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Nitin Nigam 5 years, 2 months ago

Aao, kahi chale.
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Gaurav Seth 5 years, 2 months ago

वाच्य: वाच्य का अर्थ है बोलने का विषय। अतः क्रिया के जिस रुप से पता चले की क्रिया का मुख्य विषय कर्ता है ,कर्म है अथवा भाव उसे वाच्य कहते हैं।
कृत्यवाच्य : इसमें कथन का केंद्र कर्ता होता है ।कर्म गौण होता है । कृतवाच्य में क्रिया अकर्मक भी हो सकती है और सकर्मक भी।
क) Meena के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।

Amanjeet Gupta 5 years, 2 months ago

Meena pustak padti hai.
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? Pranali.A.P ? 5 years, 2 months ago

मेरे विचार इस विषय पर यह है, फुटपाथ की दुनिया को बदला जा सकता है | जब सब जगह बच्चे से लेकर बड़ो तक सब शिक्षित होंगे | सब अपनी मेहनत से काम करके पैसा कम| सकते है| आज के समय में कोई मेहनत नहीं करना चाहता बस लोगों से पैसे मांगने की आदत पड़ गई है और यह लोग फिर फुटपाथ और सड़कों पर सो जाते है |   सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए , लोगों को मेहनत करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए | हमेशा उनका साथ चाहिए | आए दिन हम रोज़ खबरों में सुनते फुटपाथ में रहने वाले लोग मरे जाते है | सब की दुनिया को बदलने के लिए सरकार को उनका सहयोग देना चाहिए |
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Yogita Ingle 5 years, 2 months ago

बालगोबिन भगत मंझलें कद के गोरे चिट्टे व्यक्ति थे, जिनकी आयु ६० वर्ष से अधिक थी। उनके बाल सफ़ेद थे ।वे दाढ़ी तो नहीं रखते थे ,पर उनके चेहरे पर सफेद बाल जगमगाते रहते थे। वे कमर में एक लंगोटी और सिर पर कबीरपंथियों जैसी कनफटी टोपी पहनते थे। सर्दियां आती तो ऊपर से एक काली कमली ओढ़ लेते थे। उनके माथे पर सदा रामानंदी चंदन चमकता था जो नाक के एक छोर से ही औरतों के टीके की तरह शुरू होता था। वे अपने गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बांधे रहते थे। उनमें साधुओं वाली सारी बातें थी। वे कबीर को ‘साहब’ मानते थे; उन्हीं के गीत गाते रहते थे और उन्हीं के आदेशों पर चलते थे। वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और सदा खरा व्यवहार करते थे। हर बात साफ़ साफ़ करते थे किसी से व्यर्थ झगड़ा नहीं करते थे। किसी की चीज़ को कभी छूते तक नहीं थे। वे दूसरों के खेत में शौच तक के लिए नहीं बैठते थे। उनके खेत में जो कुछ पैदा होता था उसे सिर पर रखकर चार कोस दूर कबीरपंथी मठ में ले जाते थे और प्रसाद रूप में जो कुछ मिलता वहीं वापस ले आते थे।

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...User Not Available.... 3 years, 6 months ago

Kyunki unke gaane mai aise madhur bol hote hai jo kisiko bhi moh leta hai .... Isiliye unke gaane sabko choka dete hai ...
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Iqra ? 5 years, 2 months ago

Yahan piyava nirankaar bhram ko kaha gya hai. Aur sakhiya sansaar ke un logon ka prateet hai jo bhram athwa ishwar ko apne se dur samajhne ki bhool kar baithte hain..
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Study ? 5 years, 2 months ago

????

Sana(Silent Love).. ?? 5 years, 2 months ago

Hey aap doubtnut pr ho..
Aap share chat par ho kya ???????
Hi ji ♥️♥️♥️?

Sana(Silent Love).. ?? 5 years, 2 months ago

Hlo ji
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Sunny Chhabra 5 years, 2 months ago

Thanks

Sunny Chhabra 5 years, 2 months ago

Hindi
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Gaurav Seth 5 years, 2 months ago

पदबंध- जब दो या अधिक (शब्द) पद नियत क्रम और निश्र्चित अर्थ में किसी पद का कार्य करते हैं तो उन्हें पदबंध कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- कई पदों के योग से बने वाक्यांशो को, जो एक ही पद का काम करता है, 'पदबंध' कहते है।
डॉ० हरदेव बाहरी ने 'पदबन्ध' की परिभाषा इस प्रकार दी है- वाक्य के उस भाग को, जिसमें एक से अधिक पद परस्पर सम्बद्ध होकर अर्थ तो देते हैं, किन्तु पूरा अर्थ नहीं देते- पदबन्ध या वाक्यांश कहते हैं।
जैसे-

(1) सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र जीत गया।
(2) यह लड़की अत्यंत सुशील और परिश्रमी है।
(3) नदी बहती चली जा रही है।
(4) नदी कल-कल करती हुई बह रही थी।

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Gagandeep Singh 5 years, 2 months ago

नृप बालक
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Pari Sharma❣️ 5 years, 2 months ago

Affection
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Kr Choudhary 5 years, 2 months ago

Thank you

Gagandeep Singh 5 years, 2 months ago

नहीं निबंध के स्थान पर अनुच्छेद है।
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...User Not Available.... 5 years, 2 months ago

Sabha ne lakshman ke baat ko unuchit kaha kyunki unke bol parshuram ko adhik krodhit kar rahe the ....

Abhishek Raj 5 years, 2 months ago

Q ki wo
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Gaurav Seth 5 years, 2 months ago

मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्राय: पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी परिस्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों को अनुभूति को समझना चाहते हैं। उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

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Pari Sharma❣️ 5 years, 2 months ago

Panwala dukan per bathkar pan bachne ke alava unse kuch na kuch bate karta rhta tha vh kala mota khushmizaz tha uski tond bhar nikli hui thi uski batisi lal kali thi Jb vh hasta tha to uski tond thirkne lgti thi etc.

Mehul Singh 5 years, 2 months ago

Panwala kaala mota kushmizaz ka aadmi tha , uske sir pe geene chunne baal the
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Aayush Gupta 2 years, 8 months ago

Tulsidas or surdas me antar bataye

Lucifer ? Morningstar? 5 years, 2 months ago

Ye dono me antr ye h ki ye dono alag alag insan the

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