Bombay plane kya h ?
CBSE, JEE, NEET, CUET
Question Bank, Mock Tests, Exam Papers
NCERT Solutions, Sample Papers, Notes, Videos
Posted by Varsha Kumari 8 years ago
- 1 answers
Related Questions
Posted by Rakhi Chauhan 1 year, 3 months ago
- 0 answers
Posted by Laksh Phore 1 year, 4 months ago
- 0 answers
Posted by Aasiya Gani 1 year, 6 months ago
- 0 answers
Posted by Prathibha Y.D 1 year, 3 months ago
- 0 answers
Posted by Priyanshi Kashyap 1 year, 2 months ago
- 0 answers
myCBSEguide
Trusted by 1 Crore+ Students
Test Generator
Create papers online. It's FREE.
CUET Mock Tests
75,000+ questions to practice only on myCBSEguide app
Sahdev Sharma 8 years ago
द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम वर्षों तक यह साफ दिखाई देने लगा था कि अंग्रेजों के भारत पर शासन के दिन अब पूरे हो चुके थे। उन्हीं दिनों दूरदर्शी जे.आर.डी. टाटा को यह विचार सताने लगा था कि आजादी के बाद देश की प्राथमिक आवश्यकता औद्योगीकरण और आर्थिक प्रगति की रहेगी। उस जटिल समस्या से जूझने के लिए जे.आर.डी. ने वर्ष 1944 में ही देश के अग्रणी उद्योगपतियों को आमंत्रित किया, ताकि वे सभी आजादी के बाद के आर्थिक कदमों का मार्ग पहले ही से निर्धारित कर लें।
जे.आर.डी. टाटा ने इस हेतु घनश्यामदास बिड़ला, कस्तूरभाई लालभाई, सर पुरुषोत्तमदास ठाकुरदास और सर श्रीराम को एक साथ विचार-विमर्श का न्यौता दिया। जे.आर.डी. सहित इन पांच उद्योगपतियों के अलावा तीन प्रखर बुद्धिजीवी भी उस ‘थिंक टैंक‘ में शामिल हुए। वे तीनों ही टाटा घराने से संबद्ध थे- सर अरदेशी दलाल, ए.डी. श्रॉफ व डॉ. जॉन मथाई। इन आठों अनुभवी, भविष्यदृष्टा और व्यापक सोच वाले व्यक्तियों की चाह एक ही थी- आजादी के बाद भारत को आर्थिक प्रगति की राह पर प्रशस्त करना। जब उस ‘समिति’ की पहली बैठकों में तो कोई निश्चित लक्ष्य या दिशा-निर्धारण नहीं हो सका, तब जी.डी. बिड़ला ने यह सुझाव दिया कि आजादी के बाद भारत को क्या करना चाहिए, इस प्रश्न के संभावित उत्तर पर अटकलें लगाने के बजाय प्राथमिकता इस बात को दी जानी चाहिए कि आजादी के बाद हमारे नागरिकों की भोजन, रहवास, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की जरूरतें क्या होंगी और उसी को आधार मानकर उनकी पूर्ति हेतु कार्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए।
अंततःजो दस्तावेज तैयार किया गया, वह उसी आधार पर था। ‘भारत के आर्थिक विकास की योजना‘ नाम से जो ऐतिहासिक दस्तावेज उस समिति ने जारी किया, उसी का दूसरा नाम ‘बॉम्बे प्लान‘ अथवा ‘टाटा-बिड़ला प्लॉन’ पड़ गया। जनवरी 1944 में सार्वजनिक तौर पर जारी इस योजना की पूरी ‘ड्राफ्टिंग’ आठ सदस्यीय समिति के एक सदस्य, डॉ. जॉन मथाई ने ही की थी।
0Thank You