातिप्रथा का सबसे मजबूत रूप विवाह जैसी प्रथा में दिखता है, जहाँ अपनी जाति से बाहर निकलना एक तरह से सामाजिक ‘निषेध’ ही माना जाता है। तुलसीदास स्वयं जातीय भेदभाव को नकारने के बावजूद उसका दबाव महसूस करते हैं। यही कारण है कि वे कहते हैं कि किसी की बेटी के साथ अपने बेटे का विवाह करके किसी की जाति को बिगाड़ना नहीं चाहते हैं। जो जिस रूप में है, वह उसी रूप में खुश रहे, संतुष्ट रहे, लेकिन वे स्वयं को शोषक जाति व्यवस्था से बाहर मानते हैं। - इस कविता में कवि ने कथ्य और माध्यम के द्वंद्व को उकेरा है तथा भाषा की सहजता की बात कही है। हर बात के लिए कुछ ख़ास शब्द नियत होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हर पेंच के लिए एक निश्चित खाँचा होता है। इसलिए कवि का कहना है कि भाषा का प्रदर्शन नहीं करना चाहिये। घूमा-फिरा कर आलंकारिक रूप से कही गयी बात साधारण लोगों को एक बार में समझ नहीं होती।
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
- पतंग लुटने की प्रक्रिया में खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने वाले बच्चे जीवन में नई चुनौतियों का सामना करना सीखते हैं, वे पहले से अधिक निडर हो जाते हैं तथा उनके अंदर आत्मविश्वास भी बढ़ जाता है। उसी प्रकार जीवन के लक्ष्यों को पाने की कोशिश में हम कई बार गिरते, फिसलते और निराश होते हैं फिर भी अपनी लगन कम नहीं होने देते अंततः हमें अपना लक्ष्य प्राप्त करने में सफलता हासिल होती है, उसी प्रकार जीवन के रणक्षेत्र में संघर्ष करने की प्रवृत्ति हमें सामान्यतया खेलों के माध्यम से ही प्राप्त होती है। पतंग उड़ाना एवं लूटना भी एक प्रकार का खेल ही है, जिसमें बच्चे विषम परिस्थितियों का सामना दृढ़ता से करके जुझारूपन पैदा करते हैं, यह जुझारूपन ही उनके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करता है तथा जीवन में संघर्ष करने एवं अपनी सफलता के प्रति आश्वस्त होने की ललक पैदा करता है।
- मीडियाकर्मी अपाहिज व्यक्ति की शब्दहीन पीड़ा को उसकी लाल सूजी हुई आँख और होंठों पर विद्यमान कसमसाहट के माध्यम से व्यक्त करना चाहता है। वह अपने इस उद्देश्य में सफल नहीं हो पाता है क्योंकि प्रसारण का समय समाप्त हो जाता है।
- कवि ने समाज में पूँजीपतियों द्वारा किए गए अत्याचार तथा शोषण को दुख की छाया बताया है। इस शोषण का शिकार प्रायः मज़दूर तथा कमज़ोर वर्ग होते हैं। उनके पास सुख नाममात्र के हैं। इसलिए कवि ने उनके सुख को क्षणिक, चंचल और अस्थिर बताया है। सुख अपनी चमक दिखाकर समाप्त हो जाता हैं। यह सुख कुछ पल के लिए भी नहीं रूक पाता है क्योंकि शोषण तथा अत्याचार इन वर्ग के लोगों को जीने नहीं देते हैं। शोषण के कारण गरीब और गरीब होता जा रहा है।
- (ख) जाति-प्रथा का
व्याख्या: जाति-प्रथा का - (घ) सभ्य आधुनिक समाज
व्याख्या: सभ्य आधुनिक समाज - (घ) विकल्प (iii)
व्याख्या: यह श्रमिकों का अस्वाभाविक विभाजन करती है और विभाजित विभिन्न वर्गों को एक-दूसरे को ऊँच-नीच बताना - (घ) उपहास
व्याख्या: उपहास - (ख) श्रमिकों का विभिन्न श्रेणियों में अस्वाभाविक विभाजन
व्याख्या: श्रमिकों का विभिन्न श्रेणियों में अस्वाभाविक विभाजन
- (ख) जाति-प्रथा का
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
- लुट्टन पहलवान के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
- व्यक्तित्व- लुट्टन सिंह लंबा-चौड़ा व ताकतवर व्यक्ति था। वह लंबा चोगा व अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधता था, नौ वर्ष की आयु में उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी। उसका पालन-पोषण विधवा सास ने किया थीं।
- भाग्यहीन- लुट्टन का भाग्य शुरू से ही खराब था। बचपन में माता-पिता गुजर गए। पत्नी युवावस्था में ही चल बसी थी। गाँव की महामारी की भेंट उसके दोनों लड़के चढ़ गए।
- साहसी- लुट्टन साहसी था। उसने चाँद सिंह जैरो पहलवान को चुनौती दी तथा उसे हराया। ‘काला खाँ’ जैसे पहलवान को भी चित कर दिया। महामारी में भी वह सारी रात ढोल बजाता था।
- संवेदनशील- लुट्टन में संवेदना थी। वह अपनी सास पर हुए अत्याचारों को सहन नहीं कर सका और पहलवान बन गया। गाँव में महामारी के समय निराशा का माहौल था। ऐसे में वह रात में ढोल बजाकर लोगों में जीने के लिए उत्साह पैदा करता था।
- ‘भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी’- इसे इस उदाहरण के आधार पर प्रमाणित किया जा सकता है कि वह जिस बात को मानती थी, उसे पूरी शक्ति से कहती थी। जब उससे पूछा गया कि वह घर में इधर-उधर रखे पैसों को मटकी में क्यों डालती है? यह तो चोरी है, तो इसका प्रत्युत्तर देते हुए उसने कहा कि यह तो पैसा सँभालकर रखना है। इसके लिए वह तर्क करने को भी तैयार है। इसी प्रकार, अपने केश मुंडाने को लेकर भी वह शास्त्रों का हवाला देती है। पढ़ाई-लिखाई से बचने के लिए भी वह अचूक तर्क देती है कि “हमारी मालकिन रात-दिन किताबों में गड़ी रहती हैं। अब मैं भी पढ़ने लगूँ, तो घर-गृहस्थी कौन देखेगा?” इस प्रकार कहा जा सकता है कि भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी।
- गांधी जी ने जन सामान्य की पीड़ा से द्रवित होकर देश को आजाद करने का बीड़ा उठाया जो उनके कोमल स्वभाव का परिचायक था वहीं अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ़ वे वज्र की भांति तनकर खड़े हो जाते थे जो उनकी कठोरता का प्रतीक था। एक ओर गांधी जी के मन में सत्य, अहिंसा जैसे कोमल भाव थे तो दूसरी ओर अनुशासन के मामले में वे बड़े ही कठोर थे। तत्कालीन वाह्य परिस्थितियों से अक्षुण्ण रहकर सत्य एवं अहिंसा के रास्ते पर चलते रहे। अत: हम कह सकते हैं कि कोमल और कठोर दोनों भाव गांधीजी के व्यक्तित्व की विशेषता बन गए।
- लुट्टन पहलवान के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
- लेखक बाज़ार को एक जादू के रूप में देखता है। उसका मानना है कि जिस प्रकार चुंबक का जादू लोहे पर ही चलता है, वैसे ही बाज़ार के जादू का असर तब भरपूर मात्रा में होता है, जब व्यक्ति की जेब तो भरी हो पर मन खाली हो या फिर जेब खाली हो और मन भरा न हो। यदि मन खाली होता है, तो अनेक प्रकार की वस्तुएँ व्यक्ति को आमंत्रित करती रहेंगी। यह सब बाजार के जादू का ही असर है। लेखक ने बाज़ार के इसी जादू की जकड़ से बचने के लिए जो रास्ता बताया है वह बिलकुल सही है। वह रास्ता है कि व्यक्ति को बाजार तभी जाना चाहिए, जब उसे अपनी आवश्यकता के बारे में पूर्ण जानकारी हो, बिलकुल भगत जी की तरह, क्योंकि अपनी आवश्यकता का ज्ञान होने पर ही हम बाज़ार को तथा बाज़ार हमें वास्तविक लाभ दे पाएगा।
- यदि सूखा पड़ जाए तो जन-जीवन अत्यंत दयनीय हो जाता है। गर्मी अपना भयावह रूप दिखाती है। शहरों में लोग गर्मी के कारण तड़पने लगते हैं। नलों में पानी की एक भी बूँद नज़र नहीं आती है। गाँवों में खेतों की मिट्टी सूखकर पपड़ी बन जाती है। लू के प्रभाव के कारण व्यक्ति तथा पशु-पक्षी सभी बीमार पड़ जाते हैं। पानी के अभाव में पशु भी मरने लगते हैं और पर्याप्त मात्रा में पानी न मिलने से खेतों में अन्न की उपज भी नहीं हो पाती, जिसके कारण भुखमरी फैल सकती है।
- लेखक के अनुसार दासता केवल कानूनी पराधीनता नहीं है बल्कि इसकी व्यापक परिभाषा तो व्यक्ति को अपना पेशा चुनने की आज़ादी न देना अथवा अपने मनोनुकूल आचरण न करने देना है। सामाजिक दासता वह स्थिति है जिसमें कुछ व्यक्तियों को दूसरे लोगों के द्वारा तय किए गए व्यवहार और कर्तव्यों का पालन करने के लिए विवश होना पड़ता है। अपनी इच्छा के विरुद्ध मजबूरी में दूसरे लोगों द्वारा निर्धारित पेशा अपनाना पड़ता हैं।
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
- सिल्वर वैडिंग कहानी वर्तमान युग में बदलते जीवन-मूल्यों की कहानी है। इस कहानी में यशोधर पंत प्राचीन मूल्यों के प्रतीक हैं। इसके विपरीत उनकी संतान नए युग का प्रतिनिधित्व करती है। दोनों पीढ़ियों के अपने-अपने जीवन मूल्य हैं। यशोधर के बच्चे वर्तमान समय के बदलते जीवन-मूल्यों की झलक दिखलाते हैं। नई पीढ़ी जन्म-दिन, सालगीरह आदि पर केक काटने में विश्वास रखती है। नई पीढ़ी तेज़ी से आगे बढ़ना चाहती है। इसके लिए वे परंपरागत व्यवस्था को छोड़ने में संकोच नहीं करते।
यशोधर बाबू परंपरा से जुड़े हुए हैं। वे सादगी का जीवन जीना चाहते हैं। संग्रह वृत्ति, भौतिक चकाचौंध से दूर, वे आत्मीयता, सामूहिकता के बोध से युक्त हैं। इन सबके कारण वे भौतिक संसाधन नहीं एकत्र कर पाते। फलतः वे घर में ही अप्रासांगिक हो जाते हैं। उनकी पत्नी बाहरी आवरण को बदल पाती है, परंतु मूल संस्कारों को नहीं छोड़ पाती। बच्चों की हठ के सम्मुख वह मॉडर्न बन जाती है। समय के साथ-साथ मूल्य भी बदलते जा रहे हैं। - यह कहानी एक किशोर की स्वयं के जीवन के यथार्थ एवं मार्मिक गाथा है। इस कहानी में एक किशोर को पिता के तानाशाही एवं नासमझ रवैये के कारण खेती में लगना पड़ा था। उसका मन पाठशाला के लिए तड़पता था। वह परिस्थितियों से जूझता है। यह एक किशोर को देखे और भोगे गए ग्राम्य जीवन के खुरदरे यथार्थ और परिवेश को विश्वसनीय ढंग से प्रतिबिंबित भी करता है। कथानायक शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई स्तर पर जूझता है। पहले वह घर में संघर्ष करता है, इसके बाद स्कूल में भी उसे पढ़ाई के लिए जूझना पड़ता है। आर्थिक संकट से भी उसे परेशानी उठानी पड़ती है। इन सब संघर्षों के बावजूद वह अपनी पढ़ाई जारी रखता है। वह कविता पाठ करने लगा। गणित में भी वह अव्वल हो गया। इस कारण सभी उसे आनंद कहने लगे थे। लेखक ने आत्मकथा में अपने जीवन संघर्ष को ही व्यक्त किया है। यह कहानी प्रतिकूल परिस्थितियों में संघर्ष की कहानी है। कथानायक को अंत में अपने संघर्ष में सफलता मिलती है।
- मोहन जो-दड़ो की सभ्यता और संस्कृति का सामान अजायबघरों की शोभा बढ़ा रहा होने के बावजूद, शहर वहीं है क्योंकि अतीत में दबे पाँव की वजह से उसका निर्माण और विकास ठीक से नहीं हुआ। यह स्थिति स्थानीय नीतियों, अर्थव्यवस्था, और शहर के नियोजन में कमी के कारण हुई है। इससे उच्चतर जीवन गुणवत्ता और समृद्धि की अपेक्षा अस्थायी रूप से बढ़ती है।
- सिल्वर वैडिंग कहानी वर्तमान युग में बदलते जीवन-मूल्यों की कहानी है। इस कहानी में यशोधर पंत प्राचीन मूल्यों के प्रतीक हैं। इसके विपरीत उनकी संतान नए युग का प्रतिनिधित्व करती है। दोनों पीढ़ियों के अपने-अपने जीवन मूल्य हैं। यशोधर के बच्चे वर्तमान समय के बदलते जीवन-मूल्यों की झलक दिखलाते हैं। नई पीढ़ी जन्म-दिन, सालगीरह आदि पर केक काटने में विश्वास रखती है। नई पीढ़ी तेज़ी से आगे बढ़ना चाहती है। इसके लिए वे परंपरागत व्यवस्था को छोड़ने में संकोच नहीं करते।
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