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𝕹𝖔𝖙𝖊𝖘 𝖈𝖍𝖆𝖕𝖙𝖊𝖗 1

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𝕹𝖔𝖙𝖊𝖘 𝖈𝖍𝖆𝖕𝖙𝖊𝖗 1
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सीबीएसई कक्षा - 11 विषय - भूगोल पुनरावृत्ति नोट्स पाठ - 1 भूगोल एक विषय के रूप में ‘भूगोल’ शब्द हिन्दी के दो शब्दों से मिलकर बना है  = भू + गोल अर्थात् पृथ्वी गोल है। 234 ई॰ पू॰ यूनान के प्रसिद्ध विद्वान इरेटाँस्ठेनीज ने इस विषय की परिभाषा दने के लिए Geo (पृथ्वी) और Graphs (वर्णन) का प्रयोग किया है। इसका शाब्दिक अर्थ है - पृथ्वी का वर्णन करना। वर्तमान समय में भूगोल शब्द का अर्थ है कि ‘पृथ्वी के धरातल पर पाई जाने वाली स्थानिक (Spatial) तथा सामायिक (Temporal) विभिन्नताओं (Varations) के अध्ययनं को भूगोल कहते हैं। भूगोल के अध्ययन की दो प्रमुख उपागम है। (1) क्रमबद्ध तथा प्रादेशिक। भूगोल का महत्व-भूगोल विविधता समझने तथा समय एवं स्थान के संदर्भ में ऐसी विभिन्नताओं को उत्पन्न करने वाले कारकों की खोज करने की क्षमता प्रदान करता है। इससे मानचित्र में परिवर्तित गोलक को समझने तथा धरातल, विश्व की मृदा, खनिज संपदा, मौसम, जलवायु, जनसंख्या, यातायात और संचार के साधन तथा स्थानीय परिदृश्यों के बारे में जानकारी मिलती है। इसके अतिरिक्त पर्वत, पठार, मैदान, रेगिस्तान, समुद्र, झील, पर्यावरण और सांस्कृतिक तथ्यों के बारे में भी जानकारी मिलती है। महत्त्वपूर्ण तथ्य- प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन निर्वाह के लिए अपने आसपास के संसाधनों पर निर्भर करते हैं। आदिम समाज अपने भरण-पोषण के लिए प्राकृतिक निर्वाह संसाधनों, जैसे-पशुओं एवं खाद्य पौधों पर आश्रित था।  इरेटॉस्थेनीज नामक एक ग्रीक विद्वान द्वारा सबसे पहले भूगोल शब्द का इस्तेमाल किया था। यह शब्द ग्रीक भाषा के दो मूल शब्दों ‘Geo' अर्थात् पृथ्वी एवं ‘graphos' अर्थात् वर्णन करना से लिया गया है। इसके अंतर्गत Geography का अर्थ है-पृथ्वी का वर्णन करना। भूगोलवेत्ता मात्र धरातल पर तथ्यों में विविधता का अध्ययन नहीं करते,  जबकि उन कारकों को पढ़ते हैं जो इन विविधताओं की वजह होती हैं। उदाहरणार्थ, फसल का स्वरूप एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में भिन्न होता है, लेकिन यह भिन्नता एक तथ्य के रूप में जलवायु, बाज़ार में माँग, किसानों की व्यय-क्षमता, मिट्टी, तकनीकी निवेश की उपलब्धता आदि में भिन्नता से संबंधित होती हैं। एक वैज्ञानिक विषय के रूप में भूगोल तीन वर्गीकृत प्रश्नों से संबंधित है- कुछ प्रश्न धरातल पर पाए जाने वाले प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं के प्रतिरूप की पहचान से जुड़े होते हैं, जो 'क्या' प्रश्न के उत्तर देते हैं। कुछ प्रश्न कौन-से तत्व कहाँ स्थित हैं, से संबंधित सूचीबद्ध सूचनाओं से जुड़े हुए होते हैं। ये प्रश्न व्याख्या अथवा तत्वों एवं तथ्यों के मध्य कार्य-कारण संबंध से जुड़े हुए होते हैं। भूगोल का यह पक्ष 'क्यों' प्रश्न से जुड़ा हुआ होता है। कुछ प्रश्न पृथ्वी पर भौतिक तथा सांस्कृतिक तत्वों के वितरण से संबंधित होते हैं, जो ‘कहाँ प्रश्न से संबधित होते हैं। भूगोल की सभी शाखाएँ-आर्थिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल, अधिवास भूगोल, सामाजिक भूगोल, राजनीतिक भूगोल, आदि-विषयों से घनिष्ठता से जुड़ी हैं, क्योंकि इनमें सभी स्थानिक विशेषताएँ  जुडी हुई हैं। एक भूगोलवेत्ता को गणित एवं कला, विशेषत: मानचित्र रेखांकन में निपुण होना चाहिए। भूगोल खगोलीय स्थितियों के अध्ययन से भी जुड़ा हुआ हैं, जो अक्षांश एवं देशान्तर का विवरण प्रस्तुत करता है। वनस्पति शास्त्र, जीव विज्ञान, जैव भूगोल तथा पारिस्थितिकी विज्ञान से ज़्यादा निकटता से जुड़ा है, क्योंकि मानव विभिन्न स्थानिक पर्यावरण में निवास करता है। जलवायु विज्ञान, सामुद्रिक विज्ञान, भू-आकृति विज्ञान, मृदा भूगोल का प्राकृतिक विज्ञान से निकटता का संबंध है, क्योंकि ये अपनी सूचनाएँ इन्हीं विज्ञानों से प्राप्त करते हैं। भूगोल के अध्ययन के दो प्रमुख उपागम हैं- i. क्रमबद्ध उपागम, ii. प्रादेशिक उपागम। क्रमबद्ध भूगोल के जन्मदाता जर्मन भूगोलवेत्ता अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट थे तथा प्रादेशिक भूगोल के जन्मदाता जर्मन भूगोलवेत्ता कार्ल रिटर थे।
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