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Class 10 Hindi A Sample Papers 2025

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Class 10 Hindi A Sample Papers 2025

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Sample papers for class 10 Hindi-A 2025 with Solution Download as PDF

Class 10 Hindi A Sample Papers 2024-25

The Class 10 Hindi A Sample Paper 2025 follows a well-structured format with two sections: Section A and Section BSection A consists of objective questions, while Section B includes subjective questions. In total, the sample paper contains 17 main questions, most of which are divided into sub-parts. To score well in the Hindi A board exam, it’s crucial to practice with Class 10 Hindi A Sample Papers 2025, which cover all important topics from the syllabus.

Key Features:

  • Section A includes 49 questions, and students are required to attempt any 40 questions from this section, offering significant internal choices.
  • Section B contains 7 main questions, each with internal choices and sub-questions. These questions require detailed answers, and the inclusion of internal choices allows students to select the questions they are most comfortable with.

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Why Practice Regularly?

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  • Time Management: Regular practice will help you manage time efficiently during the actual exam.
  • Better Understanding: With frequent practice, students will better understand the question types and improve their performance in the Hindi A board exam.

CBSE Class 10 Hindi A Sample Papers

Sample Papers Hindi Course-A Class 10 2025

Class 10 – हिंदी ए
आदर्श प्रश्नपत्र – 01 (2024-25)


अधिकतम अंक: 80
निर्धारित समय : 3 hours


सामान्य निर्देश:

  • इस प्रश्नपत्र में चार खंड हैं।
  • खंड ‘क’ में 14 अंकों के लिये दो अपठित गद्यांश दिये गये हैं।
  • खंड ‘ख’ में 16 अंकों के लिये व्यावहारिक व्याकरण से संबंधित कुल 20 प्रश्न पूछे गये हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
  • खंड ‘ग’ में 30 अंकों के लिये विकल्प सहित पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से विभिन्न प्रश्न पूछे गये हैं। सभी प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।
  • खंड ‘घ’ में 20 अंकों के लिये विकल्प सहित रचनात्मक लेखन से संबंधित प्रश्न पूछे गये हैं।
  • निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए। यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।

खंड क – अपठित बोध

  1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
    शिक्षा और गुरु के माध्यम से ही अपने आंतरिक गुणों को हम प्रकाश में लाते हैं। यदि धर्म के मार्ग पर चलकर मानव विज्ञ बनता है। तो वह अपने जीवन के मार्ग के विकास के लिए अनवरत लगकर जीवन को सफल बनाता है और सम्यक ज्ञान, गुण, धर्म से अपने जीवन को ब्रह्म से जोड़कर करोड़ों जन्मों के कर्मों से मुक्ति प्राप्त करता है, किन्तु यह शिक्षा के द्वारा ही संभव है। शिक्षा भी दो माध्यमों से मिलती है। एक जीविकोपार्जन का माध्यम बनती है तथा दूसरी से जीवन-साधना संभव होती है। दोनों में परिपूर्णता गुरु के माध्यम से ही होती है। जीविकोपार्जन की शिक्षा पाकर यह संसार बड़ा सुखमय प्रतीत होता है और जलते हुए दीपक के प्रकाश जैसा वह बाहरी जीवन में प्रकाश पाता है। दूसरी शिक्षा पाने के लिए सद्गुरु की तलाश होती है। वह सद्गुरु कहीं भी कोई भी हो सकता है, जैसे तुलसीदास की सच्ची गुरु उनकी पत्नी थी, जिनकी प्रेरणा से उनके अंतर्मन में प्रकाश भर गया और सारे विकार धुल गए। मन स्वच्छ हो गया। अपने दुर्लभ जीवन को सफल बनाकर हमेशा-हमेशा के लिए सुखद जीवन जिए। ऐसे ही ब्रह्म-ज्ञान व आत्मनिरूपण की सच्ची शिक्षा के बिना सार्थक जीवन नहीं मिलता। सच्चा ज्ञान मुक्ति का मार्ग है।

    1. व्यक्ति करोड़ों जन्मों के कर्मों से कैसे मुक्ति पाता है? (1)
      (क) धर्म के मार्ग पर चलकर
      (ख) कर्मों से मुक्ति प्राप्त कर
      (ग) अपने जीवन को ब्रह्म से जोड़कर
      (घ) जीवन को सफल बनाकर
    2. हम अपने आन्तरिक गुणों को कैसे प्रकाश में लाते हैं? (1)
      (क) शिक्षा और गुरु के माध्यम से।
      (ख) धर्म और ज्ञान के मार्ग पर चलकर
      (ग) जीविकोपार्जन की शिक्षा पाकर
      (घ) दुर्लभ जीवन को सफल बनाकर
    3. तुलसीदास की गुरु कौन थीं? (1)
      (क) तुलसीदास की बहन
      (ख) तुलसीदास की दादी
      (ग) तुलसीदास की माता
      (घ) तुलसीदास की पत्नी
    4. शिक्षा किन-किन माध्यमों से मिलती है? (2)
    5. जीविकोपार्जन की शिक्षा से मनुष्य को क्या प्राप्त होता है? (2)
  2. निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
    मधुर याद बचपन तेरी
    गया, ले गया, तू जीवन की,
    सबसे मस्त खुशी मेरी।
    चिंता  रहित खेलना खाना,
    फिर वह फिरना निर्भय स्वच्छंद,
    कैसे भूला जा सकता है,
    बचपन का अतुलित आनंद।
    ना और मचल जाना भी,
    क्या आनंद दिखलाते थे,
    बड़े-बड़े मोती-से आँसू,
    जयमाला पहनाते थे।
    मैं रोई, माँ काम छोड़कर,
    आई, मुझको उठा लिया,
    झाड़-पोंछकर चूम-घूमकर,
    गीले गालों को सुखा दिया।
    आ जा बचपन ! एक बार फिर
    दे दे अपनी निर्मल शांति,
    व्याकुल व्यथा मिटाने वाली,
    वह अपनी प्राकृत विश्रांति।
    वह भोली-सी मधुर सरलता।
    वह प्यारा जीवन निष्पाप,
    क्या फिर आकर मिटा सकेगा,
    तू मेरे मन का संताप?

    1.  जयमाला कौन पहनाते है? (1)
      (क) भोली-सी मधुर सरलता
      (ख) सहेलियाँ
      (ग) बड़े-बड़े मोती के समान आँसू
      (घ) माँ
    2. कवयित्री क्या नहीं भूल पा रही है? (1)
      (क) अपने बचपन के दिनों को
      (ख) अपनी माँ के प्यार को
      (ग) अपनी सहेलियों को
      (घ) जयमाला को
    3. कवयित्री क्या कामना कर रही है? (1)
      (क) कोई उसे जयमाला पहना दे
      (ख) भोली-सी मधुर सरलता मिल जाये
      (ग) माँ उसे गोद में उठा ले
      (घ)  उसका बचपन एक बार पुनः लौट कर आ जाए
    4. बचपन की क्या – क्या विशेषताएँ बताई गई हैं ? (2)
    5. रोती हुई कवयित्री को माँ  कैसे शांत कराती है? (2)

खंड ख – व्यावहारिक व्याकरण

  1. निर्देशानुसार किन्हीं चार के उत्तर लिखिए:
    1. सब कुछ हो चुका था, सिर्फ नाक नहीं थी। (रचना के आधार पर वाक्य-भेद पहचानकर लिखिए)
    2. थोड़ी देर में मिठाई की दुकान बढ़ाकर हम लोग घरौंदा बनाते थे। (मिश्र वाक्य में बदलकर लिखिए)
    3. जब हम बनावटी चिड़ियों को चट कर जाते, तब बाबूजी खेलने के लिए ले जाते। (आश्रित उपवाक्य पहचानकर लिखिए और उसका भेद भी लिखिए)
    4. कानाफूसी हुई और मूर्तिकार को इजाज़त दे दी गई। (सरल वाक्य में बदलिए)
    5. सबुह होते ही चिड़ियाँ चहचहाने लगीं। (संयुक्त वाक्य)
  2. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए – (1×4=4)
    1. अब आश्रम में पढ़ने के लिए चलें। (भाववाच्य में परिवर्तित कीजिए।)
    2. हम इस प्रकार का मसालेदार खाना नहीं खाते हैं। (कर्मवाच्य बनाइए।)
    3. कवि के द्वारा यह मादक सुन्दरता अनेक रूपों में देखी गई है। (कर्तृवाच्य में बदलिए।)
    4. आइये ! स्नान किया जाय। (कर्तृवाच्य में बदलिए।)
    5. शिखा से गाया नहीं गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए।)
  3. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए- (1×4=4)
    1. बाग में कुछ महिलाएँ बैठी थीं
    2. मुझे अपनी पत्नी और पुत्र की मृत्यु याद आ रही है।
    3. एक शर्त रखी कि मैं भारत जाऊँगा।
    4. नहीं जानता, बस मन में यह था।
    5. हिन्दुस्तान वह सब कुछ है जो आपने समझ रखा है लेकिन वह भी इससे बहुत ज्यादा है।
  4. निम्नलिखित काव्यांशों के अलंकार भेद पहचान कर लिखिए- (किन्हीं चार)
    1. कुसुम-वैभव में लता समान।
    2. खंजरीर नहीं लखि परत कुछ दिन साँची बात।
      बाल द्रगन सम हीन को करन मनो तप जात।।
    3. इस सोते संसार बीच, जग कर सजकर रजनी बाले।
    4. हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि।
      सगरी लंका जल गई, गये निसाचर भागि।
    5. है वसुंधरा बिखेर देती मोती सबके सोने पर।
      रवि बटोर लेता है उसको सदा सवेरा होने पर।

खंड ग – गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)

  1. अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    खेती बारी करते, परिवार रखते भी, बालगोबिन भगत साधु थे-साधु की सब परिभाषाओं में खरे उतरने वाले। कबीर को ‘साहब’ मानते थे, उन्हीं के गीतों को गाते, उन्हीं के आदेशों पर चलते। कभी झूठ नहीं बोलते, खरा व्यवहार रखते। किसी से भी दो टूक बात करने में संकोच नहीं करते, न किसी से खामखा झगड़ा मोले लेते। किसी की चीज नहीं छूते, न बिना पूछे व्यवहार में लाते। इस नियम को कभी-कभी इतनी बारीकी तक ले जाते कि लोगों को कुतूहल होता! कभी वह दूसरे के खेत में शोच के लिए भी नहीं बैठते! वह गृहस्थ थे; लेकिन उनकी सब चीज ‘साहब’ की थी। जो कुछ खेत में पैदा होता, सिर पर लादकर पहले उसे साहब के दरबार में ले जाते-जो उनके घर से चार कोस दूरी पर था-एक कबीरपंथी मठ से मतलब! वह दरबार में ‘भेंट’ रूप रख लिया जाकर ‘प्रसाद’ रूप में जो उन्हें मिलता, उसे घर लाते और उसी से गुज़र चलाते!

    1. लेखक के अनुसार बालगोबिन भगत साधु क्यों थे?क) वे किसी से लड़ते नहीं थेग) वे मोह-माया से दूर थे
    2. घ) वे सच्चे साधुओं की तरह उत्तम आचार-विचार रखते थे
    3. ख) वे साधु की तरह दिखते थे
    4. बालगोबिन भगत का कौन-सा कार्य-व्यवहार लोगों के आश्चर्य का विषय था?क) गीत गाते रहनाग) जीवन के सिद्धांतों और आदर्शों का गहराई से अपने आचरण में पालन करना
    5. घ) अपना काम स्वयं करना
    6. ख) किसी से झगड़ा न करना
    7. बालगोबिन भगत कबीर के ही आदर्शों पर चलते थे, क्योंकिक) कबीर उनके गाँव के मुखिया थेग) कबीर उनके मित्र थे
    8. घ) कबीर भगवान का रूप थे
    9. ख) वे कबीर की विचारधारा से प्रभावित थे
    10. बालगोबिन भगत के खेत में जो कुछ पैदा होता, उसे वे सर्वप्रथम किसे भेंट कर देते?क) कबीरपंथी मठ मेंग) गरीबों में
    11. घ) मंदिर में
    12. ख) घर में
    13. वह गृहस्थ थे; लेकिन उनकी सब चीज साहब की थी। यहाँ ‘साहब’ से क्या आशय है?क) गुरु सेग) मुखिया से
    14. घ) कबीर से
    15. ख) भगवान से
  2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
    1. हालदार साहब किस बात के बारे में बार-बार सोच रहे थे? उनके ऐसा सोचने में किस प्रकार का भाव निहित था?
    2. कॉलेज से पिताजी के लौटने पर लेखिका उनके किस व्यवहार को देखकर आश्चर्यचकित रह गई थी?‘एक कहानी यह भी पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
    3. नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंतत: सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?
    4. लेखक संस्कृति-असंस्कृति और सभ्यता-असभ्यता के भ्रमजाल में फँसे मनुष्यों से क्या प्रश्न करता है?

खंड ग – काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)

  1. अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
    तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।
    किंतु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वाले-
    अपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने वाले।

    1. कवि के अनुसार आज प्रत्येक व्यक्ति क्या करने में लगा हुआ है?क) स्वयं अपना समय व्यतीत करने मेंग) अपने घर जाने में
    2. घ) दूसरों के साथ खुश होने में
    3. ख) दूसरे की दुर्बलताओं का मज़ाक बनाने में
    4. कवि की जीवनकथा किससे भरी हुई है?क) सुख व निराशा सेग) प्रसन्नता व निराशा से
    5. घ) निराशा व हताशा से
    6. ख) प्रसन्नता व हताशा से
    7. यह गागर रीती में गागर शब्द का सांकेतिक अर्थ है-क) जीवन रूपी घड़ाग) निराशा रूपी घड़ा
    8. घ) ख़ुशी रूपी घड़ा
    9. ख) घड़ा रूपी जीवन
    10. कवि के जीवन के आनंद रूपी रस को किसने खाली किया था?क) किसी ने नहींग) कवि के मित्रों ने
    11. घ) स्वयं कवि ने
    12. ख) इनमें से कोई नहीं
    13. पद्यांश की अंतिम पंक्तियों में कवि की कौन-सी चारित्रिक विशेषता प्रकट होती है?क) प्रसन्न रहनाग) दुखी रहना
    14. घ) मित्रों के प्रति विनम्रता
    15. ख) जागरूकता
  2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
    1. वज्र छिपा नूतन कविता फिर भर दो – बादल गरजोउत्साह कविता की इन पंक्तियों में कवि क्या कहना चाहता है? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
    2. फसल नदियों के पानी का जादू, हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा तथा मिट्टी का गुण धर्म किस प्रकार है? स्पष्ट कीजिए।
    3. जब मुख्य गायक की ताने जटिल हो जाती है और वह उनमें खोने लगता है। तब संगतकार उसे किससे भटकने नहीं देता?
    4. गोपियों को उद्धव से क्यों कहना पड़ा – हरि हैं राजनीति पढ़ि आए?

खंड ग – कृतिका (पूरक पाठ्यपुस्तक)

  1. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए:
    1. भोलानाथ बचपन में कैसे-कैसे नाटक खेला करता था ? इससे उसका कैसा व्यक्तित्व उभरकर आता है ?
    2. किसी एक रचनाकार की रचना, प्रेरणा अथवा जीवन किसी दूसरे व्यक्ति को किसी रचना के लिए कैसे प्रेरित कर सकते हैं? मैं क्यों लिखता हूँ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
    3. हम सभी नदियों और पर्वतों के ऋणी हैं – कैसे? साना-साना हाथ जोड़ि पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

खंड घ – रचनात्मक लेखन

  1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिये:
    1. हिमपात का दृश्य विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।
      • कब, कहाँ?
      • हिमपात का सौंदर्य
      • लोगों का उत्साह
    2. ऑनलाइन गेमिंग का बढ़ता जाल विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।
      • ऑनलाइन गेमिंग क्या है?
      • बच्चों और किशोरों पर बढ़ती पकड़
      • वास्तविक खेलों एवं ऑनलाइन गेमिंग में अंतर
      • ऑनलाइन गेमिंग के दीर्घकालिक नुकसान
    3. ई-कचरा विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।
      • ई-कचरा से तात्पर्य
      • चिंता का कारण
      • निपटान के उपाय
  2. किसी विशेष टी.वी. चैनल द्वारा अंधविश्वासों को प्रोत्साहित करने वाले अवैज्ञानिक और तर्कहीन कार्यक्रम प्रायः दिखाए जाने पर अपने विचार व्यक्त करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।अथवा अपने पिताजी को एक पत्र लिखकर बताइए कि आपकी पढ़ाई कैसी चल रही है और उनसे कुछ रुपये भेजने की प्रार्थना कीजिए।
  3. किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में पत्रकार पद के लिए स्ववृत सहित आवेदन-पत्र लिखिए।अथवा आपका नाम शाश्वत/शाश्वती है। आपने ऑनलाइन खरीदारी में मनोकाम वेबसाइट से एक घड़ी मँगवाई थी। दो महीने में ही घड़ी ने काम करना बंद कर दिया। कंपनी के ग्राहक सेवा को लगभग 80 शब्दों में ई-मेल लिखकर शिकायत कीजिए और उचित मुआवज़े की माँग भी कीजिए।
  4. किसी राज्य के पर्यटन विभाग की ओर से राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 25-50 शब्दों का एक विज्ञापन तैयार कीजिए।अथवा अपने मित्र को लोहड़ी पर लगभग 40 शब्दों में एक शुभकामना संदेश लिखिए।

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Class 10 – हिंदी ए
आदर्श प्रश्नपत्र – 01 (2024-25)


उत्तर

खंड क – अपठित बोध

    1. (ग) सम्यक ज्ञान, गुण, धर्म से अपने जीवन को ब्रह्म से जोड़कर व्यक्ति करोड़ों जन्मों के कर्मों से मुक्ति प्राप्त करता है।
    2. (क) शिक्षा और गुरु के माध्यम से।
    3. (घ) तुलसीदास की गुरु उनकी पत्नी थीं।
    4. शिक्षा दो माध्यमों से मिलती है। एक जीविकोपार्जन का माध्यम बनता है तथा दूसरी से जीवन साधना संभव होती है।
    5. जीविकोपार्जन की शिक्षा प्राप्त कर मनुष्य को यह संसार बड़ा सुखमय प्रतीत होता है और जलते हुए दीपक के प्रकाश जैसे वह बाहरी जीवन में प्रकाश पाता है।
    6. (ग) बचपन में बड़े-बड़े मोती के समान आँसू जयमाला पहनाते हैं।
    7. (क) कवयित्री अपने बचपन के दिनों में मिले अतुलित आनंद, बड़े – बड़े मोती के आँसू का निकलना एंव माँ के  दुलार को नहीं भूल पा रही है।
    8. (घ) कवयित्री यह  कामना कर रही है कि उसका बचपन एक बार पुनः लौट कर आ जाए और फिर से वही निर्मल शांति प्राप्त हो |
    9. बचपन जीवन का सबसे मस्ती और चिंता रहित  समय होता है। यह  निर्भय, शांति,स्वच्छंद और अतुलित आनंद प्रदान करने वाला  समय होता है।
    10.  रोती हुई कवयित्री को देख माँ अपना सारा काम छोड़कर तुरन्त आती है और उसे गोद में उठाकर चूमती है तथा बहला – फुसलाकर,लाड- प्यार कर शांत कराती है।

खंड ख – व्यावहारिक व्याकरण

    1. संयुक्त वाक्य
    2. थोड़ी देर में जब हम लोग मिठाई की दुकान बढ़ा देते तब घरौंदा बनाते।
    3. आश्रित उपवाक्य – जब हम बनावटी चिड़ियों को चट कर जाते
      भेद – क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य
    4. मूर्तिकार को कानाफूसी के बाद इजाज़त दे दी गई। / कानाफूसी होने के बाद मूर्तिकार को इजाज़त दे दी गई।
    5. सुबह हुई और चिड़ियाँ चहचहाने लगीं।
    6. अब आश्रम में पढ़ने के लिए चला जाए।
    7.  इस प्रकार का मसालेदार खाना नहीं खाया जाता है।
    8. कवि ने यह मादक सुंदरता अनेक रूपों में देखी है।
    9.  चलो, स्नान करते हैं।
    10. शिखा ने नहीं गाया।
    11. बैठी थीं – क्रिया, अकर्मक, बहुवचन, स्त्रीलिंग
    12. अपनी – निजवाचक सर्वनाम, स्त्रीलिंग, एकवचन।
    13. भारत – व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्ल्लिंग, एकवचन।
    14. नहीं – क्रियाविशेषण, ‘जानता’ – क्रिया की विशेषता।
    15. हिन्दुस्तान- संज्ञा, व्यक्तिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ताकारक
    16. उपमा अलंकार
    17. उत्प्रेक्षा अलंकार
    18. मानवीकरण अलंकार
    19. अतिश्योक्ति अलंकार
    20. मानवीकरण अलंकार

खंड ग – गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)

    1. (घ) वे सच्चे साधुओं की तरह उत्तम आचार-विचार रखते थे
      व्याख्या: वे सच्चे साधुओं की तरह उत्तम आचार-विचार रखते थे
    2. (ग) जीवन के सिद्धांतों और आदर्शों का गहराई से अपने आचरण में पालन करना
      व्याख्या: जीवन के सिद्धांतों और आदर्शों का गहराई से अपने आचरण में पालन करना
    3. (घ) कबीर भगवान का रूप थे
      व्याख्या: कबीर भगवान का रूप थे
    4. (क) कबीरपंथी मठ में
      व्याख्या: कबीरपंथी मठ में
    5. (घ) कबीर से
      व्याख्या: कबीर से
  1. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
    1. हालदार साहब बार-बार इस बात के बारे में सोच रहे थे कि जो कौम अपने देश के लिए घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम कर देने वालों का मजाक उड़ाती है उसका भविष्य क्या होगा। अर्थात् जहाँ देशभक्ति को मूर्खता समझा जाता हो और नैतिकता को त्यागकर स्वार्थ व अवसरवादिता अपनाने को आदर्श माना जाता हो, उस देश व अंधकारमय ही है। हालदार साहब के ऐसा सोचने में विक्षोभ व हार्दिक पीड़ा का भाव था।
    2. कॉलेज से अनुशासनहीनता की शिकायत पर जब पिताजी को बुलाया गया तो पहले तो वह बहुत नाराज़ हुए पर जब कॉलेज में उन्होंने देखा कि हर विद्यार्थी के मुँह पर लेखिका का ही नाम है तब प्रिंसिपल से उन्होंने कहा कि मेरी लड़की जो कुछ कर रही है वह तो पूरे देश की पुकार है | घर आने पर पिताजी ने बेहद गदगद स्वर में जब यह बात बताई तो इसे सुनकर लेखिका आश्चर्यचकित रह गई |
    3. नवाब साहब द्वारा दिए गए खीरा खाने के प्रस्ताव को लेखक ने अस्वीकृत कर दिया। खीरा खाने की इच्छा तथा सामने वाले यात्री के सामने अपनी झूठी साख बनाए रखने की उलझन में नवाब साहब ने खीरा खाने की सोची परन्तु उसे तुच्छ दिखाने के इरादे से नवाब साहब ने खीरा यत्नपूर्वक काटा और सूँघ कर ही उसका स्वाद लेते हुए उसकी एक-एक फाँक को खिड़की से बाहर फेंक दिया ।नवाब के इस कार्य से ऐसा प्रतीत होता है कि वे प्रदर्शनवादी प्रवृत्ति के थे और नजाकत ,नफासत दिखाने के लिए कुछ भी कर सकते  थे..
    4. लेखक संस्कृति-असंस्कृति और सभ्यता-असभ्यता के भ्रमजाल में फँसे मनुष्यों से प्रश्न करता है कि मनुष्य की जो योग्यता मनुष्य से आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है उसे संस्कृति कहना उचित है या असंस्कृति। इती प्रकार जिन साधनों के दल पर वह दिन-रात आत्म-विनाश में जुटा हुआ है, उसे सभ्यता कहना उचित है या असभ्यता? लेखक इसका आश्वस्त है कि यदि संस्कृति का कल्याण की भावना से नाता टूट जाएगा तो संस्कृति-असंस्कृति होकर रह जाएगी और ऐसी संस्कृति का अवश्यंभावी परिणाम असभ्यता के अतिरिक्त दूसरा कुछ नहीं हो सकता है।

खंड ग – काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)

    1. (ख) दूसरे की दुर्बलताओं का मज़ाक बनाने में
      व्याख्या: दूसरे की दुर्बलताओं का मज़ाक बनाने में
    2. (घ) निराशा व हताशा से
      व्याख्या: निराशा व हताशा से
    3. (क) जीवन रूपी घड़ा
      व्याख्या: जीवन रूपी घड़ा
    4. (ग) कवि के मित्रों ने
      व्याख्या: कवि के मित्रों ने
    5. (घ) मित्रों के प्रति विनम्रता
      व्याख्या: मित्रों के प्रति विनम्रता
  1. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
    1. इन पंक्तियों के माध्यम से कवि बादलों से कह रहा है कि तुम गरज कर लोगों में फिर से एक नवीनता का अहसास दिलाओ। तुम अपने गर्जन से नई प्रेरणा और नया जीवन प्रदान करो, इनमें नए उत्साह का संचार करो।
    2. फसल के लिये पानी बेहद आवश्यक है। नदियाँ अपने साथ जो खनिज बहाकर लाती हैं वे उनके पानी को अमृत बना देते हैं जो किसी जादू की भाँति फसलों में आकार, रस, गंध, स्वाद आदि की भिन्नता पैदा करते हैं। इसमें अनेक व्यक्तियों के परिश्रम तथा सेवा के साथ-साथ बीज-खाद व मिट्टी का भी योगदान होता है। विभिन्न प्रकार की मिट्टियों की विशेषताओं के अनुसार फसलों का स्वरूप बनता है। अतः फसल इन सबके सम्मिलित योगदान की महिमा है।
    3. जब मुख्य गायक की ताने जटिल हो जाती है और वह उनमे खो जाता है या संगीत के सात स्वरों को पार कर अनहद की खोज में भटक जाता है, उस समय सहायक गायक ही गीत का चरण संभाले रखता है वह सहायक ठीक मुख्य गायक के साथ ऐसे गायन करता है जैसे यात्री के पीछे छूटे हुए सामान को समेट रहा हो। सहायक गायक की भूमिका ऐसी होती है मानो मुख्य गायक को उसके आरंभिक दिनों की याद दिला रहा हो। सहायक गायक की भूमिका मुख्य गायक की कमियों को ढकने की होती है।
    4. गोपियों को उद्धव से कहना पड़ा कि कृष्ण को अब राजनीति का ज्ञान हो गया है क्योंकि कृष्ण अब पहले जैसे सरल नहीं रह गए हैं, उनके स्वभाव में परिवर्तन आ गया है। राजनेताओं की तरह उनकी करनी व कथनी में अंतर आ गया है।

खंड ग – कृतिका (पूरक पाठ्यपुस्तक)

  1. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए:
    1.  भोलानाथ  बचपन में तरह-तरह के नाटक खेला करते थे। चबूतरे का एक कोने को ही नाटकघर बना लिया जाता था। बाबूजी जिस छोटी चौकी पर बैठकर नहाते थे, उसे रंगमंच के रूप में काम में लिया जाता था।  सरकंडे के खम्भों पर कागज का चंदोआ उस रंगमंच पर  तान दिया जाता था | वहीँ पर  मिठाइयों की दुकान लगाई जाती। इस दुकान में चिलम के खोंचे पर कपड़े के थालों में ढेले के लड्डू, पत्तों की पूरी-कचौरियाँ, गीली मिट्टी की जलेबियाँ, फूटे घड़े के टुकड़ों के बताशे आदि मिठाइयाँ सजाई जातीं । ठीकरों के बटखरे और जस्ते  के छोटे टुकड़ों के पैसे बनते । इससे भोलानाथ का यह व्यक्तित्व उभरकर आता है कि वह घर की अनावश्यक वस्तुओं को ही खिलौने बना लेते थे | आज की तरह वे दिखावे से कोसों दूर थे |
    2. लेखक को यह जानने की प्रेरणा लिखने के लिए प्रेरित करती है कि वह आखिर लिखता क्यों है। यह उसकी पहली प्रेरणा है। स्पष्ट रूप से समझना हो तो लेखक दो कारणों से लिखता है- भीतरी विवशता से। कभी-कभी कवि के मन में ऐसी अनुभूति जाग उठती है कि वह उसे अभिव्यक्त करने के लिए व्याकुल हो उठता है। कभी-कभी वह संपादकों के आग्रह से, प्रकाशक के तकाजों से तथा आर्थिक लाभ के लिए भी लिखता है। परंतु दूसरा कारण उसके लिए जरूरी नहीं है। पहला कारण अर्थात् मन की व्याकुलता ही उसके लेखन का मूल कारण बनती है।
    3. प्रकृति में जल संचय की व्यवस्था बहुत सुंदर है। सर्दियों में पहाड़ों पर गिरने वाली बर्फ, बर्फ के रूप में जल का संचय करती है। हिम-मंडित पर्वत-शिखर एक प्रकार के जल स्तंभ हैं जो गर्मियों में पिघलकर करोड़ों लोगों की प्यास बुझाते हैं।
      नदियों के रूप में बहती यह जल धारा अपने किनारे बसे नगर तथा गाँवों में जल संसाधन के रूप में तथा नहरों के द्वारा एक विस्तृत क्षेत्र में सिंचाई करती है और अंत में सागर में जाकर मिल जाती हैं। सागर से फिर वाष्प के रूप में जल-चक्र की शुरुआत होती है। सचमुच हम सभी नदियों और पर्वतों के ऋणी हैं, जो परोपकार का कार्य करती हैं।

खंड घ – रचनात्मक लेखन

  1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिये:
    1. हिमपात का दृश्य बड़ा मोहक होता है। आकाश का तापमान शून्य से नीचे जाने पर ही पहाड़ों पर बर्फ पड़ती है। निम्न तापमान छोटे-छोटे नरम ओले के रूप में गिरती है। ठंडक बढ़ने पर हिम रुई जैसे फाहों के रूप में गिरती है। हल्की हवा में ये तिरछे गिरते हैं। चाँदनी रात की हिमवृष्टि का दृश्य अदभत होता है।
      बर्फ सौंदर्यपूर्ण है, परंतु उसका आनंद सब नहीं ले सकते। लोगों में इसका सौंदर्य देखने की इच्छा नहीं होती। हिम दर्शन साधारण आदमी के बस की बात नहीं है। इसके लिए ओवर कोट, मोटा गर्म स्वैटर, चमड़े की जर्सी या फतुई, मोटा ऊनी मोजा, फूल बूट, चमड़े या ऊन की टोपी तथा हाथों चमडे के दस्ताने चाहिए। हिमराशि की श्वेतिमा देखने में मोहक होती है। एक-दो दिन तक तो बर्फ बहुत नरम होती है। हिलते उसमें धंस सकते हैं। हाँ, धंसने से न कपड़े भीगते हैं और न गंदे होते हैं। अपरिचित स्थानों पर गहरे गड्ढे हो सकते हैं। यूरोप में गड़ों का खतरा नहीं होता वहाँ मैदानी इलाके हैं। हमारे यहाँ सर्दी के कारण ऊबड़-खाबड़ जमीन में चलने को मन नहीं करता। घर में ही आग सेंकने की इच्छा होती है।
    2. ऑनलाइन गेमिंग का बढ़ता जाल आजकल बच्चे अपना अधिकांश समय किसी न किसी डिजिटल माध्यम पर ही व्यतीत करते हैं। दरअसल पिछले करीब डेढ़ वर्षो तक बच्चों की पढ़ाई-लिखाई डिजिटल माध्यम से होने के कारण वे उनके जीवन का हिस्सा बन गए। ऐसे में उनका रुझान आनलाइन गेमिंग की ओर भी बढ़ता गया। हमारे मासूम इसके शिकंजे में आते गए। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि आनलाइन पढ़ाई के बाद ही बच्चे इसके शिकंजे में आए, लेकिन इसके बाद इस तरह के बच्चों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई। युवाओं के साथ अब बच्चे भी तेजी ऑनलाइन गेम्स के एडिक्ट हो रहे है। बच्चों ने ऑनलाइन गेम्स जैसे पब्बजी,फ्रीफायर ने बच्चो के मानसिक संतुलन को खराब कर दिया है बच्चे अपने अभिभावकों से ऑनलाइन क्लास का बहाना लगाकर रूम में ऑनलाइन गेम खेलते हैं और वही बच्चों को अगर गेम्स खेलने के लिए मना किया जाता है। तो उनका गुस्सेल, चिड़चिड़ान अभिभावकों के लिए दिक्कत साबित हो जाता है और वे भी डरते हैं कहीं मना करने पर बच्चे कुछ ग़लत कदम ना उठा ले। ऑनलाइन गेम्स के फैशन ने आज बच्चों और युवाओं को भी अपना शिकार बना लिया है। आठ घंटे मोबाइल में ऑनलाइन गेम्स ने आज सभी की दिनचर्या में बदलाव कर दिया है। इसका युवा पीढ़ी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वे अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हटते दिखाई दे रहें हैं। ऑनलाइन गेम के विपरीत वास्तविक खेल कल्पनाशक्ति को बढ़ाते हैं। ये बच्चों और युवाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाते हैं। वास्तव में ऑनलाइन गेमिंग एक ऐसा जाल है जिसका उपयोग ठीक दिशा में करने पर सकरात्मक परिणाम आते हैं और यदि इसी का इस्तेमाल बुरी दिशा में करें तो जो परिणाम आगे चलकर भयावक रूप लेता हैं। ऑनलाइन का मतलब ये नही आज ऑनलाइन गेम्स खेले ,ऑनलाइन चैट करें ऑनलाइन चैट करें, या फिर ऑनलाइन का मिस यूज़ करें। कोरोना संकट ने हमे ऑनलाइन काम के साथ घर बैठे बहुत कुछ सीखा दिया आज यही पल जिसमें हम अपने घर 24 घंटे व्यतीत करते हैं और इस समय से अभिप्राय कोरोना में घर से है। वास्तव में हमे अपने बच्चों को इंटरनेट से जुड़ी उन तमाम जानकारियों से अवगत और बच्चों को इसका सही उपयोग बताना चाहिए जिससे हम अपने बच्चों के साथ उनका भविष्य भी उज्जवल बना सकें।
    3. ई-कचरा ई-कचरा आधुनिक समय की एक गंभीर समस्या है। वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफ़ी काम हो रहा है। इसके फलस्वरूप, आज नित नए-नए उन्नत तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का उत्पादन हो रहा है। जैसे ही बाज़ार में उन्नत तकनीक वाला उत्पाद आता है, वैसे ही पुराने यंत्र बेकार पड़ जाते हैं। इसी का नतीजा है कि आज कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, टीवी, रेडियो, प्रिंटर, आई-पोड्स आदि के रूप में ई-कचरा बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार एक वर्ष में पूरे विश्व में लगभग 50 मिलियन टन ई-कचरा उत्पन्न होता है। यह अत्यंत चिंता का विषय है कि ई-कचरे का निपटान उस दर से नहीं हो पा रहा है, जितनी तेज़ी से यह पैदा हो रहा है। ई-कचरे को डालने या खुले में जलाने से पर्यावरण के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों में आर्सेनिक, कोबाल्ट, मरकरी, बेरियम, लिथियम, कॉपर, क्रोम, लेड आदि हानिकारक अवयव होते हैं। इनसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ गया है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. दुनिया में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई-कचरा) पैदा करने वाले  शीर्ष पांच देशों में भारत का नाम भी शुमार है. इसके अलावा इस सूची में चीन, अमेरिका, जापान और जर्मनी है।
      अब समय आ गया है कि ई-कचरे के उचित निपटान और पुनः चक्रण पर ध्यान दिया जाए अन्यथा पूरी दुनिया शीघ्र ही ई-कचरे का ढेर बन जाएगी। इसके लिए विकसित देशों को आगे आना होगा और विकासशील देशों के साथ अपनी तकनीकों को साझा करना होगा, क्योंकि विकसित देशों में ही ई-कचरे का उत्पादन अधिक होता है और वे जब-तब चोरी-छिपे विकासशील देशों में उसे भेजते रहते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एक होना होगा।
  2. डी-413, सरोजनी नगर,
    नई दिल्ली।
    दिनांक : …………
    सेवा में,
    मुख्य सम्पादक,
    हिन्दुस्तान टाइम्स,
    बहादुरशाह जफ़र मार्ग,
    नई दिल्ली।
    विषय: टी.वी चैनल द्वारा अंधविश्वासों को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाने हेतु पत्र।महोदय,
    मैं भारतीय हूँ और दिल्ली का निवासी हूँ। मैं आपका ध्यान टी. वी चैनलों पर दिखाए जाने वाले आपत्तिजनक कार्यक्रमों पर आकर्षित करवाना चाहता हूँ। जो मुझे तर्कहीन और आधाररहित लगते है। कुछ कार्यक्रम ऐसे हैं जिनमें अंधविश्वासों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से आप हजारों-लाखों लोगों को अंधविश्वास के प्रति प्रोत्साहित कर रहे है। इस प्रकार के कार्यक्रमों का प्रभाव विशेषकर बच्चे और घरेलू स्त्रियों पर पड़ता है। कुछ पढ़े लिखे लोग भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। कभी-कभी लोग अपनी समस्या के निवारण के लिए ढ़ोंगी बाबा पर विश्वास कर गलत काम करने को भी तैयार हो जाते हैं। इससे समाज में हिंसा बढ़ सकती है। इस प्रकार की मानसिक्ता के साथ समाज का कल्याण नहीं हो सकता है। अतः आपसे निवेदन है कि इस प्रकार का टी.वी. प्रसारण रोकने हेतु उचित लेख लिख कर समाज को जागरुक करें। सरकार को इस विषय की जानकारी दी जाए। निर्माताओं को भी उनके कर्तव्यों से अवगत करवाया जाए। आशा करता हूँ कि जल्द ही आप इस विषय पर उचित कार्यवाही कर इस समस्या का निवारण करने में सफल होंगे।धन्यवाद,
    भवदीय,
    मनीष गुप्ता 75, शाहबाद,
    नई दिल्ली
    दिनांक 05-03-2024
    परमादरणीय पूज्य पिता जी,
    सादर प्रणाम।
    आपका पत्र मिला।
    आपने परीक्षा के परिणाम के सम्बन्ध में पूछा था। उत्तर में निवेदन है कि मेरी छमाही परीक्षा का परिणाम बहुत अच्छा रहा है। आपके आशीर्वाद से मैंने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मैंने छात्रावास में स्थान प्राप्त करने का प्रयत्न किया था, किन्तु अभी तक वहाँ स्थान नहीं मिल सका है। मैं प्रयत्न कर रहा हूँ। जब तक स्थान नहीं मिलता है, तब तक यहाँ एक कमरे में रह रहा हूँ। मैंने अपने साथ अपना एक मित्र भी रख लिया है। दोनों मिलकर किराया दे देते हैं। भोजन भी दोनों मिलकर बना लेते हैं। मेरा मित्र बहुत अच्छे स्वभाव का है। हम दोनों की खूब पटती है। घर आने का विचार तो वार्षिक परीक्षा देने के बाद ही बनाया है। आप लोगों की बहुत याद आती है।
    मुझे कुछ नई पुस्तकें खरीदनी हैं और खाने-पीने के सामान का इंतज़ाम करना है, अतः कृपया पाँच हज़ार रुपये शीघ्रातिशीघ्र भेजने की कृपा करें।
    माता जी को चरण स्पर्श! सभी छोटे भाई-बहिनों को शुभाशीर्वाद!
    आपका आज्ञाकारी पुत्र,
    जतिन
  3. अथवा
  4. प्रति,
    संपादक
    नवभारत टाइम्स
    बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग,
    नई दिल्ली ११०००१,विषय- ‘पत्रकार’ पद हेतु आवेदन-पत्र।
    मान्यवर,
    दिनांक 06 मार्च, 2020 को इस प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में छपे विज्ञापन संख्या 007/2020 से ज्ञात हुआ कि आपके प्रकाशन समूह को कुछ पत्रकारों की आवश्यकता है। इस पद के लिए मैं भी अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरा संक्षिप्त व्यक्तिगत विवरण निम्नलिखित है-
    नाम – सतपाल राणा
    पिता का नाम – श्री सलेकचन्द राणा
    जन्मतिथि –  20 जून , 1995
    पता – ए 4/120, महावीर इक्लेव, उत्तमनगर, दिल्ली।
    शैक्षणिक योग्यताएँ-

    दसवीं कक्षासी०बी०एस०ई० दिल्ली200785 %
    बारहवीं कक्षासी०बी०एस०ई० दिल्ली200976 %
    बी.ए.दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली201268 %
    पत्रकारिता डिप्लोमाजे.एन.यू. दिल्ली2014प्रथम श्रेणी

    कार्यानुभव- सांध्य टाइम्स (दिल्ली से प्रकाशित) में 25 नवंबर, 2014 से अब तक।
    घोषणा- मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि मुझे सेवा का अवसर मिला तो पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से कार्य करूँगा और अपने कार्य-व्यवहार से आपको संतुष्ट रखने का पूर्ण प्रयास करूँगा।
    धन्यवाद
    प्रार्थी
    सतपाल राणा
    हस्ताक्षर ……
    दिनांक 07 जुलाई , 2020
    संलग्न- शैक्षणिक योग्यताओं एवं अनुभव प्रमाण-पत्र की छायांकित प्रति।अथवा विषय: घड़ी की समस्या और मुआवज़ा की माँग
    मनोकाम वेबसाइट ग्राहक सेवा,
    नमस्ते। मैंने आपके मनोकाम वेबसाइट से एक घड़ी खरीदी थी (आर्डर नंबर: [8897452536]) जिसने अपनी काम करने की क्षमता खो दी है सिर्फ़ दो महीने में। मैं इस विचार में हूँ कि आपकी कंपनी उचित मुआवज़े की प्रक्रिया आरम्भ करे, क्योंकि मैंने उम्मीद की थी कि यह उत्कृष्ट गुणवत्ता की घड़ी होगी जो दीर्घकालिक उपयोग के लिए बनाई गई है। कृपया जल्द से जल्द मेरी शिकायत का समाधान करने का प्रयास करें और मुआवज़े की प्रक्रिया शुरू करें।
    आपके समय और समर्थन के लिए धन्यवाद।
    शाश्वत/शाश्वती
    [7888XXXXXX] shashvti78@gmail.com

  5. देवभूमि उत्तराखंड में आपका स्वागत है!

    हरियाली यहाँ अपार है, बर्फ का अंबार है।
    देवों की महिमा का आधार है, प्रकृति लुटाती जहाँ  प्यार है।

    उत्तराखंड राज्य पर्यटन विभाग की ओर से आप सबका हार्दिक स्वागत है।

    सेवा का मौका दें और उत्तराखंड की संस्कृति को जानें

    टोल फ्री नं.-1800-15-####

    अथवा

    दिनांक: 13 जनवरी 2023
    प्रिय मित्र,
    गिरीश

    लोहड़ी पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ।धूप हो चली तीखी तीखी
    आने वाली बसंत बहार,
    ढेरों खुशियाँ लेकर आया
    जीवन में लोहड़ी त्यौहार।
    मेरी कामना और आशीर्वाद हैं कि लोहड़ी का पर्व तुम्हारे जीवन में अपार खुशियाँ लेकर आए। तुम्हारा परिवार हमेशा स्वास्थ और समृद्धि से भरा रहे।
    फिर से एक बार लोहड़ी की लख-लख बधाइयाँ।
    तुम्हारी मित्र
    गोविंद

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