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Ask QuestionPosted by Ritik Pandey 4 years, 10 months ago
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Posted by Mahii Sahu 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 10 months ago
वैसे तो पत्रकारों के प्रकार की कोई निश्चित सीमा नही है फिर भी पत्रकार के कुछ प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं।
1. खोजीपत्रकार — ये पत्रकार वो पत्रकार होते हैं जो घटना या मामले की गहराई से छानबीन करके लोगों के सामने लाते हैं। वो मामले जिन छुपाने की कोशिश की जा रही होती है या भ्रष्टाचार से जुड़े मामले जिन्हे दबाने की कोशिश की जाती है ऐसे मामलों को खोजी पत्रकार अपनी जांच-पड़ताल, गहराई से छानबीन कर उचित साक्ष्य और तथ्यों के साथ जनता के सामने लाते हैं। आजकल टेलीविजन में दिखाये जाने वाले जुड़े स्टिंग आपरेशन भी खोजी पत्रकार ही करते हैं।
2. वाचडॉग पत्रकार — ये वो पत्रकार होते में सरकार के कामकाज पर नजर रखते हैं। अक्सर सरकारें अपने कामकाज के संबध में मीडिया को वही जानकारी उपलब्ध कराती हैं जो वो उनके पक्ष में हो। वाचडॉग पत्रकार सरकारी के कामकाज पर नजर रखे रहते हैं और सरकारी की कमियों को भी जनता के सामने लाते हैं।
3. खेल पत्रकार — ये पत्रकार खेल के विशेषता लिये होते हैं और इनका काम विभिन्न खेलों से जुड़ी गतिविधियों को जनता तक पहुंचाना है। कुछ ऐसे पत्रकार भी होते हैं जो किसी विशेष खेल से संबंधित ही रिपोर्टिंग करते हैं।
4. फिल्म/टीवी/फैशन पत्रकार — ये पत्रकार सिनेमा और टीवी जगत में हो रही हलचल की रिपोर्टिंग के लिये जाने जाते हैं। कलाकारों के इंटरव्यू आदि भी ये पत्रकार ही करते हैं। फैशन जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग भी ये पत्रकार ही करते हैं।
5. आर्थिक पत्रकार — ये पत्रकार आर्थिक जगत से जुड़े विषयों पर पत्रकारिता करते हैं। अर्थव्यवस्था से जुड़े मसले हों या शेयर बाजार व स्टॉक एक्सचेंज के उतार-चढ़ाव की रिपोर्टिंग करनी हो तो आर्थिक पत्रकार ही रिपोर्टिंग करते हैं। आर्थिक पत्रकार को अर्थशास्त्र व आर्थिक क्षेत्रों की बारीकियों की अच्छी जानकारी होती है।
6. अपराध पत्रकार — अपराध जगत से जुड़ी घटनाओं की रिपोर्टिंग अपराध पत्रकार करते हैं। ऐसे पत्रकार अक्सर विभिन्न पुलिस स्टेशनों के चक्कर लगाते रहते हैं। पुलिस अधिकारियों से इनके अच्छे संपर्क होते हैं जिससे किसी आपराधिक वारदात की सूचना मिल जाती है। ऐसे पत्रकारों को किसी आपराधिक मामले की तह तक जाने के लिये अक्सर खोजी पत्रकार की तरह कार्य करना होता है।
7. पीत पत्रकार — किसी क्षेत्र की किसी घटना को सनसनीखेज तरीके से पेश कर और उसमें अफवाह, झूठ या मसाला आदि डालकर पेश करने वाले पत्रकार को पीत पत्रकार कहते है। ऐसे पत्रकार ऐसा इसलिये करते ताकि मसालेदार खबरों से जनता को लुभा सकें। ऐसे पत्रकारों की खबरों की कोई विश्वसनीयता नही होती है।
8. पेज-थ्री पत्रकार — बहुत से प्रमुख अखबारों के साथ आने वाले सप्लीमेंटस के पेज नं. थ्री पर अक्सर बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज और अमीर लोगों की पार्टियो और लाइफ स्टाइल की खबरे छपती रहती हैं। पेज-थ्री पत्रकारों काम ऐसी खबरों की रिपोर्टिंग करना है। ये पत्रकार अक्सर पार्टियों में नजर आते हैं।
9. विज्ञान पत्रकार — विज्ञान से जुड़े विषयों, अंतरिक्ष, अनुसंधान, टेक्नोलोजी से जुड़े विषयों पर ये पत्रकार रिपोर्टिंग करते हैं।
10. एडवोकेसी पत्रकार — ये पत्रकार किसी खास विषय पर लोगों का जनमत जानने या किसी ओपिनियन पोल आदि बनाने के लिये जाने जाते हैं।
11. वैकल्पिक पत्रकार — ये पत्रकार मुख्यधारा के पत्रकारों से अलग होते हैं और इन्हें सरकार, मीडिया संस्थान का समर्थन नही होता है। इनके समर्थन व सहयोग का मुख्य स्रोत इनके पाठक या दर्शक होते हैं। बहुत से फ्रीलांस पत्रकार इसी श्रेणी में आते हैं।
इस प्रकार ये पत्रकारों के प्रमुख पत्रकार हैं।
Posted by Aditee Shree 4 years, 10 months ago
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Posted by Ishu Singh 4 years, 10 months ago
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Posted by Kashish Kidwai 4 years, 10 months ago
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Posted by Abhishek Kumar 4 years, 10 months ago
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Posted by Adarsh Gupta 4 years, 10 months ago
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Sandeep Brar 4 years, 10 months ago
Posted by Puspa Patail 4 years, 10 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
- प्रिंट माध्यमों के छपे शब्दों में स्थायित्व होता है।
- हम उन्हें अपनी रुचि और इच्छा के अनुसार धीरे-धीरे पढ़ सकते हैं।
- पढ़ते-पढ़ते कहीं भी रुककर सोच-विचार कर सकते हैं।
- इन्हें बार-बार पढ़ा जा सकता है।
- इसे पढ़ने की शुरुआत किसी भी पृष्ठ से की जा सकती है।
- इन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखकर संदर्भ की भाँति प्रयुक्त किया जा सकता है।
- यह लिखित भाषा का विस्तार है, जिसमें लिखित भाषा की सभी विशेषताएँ निहित हैं।
Posted by Deepu Sharma 4 years, 10 months ago
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Posted by Chinmaya Pati 4 years, 10 months ago
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Posted by Bhavika Thakur 4 years, 10 months ago
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Prathu Kirti 4 years, 10 months ago
Posted by Abhi Maurya 4 years, 10 months ago
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Muskan Maan 4 years, 9 months ago
Posted by Puspa Patail 4 years, 10 months ago
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Posted by Palak Gupta 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 10 months ago
संसार के महानतम् अभिनेता चार्ली चैप्लिन के बारे में रचित इस निबंध में चार्ली के अभिनय की आधारभूत विशेषताओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं। चार्ली के अभिनय में हास्य और करुणा का मिश्रित संतुलन ही उन्हें आम जनता के अपने कष्टों और दुखों तक ले जाता है। इस तरह वे अभिनय के माध्यम से आम जन से सीधे जुड़ाव करते हैं।
चार्ली के जीवन के एक सौ तीस साल पूरे हो चुके हैं, और उनकी फिल्में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक लगातार अपनी लोकप्रियता बनाये हुए हैं। उनकी पहली फिल्म थी, ‘मेकिंग ए लिविंग’ उसे बने हुए भी सौ साल से ज्यादा हो रहे हैं।
चार्ली की फिल्मों का मूल बुद्धि पर नहीं, भावनाओं और मनुष्यता पर टिका हुआ है। उनकी फिल्मों की सबसे बड़ी उपलब्धि तो यही है कि उन्हें पागलखाने के मरीज, साधारण जन और आइंस्टीन जैसे महान प्रतिभावान एक साथ देख सकते हैं और उसका आनंद ले सकते हैं।
चार्ली ने फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया और दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण व्यवस्था को भी तोड़ा। चार्ली के बचपन की कुछ घटनाओं ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। उनमें से एक यह है, कि जब वे बीमार थे, तब उनकी मां ने उन्हें ईसा मसीह के जीवन के बारे में पढ़कर सुनाया था। उससे उन्हें स्नेह, करुणा और मानवता के गुणों को ग्रहण किया था।
करुणा को हास्य में और हास्य को करुणा में बदल देने वाले वे एकमात्र अभिनेता हैं। भारतीय फिल्मों और अभिनेताओं पर भी चार्ली का खासा असर देखा जा सकता है। राजकपूर तो जीवन भर चार्ली से ही प्रेरित रहे। चार्ली की अधिकतर फिल्में मूक हैं। भाषा से परे। इसीलिये उन्हें ज्यादा से ज्यादा मानवीय होना पड़ा। मानवीयता की भाषा ने ही चार्ली को विश्व भर के दर्शकों तक पहुंचाया। चार्ली की फिल्में आम आदमी की विविध असफलताओं को दिखाती हैं, जो कि असल में उसकी असफलताएं नहीं हैं, बल्कि एक क्रूरतावादी सभ्यता के आगे लाचार हो गये आम आदमी का कड़वा सच हैं।
इस आम आदमी के साथ खड़े चार्ली सदा अमर रहेंगे।
Posted by Sony Chauhan 4 years, 10 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि यह जग स्वार्थी है। जहाँ पर उसे कुछ मिलता है वह वहीं जम जाता है। दाना का अर्थ चतुर, बुद्धिमान भी है। इस दृष्टि से इस पंक्ति का अर्थ हुआ कि जहाँ पर कुछ बुद्धिमान एवं चतुर लोग रहते हैं। वहीं इस संसार में कुछ नादान (मूर्ख) भी मिलते हैं। इस संसार में सभी प्रकार के व्यक्ति मिलते हैं। इस संसार में सभी प्रकार के व्यक्ति मिलते हैं। इस संसार में भाँति-भाँति के प्राणी रहते हैं। ये अच्छे भी है तो बुरे भी। विरोधी होते हुए भी इनका आपस में संबंध है।
Posted by Devil ? 4 years, 10 months ago
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Posted by Gurleen Kaur 4 years, 10 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
प्रसाद जी ने स्वाध्याय द्वारा ही हिन्दी, उर्दू, संस्कृत तथा अंग्रेजी का अध्ययन किया।
Posted by Pradeep Solanki 4 years, 10 months ago
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Posted by Rahul Kumar 4 years, 10 months ago
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Posted by Sujata Singh 4 years, 10 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
साहित्य में स्थान–प्रसाद जी असाधारण प्रतिभाशाली कवि थे। उनके काव्य में एक ऐसा नैसर्गिक आकर्षण एवं चमत्कार है कि सहृदय पाठक उसमें रसमग्न होकर अपनी सुध-बुध खो बैठता है। निस्सन्देह वे आधुनिक हिन्दी-काव्य-गगन के अप्रतिम तेजोमय मार्तण्ड हैं।
Posted by Aanchal Garg 4 years, 10 months ago
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Posted by Tanushree Sarkar 4 years, 10 months ago
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Posted by Vivek Kumar 4 years, 10 months ago
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Posted by Sujata Singh 4 years, 10 months ago
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Posted by Gagan Singh 4 years, 10 months ago
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Puspa Patail 4 years, 10 months ago
Posted by Sumit Kasaudhan 4 years, 10 months ago
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Posted by Priyanka Khandale 4 years, 10 months ago
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Posted by R. Udhaya Kumar Udhaya 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 10 months ago
सुरक्षित तरीके से पैसों की बचत के उद्देश्य के लिये बैंक खातों से हरेक भारतीय नागरिक को जोड़ने के लिये 28 अगस्त 2014 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा जन धन योजना की शुरुआत की गयी थी। लाल किले पर राष्ट्र को संबोधित करने के दौरान 15 अगस्त 2015 को उन्होंने इस योजना के बारे में घोषणा की। हालांकि इसकी शुरुआत दो हफ्ते बाद हुई।
इस योजना के अनुसार, इस योजना के शुरुआत होने के पहले दिन ही लगभग 1 करोड़ बैंक खाते खोले गये। भारत में अंतिम स्तर तक विकास लाने के लिये मुद्रा बचत योजना बहुत जरुरी है जिसको ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में अपने बचत के बारे में अधिक सतर्क बनाने के द्वारा शुरुआत और प्राप्त किया जा सकता है।
खासतौर से, भारत के गरीब लोगों को खोले गये खातों के सभी लाभ को देने, बैंक खातों से उनको जोड़ने के लिये और पैसा बचत के लिये जन धन योजना स्कीम शुरु की गयी। भरतीय स्वतंत्रता दिवस से दो सप्ताह बाद 28 अगस्त को पीएम के द्वारा इस योजना की शुरुआत की गयी। बैंक से उसके लाभ से सभी भारतीय नागरिकों को जोड़ने के लिये एक राष्ट्रीय चुनौती के रुप में इस खाता खोलने वाली और मुद्रा बचत योजना की शुरुआत की गयी थी।
इस योजना को एक सफल योजना बनाने के लिये बहुत सारे कार्यक्रमों को लागू किया गया है। बैंक खातों के महत्व के बारे में जागरुक बनाने के साथ ही बैंक खाता खोलने के फायदे और प्रक्रिया के बारे में उनको समझाने और लोगों के दिमाग को इस ओर खींचने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 60 हजार नामांकन कैंप लगाये गये।
Posted by Muskan Kanojia 4 years, 10 months ago
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Muskan Maan 4 years, 9 months ago
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