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सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही; वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही। विरुद्धवाद बुद्ध का दया- प्रवाह में बहा, विनीत लोकवर्ग क्या ने सामने झुका रहा?→(अर्थ)
  • 1 answers

Vanshika Nagar 6 months, 3 weeks ago

कवि ने सहानुभूति को मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी इसलिए कहा है क्योंकि यही गुण मनुष्य को, उदार और सर्वप्रिय बनाता है। इसी के कारण सारी दुनिया मनुष्य के वश में हो जाती है। दूसरों के साथ दया, करुणा और सहानुभूति का व्यवहार करके धरती को वश में किया जा सकता है। वही महान विभूति होते है। जो दूसरों को सहानुभूति देते हैं। बुद्ध ने करुणा वश उस समय ही पारंपरिक मान्यताओं का विरोध किया था। उदार वही होता है जो परोपकार करता है। जो मनुष्यता के काम आता है, सबके लिए जीता-मरता है। उदारता, विनम्रता आदि गुणों के सामने सभी नतमस्तक हो जाते हैं।
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