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Install NowClass 10 Hindi B Sample Papers 2025
The Class 10 Hindi B Sample Papers 2025 bring significant updates to the exam format. This year, the question paper will feature a balanced mix of subjective and objective questions, with a notable shift—50% of the questions will be objective. This change offers students an excellent opportunity to maximize their scores by focusing on both multiple-choice and short-answer questions. While Hindi B is often considered a simpler alternative to the standard Hindi subject in CBSE Class 10, it should not be underestimated. The exam will include real-life situation-based questions that require students to demonstrate practical language application. In the literature section, students will encounter analytical questions that go beyond rote memorization. These questions require critical thinking and a deep understanding of the texts. Students will need to engage thoughtfully with the material, making it essential to practice answering analytical and interpretative questions.
Key Highlights of the Class 10 Hindi B Sample Papers 2025:
- 50% objective questions allow for a more balanced and strategic approach to answering.
- Real-life situation-based questions challenge students to apply language skills in practical scenarios.
- The grammar and writing sections demand thorough practice to ensure accuracy and clarity.
- Literature section includes analytical questions that require a deep understanding of the texts.
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Why Regular Practice with Class 10 Hindi B Sample Papers 2025 is Crucial:
- Boost exam confidence by practicing both objective and subjective question types.
- Strengthen grammar skills and improve your ability to write precise and accurate answers.
- Sharpen critical thinking and problem-solving skills to tackle analytical questions effectively.
To ensure you’re fully prepared, download the Class 10 Hindi B Sample Papers 2025 from myCBSEguide app and myCBSEguide website start practicing today. With consistent effort and focused practice, you can approach your CBSE Hindi B board exam with confidence and achieve your best results. Make your Class 10 Hindi B exam preparation more efficient with myCBSEguide’s sample papers. Download your Hindi B Sample Papers 2025 today and start practicing to ensure a high score in your CBSE board exams. Class 10 Hindi B Sample Papers 2025 are available for free download on the myCBSEguide website, making it easier for students to access high-quality practice material.
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CBSE Sample Papers Class 10 Hindi Course-B 2025
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Key Features of Class 10 Hindi Course-B Sample Papers 2024-25:
- Free PDF downloads of sample papers with detailed solutions.
- Sample papers are designed to closely resemble the real CBSE board exam format.
- NCERT-based questions help you prepare exactly as per the latest syllabus.
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Sample Papers Hindi Course-B Class 10
Class 10 – हिंदी ब
आदर्श प्रश्नपत्र – 01 (2024-25)
अधिकतम अंक: 80
निर्धारित समय : 3 hours
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्नपत्र में चार खंड हैं।
- खंड ‘क’ में 14 अंकों के लिये दो अपठित गद्यांश दिये गये हैं।
- खंड ‘ख’ में 16 अंकों के लिये व्यावहारिक व्याकरण से संबंधित कुल 20 प्रश्न पूछे गये हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ग’ में 28 अंकों के लिये विकल्प सहित पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से विभिन्न प्रश्न पूछे गये हैं। सभी प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।
- खंड ‘घ’ में 22 अंकों के लिये विकल्प सहित रचनात्मक लेखन से संबंधित प्रश्न पूछे गये हैं।
- निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए। यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड क – अपठित बोध
- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
संस्कृतियों के निर्माण में एक सीमा तक देश और जाति का योगदान रहता है। संस्कृति के मूल उपादान तो प्रायः सभी सुसंस्कृत और सभ्य देशों में एक सीमा तक समान रहते हैं, किंतु बाह्य उपादानों में अंतर अवश्य आता है। राष्ट्रीय या जातीय संस्कृति का सबसे बड़ा योगदान यही है कि वह हमें अपने राष्ट्र की परंपरा से संपृक्त बनाती है, अपनी रीति-नीति की संपदा से विच्छिन्न नहीं होने देती। आज के युग में राष्ट्रीय एवं जातीय संस्कृतियों के मिलन के अवसर अति सुलभ हो गए हैं, संस्कृतियों का पारस्परिक संघर्ष भी शुरू हो गया है। कुछ ऐसे विदेशी प्रभाव हमारे देश पर पड़ रहे हैं, जिनके आतंक ने हमें स्वयं अपनी संस्कृति के प्रति संशयालु बना दिया है। हमारी आस्था डिगने लगी है। यह हमारी वैचारिक दुर्बलता का फल है।
अपनी संस्कृति को छोड़, विदेशी संस्कृति के विवेकहीन अनुकरण से हमारे राष्ट्रीय गौरव को जो ठेस पहुँच रही है, वह किसी राष्ट्रप्रेमी जागरूक व्यक्ति से छिपी नहीं है। भारतीय संस्कृति में त्याग और ग्रहण की अद्भुत क्षमता रही है। अत: आज के वैज्ञानिक युग में हम किसी भी विदेशी संस्कृति के जीवंत तत्वों को ग्रहण करने में पीछे नहीं रहना चाहेंगे, किंतु अपनी सांस्कृतिक निधि की उपेक्षा करके नहीं। यह परावलंबन राष्ट्र की गरिमा के अनुरूप नहीं है। यह स्मरण रखना चाहिए कि सूर्य की आलोकप्रदायिनी किरणों से पौधे को चाहे जितनी जीवनशक्ति मिले, किंतु अपनी जमीन और अपनी जड़ों के बिना कोई पौधा जीवित नहीं रह सकता। अविवेकी अनुकरण अज्ञान का ही पर्याय है।- राष्ट्रीय संस्कृति की हमारे प्रति सबसे बड़ी देन क्या है? (1)
(क) वह हमें अच्छा नागरिक बनाती है।
(ख) वह हमें देशभक्ति सिखाती है।
(ग) वह हमें अपने राष्ट्र की परंपरा और रीति-नीति से जोड़े रखती है।
(घ) वह हमें दुश्मनों से लड़ना सिखाती है। - हम अपनी सांस्कृतिक संपदा की उपेक्षा क्यों नहीं कर सकते? (1)
(क) ऐसा करने से पारस्परिक संघर्ष शुरू हो जाएगा।
(ख) ऐसा करने से हम जड़ विहीन पौधे के समान हो जाएँगे।
(ग) ऐसा करने से हम देशद्रोही कहे जाएँगे।
(घ) ऐसा करने से लोग हमें पसंद नहीं करेंगे। - अज्ञान का पर्याय क्या है? (1)
(क) अविवेकी संस्कृति
(ख) अविवेकी संस्कार
(ग) अविवेकी ज्ञान
(घ) अविवेकी अनुकरण - आधुनिक युग में संस्कृतियों पर परस्पर संघर्ष प्रारंभ होने का प्रमुख कारण बताइए। (2)
- हम अपनी संस्कृति के प्रति शंकालु क्यों हो गए हैं? (2)
- राष्ट्रीय संस्कृति की हमारे प्रति सबसे बड़ी देन क्या है? (1)
- निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
सड़क मार्ग से हम आगे बढ़े और सरयू पुल पर से बस्ती जिले की सीमा में प्रवेश किया। हमारा पहला पड़ाव कुशीनगर था मगर हम कुछ देर मगहर में रुके जो कबीर की निर्वाण भूमि है मगर लोगों की फिरकापरस्ती ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है और उन्हें मंदिर और मकबरे में बाँट दिया है। मठ के महंत ने हमारे भोजन की व्यवस्था की और आस-पास के स्कूल और कॉलेज की लड़कियों से मुलाकात भी कराई। उनसे बातचीत कर के हमने जाना कि अब स्थितियाँ बदल गई हैं अब लड़कियों की पढ़ाई और नौकरी पर ध्यान दिया जाता है मगर उनमें सामाजिकता का लोप सा हो गया है अब ब्याह और मरनी-हरनी में एका नजर नहीं आता। गीतों की बात चली तो वहाँ मौजूद पचास-साठ लड़कियों में से किसी को भी लोकगीत याद नहीं थे।
वहाँ से हम कुशीनगर पहुँचे। रात घिरने लगी थी मगर हम पंडरी गाँव के लोगों से मिले। कुशीनगर से लगभग बीस किलोमीटर होने पर भी यहाँ विकास का एक कण भी नहीं पहुँचा था मगर यहाँ के युवा सजग हैं, वे स्वप्रयास से स्कूल भी चलाते हैं। रात को हम बौद्ध मठ में ठहरे। यह मठ किसी शानदार विश्रामगृह से कम नहीं था। सुबह हम केसरिया गाँव गए। सामाजिक और पारिवारिक विघटन के इस दौर में एकमात्र संयुक्त परिवार वहाँ मिला। हमने उनसे बात की। उस परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला के पास तीज-त्योहार, गीत-गवनई की अनुपम थाती थी मगर उनसे सीखने वाला कोई नहीं था। नई पीढ़ी लोक संस्कृति से विरत थी।- कबीर की निर्वाण भूमि कौन-सी है? (1)
(क) बस्ती
(ख) कुशीनगर
(ग) मगहर
(घ) पंडरी - कबीर की किस मेहनत पर पानी फिर गया था? (1)
(क) सांप्रदायिक भेदभाव से ऊपर उठाने की मेहनत
(ख) सामाजिक और पारिवारिक विघटन के बचाने की मेहनत
(ग) लोकगीत याद कराने की मेहनत
(घ) तीज-त्योहार एक साथ मनाने की मेहनत - वर्तमान में मगहर की स्थितियों में क्या बदलाव आ चुका है? (1)
(क) ब्याह और मरनी-हरनी में एका नजर नहीं आता
(ख) सामाजिकता का लोप सा हो गया है
(ग) अब लड़कियों की पढ़ाई और नौकरी पर ध्यान दिया जाता है
(घ) उपरोक्त सभी - लेखक ने पंडरी गाँव की क्या विशेषता बताई? (2)
- केसरिया गाँव में मिले एकमात्र संयुक्त परिवार के बारे में लेखक को क्या पता चला? (2)
- कबीर की निर्वाण भूमि कौन-सी है? (1)
खंड ख – व्यावहारिक व्याकरण
- निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदबंध का नाम लिखिए। (कोई चार प्रश्न)
- ठीक चार बजकर दस मिनट पर सुभाष बाबू जुलूस लेकर आए।
- पिकनिक मनाते हुए हमने बहुत सी अच्छी-अच्छी बातें सीखी।
- समय का सदुपयोग करने वाले लोग कभी असफल नहीं होते।
- रात के समय मैं और मेरी बहन आकाश में तारे देखने छत पर जाते हैं।
- गोपी से सभी प्रभावित हुए क्योंकि वह एक प्रभावशाली लड़की है।
- नीचे लिखें वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण कीजिए-
- बच्चा दौड़ कर मेरे पास आया। वाक्य को संयुक्त वाक्य में बदलिए।
- राम आया और चला गया। वाक्य को सरल वाक्य में बदलिए।
- कमाने वाला खाएगा। वाक्य को मिश्र वाक्य में बदलिए।
- जब मजदूरों ने गड्ढा खोद लिया तब वे चले गए। वाक्य को संयुक्त वाक्य में बदलिए।
- ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी, जिसमें खुला चैलेंज दिया गया हो। (सरल वाक्य में)
- निर्देशानुसार किन्हीं चार प्रश्नों का उत्तर दीजिए और उपयुक्त समास का नाम भी लिखिए।
- यथानियम (विग्रह कीजिए)
- शराहत (विग्रह कीजिए)
- नेक है नाम जिसका (समस्त पद लिखिए)
- कुमारी श्रमणा (समस्त पद लिखिए)
- चार गुनी (समस्त पद लिखिए)
- निम्नलिखित में से किन्हीं चार मुहावरों का वाक्य में प्रयोग इस प्रकार कीजिए कि उनका आशय स्पष्ट हो जाए:
- आड़े हाथों लेना
- लोहे के चने चबाना
- ईद का चाँद होना
- लाल-पीला होना
- मुँह की खाना
खंड ग – गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
- अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
इतिहास में रावण का हाल तो पढ़ा ही होगा। उसके चरित्र से तुमने कौन-सा उपदेश लिया? या यों ही पढ़ गए? महज़ इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं, असल चीज़ है बुद्धि का विकास। जो कुछ पढ़ो, उसका अभिप्राय समझो। रावण भूमंडल का स्वामी था। ऐसे राजाओं को चक्रवर्ती कहते हैं। आजकल अंग्रेज़ों के राज्य का विस्तार बहुत बड़ा हुआ है, पर इन्हें चक्रवर्ती नहीं कह सकते। संसार में अनेक राष्ट्र अंग्रेज़ों का आधिपत्य स्वीकार नहीं करते, बिलकुल स्वाधीन हैं। रावण चक्रवर्ती राजा था, संसार के सभी महीप उसे कर देते थे। बड़े-बड़े देवता उसकी गुलामी करते थे। आग और पानी के देवता भी उसके दास थे, मगर उसका अंत क्या हुआ? घमंड ने उसका नाम-निशान तक मिटा दिया, कोई उसे एक चुलूू पानी देने वाला भी न बचा।- चक्रवर्ती राजा किन्हें कहा जाता था?क) जो चक्र की तरह घूमते हैं।ख) जो सब पर अत्याचार करते हैं।ग) जो भूमंडल का स्वामी होता है।घ) जो चारों ओर जाता है।
- रावण के चरित्र से हमें क्या सीख लेनी चाहिए?क) ईमानदार न होनाख) दयालु होनाग) परोपकारी न होनाघ) घमंडी न होना
- शिक्षा का उद्देश्य क्या होना चाहिए?क) परीक्षा पास कर लेना।ख) बुद्धि का विकास करना।ग) समाज में सफल होना।घ) नौकरी प्राप्त करना।
- मनुष्य को कौन-से कर्म नहीं करने चाहिए?क) अभिमान नहीं करना चाहिए।ख) कुकर्म नहीं करने चाहिए।ग) उपर्युक्त सभीघ) इतराना नहीं चाहिए।
- गद्यांश में आए महीप शब्द का अर्थ होता हैक) रंकख) शक्तिशालीग) राजाघ) महान
- चक्रवर्ती राजा किन्हें कहा जाता था?
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
- 26 जनवरी, 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गईं? डायरी का एक पन्ना पाठ के आधार पर लिखिए।
- गांधीजी आदर्श एवं व्यावहारिकता का समन्वय किस प्रकार करते थे? गिन्नी का सोना पाठ के आधार पर लिखिए।
- ‘कारतूस’ पाठ के आधार पर लिखिए कि जंगल में दूर से आते अनजान सैनिक को देखकर कर्नल और लेफ्टिनेंट ने क्या अनुमान लगाया?
- तीसरी कसम फिल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता क्यों कहा गया है?
खंड ग – काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
- अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी,
मरो, परंतु यों मरो कि याद जो करें सभी।
हुई न यों सुमृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए,
मरा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए।
वही पशु-प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।- कवि ने किसकी मृत्यु को सुमृत्यु माना है?क) परोपकारी मनुष्य कीख) शिक्षित मनुष्य कीग) अमीर मनुष्य कीघ) स्वार्थी मनुष्य की
- कवि के अनुसार पशु-प्रवृत्ति क्या होती है?क) केवल अपने लिए जीनाख) देश के लिए जीनाग) इनमें से कोई नहींघ) दूसरों के लिए जीना
- मरा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए पंक्ति का क्या आशय है?क) जिसकी इच्छाएँ कभी पूरी नहीं होतीं, वह कभी नहीं मरता।ख) जो अपने लिए जीता है, वह कभी नहीं मरता।ग) जो अपना जीवन परोपकार में लगा देता है, वह कभी नहीं मरता।घ) जो पशुओं की भाँति जीता है, वह कभी नहीं मरता।
- अमर कौन हो जाता है?क) परोपकार करने वालाख) तपस्या करने वालाग) पशु के समान जीवन जीने वालाघ) राज करने वाला
- हमारा मरना और जीना कब व्यर्थ है ?क) धनी होने परख) सुमृत्यु होने परग) सुमृत्यु न होने परघ) निर्धन होने पर
- कवि ने किसकी मृत्यु को सुमृत्यु माना है?
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
- मीराबाई ने श्री कृष्ण की रूप माधुरी का वर्णन कैसे किया है? उनके पद के आधार पर बताइए।
- बादलों के उठने तथा वर्षा होने का चित्रण अपने शब्दों में लिखिए।
- ‘फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है’ पंक्ति में किन दो अलग-अलग जश्नों का जिक्र किया गया है? ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता के आधार पर बताइए।
- रवींद्रनाथ ठाकुर ने कलकत्ता (कोलकाता) के निकट एक शिक्षण संस्थान की स्थापना की थी। पुस्तकालय की मदद से उसके विषय में जानकारी एकत्रित कीजिए।
खंड ग – संचयन (पूरक पाठ्यपुस्तक)
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए:
- अंत में हरिहर काका द्वारा जमीन के सन्दर्भ में लिया जाने वाला निर्णय क्या था और वह परिवार के मूल्यों को किस परिस्थिति में प्रभावित करता है और कैसे? यह स्थिति हर व्यक्ति को क्या संदेश प्रदान करती है?
- सपनों के-से दिन पाठ के आधार पर लिखिए कि लेखक को नयी श्रेणी में जाने की प्रसन्नता अन्य विद्यार्थियों की तरह क्यों नहीं होती थी?
- इफ्फन के पिता के तबादले के बाद टोपी शुक्ला का अकेलापन और महंत और भाइयों के दुर्व्यवहार के कारण हरिहर काका का मौन धारण वर्तमान समाज की ऐसी सच्चाई है, जिससे आज बहुत से लोग पीड़ित हैं। इस स्थिति से निकलने में आप ऐसे लोगों को क्या सुझाव देंगे?
खंड घ – रचनात्मक लेखन
- निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिये:
- जैविक (ऑर्गेनिक) खेती : एक कदम प्रकृति की ओर विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।
- समय की माँग
- सकारात्मक प्रभाव
- कठिनाइयाँ, सुझाव
- क्यों आवश्यक है सहनशीलता विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए :
- सहनशीलता का अर्थ
- कब आवश्यक
- क्यों आवश्यक
- मन के हारे हार है, मन के जीते जीत विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।
- सूक्ति का अर्थ
- निराशा अभिशाप
- दृष्टिकोण परिवर्तन
- सकारात्मक सोच
- जैविक (ऑर्गेनिक) खेती : एक कदम प्रकृति की ओर विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।
- अकसर हम सड़क दुर्घटनाओं के विषय में सुनते हैं, जिनका कारण खराब सड़कें भी हैं। सड़कों की दुर्दशा का वर्णन करते हुए किसी हिन्दी समाचार-पत्र के संपादक को लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए।अथवा आप विद्यालय के खेल सचिव हैं। आप नवीं-दसवीं कक्षा के बीच फुटबॉल मैच आयोजित करवाना चाहते हैं, अतः उसकी अनुमति के लिए प्रधानाचार्य को 80-100 शब्दों में पत्र लिखिए।
- आप दसवीं कक्षा के अर्पित/अर्पिता हैं। भोजनावकाश के दौरान खेल के मैदान में आपका ब्लेज़र (कोट) कहीं छूट गया। उससे संबंधित जानकारी देते हुए लगभग 80 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए।अथवा आप तरुणा अरोड़ा/तरुण अरोड़ा हैं और बहुमुखी विकास विद्यालय की प्राचार्या/प्राचार्य हैं। आपके विद्यालय में आगामी सत्र से रोबोटिक्स की कक्षा प्रारंभ होने वाली है। छात्रों को इसकी जानकारी देते हुए लगभग 80 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए।
- एक प्रसिद्ध मोबाइल फ़ोन कंपनी की ओर से लगभग 25-50 शब्दों में विज्ञापन लेखन कीजिए।अथवा आपके पिताजी अपना दो कमरों वाला फ्लैट किराए पर देना चाहते हैं। फ्लैट और उससे संबंधित जानकारी देते हुए लगभग 60 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
- अपने प्रधानाचार्य abcschool@gmail.com को इमेल लिखिए जिसमें अन्य विद्यालय से फ़ुटबॉल मैच खेलने की अनुमति माँगी गई हो।अथवा बहादुर रामू विषय पर लगभग 100 शब्दों में कहानी लिखिए।
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Class 10 – हिंदी ब
आदर्श प्रश्नपत्र – 01 (2024-25)
उत्तर
खंड क – अपठित बोध
- (ग) राष्ट्रीय संस्कृति की हमारे प्रति सबसे बड़ी देन यही है कि वह हमें अपने राष्ट्र की परंपरा और रीति-नीति से जोड़े रखती है।
- (ख) हम अपनी सांस्कृतिक संपदा की उपेक्षा इसलिए नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसा करने से हम जड़विहीन पौधे के समान हो जाएँगे।
- (घ) अविवेकी अनुकरण अज्ञान का ही पर्याय है।
- आधुनिक युग में संस्कृतियों में परस्पर संघर्ष प्रारंभ होने का प्रमुख कारण यह है कि भिन्न संस्कृतियों के निकट आने के कारण अतिक्रमण एवं विरोध स्वाभाविक है।
- हम अपनी संस्कृति के प्रति शंकालु इसलिए हो गए हैं, क्योंकि नई पीढ़ी ने विदेशी संस्कृति के कुछ तत्वों को स्वीकार करना प्रारंभ कर दिया है।
- (ग) कबीर की निर्वाण भूमि कुशीनगर के पास स्थित मगहर नामक स्थान है जहाँ के विषय में मान्यता थी कि वहाँ मरना अशुभ है| इसी मान्यता को गलत सिद्ध करने के लिए कबीरदास जी अपने अंतिम समय में काशी से मगहर आ गए थे।
- (क) लोगों को सांप्रदायिक भेदभाव से ऊपर उठाने के कबीर के प्रयास पर पानी फिर गया था और उनकी मृत्यु के बाद वे हिन्दू- मुस्लिम में बंट गए।
- (घ) वर्तमान में वहाँ की स्थितियाँ बदल गई हैं, लड़कियों की पढ़ाई और नौकरी पर ध्यान दिया जाने लगा है लेकिन सामाजिक एकता का लोप होने लगा है, अब ब्याह और मरनी-हरनी में भी पहले जैसी एकता नजर नहीं आती।
- कुशीनगर के अत्यंत निकट होने के बावजूद पंडरी गाँव में कोई विकास नहीं हुआ है लेकिन वहाँ के युवा सजग हैं और वे स्वप्रयास से स्कूल भी चलाते हैं अर्थात अगर वर्तमान सजग है तो भविष्य बेहतर अवश्य होगा।
- लेखक को पता चला कि उस संयुक्त परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला के पास तीज-त्योहार, गीत-गवनई के अनुपम धरोहर थी लेकिन नई पीढ़ी इसे सीखने में रुचि नहीं रखती थी अथवा उन रीति -रिवाजों और परम्पराओं का निर्वाह करने वाला कोई नहीं था।
खंड ख – व्यावहारिक व्याकरण
- क्रिया पद
- सर्वनाम पदबंध
- विशेषण पदबंध
- क्रिया पदबंध
- अव्यय पदबंध
- बच्चा दौड़ा और मेरे पास आया।
- राम आकर चला गया।
- जो कमाएगा, वह खाएगा।
- मजदूरों ने गड्ढा खोदा और वे चले गए।
- खुला चैलेंज देने वाली ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी।
- यथानियम = नियम के अनुसार (अव्ययीभाव समास)
- शराहत = शर से आहत/ शर के द्वारा आहत (करण/ तृतीया तत्पुरुष समास)
- नेक है नाम जिसका = नेकनाम (बहुब्रीहि समास)
- कुमारी श्रमणा = कुमारीश्रमणा (कर्मधारय समास)
- चार गुनी = चौगुनी ( चार गुणे का समाहार ) (द्विगु समास), चार गुना है जो -कर्मधारय समास
- आड़े हाथों लेना – उसने मेरी बातों को आड़े हाथों लिया।
- लोहे के चने चबाना – उसके लिए परीक्षा देना लोहे का चने चबाने के समान है।
- ईद का चाँद होना – आजकल उसका घर पर आना ईद का चाँद जैसा हो गया है।
- लाल-पीला होना – गुस्से से उसका चेहरा लाल-पीला हो गया।
- मुँह की खाना – झूठ बोलने पर उसे मुँह की खानी पड़ी।
खंड ग – गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
- (ग) जो भूमंडल का स्वामी होता है।
व्याख्या: जो भूमंडल का स्वामी होता है। - (घ) घमंडी न होना
व्याख्या: घमंडी न होना - (ख) बुद्धि का विकास करना।
व्याख्या: बुद्धि का विकास करना। - (ग) उपर्युक्त सभी
व्याख्या: उपर्युक्त सभी - (ग) राजा
व्याख्या: राजा
- (ग) जो भूमंडल का स्वामी होता है।
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
- 26 जनवरी, 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए कलकत्ता के लोगों को अपने मकानों तथा सार्वजनिक स्थानों पर झंडा फहरान का निश्चय किया था। केवल प्रचार में 2000 रू खर्च किए गए थे। घरों को ऐसे सजाया गया था मानो आजादी मिल गई हो। सायं चार बजे एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया गया जिसमें लोगों को हर दिशा से जुलूस में शामिल होकर धर्म को लेकर मोड़ पर पहुँचना था।
- महात्मा गांधी ने शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से की है क्योंकि शुद्ध आदर्श में कभी कोई खोट नहीं होता। वह खरे सोने के समान होता है। व्यावहारिकता ताँबे के समान होती है। उसे आभूषण बनाने के लिए सोने में मिलाया जाता है। इसी प्रकार आदर्श को व्यावहारिक बनाने के लिए समझौते करने पड़ते हैं। आदर्शो को व्यावहारिकता के स्तर पर न लाकर व्यावहारिकता को आदर्श के स्तर तक ऊपर उठाते थे।
- पाठ के अनुसार जंगल में दूर से आते अनजान सवार को देखकर कर्नल और लेफ्टिनेंट ने यह अनुमान लगाया कि वह कोई वजीर अली को जानने वाला अथवा हमारा सैनिक होगा जो हमसे मिलकर उसे गिरफ्तार करवाना चाहता होगा । वजीर अली की गिरफ़्तारी के लिए वे इतने इक्षुक थे कि उन्होंने ये अनुमान लगाया |
- सैल्यूलाइड का अर्थ है-फिल्म को कैमरे की रील में उतारकर चित्र प्रस्तुत करना। ‘तीसरी कसम’ फिल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता कहने के पीछे कारण यह था कि यह फिल्म अपने में सघन, सूक्ष्म और और गहरी भावनाओं को संजोए थी।’ तीसरी कसम ‘आम मसाला फिल्मों से हटकर है। इसमें गाँव के जीवन का बड़ा ही सटीक चित्रण हुआ है। यह एक फिल्म की तरह अनुभूति न कराकर एक कविता के समान अनुभूति कराती थी। मानो कि सैल्यूलाइड की फिल्म पर कविता उतार दी गयी हो। इस फिल्म को देखने वाले दर्शक को इस फिल्म को देखने पर एक कविता के मधुर प्रवाह जैसा अनुभव होता है। इन्हीं सब कारणों की वजह से इस फिल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता कहा गया।
खंड ग – काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
- (क) परोपकारी मनुष्य की
व्याख्या: परोपकारी मनुष्य की - (क) केवल अपने लिए जीना
व्याख्या: केवल अपने लिए जीना - (ग) जो अपना जीवन परोपकार में लगा देता है, वह कभी नहीं मरता।
व्याख्या: जो अपना जीवन परोपकार में लगा देता है, वह कभी नहीं मरता। - (क) परोपकार करने वाला
व्याख्या: परोपकार करने वाला - (ग) सुमृत्यु न होने पर
व्याख्या: सुमृत्यु न होने पर
- (क) परोपकारी मनुष्य की
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
- मीराबाई श्री कृष्ण के रूप-सौंदर्य का अत्यंत मनोहारी वर्णन करती है। कृष्ण ने पीतांबर (पीले वस्त्र) धारण किए हुए हैं, जो उनके श्याम वर्ण पर शोभायमान लग रहे हैं। माथे पर मोर मुकुट तथा गले में वैजयंती माला पहनी हुई है, जो उनके सौंदर्य को बढा रही है। वे ग्वाल-बालों के साथ गाय चराते हुए मुरली बजा रहे हैं।
- कविता के अनुसार बादलों के उठने पर ऐसा प्रतीत होता है कि अचानक से पहाड़ पारे के समान चमकीले पंख लगा कर उड़ गया हो। झरने पूरी तरह से निस्तब्ध हो गये हैं। उसके उपरांत बारिश से ऐसा लगता है जैसे आकाश पृथ्वी पर टूट पड़ा हो। शाल के वृक्ष भय से धरती में धँस गए हैं और तालाब पर छाया हुआ कोहरा धुँए के समान प्रतीत होता है।
- कविता के अनुसार कवि ने प्रस्तुत पंक्ति ‘ फतह का जश्न इस जश्न के बाद है ‘ में दो जगह जश्न शब्द का प्रयोग किया है । इस पंक्ति में एक जश्न का अर्थ है युद्ध में सैनिकों के जीत की खुशी तथा दूसरे जश्न का अर्थ है अपने मातृभूमि के लिए लड़ते हुए शहीद होना तथा जिंदगी का मौत से गले मिलना । कवि कहना चाहते हैं कि सैनिकों के बलिदान के बाद नए सैनिकों के काफिले तैयार होने चाहिए ताकि वे अपने शहीद होने के जश्न को जीत के जश्न में तब्दील कर सके ।
- विद्यार्थी स्वयं करें।
खंड ग – संचयन (पूरक पाठ्यपुस्तक)
- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए:
- अंत में हरिहर काका ने अपने जीते जी अपनी जमीन किसी को भी न देने का निर्णय लिया। यह सुनकर उनके भाइयों का व्यवहार उनके प्रति पूरी तरह बदल गया। उन्होंने हरिहर काका को महंत से भी अधिक यातनाएँ दीं, यहाँ तक कहने लगे कि जमीन नाम कर दो नहीं तो मार कर घर में गाड़ देंगे। लेकिन इतना सब होने पर हरिहर काका निर्णय लेते हैं कि वे जीतेजी अपनी जमीन किसी के नाम नहीं करेंगे। उनके इस निर्णय के कारण उनके अपने ही परिवार के सदस्य उनकी मृत्यु की प्रतीक्षा करने लगते हैं। हरिहर काका की यह स्थिति समाज के हर बुजुर्ग को यह संदेश देती है कि कभी भी अपने जीते जी अपनी सम्पत्ति किसी को नहीं सौंपनी चाहिए अन्यथा उनका जीवन जीते जी नरक के समान हो जाएगा और यदि फिर भी परिवार के सदस्य बुरा व्यवहार करें तो कानून की मदद लेनी चाहिए।
- नई श्रेणी में जाने का उत्साह रोचक होता है। बच्चे अगली कक्षा में प्रवेश का इंतजार करते रहते हैं, नई श्रेणी में जाकर लेखक का बालमन इसलिए उदास हो जाता था, क्योंकि उसे किताबें अन्य लड़कों द्वारा पढ़ी हुई ही पढ़नी पड़ती थी। उसके लिए पुरानी किताबों का प्रबंध हेडमास्टर साहब कर देते थे, क्योंकि लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, जबकि अन्य बच्चे नई कक्षा में नई किताबें खरीदते थे। लेखक का बालमन नई कापियों तथा पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से उदास हो उठता था।
- इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला अलग-अलग मज़हब के थे। इसके बावजूद दोनों पक्के दोस्त थे। उनकी दोस्ती के बीच मज़हब की दीवार नहीं आई। दोनों प्रेम के अटूट बंधन में बँधे थे। इफ़्फ़न के बिना टोपी अधूरा सा था। जब इफ़्फ़न के पिता का तबादला हुआ तो टोपी बिल्कुल अकेला रह गया था। इसके बाद तो कभी कोई मित्र नहीं बना पाया। आज के समय में ऐसी दोस्ती इस जमाने में हो जाए तो इंसान का जीवन ही बदल जाए। इस स्वार्थी दुनिया में सच्चा दोस्त मिलना बहुत मुश्किल है। वर्तमान समय में ऐसे ही सच्चे और अच्छे लोगों की देश को जरूरत है। लोगों को हरिहर काका की तरह प्रताड़ित नहीं होना चाहिए न ही मौन रहकर सब कुछ सहन करना चाहिए क्योंकि यह भौतिक दुनिया स्वार्थों से भरी हुई है। यहाँ सभी व्यक्ति स्वार्थी एवं लोलुप प्रवृत्ति के हैं। पारिवारिक संबंध उनके लिए अधिक मायने नहीं रखते हैं। स्वार्थ एवं (लालच) से परिपूर्ण इस संसार में व्यक्ति की कद्र नहीं होती है। जिस तरह हरिकर काका महंत व भाई की वजह से सदमे के कारण बिलकुल मौन हो गए। इसलिए बुजुर्ग हमेशा अपनी संपत्ति अपने ही नाम रखे और मोह में आकर अपने जीते-जी अपनी संपत्ति को कभी भी अपनी संतान के नाम न करें।
खंड घ – रचनात्मक लेखन
- निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिये:
- जैविक (ऑर्गेनिक) खेती : एक कदम प्रकृति की ओर भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहाँ की अधिकतर संख्या खेती से अपनी आजीविका चलाती है। भारत देश में की गई हरित क्रांति भी, कृषि क्षेत्र में उन्नति के लिए शुरू किया एक अभियान रहा। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी एक पारंपरिक खेती की जाती हैं, जिसे जैविक खेती/ऑर्गेनिक फार्मिंग कहा जाता है। जैविक खेती के लाभ बहुयामी हैं। इसका प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से लाभ कृषकों को प्राप्त होता है। किसान के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के साथ ही किसान की भूमि को लाभ होता है। जैविक खेती करने से किसानों को आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता है। आज के समय में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों की कीमतें अधिक बढ़ चुकी है। ऐसे में किसान इन रासायनिक खेती करने के लिए किसान अधिक ऋण ग्रस्त हो जाते हैं।
लेकिन रासायनिक खाद के स्थान पर जब पेड़ पौधे, पशुओं के अवशेषों से निर्मित जैविक खाद का प्रयोग खेती में किया जाता है। तब खेती की उर्वरता में बढ़ोतरी होती है। जैविक खेती द्वारा उत्पन्न खाद पदार्थ शुद्ध पौष्टिक तथा पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। जैविक खेती काफी सरल प्रक्रिया है क्योंकि इसमें रासायनिक उर्वरकों, संकर बीजों आदि का खर्चा नहीं होता है। जैविक खेती पारिस्थितिकी के अनुकूल होती है इसलिए इससे पर्यावरण को कोई हानि नहीं पहुँचती। अपेक्षाकृत उत्पादन की अधिकता और बीमारियों की कमी से किसानों को लाभ होता है। विदेश में मांग होने के कारण इसका एक अच्छा निर्यात संभव हो पाता है। केंद्र सरकार की ओर से 2015 में मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्ट रीजन योजना को पूर्वोत्तर क्षेत्रों में शुरू किया गया। एक जिला-एक उत्पादन के नाम से जिला स्तर पर जैविक खेती को बढ़ावा देने की शुरुआत की गई। 2015 में शुरू की गई परंपरागत कृषि विकास योजना राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (National Mission for Sustainable Agriculture) के अन्तर्गत जारी एक उप मिशन ‘मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन’ का एक घटक है। व र्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यदि मानव को धरती पर अपना अस्तित्व लंबे समय तक बनाए रखना है तो उसे जैविक खेती को अपनाना अनिवार्य है। आधुनिक समय में खेती में होने वाले रासायनिक प्रयोगों ने ना सिर्फ मानव को बल्कि प्रकृति को भी काफी नुकसान पहुँचाने का काम किया है। स्वास्थ्य तथा पर्यावरण को प्रभावित करने वाली खेती को छोड़कर स्वास्थ्यवर्धक तथा पर्यावरण रक्षक जैविक खेती को अपनाना मानव की आवश्यकता बन गयी है। - क्यों आवश्यक है सहनशीलतासहनशीलता वह गुण है जो मानव को अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ सिद्ध करता है। सहनशीलता होने से जीवन का वास्तविक विकास होता है। संत कबीर और राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का सादगी से भरा जीवन भी सहनशीलता का अनुपम उदाहरण है। जो व्यक्ति विषम परिस्थितियों में भी सहनशील रहकर चुनौतियों का सामना करते हुए जीवन क्षेत्र में आगे बढ़ता है, वही सफलता प्राप्त करता है।
सहनशीलता का गुण अभ्यास से ही सीखा जा सकता है। सहनशील मनुष्य के अपने परिवार, आस-पड़ोस और समाज में अच्छे संबंध रहते है। वह अपने बिगड़े काम को भी सँभाल लेता है तथा उसे सब का सहयोग और सम्मान प्राप्त होता है। इस गुण के अभाव में कई बार मनुष्य को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और उसके मन-मस्तिष्क पर क्रोध का आधिपत्य हो जाता है। घर हो या स्कूल सभी जगह हमें अपनी सहनशीलता का परिचय देना चाहिए।
वर्तमान में नई पीढ़ी में सहनशीलता कम होती जा रही है। इसका प्रमुख कारण भौतिकतावाद, एकाकी परिवार तथा पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव है। एकाकी परिवारों में कामकाजी माता-पिता बच्चों को अधिक समय नहीं दे पाते है तथा बच्चों को बुजुर्गो का सान्निध्य नहीं मिल पाता है। यही कारण है कि बच्चों में सहनशीलता का अभाव हो रहा है। बच्चो को जरा-जरा सी बात पर क्रोध आता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक घातक है। आज इस बात की अत्यंत आवश्यकता है कि हम सहनशील बनें ताकि हमारे कर्म और व्यवहार से किसी को कोई कष्ट न हो तथा हम एक स्वस्थ समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकें। - ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत’ सूक्ति मनुष्य को जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखने का संदेश देती है। इसका अर्थ है कि यदि हम मन से हार को स्वीकार कर लेते हैं, तो हम निश्चित रूप से हार जाएंगे, लेकिन यदि हम जीतने का दृढ़ संकल्प रखते हैं, तो हमें सफलता के सोपान चढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। निराशा एक अभिशाप है जो हमें असफलता की ओर ले जाती है। जब हम निराश हो जाते हैं, तो हम प्रयास करना ही बंद कर देते हैं और हार मान लेते हैं। सफलता प्राप्त करने के लिए, हमें अपना दृष्टिकोण बदल कर सकारात्मक सोच रखनी चाहिए और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सकारात्मक सोच हमें चुनौतियों का सामना करने और उन्हें दूर करने में मदद करती है। जब हम सकारात्मक सोच रखते हैं, तो हम अपनी क्षमताओं पर विश्वास करते हैं और सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। यह सूक्ति हमें सिखाती है कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें हार नहीं माननी चाहिए। हमें सकारात्मक सोच रखनी चाहिए और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ प्रयास करते रहना चाहिए।
- जैविक (ऑर्गेनिक) खेती : एक कदम प्रकृति की ओर भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहाँ की अधिकतर संख्या खेती से अपनी आजीविका चलाती है। भारत देश में की गई हरित क्रांति भी, कृषि क्षेत्र में उन्नति के लिए शुरू किया एक अभियान रहा। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी एक पारंपरिक खेती की जाती हैं, जिसे जैविक खेती/ऑर्गेनिक फार्मिंग कहा जाता है। जैविक खेती के लाभ बहुयामी हैं। इसका प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से लाभ कृषकों को प्राप्त होता है। किसान के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के साथ ही किसान की भूमि को लाभ होता है। जैविक खेती करने से किसानों को आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता है। आज के समय में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों की कीमतें अधिक बढ़ चुकी है। ऐसे में किसान इन रासायनिक खेती करने के लिए किसान अधिक ऋण ग्रस्त हो जाते हैं।
- 23, अजमेरी गेट
जोधपुर
दिनांकः 2/XX/20XX
सेवा में,
संपादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
जोधपुर
विषय : सड़कों की दुर्दशा पर पत्र।
महोदय,
निवेदन है कि इस पत्र के माध्यम से मैं सड़कों की दुर्दशा की ओंर नगर निगम का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ। हमने नगर निगम अधिकारी को अनेक पत्र लिखे पर इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अब मैं इस आशा से यह पत्र लिख रहा हूँ कि शायद नगर निगम के अधिकारी हमारे क्षेत्र के लोगों का ध्यान रखते हुए उचित कार्यवाही करेंगे। यहाँ की सड़के इतनी संकरी है कि किसी वाहन के गुजरने पर पैदल चलने वाले लोगों के लिए जगह ही नहीं बचती। स्थान-स्थान पर यहाँ गड्ढे हो रहे हैं और बरसात के दिनों में उनमें पानी भर जाता है और वे दुर्घटना को आमंत्रण देते हैं। सड़क की लाइट अधिकांश टूटी-फूटी हैं जिससे सड़क पर अँधेरा रहता है। आशा है कि आप मेरे इस पत्र को अपने समाचार पत्र में स्थान देंगे।
भवदीय
क.ख.ग.अथवा सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय,
हरीश पब्लिक स्कूल,
कृष्ण नगर
विषय: नवीं-दसवीं कक्षा के बीच फुटबॉल मैच आयोजन हेतु अनुमति प्रार्थना
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं अमित आपके विद्यालय का खेल सचिव हूँ। मैं विद्यालय में नवीं-दसवीं कक्षा के छात्रों के बीच एक फुटबॉल मैच का आयोजन कराना चाहता हूँ।
यह मैच 20/04/20XX को 11:00 बजे हरीश पब्लिक स्कूल के मैदान में ही आयोजित किया जाएगा। मैच का उद्देश्य छात्रों में खेल भावना और टीम भावना को बढ़ावा देना है। मैच के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ कर ली गई हैं, जिसमें खेल का मैदान, रेफरी, पुरस्कार, और चिकित्सा सुविधाएँ शामिल हैं।
मेरा विश्वास है कि यह मैच छात्रों के लिए एक यादगार अनुभव होगा और विद्यालय के खेलकूद उत्साह को बढ़ाएगा।
अतः, मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूँ कि इस प्रस्ताव पर अनुकूल विचार करें और इस कार्यक्रम के आयोजन हेतु आवश्यक अनुमति प्रदान करें।
धन्यवाद।
दिनांक –
आपका विश्वासी
अमित
खेल सचिव, हरीश पब्लिक स्कूल विद्यामंदिर विद्यालय
सरोजिनी नगर, आगरा, उ.प्र.
सूचना दिनांक: 28 सितम्बर 2023खोया-पाया संदर्भ में
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है की मेरा नाम अर्पिता है। मैं दसवीं कक्षा की छात्र हूँ। भोजनावकाश के दौरान मेरा ब्लेज़र (कोट) खेल के मैदान में कहीं छूट गया है। ब्लेज़र का रंग गहरे नीले रंग का है और उसमें मेरा नाम भी लिखा हुआ है तथा आधार कार्ड भी रखा हुआ है जो मेरी आगामी परीक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है। कृपया इस संदेश को सभी तक पहुँचाएँ और मेरी मदद करें। आपकी सहायता के लिए धन्यवाद।
आज्ञा से
अर्पिता
कक्षा दसवींअथवा
बहुमुखी विकास विद्यालय
दिल्ली कैंट, दिल्ली प्रिय छात्रों एवं अभिभावकों,
नमस्ते। हम आपको यह सूचित करना चाहते हैं कि हमारे विद्यालय में आगामी सत्र से रोबोटिक्स की कक्षाएँ शुरू होने वाली हैं। इसमें आपको रोबोटिक्स के अद्भुत विश्व के बारे में सीखने का अवसर मिलेगा। आपको यहाँ विभिन्न रोबोट्स बनाने और उन्हें प्रोग्राम करने का मौका मिलेगा। हम आपको इस कक्षा में भाग लेने की सलाह देते हैं, ताकि आप इस रोमांचक और शैलीष्ट विषय में पूरी तरह से निष्पक्ष रूप से सीख सकें।
धन्यवाद,
तरुणा अरोड़ा प्राचार्या, बहुमुखी विकास विद्यालयटच स्क्रीन मोबाइलस्टार-मोबाइल
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विषय – फुटबॉल मैच खेलने की अनुमति के संबंध में
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की फुटबॉल टीम का कप्तान हूँ। हम अपने अभ्यास के लिए दिल्ली शिक्षा भारती पब्लिक स्कूल की फुटबॉल टीम से मैच खेलना चाहते हैं। हर वर्ष हमारा इसी स्कूल की टीम से ही फाइनल में मुकाबला होता है। हमारी टीम प्रतियोगिता के लिए तैयार है।
अतः मेरा आपसे आग्रह है कि आप मुझे आज्ञा देने की महान कृपा करें और साथ ही दिल्ली शिक्षा भारती पब्लिक स्कूल के प्राचार्य को भी मैच देखने के लिए आमंत्रित करें।
पवनअथवा एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक लड़का रहता था। उसके पिता नहीं थे। वह गाँव में अपनी माँ के साथ रहता था। वह बहुत गरीब था। उसकी माँ अक्सर बीमार रहती थीं। लकड़ियाँ बेचकर वह अपना और अपनी माँ का गुज़ारा किया करता था। वह बहुत बहादुर और साहसी था। वह गाँववालों का बहुत सम्मान किया करता था। एक दिन, जब रामू जंगल से लकड़ी इकट्ठा कर रहा था, तो उसे एक बाघ दिखाई दिया। उसे देखकर वह डरा नहीं, उसने हिम्मत जुटाई और बाघ से लड़ने का फैसला किया। वह जोर-जोर से चिल्लाया और पत्थर फेंककर बाघ को डराने की कोशिश की। बाघ गुस्से में आकर रामू की तरफ झपटा। रामू ने एक पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाई। बाघ काफी देर तक पेड़ के नीचे बैठा रहा, लेकिन रामू नीचे नहीं उतरा। अंत में, बाघ थक गया और जंगल में वापस चला गया। रामू ने अपनी जान बचाई और गाँव में बहादुर लड़के के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
नैतिकता: हमें कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और अपनी बुद्धि और साहस से चुनौतियों का सामना करना चाहिए।
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