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𝕾𝖆𝖒𝖕𝖑𝖊 𝖕𝖆𝖕𝖊𝖗 𝖈𝖑𝖆𝖘𝖘 11 𝖌𝖊𝖔𝖌𝖗𝖆𝖕𝖍𝖞

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𝕾𝖆𝖒𝖕𝖑𝖊 𝖕𝖆𝖕𝖊𝖗 𝖈𝖑𝖆𝖘𝖘 11 𝖌𝖊𝖔𝖌𝖗𝖆𝖕𝖍𝖞
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Bhavana Kasva 11 months, 2 weeks ago

🙂
CBSE Class 11 भूगोल Sample Paper 01 समय : 3 घंटे पूर्णांक : 70 सामान्य निर्देश:- प्रश्नों की कुल संख्या 22 हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रश्न संख्या 1 से 7 तक अति लघु उत्तर वाले प्रश्न हैं और प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 20 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए। प्रश्न संख्या 8 से 13 तक लघु उत्तर वाले प्रश्न हैं और प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 80 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए। प्रश्न संख्या 14 से 20 तक दीर्घ उत्तर वाले प्रश्न हैं, प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 150 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए। प्रश्न संख्या 21 से 22 मानचित्र पर दिये गये प्रश्न भौगोलिक लक्षणों को पहचानने, स्थिति दिखाने तथा नामांकन करने से संबंधित हैं। रेखाचित्र बनाने के लिए साँचों या स्टेंसिल के प्रयोग की अनुमति दी जाती है। रेगड़ मृदा किसे फसल के लिए उपयुक्त है? कपास गेहूँ जूट चावल धरातल के सबसे नजदीक कौन से मेघ पाए जाते हैं? पक्षाम स्तरी वर्षा मेघ कपासी मेघ निम्बस शुष्क शीत वाला मानसूनी प्रकार के जलवायु प्रदेश का नाम लिखो। Af Cfa As Cwg अरावली पर्वत की सबसे ऊँची चोटी कौन सी है? नन्दा देवी कंचल भुंगा गुरू शिखर मकालू क्षोभ मंडल की ऊँचाई लिखो। भारत में मिलने वाले दो हॉट स्पॉट लिखो। खेजड़ी वृक्ष किस प्रकार के वनों में पाये जाते हैं? मृदा अपरदन क्या है? इसे रोकने के लिए किन मानवीय मूल्यों की आवश्यकता है? भारत को उपमहाद्वीप क्यों कहा जाता है? भारतीय उपमहाद्वीप में कौन-कौन से देश शामिल हैं? संकटापन पौधों एवं जीवों की प्रजातियों को उनके संरक्षण के उद्देश्य से तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है, विस्तार पूर्वक समझाइये। V आकार की घाटी तथा U आकार की घाटी में अन्तर स्पष्ट कीजिए। भारतीय मानसून के प्रस्फोट, विच्छेद और निर्वतन का अर्थ स्पष्ट करें। भौतिक भूगोल के अध्ययन के महत्व पर प्रकाश डालिए। शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात और उष्णकटिबन्धीय चक्रवात स्पष्ट करें। भूकम्प किसे कहते हैं? भूकम्प के प्रभावों का वर्णन करिए। कोपेन के अनुसार भारत के जलवायु प्रदेश कौन से हैं। (कोई पाँच) ज्वार भाटा क्या है? इसके महत्व की चर्चा कीजिए। तापमान का व्युत्क्रमण अथवा प्रतिलोम किसे कहते हैं? वन संरक्षण नीति कब लागू की गई। इस नीति के प्रमुख उद्देश्य क्या थे? मृदा किसे कहते हैं? भारत में पाई जाने वाली लेटेराइट मृदाओं की कोई दो विशेषताएँ बताइए। संसार के मानचित्र पर निम्न को पहचानिए तथा दिए गए स्थान पर उनके नाम भी लिखिए।  महाविविधता केन्द्र वाला देश समुद्री जल धारा एक पर्वत शृंखला कम लवणता वाला सागर एक छोटी प्लेट भारत के दिए गए मानचित्र पर निम्नलिखित की स्थिति उपयुक्त चिह्नों द्वारा दर्शाइये प्रत्येक की स्थिति के साथ उसका नाम लिखिए।  प्रायद्वीपीय पठार की सबसे बड़ी नदी असम राज्य का जीवमंडल निचय जम्मू कश्मीर में स्थित झील उत्तर भारत के शीतकालीन वर्षा क्षेत्र लेटराइट मृदा के क्षेत्र CBSE Class 11 भूगोल Sample Paper 01 [उत्तर] i. कपास ii. वर्षा मेघ iv. Cwg iii. गुरू शिखर ध्रुवों पर 8 किलो मीटर भूमध्य रेखा पर 16 किलो मीटर पश्चिमी घाट, पूर्वी हिमालय उष्ण कटिबन्धीय काँटेदार वन। (Tropical Thorn Forests) मृदा अपरदन - प्राकृतिक कारक जैसे बहता जल, पवन और हिमानी द्वारा मृदा का कटाव एव मानवीय क्रियाकलापों द्वारा मृदा का विनाश, मृदा अपरदन कहलाता है। मानवीय मूल्य:- पर्यावरण के प्रति संवदेशनशीलता जागरूकता सामाजिक/आपसी सुह्यर्दय और सहचर्य ईमानदारी एवं कर्त्तव्यनिष्ठता उपमहाद्वीप किसी विशाल महाद्वीप का वह भाग है जो अपने भौतिक और भौगोलिक लक्षणों के कारण शेष महाद्वीप से अलग होता है। भारत को उपमहाद्वीप कहे जाने के कई कारण हैं- प्राकृतिक सीमाएं:- इसके उत्तर में हिमालय पर्वत, उत्तर पश्चिम में हिन्दूकुश व सुलेमान श्रेणियों, उत्तर पूर्व में पूर्वांचल पहाड़ियाँ और दक्षिण में विशाल हिन्द महासागर से घिरी एक विशाल भौगोलिक इकाई है। जलवायु:- यहाँ उष्ण मानसूनी जलवायु पाई जाती है। इस महाद्वीप में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और बंग्लादेश शामिल है। इंटरनेशल यूनियन फॉर द कंजरवेशन आफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेस (International Union for the conservation of nature and natural resources IUCN) द्वारा दिया गया वर्गीकरण संकाटापन्न प्रजातियाँ (Endangered Species) - वे सभी प्रजातियाँ जिनके लुप्त हो जाने का खतरा है। - IUCN इनकी सूचना (Red List) रेड लिस्ट में प्रकाशित रकता है - रेड पाँडा सुभेद्य प्रजातियाँ (Vulnerable species) - वे प्रजातियाँ जिन्हें संरक्षित नहीं किया गया और उनके विलुप्त होने में सहयोगी कारक जारी रहे तो निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा है। - इनकी सख्या काफी कम होने के कारण इनका Survival तय नहीं है। दुर्लभ प्रजातियाँ (Rare Species) - संसार में इन प्रजातियों की संख्या बुहत ही कम है। - ये कुछ ही स्थानों पर सीमित है या बड़े क्षेत्र में विरल रूप में बिखरी हैं। V आकार की घाटी और U आकार की घाटी में अंतरV आकार की घाटीU आकार की घाटीनिर्माण नदियों द्वारा होता है।निर्माण हिमनद द्वारा होता हैं।पर्वतीय ढालों पर नदी तेज गति से बहती है और उर्ध्वाधर अपरदन का कार्य करती। वह अपने तल को काटकर गहरा करती है, और किनारों पर अपरदन कम होता है, जिससे V - आकार की घाटी का निर्माण होता है।हिमानी V-आकार की घटियों के किनारों को काटकर चौड़ा तथा तल को गहरा कर देती है। इस प्रकार V आकार की घाटी U-आकार की घाटी बन जाती है।यह स्थालाकृति उन पहाड़ी क्षेत्रों में बनती है जहाँ वर्षा अधिक मात्रा में होती है और चट्टानें अधिकर कठोर नहीं होती हैं।यह स्थालाकृति उन बर्फ से ढके पहाड़ी क्षेत्रों में बनती हैं, जहाँ ढ़ाल तीव्र होता है। मानसून प्रस्फोट:- वर्षा ऋतु में अचानक वर्षा का आरम्भ अधिक तीव्रता के साथ होता है, जिसमें विद्युत तथा बादलों की गरजना भी होता है। इस प्रकार की वर्षा को मानसून प्रस्फोट कहते हैं। मानसून विच्छेद:- जब मानसून पवनें 2 सप्ताह या इससे अधिक अवधि के लिए वर्षा करने में असफल रहती हैं तो वर्षा काल में शुष्क दौर आ जाता है। इसे मानसून विच्छेद कहते है। मानसून का निवर्तन:- दक्षिण पश्चिम मानसून भारत के उत्तर पश्चिमी भाग से 1 सितम्बर को लौटना शुरू कर देता है। 15 अक्टूबर तक यह दक्षिणी प्रायद्वीप को छोड़कर समस्त भारतीय क्षेत्र से लौट जाता है। लौटती हुई पवनें बंगाल की खाड़ी से जलवाष्प ग्रहण कर लेती है और उत्तर-पूर्वी मानसून के रूप में तमिलनाडु पहुँचकर वहाँ दिसम्बर में वर्षा करती है। यह मानसून का लौटना या निवर्तन कहलाता हैं। भौतिक भूगोल, भूगोल की एक महत्वपूर्ण शाखा है। इसमें भूमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल, एवं जैवमंडल का अध्ययन शामिल है। भौतिक भूगोल के सभी तत्वों का विशेष महत्व है। भू-आकृतियाँ मानव क्रियाकलापों के लिए आधार प्रस्तुत करती है। जैसे:- मैदानों का उपयोग कृषि के लिए किया जाता है और पठारों पर वन और खनिज सम्पदा विकसित होती है। पर्वतों में नदियों के स्त्रोत, चारागाह, वन तथा पर्यटक स्थल होते हैं। जलमंडल में सागर एवं माहासागर अनेक प्राकृतिक संसाधन जैसे मछली खनिज, तेल और अन्य महत्वूपर्ण खनिजों का भंडार है। जलवायु हमारे शारीरिक गठन, वस्त्र, भोजन, आवास आदि अनेक भौतिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं को प्रभावित करती है। मृदा, पौधों, पशुओं एवं सूक्ष्म जीवाणुओं के धारक जीवमंडल के लिए आधार प्रदान करती है। शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात और उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात में अंतर शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातउष्ण कटिबन्धीय चक्रवातस्थितिये शीतोष्ण कटिबन्ध में 35° से 65° अक्षांश तक चलते हैं।ये उष्ण कटिबन्ध में 5° से 30° आक्षांक्ष तक चलते हैं।दिशाये पश्चिमी पवनों के साथ-साथ पश्चिम से पूर्व की ओर चलते हैं।ये व्यापारिक पवनों के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर चलते हैं।विस्तार और आकारइनका व्यास 1000 कि.मी. से अधिक होता है ये अक्सर V आकार के होते हैं।इनका व्यास 150 से 200 कि. मी. तक होता है। और ये वृत्ताकार होते हैं।रचनाये प्रायः शीतकाल में उत्पन्न होते हैं। इनमें दो भाग, उष्ण वाताग्र तथा शीत वाताग्र होते हैं।ये प्रायः ग्रीष्मकाल में उत्पन्न होते हैं। इनके केन्द्रीय भाग का 'आँख' कहा जाता हैं।मौसमइसमें शीत लहर चलती है और कई दिनों तक थोड़ी-थोड़ी वर्षा होती रहती है।इनमें थोड़े समय के लिए तेज हवाएँ चलती हैं और भारी वर्षा होती है। भूकम्प का शाब्दिक अर्थ है भूमि में कम्पन पैदा होना। जब किसी ज्ञात अथवा आज्ञात, आंतरिक अथवा बाह्य कारणों से पृथ्वी के धरातल में अनायास ही कम्पन पैदा हो जाता है। भारत और आस-पास के क्षेत्रों में आने वाले भूकम्पों का मुख्य कारण भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट का आपस में टकराव है। भूकम्प अत्यंत विनाशकारी होते हैं और उनके निम्नलिखित प्रभाव देखने को मिलते हैं:- जन-धन की हानि:- भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में कुछ ही क्षणों में हजारों लोगों की जान चली जाती है। मकान, अवंसरचनात्मक ढांचे, बिजली के खंबे धराशयी हो जाते हैं, पटरियाँ और पाइपलाइन उखड़ जाती है। बाढ़ का प्रकोप:- भूकम्प से बाँधों का टूटना, नदियों का मार्ग अवरूद्ध होना एवं परिवर्तित होना, बाढ़ को जन्म देता है और नुकसान को और बढ़ा देता है। सुनामी:- समुद्रिक क्षेत्रों में आने वाले भूकम्प सुनामी पैदा करते हैं। ये लहरें तटीय क्षेत्रों में तबाही मचा देती है। हिन्द महासागर में 26 दिसम्बर 2004 को सूनामी, सुमात्रा तट के निकट आये भयंकर भूकम्प द्वारा पैदा हुई थी। भूस्खलन:- भूकम्प के प्रभाव से नवीन वलित पर्वतीय क्षेत्रों में दरारें पड़ जाती है। कालान्तर में से खण्डित भाग ढ़ाल के साथ खिसक जाते हैं। इस भूस्खलन से मार्ग अवरूद्ध हो जाते हैं और जन-धन की हानि होती है। आग लगना:- भूकम्प के समय आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट हो सकता है। पेट्रोलियम पाइपलाइन फट सकती है।। भोजन पकाते समय आने वाले भूकम्प आग का कारण बन सकते हैं। लघु शुष्क ऋतु का मानसूनी प्रकार (Amw)- पश्चिमी तट के साथ-साथ गोआ के दक्षिण में पाई जाती है। उष्ण कटिबंधीय सवाना (AW)- तटवर्ती प्रदेश के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर लगभग पूरे प्रायद्वीपीय भारत में पाई जाती है। ग्रीष्म ऋतु में शुष्क मानसूनी (AS)- कारो मंडल तट के साथ-साथ। अर्द्ध शुष्क स्टेपी (Bshw)- प्रायद्वीप के अंदर के भाग, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, जम्मु कश्मीर के कुछ भाग। शुष्क शीत ऋतु की मानसूनी जलवायु (CWg)- भारत के उत्तरी मैदानों में पाई जाती है। सूर्य तथा चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्तियों के कारण सागर के जल के ऊपर उठने तथा नीचे गिरने को ज्वार भाटा कहते हैं सागरीय जल के ऊपर उठकर तट की ओर बढ़ने को ज्वार और नीचे गिरकर सागर की ओर लौटने को भाटा कहते हैं। ज्वार भाटे के निम्नलिखित लाभ हैं:- नदमुखों पर स्थित बन्दरगाह तक अक्सर छिछलै होते हैं। किन्तु ज्वार के आने से जल की मात्रा इतनी बढ़ जाती है कि जहाज आसानी से बन्दरगाह तक पहुँच जाते है और माल उतारने और लादने के बाद भाटे के साथ सागर में वापस आ जाते हैं। उदाहरण हुगली नदी पर कोलकाता और टेम्स नदी पर लन्दन बन्दरगाह। ज्वार भाटे की वापसी लहरे समुद्र तट पर बसे शहरों की सारी गंदगी और प्रदूषित जल बहाकर ले जाता है। ज्वार के समय ऊपर चढ़े हुए जल को बाँध बनाकर भाटे के साथ गिराकर विद्युत उत्पादन किया जा सकता हैं 3 मेगावाट शक्ति का विद्युत संयत्र पश्चिम बंगाल में सुन्दरवन के दुर्गादुवानी में लगाया गया है। मछली पकड़ने वाले नाविक भाटे के साथ खुले समुद्र में मछली पकड़ने जाते हैं और ज्वार के साथ सुरक्षित तट पर लौट आते है। ज्वार भाटे के कारण सागर जल में निरन्तर हलचल बनी रहती है जिससे वह साफ रहता है और जमता नहीं है। तापमान का व्युत्क्रमण:- वायुमंडल की सबसे निचली परत क्षोभमंडल में ऊँचाई के साथ सामान्य परिस्थितियों में तापमान घटता है। परन्तु कुछ परिस्थितियों में ऊँचाई के साथ तापमान बढ़ने लगता है। इस अवस्था को तापमान का व्युत्क्रमण कहा जाता है। तापमान के इस प्रतिलोभ में धरातल के समीप ठंडी वायु और ऊपर की ओर गर्म वायु होती है। तापमान के व्युत्क्रमण/प्रतिलोम के लिए निम्नलिखित भौगोलिक परिस्थितियाँ सहयोगी है:- लम्बी रातें:- पृथ्वी दिन के समय गर्म होती है और रात को ठंडी होती है। रात के समय पृथ्वी के आस-पास की वायु भी ठण्डी हो जाती है और ऊपर की वायु अपेक्षाकृत गर्म रहती है। स्वच्छ आकाश:- भौतिक विकिरण द्वारा पृथ्वी के ठंडा होने के लिए स्वचछ एवं मेघरहित आकाश होना अति आवश्यक है। शांत वायु:- वायु के चलने से आस-पास के क्षेत्रों के बीच में ऊष्मा का आदान-प्रदान होता है। जिससे नीचे की वायु ठण्डी नहीं हो पाती। शुष्क वायु:- शुष्क वायु में ऊष्मा को ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है। जिससे तापमान में गिरावट में कोई परिवर्तन नहीं होता। परन्तु शुष्क वायु भौतिक विकिरण को शोषित नहीं कर सकती। अतः ठण्डी होकर तापमान के व्युत्क्रमण की स्थिति पैदा करती है। हिमाच्छादन:- हिम और विकिरण के अधिकांश भाग को परावर्तित कर देता है। जिससे वायु की निचली परत ठंडी रहती है और तापमान का व्युत्क्रमण होता है। वन पर्यावरण एवं परिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं परन्तु बढ़ती जनसंख्या, नगरीकरण और औद्योगिकरण के कारण वनों का तेजी से विनाश किया जा रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत को पहली वन नीति 1952 में लागू की गई थी। सन् 1998 में नई राष्ट्रीय वन नीति घोषित की गई इस नीति के प्रमुख उद्देश्य:- देश के 33 प्रतिशत भाग पर वन लगाना। निम्नीकृत भूमि पर सामाजिक वनिकी एवं वनोरोपण द्वारा वन आवरण का विस्तार। वनों की उत्पादकता बढ़ाकर वनों पर निर्भर ग्रामीण जनजातियों को इमारती लकड़ी, ईंधन, चारा और भोजन उपलब्ध करवाना और लकड़ी के स्थान पर अन्य वस्तुओं को प्रयोग में लाना। पेड़ लगाने को बढ़ावा देना और पेड़ों की कटाई रोकने के लिए जन-आंदोलन चलाना, जिसमें महिलाएं भी शामिल हो ताकि वनों पर दबाव कम हो। वन और वन्य जीव संरक्षण में लोगों की भागीदारी। देश की प्राकृतिक धरोहर, जैव विविधता और आनुवांशिक मूल का संरक्षण। मृदा भू-पृष्ठ का वह उपरी भाग है, जो चट्टानों के टूटे-फूटे बारीक कणों तथा वनस्पति के सड़े-गले अंशों के मिश्रण से जलवायु व जैव-रासायनिक प्रक्रिया से बनती है। लेटेराइट मृदाओं की विशेषताएँ निम्नलिखित है- लेटेराइट एक लैटिन शब्द 'लेटर' से बना है, इसका शाब्दिक अर्थ ईंट होता है। इसका निर्माण मानसूनी जलवायु में शुष्क तथा आर्द्र मौसम के क्रमिक परिवर्तन के कारण होने वाली निक्षालन प्रक्रिया से हुआ है। इण्डोनेशिया ब्राजील की धारा एण्डीज पर्वत काला सागर कोकोस प्लेट गोदावरी मानस वूलर झील पंजाब, हरियाणा मेघालय, तमिलनाडु
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