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Khushi Kamboj?❤ 4 years, 1 month ago

खेलना हमें, आत्मविश्वास के स्तर का निर्माण करना और सुधार करना सिखाता है। यदि हम खेल का नियमित अभ्यास करें, तो हम अधिक सक्रिय और स्वस्थ रह सकते हैं। खेल गतिविधियों में शामिल होना, हमें बहुत से रोगों से सुरक्षित करने में मदद करता है; जैसे - गठिया, मोटापा, हृदय की समस्याओं, मधुमेह, आदि।
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Muskan Gulia 3 years, 11 months ago

क्योंकि वह उसके दर्द को दिखा कर लोगों का ध्यान अपने चैनल पर लाते हैं जिस से उनके चैनल की टीआर पी बढ़ती है
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Deepanshi Negi 4 years ago

Bhaktin Rekha Chitra lekhika Ne "Smriti ki Rekhayee ""se liya hai
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Rimjhim Kumari 4 years, 3 months ago

भक्तिन रेखाचित्र लेखिका के '"स्मृति की रेखाएँ" से लिया गया है
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Sia ? 4 years, 3 months ago

भैरों की पत्नी सुभागी भैरों की मार के डर से सूरदास की झोंपड़ी में छिप जाती है और सुभागी को मारने भैरों सूरदास की झोपड़ी में घुस जाता है, किंतु सूरदास के हस्तक्षेप से वह उसे मार नहीं पाता। इस घटना को लेकर पूरे मुहल्ले में सूरदास की बदनामी होती है।
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Khushi Kamboj?❤ 4 years, 3 months ago

यही विकास के सिद्धांत का मूलभूत पहलू है। प्राकृतिक चयन का अर्थ उन गुणों से है जो किसी प्रजाति को बचे रहने और प्रजनन मे सहायता करते हैं और इसकी आवृत्ति पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती रहती है। यह इस तथ्य को और तर्कसंगत बनाता है कि इन लक्षणों के धारकों की सन्ताने अधिक होती हैं और वे यह गुण वंशानुगत रूप से भी ले सकते हैं।
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Khushi Kamboj?❤ 4 years, 3 months ago

वहीं डॉ हजारीप्रसाद द्विवेदी ने लिखा है- "सूरसागर के कुछ पदों से यह ध्वनि अवश्य निकलती है कि सूरदास अपने को जन्म का अन्धा और कर्म का अभागा कहते हैं, पर हर समय इसके अक्षरार्थ को ही प्रधान नहीं मानना चाहिए।" वहीं एक आम मत है कि सूरदास जन्म से ही अंधे थे, भगवान् की कृपा से दिव्य-दृष्टि पायी थी, जिसके आधार पर उन्होंने .....

Khushi Kamboj?❤ 4 years, 3 months ago

वहीं डॉ हजारीप्रसाद द्विवेदी ने लिखा है- "सूरसागर के कुछ पदों से यह ध्वनि अवश्य निकलती है कि सूरदास अपने को जन्म का अन्धा और कर्म का अभागा कहते हैं, पर हर समय इसके अक्षरार्थ को ही प्रधान नहीं मानना चाहिए।" वहीं एक आम मत है कि सूरदास जन्म से ही अंधे थे, भगवान् की कृपा से दिव्य-दृष्टि पायी थी, जिसके आधार पर उन्होंने ...
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Khushi Kamboj?❤ 4 years, 3 months ago

सपनों की उड़ान – डॉ. डॉ. कलाम कहते हैं कि अपने जीवन का महान लक्ष्य लक्ष्य रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए और निरंतर ज्ञान प्राप्त करते रहना चाहिए तथा सत्य निष्ठा से काम करना चाहिए। हमें अपने परिवार और समाज का भी अच्छा सदस्य बनना चाहिए।
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Reshu 12C 3 years, 11 months ago

Raghubir shaye

Deepanshi Negi 4 years ago

Raghuveer Sahay

Dhruv Soni 4 years, 3 months ago

Raghuvir sahay
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Anil Kumar 4 years, 3 months ago

Hello

Anil Kumar 4 years, 3 months ago

Hii
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Puravjeet Jaat Ladre 4 years, 1 month ago

Thank you bhen

Khushi Kamboj?❤ 4 years, 3 months ago

प्रतिपाद्य- प्रस्तुत कविता 'उषा' में कवि शमशेर बहादुर सिंह ने सूर्योदय से ठीक पहले के पल-पल परिवर्तित होने वाली प्रकृति का शब्द-चित्र उकेरा है। ... सार- कवि कहता है कि सूर्योदय से पहले आकाश का रंग गहरे नीले रंग का होता है तथा वह सफेद शंख-सा दिखाई देता है। आकाश का रंग ऐसा लगता है मानो किसी गृहिणी ने राख से चौका लीप दिया हो।
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Khushi Kamboj?❤ 4 years, 3 months ago

मेरी छत के कोने में बैठा कबूतर
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Sankar Kumar 4 years, 3 months ago

Gramr prsan answer
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Khushi Kamboj?❤ 4 years, 3 months ago

पतंग' कविता 'आलोक धन्वा' द्वारा रचित कविता है, जो बाल मनोविज्ञान से प्रेरित है। इस कविता के बहाने से कवि ने बाल सुलभ इच्छाओं और बालकों की उमंग का सुंदर चित्रण किया है। ... इस तरह कवि ने प्रकृति के प्रतीकों के माध्यम से बालमन की भावनाओं को अभिव्यक्त किया है और बाल सुलभ आकांक्षाओं का सुंदर चित्रण किया है .
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Pramila Senapati 4 years, 3 months ago

Year 1905, Aligarh (UP)
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Himanshi Saini 4 years, 3 months ago

26 march 1907
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Preeti Dabral 4 years, 3 months ago

चेहरे पर शिकंजा है परेशानी की और आंखें झूठ ही बोल जाती है। किताब के बोझ ने इन्हें चिंता करने की आदत से मुक्त कर दिया है। वास्तव में नए तकनीक कौन लाता है यह युवा वर्ग ही। इसलिए यह भले ही हताशे में रहे चलेगा मगर अपने सपने को जीना न भूलें क्योंकि आशा की किरण है युवा।

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