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Yogita Ingle 3 years, 10 months ago

शब्द, रंग, रेखाएँ किसी भी माध्यम से, जिसमे रचनाकार को सहजता और सुविधा महसूस हो, रचना की जा सकती है।कविता के लिये प्रतिभा की आवश्यक्ता होती है। कवितासांकेतिक होती है। बिम्ब और कल्पनाशक्ति उसमें महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

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Anjali Bhardwaj 3 years, 10 months ago

If u mean "aalekh likhna aata h" So yes
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Amit Bhandari 3 years, 10 months ago

Xdgugd

Yogita Ingle 3 years, 11 months ago

समस्त भाव प्रधान साहित्य को काव्य कहते हैं। विभिन्न विद्वानों ने काव्य के विभिन्न लक्षण बताये हैं-साहित्य दर्पण के प्रणेता आचार्य विश्वनाथ ने ‘वाक्यं रसात्मकं काव्यम्’ कहा है।

(1) मुक्तक पद्य-काव्यं गीत,कविता,दोहा और पद तथा आधुनिक चतुष्पदी तथा मुक्त छन्द मुक्तक काव्य कहलाता है। मुक्तक काव्य का तात्पर्य है कि बिना पूर्वापर सम्बन्ध के वह पद्य या छन्द अपने आप में पूर्ण एक स्वतन्त्र भाव लिये हो जिसके पड़ने मात्र से उसका भाव समझ में आ जाये और किसी भी रस-विशेष की अनुभूति हो सके। सूरदास,मीरा आदि कवियों के गेय पद और बिहारी सतसई,आधुनिक गीत इसके अन्तर्गत आते हैं।

(2) प्रबन्ध काव्य-प्रबन्ध काव्य वह रचना होती है, जिसमें कोई एक कथा आद्योपान्त क्रमबद्ध रूप से गठित हो एवं उसमें कहीं भी तारतम्य न टूटता हो, वरने उस कथा को पुष्ट करने के लिए उसमें अन्य अन्तर्कथाएँ भी हो सकती हैं। प्रबन्ध काव्य विस्तृत होता है, उसमें जीवन की विभिन्न झाँकियाँ रहती हैं। प्रबन्ध काव्य में कथानक को लेकर पात्रों के चरित्रों में घटनाओं और भावों के संघर्ष द्वारा काव्य-वस्तु संजोयी जाती है। प्रबन्ध काव्य के निम्नवत् दो उपभेद स्वीकारे

(1) महाकाव्य,
(2) खण्डकाव्य।

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Sanjana Patidar 3 years, 9 months ago

इसको भी अभी खराब होना था??

꧁༒ ΑɳเL ༒ ༻ : 3 years, 10 months ago

Kai bat Nahi Thodi jarurat he

Prince Kumar 3 years, 11 months ago

Iska kya karna hai ????
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago

पेज ३ पत्रकारिता का एक प्रकार है। पेज ३ मतलब समाचार पत्र के तिसरे पन्ने पर सेलिब्रिटी समाचार या प्रतिष्ठित लोगो के निजी जीवन के हलकी फुलकी बातचीत छापी जाती है।

पेज ३ में सेट पर होनेवाली मजाक मस्ती या झगडे भी छापे जाते है। यह पन्ना पढनेवाले लोगो के लिये मनोरंजन भरा होता है। यह पेज ३ पर सेलिब्रिटी या प्रतिष्ठित लोगो कि गपशप लिखी होती है। इस पन्ने पर अफवाहे भी छापी जाती है, जो सच होने कि संभावना होती है।

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Uday Nuniya 3 years, 11 months ago

patrakaar kitne prakar ke hote Hain
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Shiv Poojan Yadav 3 years, 11 months ago

H

Shiv Poojan Yadav 3 years, 11 months ago

Hii

Yogita Ingle 3 years, 11 months ago

सिंधु-सभ्यता की खोज की शुरुआत में यह माना जा रहा था कि इस घाटी के लोग अन्न नहीं उपजाते थे। वे अनाज संबंधी जरूरतें आयात से पूरा करते थे, परंतु नयी खोजों से पता चला है कि यहाँ उन्नत खेती होती थी।
अब कुछ विद्वान इसे मूलत: खेतिहर व पशुपालक सभ्यता मानते हैं। खेती में ताँबे व पत्थर के उपकरण प्रयोग में लाए जाते थे। यहाँ रबी की फसल में गेहूँ, कपास, जौ, सरसों व चने की खेती होती थी। इनके सबूत भी मिले हैं। कुछ दिनों का विवार है कि यह ज्वार, बाजा और साग को उज भी हती थी। लोग खज्र खल्वे और अंगूर उगाते थे।

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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago

Nagar Nigam Ko Application - मोहल्ले की सफाई हेतु। 

सेवा में,
श्रीमान कार्यकारी अधिकारी,
नगर निगम ,आनंद विहार (नई दिल्ली )

विषय:- मोहल्ले की सफाई हेतु।

मान्यवर ,
              हम आनंद विहार निवासी आपका ध्यान हमारे नगर में बढ़ रहे गन्दगी के तरफ आकर्षित करना चाहते हैं। सड़कों के किनारे कूड़ों का ढेर जमा हो रहा है , लोगों का पेदल चलना मुश्किल हो गया है। लोग अपने घर के गन्दगी को सड़कों के किनारे फेंकने को मजबूर हो गए है।
नगर में कूड़ादान तो है लेकिन उसे फेंकने वाला कोई नही है। सभी कूड़ादान भर गया है , अब लोग अपनी घर के गन्दगी को सड़कों के किनारे फेंकते हैं। कोई भी नगर निगम का कर्मचारी इन कूड़ों को ले जाने नहीं आते ,सिर्फ कूड़ादान लगाकर भूल गए हैं।

आयदिन देश में गन्दगी की वजह से नई-नई बीमारियां निकलती रहती है , हमें डर है कहीं इन कूड़ों की वजह से हमारे नगर में भी कोई बीमारी ना फ़ैल जाये। ऐसा कुछ हो इससे पहले हम नगरवासी आपको सूचित करते हैं कि आप कृपया यहां के गन्दगी को जल्द से जल्द दूर करें। और हमारे नगर के लिए कर्मचारियों को नियुक्त करे जो कूड़ेदान की गन्दगी को ले जाये। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए हम नगरवासी सदैव आपके आभारी रहेंगे।

सधन्यवाद।
आनंद विहार निवासी
(नई दिल्ली )
दिनांक -xxxxxxxx

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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago

बाहर झमाझम बारिश है
फरवरी की गुलाबी ठंड में
मौसम की यह इनायत बेहद मुलायम
पत्तियाँ धुली हुईं
दिन भर की धूप की थकान से
अभी अभी गर्भ से बाहर आए
मेमनों की आँखों-सी

मिट्टी की सोंधी महक
तुम्हारी साँसों-सी मादक हो रही
भीतर खूब भींजने की इच्छा चढ़ती रात-सी
जवाँ हो रही इस ढलती शाम में
कल फूलों में उतरेगी
अलग ही रंगत, अलग ही खुशबू

अलग ही ताज़गी में नहायी
खिलखिलाएँगी कलियाँ

उदासी की चादर ओढ़े सोच रहा हूँ
तुम कैसे सोच रही हो इस बारिश के बारे में
या कि एकबारगी भींजने उतर पड़ी हो
बारिश में

बाहर बरसती इस बारिश में
भीतर खूब भींगना, खूब रोना चाहता हूँ
मैं भी

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Yogita Ingle 3 years, 11 months ago

शब्दों का चयन कविता के बाहरी रूप को पूर्ण और आकर्षक बनाता है। कवि की कल्पना शब्दों के सार्थक और उचित प्रयोग द्वारा ही साकार होती है। अपनी हृदयगत भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए कवि भाषा की अनेक प्रकार से योजना करता है ओर इस प्रकार प्रभावशाली कविता रचता है।

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Someone Unknown 3 years, 11 months ago

Because sabhi log ek jaise nahi hote. Kuchh logo ka moh unke niyantran me hota hai to bajar ki chamak damak bhi unhe feeki dikhai padti. Isi prakar bhagat ji bhi ek aatmsanyami vyakti hai ,unhe bhautik sukh se adhik aantrik sukh mahatvpoorn hai .

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