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Ask questions which are clear, concise and easy to understand.

Ask Question
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? Pranali.A.P ? 5 years, 2 months ago

गोपियों ने योग की शिक्षा को कड़वी ककड़ी के समान बताया है। गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि तुम्हारे द्वारा दिया जाने वाला योग का संदेश हमें कड़वी ककड़ी के समान अप्रिय है। (I hope this answer is can help you)?
  • 1 answers

Aditya Pandey 5 years, 1 month ago

https://youtu.be/1xKSSckSA0Q
  • 1 answers

Aditya Pandey 5 years, 1 month ago

https://youtu.be/1xKSSckSA0Q
  • 1 answers

Aditya Pandey 5 years, 1 month ago

https://youtu.be/1xKSSckSA0Q
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Yogesh Kumar 5 years, 1 month ago

रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं - 1. साधारण या सरल वाक्य 2. संयुक्त वाक्य 3. मिश्र या मिश्रित वाक्य ( I hope this will help you)

Sumesh ☺️☺️☺️ 5 years, 2 months ago

Teen ,sarl vaky misr vaky sanyukt vaky
  • 2 answers

Tannu Raj 5 years, 2 months ago

No thanks

Vikshit Kumar 5 years, 2 months ago

Be a member of (cbse homework help group) by sending your whatsapp no.
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Iqra ? 5 years, 1 month ago

Netaji ki murti 2 foot ki thi aur wo sangmar mar ki bani thi..

Anmol Sudha 5 years, 2 months ago

Pata naji
  • 1 answers

Vikshit Kumar 5 years, 2 months ago

Be a member of cbse homework group by sending your whatsapp no
  • 2 answers

Vikshit Kumar 5 years, 2 months ago

Be a member of cbse homework group by sending your whatsapp no.

Vikshit Kumar 5 years, 1 month ago

I think you're a beautiful and genius girl .lf yes be my friend in whatsapp. By sending your number.
  • 1 answers

? Pranali.A.P ? 5 years, 2 months ago

Don't know
  • 1 answers

? Pranali.A.P ? 5 years, 2 months ago

आत्मकथा कविता का भावार्थ :- कवि के अनुसार, यह नीला आकाश जो कि अनंत तक फैला हुआ है, उसमें असंख्य लोगों ने अपने जीवन का इतिहास लिखा है। जिसे पढ़कर कवि को ऐसा प्रतीत हो रहा है, मानो उन्होंने स्वयं की आत्मकथा लिखकर खुद का मज़ाक उड़ाया है और लोग इन्हें पढ़ कर उन पर हँस रहे हैं। तब भी कहते हो कह-डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
  • 1 answers

Yogesh Kumar 5 years, 1 month ago

श्रीकृष्ण जब ब्रज छोड़कर  मथुरा आ गए तो वहाँ गोपियाँ उनके वियोग में बहुत व्याकुल हो गयीं। इसलिए कृष्ण ने अपने सखा उद्धव को गोपियों के पास उन्हें योग संदेश ले जाने के लिए ब्रज भेजा। उद्धव गोपियों के पास जिस उद्देश्य से आए थे उस उद्देश्य में वह बिल्कुल भी सफल नहीं हो पाए , उद्धव उनके पास अपने मन पर नियंत्रण रखने की सलाह लेकर पहुँचे हैं।  लेकिन  गोपियों ने वे कहती हैं कि उद्धव अपने उपदेश उन्हें दें जिनका मन कभी स्थिर नहीं रहता है। गोपियों का मन तो कृष्ण के प्रेम में हमेशा से अचल है। ( I hope this will help you)
  • 1 answers

Gaurav Seth 5 years, 2 months ago

 गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित उदाहरणों से की है –
(1) गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से की है जो नदी के जल में रहते हुए भी जल की ऊपरी सतह पर ही रहता है। अर्थात् जल का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता। श्री कृष्ण का सानिध्य पाकर भी वह श्री कृष्ण  के प्रभाव से मुक्त हैं।
(2) वह जल के मध्य रखे तेल के गागर (मटके) की भाँति हैं, जिस पर जल की एक बूँद भी टिक नहीं पाती। उद्धव पर श्री कृष्ण का प्रेम अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाया है, जो ज्ञानियों की तरह व्यवहार कर रहे हैं।

  • 2 answers

Gaurav Seth 5 years, 2 months ago

उद्धव ने गोपियों को योग के संदेश diya

 

गोपियों को श्रीकृष्ण के वियोग की अग्नि सदा जलाती रहती थी। वे हर समय उन्हें याद करती थीं; तड़पती थीं पर फिर भी उनके मन में एक आशा थी। उन्हें पूरी तरह से यह उम्मीद थी कि श्रीकृष्ण जब मथुरा से वापिस ब्रज क्षेत्र में आएंगे तब उन्हें उनका खोया हुआ प्रेम वापिस मिल जाएगा। वे अपने हृदय की पीड़ा उनके सामने प्रकट कर सकेंगी पर जब श्रीकृष्ण की जगह उद्धव उनकी योग-साधना का संदेश लेकर गोपियों के पास आ पहुँचा तो गोपियों की सहनशक्ति जवाब दे गई। उन्होंने श्रीकृष्ण के द्वारा भेजे जाने वाले ऐसे योग संदेश की कभी कल्पना भी नहीं की थी। इससे उन का विशवास टूट गया था। विरह-अग्नि में जलता हुआ उनका हृदय योग के वचनों से दहक उठा था। योग के संदेशों ने गोपियों की विरह अग्नि में घी का काम किया था। इसीलिए उन्होंने उद्धव को सामने और श्रीकृष्ण की पीठ पर मनचाही जली-कटी सुनाई थी।

Yash Jain 5 years, 2 months ago

Yog karne ka
  • 2 answers

Nitin Nigam 5 years, 2 months ago

I asked to tell the character of Lakshman

? Pranali.A.P ? 5 years, 2 months ago

1]parshram bahut krodh karne vale vyakti the........... jab unka dhanush tuta tab vah bahut gusse ho gaye............. 2]vah ek badpann [pride] svabhav ke vyakti te aur apne pratishta ko dikate the........... vah lakshman se kahate hai ki vah apne farse se sahastrabahu ke bhaho ko kaat dala hai.........
  • 1 answers

? Pranali.A.P ? 5 years, 2 months ago

Not able to understand
  • 2 answers

Neha Singh 5 years, 1 month ago

What are u asking

? Pranali.A.P ? 5 years, 2 months ago

Kya
  • 2 answers

Mohit Sheoran 4 years, 11 months ago

3

? Pranali.A.P ? 5 years, 2 months ago

1) रस के प्रकार 2) श्रृंगार रस रति 3) हास्य रस हास 4) करुण रस शोक 5) रौद्र रस क्रोध 6) वीर रस उत्साह 7) भयानक रस भय 8) वीभत्स रस घृणा, जुगुप्सा 9)अद्भुत रस आश्चर्य
  • 2 answers

Neha Singh 5 years, 1 month ago

https://www.indiatoday.in/education-today/news/story/cbse-syllabus-reduced-by-30-check-deleted-syllabus-of-cbse-class-10-1698076-2020-07-07

??? ‐----- 5 years, 2 months ago

Check on google
  • 3 answers

??? ‐----- 5 years, 2 months ago

Yes

...User Not Available.... 5 years, 2 months ago

I think so aayega ....

? Pranali.A.P ? 5 years, 2 months ago

Shayd ha
  • 4 answers

Suryansh Singh 5 years, 2 months ago

Yes u can Have

Tanmay Bagade 5 years, 2 months ago

Download from Google

...User Not Available.... 5 years, 2 months ago

No......

? Pranali.A.P ? 5 years, 2 months ago

No
  • 2 answers

...User Not Available.... 5 years, 2 months ago

Bholanath pooja mai baithkar Apne aap ko mirror mai dekha karte the .... Aur jb unke pitaji unko dekhte wo sarma kr mirror(sisaa) niche rkh dete the ......

Sakshi Raj 5 years, 2 months ago

From which chapter
  • 3 answers

Satyam Singh 5 years, 2 months ago

Pa Desh bhakti kise kaha jata hai

Jyoti Kumari 5 years, 2 months ago

Nice story

Gaurav Seth 5 years, 2 months ago

नेताजी का चश्मा 

एक कंपनी में कार्यरत एक साहब अक्सर अपनी कंपनी के काम से बाहर जाते थे | हालदार साहब एक कस्बे से होकर गुजरते थे | वह क़स्बा बहुत ही छोटा था| कहने भर के लिए बाज़ार और पक्के मकान थे| लड़कों और लड़कियों का अलग अलग स्कूल था | मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति थी | मूर्ति कामचलाऊ थी पर कोशिश सराहनीय थी | संगमरमर की मूर्ति थी पर उसपर चश्मा असली था | चौकोर और चौड़ा सा काला रंग का चश्मा | फिर एक बार गुजरते हुए देखा तो पतले तार का गोल चश्मा था | जब भी हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते तो मुख्य चौराहे पर रूककर पान जरुर खाते और नेताजी की मूर्ति पर बदलते चश्मे को देखते | एक बार पानवाले से पूछा की ऐसा क्यों होता है तो पानवाले ने बताया की ऐसा कैप्टेन चश्मे वाला करता है | जब भी कोई ग्राहक आटा और उसे वही चश्मा चाहिए तो वो मूर्ति से निकलकर बेच देता और उसकी जगह दूसरा फ्रेम लगा देता | पानवाले ने बताया की जुगाड़ पर कस्बे के मास्टर साहब से बनवाया वह मूर्ति, मास्टर साहब चश्मा बनाना भूल गए थे | और पूछने पर पता चला की चश्मे वाले का कोई दूकान नहीं था बल्कि वो बस एक मरियल सा बूढा था जो बांस पर चश्मे की फेरी लगाता था | जिस मजाक से पानवाले ने उसके बारे में बताया हालदार साहब को अच्छा न लगा और उन्होंने फैसला किया दो साल तक साहब वहां से गुजरते रहे और नेताजी के बदलते चश्मे को देखते रहे | कभी काला कभी लाल, कभी गोल कभी चौकोर, कभी धूप वाला कभी कांच वाला | एक बार हालदार साहब ने देखा की नेताजी की मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं है |  पान वाले ने उदास होकर नम आँखों से बताया की कैप्टन मर गया | वो पहले ही समझ चुके थे की वह चश्मे वाला एक फ़ौजी था और नेताजी को उनके चश्मे के बगैर देख कर आहत हो जाता होगा | अपने जी चश्मों में से एक चश्मा उन्हें पहना देता और जब भी कोई ग्राहक उसकी मांग करते तो उन्हें वह नेताजी से माफ़ी मांग कर ले जाता और उसकी जगह दूसरा सबसे बढ़िया चश्मा उन्हें पहना जाता होगा | और  उन्हें याद आया की पानवाले से हस्ते हुए उसे लंगड़ा पागल बताया था | उसके मरने की बात उनके दिल पर चोट कर गयी और उन्होंने फिर कभी वहां से गुजरते वक़्त न रुकने का फैसला किया | पर हर बार नज़र नेताजी की मूर्ति पर जरुर पड़ जाती थी | एक बार वो यह देख कर दंग रह गये की नेताजी की मूर्ति पर चश्मा चढ़ा है | जाकर ध्यान से देखा तो बच्चो द्वारा बनाया एक चश्मा उनकी आँखों पर चढ़ा था | इस कहानी से यह बताने की कोशिश की गयी है की हम देश के लिए कुर्बानी देने वाले जवानों की कोई इज्जत नहीं करते| उनके भावनाओं की खिल्ली उड़ा देते और न ही हमारे स्वतंत्रता के लिए जान लगाने वाले महान लोगों की इज्ज़त करते हैं | पर बच्चों ने कैप्टन की भावनाओं को समझा और नेताजी की आँखों को सुना न होने दिया |

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