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CBSE class 11 Hindi Elective New Syllabus 2018-19

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CBSE class 11 Hindi Elective New Syllabus 2018-19

प्रस्तावना:
उचचतर माध्यमिक सतर मे प्रवेश लेने वाला विद्यार्थी पहली बार सामानय शिक्षा से विशेष अनुशासन की शिक्षा की और उन्मुख होता हैं | दस वर्षों में विद्यार्थी भाषा  कौशलों से परिचित हो जाता है। भाषा और साहित्य के स्तर पर उसका दायरा अब घर, पास-पड़ोस, स्कूल, प्रान्त और देश से होता हुआ धीरे-धीरे विश्व तक फैल जाता है | वह इस उम्र में पहुँच चुका है की देश की सांस्कृतिक, सामजिक, राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं पर विचार-विमर्श कर सके, एक जिम्मेदार नागरिक की तरह अपनी जिम्मेदारियों को समझ सके तथा देश और खुद को सही दिशा दे सकने में भाषा की ताकत को पहचान सके। ऐसे दृढ़ भाषिक और वैचारिक आधार के साथ जब विद्यार्थी आता है तो उसे विमर्श की भाषा के रूप में हिंदी की व्यापक समझ और प्रयोग में दक्ष बनाना सबसे पहला उद्देश्य होगा। किशोरावस्था से युवावस्था के इस नाजुक मोड़ पर किसी भी विषय का चुनाव करते समय बच्चे और उनके अभिभावक इस बात को लेकर सबसे अधिक चिंतित रहते हैं कि चयनित विषय उनके भावी कैरियर और जीविका के अवसरों में मदद करेगा कि नहीं। इस उम्र के विद्यार्थियों में चिंतन और निर्णय करने की प्रवृत्ति भी प्रबल होती है। इसी आधार पर वे अपने मानसिक, सामाजिक, बौधिक
और भाषिक विकास के प्रति भी सचेत होते हैं और अपने भावी अध्ययन की दिशा तय करते हैं। इस स्तर पर ऐच्छिक हिंदी का अध्ययन एक सृजनात्मक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और विभिन्न प्रयुक्तियों की भाषा के रूप में होगा। इस बात पर भी बल दिया जाएगा कि निरंतर विकसित होती हिंदी के अखिल भारतीय स्वरूप से बच्चे का रिश्ता बन सके। इस स्तर पर विद्यार्थियों में भाषा के लिखित प्रयोग के साथ-साथ उसके मौखिक प्रयोग की कुशलता और दक्षता का विकास भी जरूरी है। प्रयास यह भी होगा कि विद्यार्थी अपने बिखरे हुए विचारों और भावों की सहज और मौलिक अभिव्यक्ति की क्षमता हासिल कर सके।
इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से :

  1. विद्यार्थी अपनी रुचि और आवश्यकता के अनुरूप साहित्य का गहन और विशेष अध्ययन जारी रख सकेंगे।
  2. विश्वविद्यालय स्तर पर निर्धारित हिंदी-साहित्य से संबंधित पाठ्यक्रम के साथ सहज संबंध स्थापित कर सकेंगे।
  3. लेखन-कौशल के व्यावहारिक और सृजनात्मक रूपों की अभिव्यक्ति में सक्षम हो सकेंगे।
  4. रोजगार के किसी भी क्षेत्र में जाने पर भाषा का प्रयोग प्रभावी ढंग से कर सकेंगे।
  5. यह पाठ्यक्रम विद्यार्थी को संचार तथा प्रकाशन जैसे विभिन्न-क्षेत्रों में अपनी क्षमता व्यक्त करने का अवसर प्रदान कर सकता है।

उद्देश्य :

  • सृजनात्मक साहित्य की सराहना, उसका आनंद उठाना और उसके प्रति सृजनात्मक और आलोचनात्मक दृष्टि का विकास करना। |
  • साहित्य की विविध विधाओं (कविता, कहानी, निबंध आदि), महत्त्वपूर्ण कवियों और रचनाकारों, प्रमुख धाराओं और शैलियों का परिचय कराना।
  • भाषा की सृजनात्मक बारीकियों और व्यावहारिक प्रयोगों का बोध तथा संदर्भ और समय के अनुसार प्रभावशाली ढंग से उसकी मौखिक और लिखित अभिव्यक्ति करना।
  • विभिन्न ज्ञानानुशासनों के विमर्श की भाषा के रूप में हिंदी की विशिष्ट प्रकृति एवं क्षमता का बोध कराना।
  • साहित्य की प्रभावशाली क्षमता का उपयोग करते हुए सभी प्रकार की विविधताओं (धर्म, जाति, लिंग, वर्ग, भाषा आदि) एवं अंतरों के प्रति सकारात्मक और संवेदनशील व्यवहार का विकास करना।
  • देश-विदेश में प्रचलित हिंदी के रूपों से परिचित कराना।
  • संचारमाध्यमों (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक) में प्रयुक्त हिंदी की प्रकृति से अवगत कराना और नवीन विधियों के प्रयोग की क्षमता का विकास करना।
  • साहित्य की व्यापक धारा के बीच रखकर विशिष्ट रचनाओं का विश्लेषण और विवेचन करने की क्षमता हासिल करना।
  • विपरीत परिस्थितियों में भी भाषा का इस्तेमाल शांति के साथ करना।
  • अमूर्त विषयों पर प्रयुक्त भाषा का विकास और कल्पनाशीलता और मौलिक चिंतन के लिए प्रयोग करना।

शिक्षण-युक्तियाँ :
इन कक्षाओं में उचित वातावरण-निर्माण में अध्यापकों की भूमिका सदैव सहायक की होनी चाहिए। उनको भाषा और साहित्य की पढ़ाई में इस बात पर ध्यान देने की जरूरत होगी कि-

  • कक्षा का वातावरण संवादात्मक हो ताकि अध्यापक, विद्यार्थी और पुस्तक तीनों के बीच एक रिश्ता बन सके।
  • गलत से सही की ओर पहुँचने का प्रयास हो। यानी बच्चों को स्वतंत्र रूप से बोलने, लिखने और पढ़ने दिया जाए और फिर उनसे होने वाली भूलों की पहचान करा कर अध्यापक अपनी पढ़ाने की शैली में परिवर्तन करे।।
  • ऐसे शिक्षण-बिंदुओं की पहचान की जाए, जिससे कक्षा में विद्यार्थी की सक्रिय भागीदारी रहे। और अध्यापक भी उनका साथी बना रहे।
  • भिन्न क्षमता वाले विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त शिक्षण-सामग्री का इस्तेमाल किया जाए तथा किसी भी प्रकार से उन्हें अन्य विद्यार्थियों से कमतर या अलग न समझा जाए।
  • कक्षा में अध्यापक को हर प्रकार की विभिन्नताओं (लिंग, धर्म, जाति, वर्ग आदि) के प्रति सकारात्मक और संवेदनशील वातावरण निर्मित करना चाहिए।
  • सृजनात्मकता के अभ्यास के लिए विद्यार्थी से साल में कम से कम दो रचनाएँ लिखवाई जाएँ।

श्रवण तथा वाचन परीक्षा हेतु दिशा निर्देश

श्रवण (सुनना) : वर्णित या पठित सामग्री को सुनकर अर्थग्रहण करना, वार्तालाप करना, वादविवाद, भाषण, कवितापाठ आदि को सुनकर समझना, मूल्यांकन करना और अभिव्यक्ति के ढंग को समझना।
वाचन (बोलना) : भाषण, सस्वर कविता-पाठ, वार्तालाप और उसकी औपचारिकता, कार्यक्रमप्रस्तुति, कथा-कहानी अथवा घटना सुनाना, परिचय देना, भावानुकूल संवाद-वाचन।
टिप्पणी : वार्तालाप की दक्षताओं का मूल्यांकन निरंतरता के आधार पर परीक्षा के समय ही होगा। निर्धारित 10 अंकों में से 5 श्रवण (सुनना) कौशल के मूल्यांकन के लिए और 5 वाचन (बोलना) कौशल के मूल्यांकन के लिए होंगे।
श्रवण (सुनना) कौशल का मूल्यांकन : (1×5=5)

  • परीक्षक किसी प्रासंगिक विषय पर एक अनुच्छेद का स्पष्ट वाचन करेगा। अनुच्छेद तथ्यात्मक या सुझावात्मक हो सकता है। अनुच्छेद लगभग 250 शब्दों का होना चाहिए।
    या
    परीक्षक 2-3 मिनट का श्रव्य अंश (ऑडियो क्लिप) सुनवाएगा। अंश रोचक होना चाहिए । कथ्य/घटना पूर्ण एवं स्पष्ट होनी चाहिए। वाचक का उच्चारण शुद्ध, स्पष्ट एवं विराम चिह्नों के उचित प्रयोग सहित होना चाहिए।
  • अध्यापक को सुनते-सुनते परीक्षार्थी अलग कागज़ पर दिए हुए श्रवण बोध के अभ्यासों को हल कर सकेंगे। अभ्यास रिक्तस्थान-पूर्ति, बहुविकल्पी अथवा सत्य/असत्य का चुनाव आदि विधाओं में हो सकते हैं। अति लघूत्तरात्मक 5 प्रश्न पूछे जाएँगे।

मौखिक अभिव्यक्ति (बोलना) का मूल्यांकन : 1×3=3

  • चित्रों के क्रम पर आधारित वर्णन : इस भाग में अपेक्षा की जाएगी कि विद्यार्थी विवरणात्मक भाषा का प्रयोग करें।
  • किसी चित्र का वर्णन : चित्र व्यक्ति या स्थान के हो सकते हैं।
  • किसी निर्धारित विषय पर बोलना : जिससे विद्यार्थी अपने व्यक्तिगत अनुभव का प्रत्यास्मरण कर सकें।
  • कोई कहानी सुनाना या किसी घटना का वर्णन करना।
  • परिचय देना।
    अंक
    (स्व/ परिवार/ वातावरण/ वस्तु/ व्यक्ति/ पर्यावरण/ कवि /लेखक आदि)।
  • कुल तीन प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

CBSE class 11 Hindi Elective New Syllabus 2018-19

खंडविषयअंक
(क)अपठित अंश16
1अपठित गद्यांश – – बोध (गद्यांश पर आधारित बोध, प्रयोग, रचनांतरण, शीर्षक आदि पर लघूत्तरात्मक प्रश्न (2×4 लघूत्तरात्मक प्रश्न+1×3 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न)11
2अपठित काव्यांश पर आधारित पाँच लघूत्तरात्मक प्रश्न) (1×5)05
(ख)कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन20
3किसी एक विषय पर निबंध (विकल्प सहित)8
4कार्यालयी पत्र (विकल्प सहित)5
5जनसंचार माध्यम और पत्रकारिता के विविध आयामों पर चार लघूत्तरात्मक प्रश्न (1×4)4
6व्यावहारिक लेखन (प्रतिवेदन, कार्यसूची, कार्यवृत्त इत्यादि) पर एक प्रश्न (3×1)3
(ग)पाठ्यपुस्तकें44
(1)अंतरा भाग – 132
(अ)काव्य भाग16
7एक काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या (विकल्प सहित)06
8कविता के कथ्य पर तीन में से दो प्रश्न (2×2)04
9कविताओं के काव्य सौंदर्य पर तीन में से दो प्रश्न (3×2)06
(ब)गद्य भाग16
10एक गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या (विकल्प सहित)05
11पाठों की विषयवस्तु पर दो प्रश्न (3×2) (तीन में से दो प्रश्न)06
12किसी एक लेखक/ कवि का साहित्यिक परिचय05
(2)अंतराल भाग – 112
13पाठों की विषयवस्तु पर आधारित एक प्रश्न (विकल्प सहित) 4×104
14विषयवस्तु पर आधारित दो निबंधात्मक प्रश्न 4×2 (विकल्प सहित)08
(घ)(क)श्रवण तथा वाचन10
(ख)परियोजना10
कूल100

नोट : निम्नलिखित पाठों से प्रश्न नहीं पूछे जाएंगे।

अंतरा (भाग – 1)
  • नए की जन्म कुंडली

प्रस्तावित पुस्तकें:

  1. अंतरा, भाग – 1, एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा प्रकाशित
  2. अंतराल, भाग – 1, एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा प्रकाशित।
  3. ‘अभिव्यक्ति और माध्यम’, एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा प्रकाशित (खंड – ख कामकाजी हिंदी और रचनात्मक लेखन हेतु)।

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