Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Sumit Pandat 4 years, 9 months ago
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Posted by Vk Raj 4 years, 9 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 9 months ago
- दक्षिण-एशिया के देशों की जनता के कल्याण को प्रोत्साहित करना तथा उनके जीवन स्तर में सुधार लाना।
- दक्षिण एशियाई देशों की सामूहिक आत्मनिर्भरता का विकास करना।
- इस क्षेत्र में आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास की गति तेज करना।
- सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा वैज्ञानिक क्षेत्रों में पारस्परिक सहयोग में वृद्धि करना।
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आपसी सहयोग को मजबूत बनाना अन्य क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना।
- दूसरे विकासशील देशों के साथ सहयोग को बढ़ाना।
- सदस्य देशों में आपसी विश्वास बढ़ाना तथा समस्याओं को समझने के लिए एक दूसरे का सहयोग करना।
Posted by Vk Raj 4 years, 9 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 9 months ago
वस्तु ,पूंजी, विचार और लोगों की आवाजाही भारतीय इतिहास में सदियों से होता आ रहा है| ब्रिटेन के औपनिवेशिक दौर में भी साम्राज्यवादी मंसूबों के फलस्वरूप भारत आधारभूत वस्तुओं और कच्चे माल का निर्यातक और आयातक देश था |आजादी के बाद ब्रिटेन के साथ अनुभव से सबक लेते हुए हमने सीखा की दूसरों पर निर्भर रहने की बजाय सामान खुद बनाया जाए| इसके साथ फैसला किया गया कि दूसरे देशों को निर्यात की अनुमति नहीं होगी ताकि हम उत्पादक चीजों को बनाना सीख सकें | इस संरक्षणवाद में कुछ नई दिक्कतें आई | कुछ क्षेत्रों में तरक्की हुई और कुछ जरूरी क्षेत्रों में जैसे स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा और आवास पर उतना ध्यान नहीं दिया जितना दिया जाना चाहिए था| इसके साथ ही हमारी आर्थिक वृद्धि दर धीमी रही|
भारत में वैश्वीकरण को अपनाना:-
1991 की नई आर्थिक नीति के अंतर्गत भारत में उदारीकरण और वैश्वीकरण को अपनाया और संरक्षण नीति को त्याग दिया| बहुराष्ट्रीय कंपनियों की स्थापना और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया| विदेशी प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञों की सेवाएं ली गई| दूसरी तरफ भारत ने औद्योगिक संरक्षण नीति को त्याग दिया| जब अधिकांश वस्तुओं के आयात के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य नहीं है, भारत ने स्वयं को अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से जोड़ लिया| भारत में निर्यात के साथ साथ वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ रही हैं| लाखों लोग बेरोजगार हुए हैं| अमीर और अमीर और गरीब और गरीब होते जा रहे हैं|
भारत में वैश्वीकरण का प्रतिरोध:-
वैश्वीकरण बड़ी बहस का मुद्दा है |पूरी दुनिया में इसकी आलोचना भी हुई है |भारत में वैश्वीकरण के आलोचक कई तर्क देते हैं:-
1. वामपंथी राजनीतिक रुझान रखने वालों का मानना है कि वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूंजीवाद की एक खास अवस्था है जो अमीरों को और अमीर और गरीबों को और गरीब बना रही है|
2. राज्य के कमजोर होने से उनकी गरीबों के हितों की रक्षा करने की क्षमता कम हो रही है| वैश्वीकरण के दक्षिणपंथी आलोचक इसके राजनीतिक , आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव को लेकर भी चिंतित रहते हैं| राजनीतिक अर्थों में उन्हें राज्य के कमजोर होने की चिंता रहती है | उन्हें लगता है कि कम से कम कुछ क्षेत्रों में ""आर्थिक आत्मनिर्भरता और संरक्षणवाद ""का दौर फिर से कायम किया जाए| सांस्कृतिक वैश्वीकरण के संबंध में उनका कहना है कि परंपरागत संस्कृति की हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन मूल्य और तौर तरीकों से हाथ धो बैठेंगे|
वैश्वीकरण के प्रतिरोध को लेकर भारत के अनुभव:-
सामाजिक आंदोलनों से लोगों को अपने आसपास की दुनिया को समझने का मौका मिलता है | और अपनी समस्याओं के हल तलाशने में मदद मिलती है | वैश्वीकरण के खिलाफ वामपंथी समर्थकों ने विभिन्न मंचों से औद्योगिक श्रमिक और किसानों के संगठन में बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रवेश का विरोध किया है | कुछ वनस्पतियों जैसे ""नीम"" को अमेरिकी और यूरोपीय समूह में पेटेंट कराने के प्रयास किए हैं | इनका भी कड़ा विरोध हुआ है |
2 वैश्वीकरण का विरोध राजनीति के दक्षिणपंथी खेमो मैं भी किया जा रहा है| यह खेमा विभिन्न सांस्कृतिक प्रभाव का विरोध करता है जिसमें केबल नेटवर्क के जरिए उपलब्ध कराए जा रहे विदेशी टीवी चैनल से लेकर वैलेंटाइन डे मनाने और स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राओं की पश्चिमी संस्कृति जैसी पोशाकों के लिए बढ़ती अभिरुचि तक का विरोध किया गया है"
Posted by Sakshi Devi 4 years, 9 months ago
- 3 answers
Sakshi Devi 4 years, 9 months ago
Gaurav Seth 4 years, 9 months ago
पुस्तक I: समकालीन विश्व राजनीति
यूनिट
विषय
6
समकालीन विश्व में सुरक्षा (पूरी तरह से हटा दी गई)
7
पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन (पूरी तरह से हटाया गया)
पुस्तक II: स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति
10
योजनाबद्ध विकास ये विषय इस इकाई से हटा दिए गए हैं: भारत के आर्थिक विकास योजना आयोग और पंचवर्षीय योजनाओं की प्रकृति बदलना
1 1
भारत की विदेश नीति
ये विषय इस इकाई से हटा दिए गए हैं:
भारत के अपने पड़ोसियों के साथ संबंध: पाकिस्तान, बांग्लादेश,
नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार।
14
भारत में सामाजिक और नए सामाजिक आंदोलन (पूरी तरह से हटाए गए)
15
क्षेत्रीय आकांक्षाएँ (पूरी तरह से हटा दी गई)
Book I: Contemporary World Politics
UNIT
TOPICS
6
Security in the Contemporary World (Completely removed)
7
Environment and Natural Resources (Completely removed)
Book II: Politics in India since Independence
10
Planned Development These topics are deleted from this unit: Changing nature of India’s economic development Planning Commission and Five-year Plans
11
India’s Foreign Policy
These topics are deleted from this unit:
India’s Relations with its Neighbors: Pakistan, Bangladesh,
Nepal, Sri Lanka and Myanmar.
14
Social and New Social Movements in India (Completely removed)
15
Regional Aspirations (Completely removed)
Posted by Ajit Yadav 4 years, 9 months ago
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Posted by Tanisk Kumar 4 years, 9 months ago
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Deepak Khoth 4 years, 9 months ago
Gaurav Seth 4 years, 9 months ago
स्वतंत्रता के पूर्व प्रांतों का गठन अस्त-व्यस्त ढंग से किया गया था। यह केवल एक प्रशासनिक सुविधा थी। इसलिए कांग्रेस ने स्वतंत्रता-संग्राम के दौरान यह वायदा किया था कि स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद राज्यों का गठन भाषा केआधार पर किया जाएगा। इसलिए स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद भारतीय संघ की इकाइयों को पुनर्गठित करने के लिए एक समिति का गठन किया। इस समिति ने भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के विरुद्ध सिफारिश की। लेकिन भारत के कई हिस्सों में भाषा केआधार पर राज्यों का गठन करने के लिए आंदोलन शुरूहो गए या कहिए कि देश में भाषायी आधार पर राज्यों को गठित करने का संघर्ष चल पड़ा। इन संघर्षों से बाध्य होकर केंद्र सरकार ने 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया। इस आयोग का काम राज्यों के सीमांकन के मामलों पर गौर करना था।
इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह स्वीकार किया कि राज्यों की सीमाओं का निर्माण वहाँ बोली जाने वाली भाषा केआधार पर होना चाहिए। इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पास हुआ। इस अधिनियम के आधार पर 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए और बाद में कई राज्यों का निर्माण भी भाषा के आधार पर ही किया गया।
Posted by Kapil Uikey 4 years, 9 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 9 months ago
Answer:
गठबन्धन सरकार एक संसदीय सरकार की कैबिनेट होती हैं, जिसमें कई राजनीतिक दल सहयोग करते हैं, जिससे गठबन्धन के भीतर किसी भी एक दल का प्रभुत्व कम रहता हैं। इस व्यवस्था का आम कारण यह दिया जाता हैं कि कोई दल अपने बलबूते संसद में बहुमत प्राप्त नहीं कर सकता।
Posted by Prince Gupta 4 years, 9 months ago
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Posted by Prince Gupta 4 years, 9 months ago
- 0 answers
Posted by Madan Lal 4 years, 9 months ago
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Posted by Amit Kumar 4 years, 9 months ago
- 1 answers
Yogita Ingle 4 years, 9 months ago
“सहकारी संघवाद” को संदर्भित करने वाले प्रमुख कार्य निम्लिखित हैं –
- राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों तथा रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना.
- सशक्त राज्य ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकता है इस तथ्य की महत्ता को स्वीकारते हुए राज्यों के साथ सतत आधार पर संरचनात्मक सहयोग की पहल और तन्त्र के माध्यम से सहयोगपूर्ण संघवाद (federalism) को बढ़ावा देना
- ग्रामीण स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने के लिए तन्त्र (mechanism) विकसित करना.
- आर्थिक प्रगति के लाभों से वंचित समाज के वंचित वर्गों पर विशेष ध्यान केन्द्रित करना.
- रणनीतिक और दीर्घकालिक नीति की रूपरेखाओं का निर्माण तथा उनकी प्रगति एवं क्षमताओं की निगरानी करना.
- राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, पेशेवरों तथा अन्य हितधारकों के एक सहयोगात्मक समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार और उद्यमिता समर्थन प्रणाली का सृजन करना.
Posted by Ashwani Kumar 4 years, 9 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 9 months ago
Operation Infinite Reach was a series of cruise missile strikes on Al-Qaeda terrorist targets in Sudan and Afghanistan. For this, the US did not bother of any international law. This operation was ordered by President Clinton in response to bombing of the US embassies in Narobi, Kenya, Dar-es-Salaam, Tanzania in 1998.
ऑपरेशन इनफिनिट रीच, सूडान और अफगानिस्तान में अल-कायदा के आतंकवादी ठिकानों पर क्रूज मिसाइल हमलों की एक श्रृंखला थी। इसके लिए अमेरिका ने किसी अंतरराष्ट्रीय कानून की जहमत नहीं उठाई। 1998 में नरोबी, केन्या, डार-एस-सलाम, तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों पर बमबारी के जवाब में राष्ट्रपति क्लिंटन द्वारा इस ऑपरेशन का आदेश दिया गया था।
Posted by Ashwani Kumar 4 years, 9 months ago
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Varsha Chauhan 4 years, 9 months ago
Posted by Kajal Prajapati 4 years, 9 months ago
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Posted by Divya Maurya 4 years, 9 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 9 months ago
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।
भारत जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा बड़ा देश है जहां दुनिया की 1/5 आबादी बसती है।
भारत विश्व में एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र को नियमित वितीय योगदान दिया और कभी कोताही नहीं की।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रयासों में भाग लिया और संयुक्त राष्ट्र के आहावन पर अपनी सेना को भेजा।
Posted by Nisha Chaudhary 4 years, 9 months ago
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Posted by Km Babita . 4 years, 9 months ago
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Km Babita . 4 years, 9 months ago
Posted by Nisha Chaudhary 4 years, 9 months ago
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Posted by Nisha Chaudhary 4 years, 9 months ago
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Posted by Kiran Mehto 4 years, 9 months ago
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Vinay Prasad 4 years, 9 months ago
Posted by Chanchal Dubey 4 years, 9 months ago
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Ḳḭṙḁṇ Ṡḕṇ 4 years, 9 months ago
Posted by Vinay Prasad 4 years, 9 months ago
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Kapil Uikey 4 years, 9 months ago
Posted by Viren Rajak 4 years, 9 months ago
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Mithun Kumar 4 years, 9 months ago
Posted by Yuvance Neupane 4 years, 9 months ago
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Deepak Kumar Meena 4 years, 9 months ago
Posted by Mithun Kumar 4 years, 10 months ago
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Mithun Kumar 4 years, 9 months ago
Posted by Ekta Chaurasia 4 years, 10 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
""" विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव"" वैश्वीकरण का आधार और उस की प्रमुख विशेषता है| इसका अर्थ यह होता है कि संसार के सारे लोग एक दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित हैं, एक दूसरे पर निर्भर है , इनमें आपसी जुड़ाव है, और यह एक दूसरे से मिल जुल कर रहते हैं और मिलकर ही अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं| विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव का अर्थ है मानव समाज में इस भावना का विकास करना कि समस्त विश्व के लोग चाहे वह किसी भी देश से हो ,किसी जाति ,यां समाज से हो, आपस में एक ही परिवार के सदस्य हैं और इन्हें एक दूसरे से सहयोग करके जीवन व्यतीत करना है|
विश्वव्यापी आपसी जुड़ाव के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं:-
1. परिवहन और संचार के शीघ्र गामी साधन जिनसे वस्तुओं व्यक्तियों, सेवा और पूंजी के प्रभाव में गति आई है और पारस्परिक जुड़ाव हुआ है|
2. सूचना प्रसारण संसाधन जैसे टीवी ,इंटरनेट और कंप्यूटर जिनके कारण संसार के लोग हर घटना के बारे में जानकारी रखते हैं और आपस में जुड़े हुए महसूस करते हैं|
3. बाजार पर आधारित अर्थव्यवस्था जो आज सभी देशों ने लगभग अपना ली है यह सामान्य अर्थव्यवस्था भी इसका का एक प्रमुख घटक है|
4. विश्वव्यापी समस्याओं जैसे कि एड्स, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदाएं जैसे समुद्री तूफान, भूकंप आदि जिनका समाधान कोई एक देश अकेले नहीं कर सकता उन्होंने दूसरे देशों पर इसके लिए निर्भर रहना पड़ता है|
Posted by Shiv Shankar Kumar 4 years, 10 months ago
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Deepak Kumar Meena 4 years, 9 months ago
Mithun Kumar 4 years, 10 months ago
Posted by Vinay Kamal 4 years, 10 months ago
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Posted by Vinay Kamal 4 years, 10 months ago
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Mithun Kumar 4 years, 10 months ago
Posted by Vinay Kamal 4 years, 10 months ago
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Suraj Sahni 4 years, 8 months ago
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