Kabir or Mira ki bhakti ki …
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Posted by Parth Daryani 8 months, 2 weeks ago
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Muhammad Amaan Rahman 𝔸𝕄𝔸𝔸ℕ 𝕄𝕌ℍ𝔸𝕄𝕄𝔸𝔻 8 months, 1 week ago
कबीर दास भक्ति काल के निर्गुण काव्यधारा के प्रमुख कवियों में से एक है उन्होंने राम को निर्गुण रूप में स्वीकार किया है तथा वह निर्गुण की उपासना का संदेश देते हैं उनकी राम भावना ब्रह्म भावना से सर्वथा मिलती है। कबीर पहले भक्त हैं फिर कवि है। उन्होंने जाति-पाती, काम-धाम, चमक-दमक, दिखावा,पहनावा, अंधविश्वास, मूर्तिपूजा, हिंसा, माया, छुआछूत, आदि पर विद्रोह भावना प्रकट की हैं। इन सब से दूर होकर भक्ति की भावना में लीन होने के लिए कबीरदास जी कहते हैंl मीरा का काव्य जहाँ एक तरफ कृष्ण-भक्ति में एकनिष्ठ होकर अपनी मुक्ति का मार्ग खोजने का आख्यान है वहीं दूसरी तरफ एक नारी के शाश्वत दुःखों का गायन भी है। मीरा के काव्य में काव्यशास्त्रों में वर्णित सिद्धान्तों का निदर्शन बहुत कम प्राप्त होता है, क्योंकि इनके काव्य में भाव-प्रवणत्ता प्रधान है और शिल्प द्वितीयक है। ऐसा भी नहीं है कि शिल्प का बिल्कुल अभाव हो, परन्तु कलात्मक तत्त्वों से अधिक भावात्मक तत्त्वों का ध्यान रखने के कारण इनका काव्य शिल्प-प्रधान नहीं है।
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Preeti Dabral 8 months, 2 weeks ago
इन सब से दूर होकर भक्ति की भावना में लीन होने के लिए कबीरदास जी कहते हैंl मीरा का काव्य जहाँ एक तरफ कृष्ण-भक्ति में एकनिष्ठ होकर अपनी मुक्ति का मार्ग खोजने का आख्यान है वहीं दूसरी तरफ एक नारी के शाश्वत दुःखों का गायन भी है।
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