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Ask questions which are clear, concise and easy to understand.

Ask Question
  • 1 answers

Gaurav Seth 5 years, 3 months ago

विद्यालय में अध्यापक दिवस मनाने के लिये सूचना-पत्र

 

विद्यार्थी कृपया ध्यान दें...

दिनांक 5 सिंतबर 2019 को शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में विद्यालय में अपने शिक्षकों को सम्मान देने के लिये प्रेरणास्पदी कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा।

कार्यक्रमों की थीम इस प्रकार है..

शिक्षकों के महत्व पर सुंदर भाषण, कवितायें, संस्मरण, गीत, लघु नाटिका आदि का आयोजन विद्यालय के सभागृह में किया जायेगा। विद्यार्थी अपने शिक्षकों को अपनी प्रस्तुतियों द्वारा आदर-सम्मान देंगे। जो विद्यार्थी उपरोक्त किसी कार्यक्रमों में भाग लेना चाहते हो, वो प्रधानाचार्य के कार्यालय में संपर्क करें।

 

आज्ञा से....

प्रधानाचार्य,

नवजीवन विद्यालय,

वाराणसी (उ.प्र.)

  • 2 answers

Neha Singh 5 years, 3 months ago

गोपियों को योग संदेश विरह की अग्नि में घी समान लग रहा था। गोपियां कृष्ण के जाने से विरह की अग्नि में जल रही थी । वे हर क्षण कृष्ण का इंतजार कर रही थी लेकिन उनके बदले उद्धव गोपियों के पास आ गए।

Gaurav Seth 5 years, 3 months ago

गोपियों नें  योग साधना के ज्ञान को निरर्थक बताया गया है। यह ज्ञान गोपियों के अनुसार अव्यवाहरिक और अनुपयुक्त है। उनके अनुसार यह ज्ञान उनके लिए कड़वी ककड़ी के समान है जिसे निगलना बड़ा ही मुश्किल है। सूरदास जी गोपियों के माध्यम से आगे कहते हैं कि ये एक बीमारी है। वो भी ऐसा रोग जिसके बारे में तो उन्होंने पहले कभी न सुना है और न देखा है। इसलिए उन्हें इस ज्ञान की आवश्यकता नहीं है।

  • 3 answers

Neha Singh 5 years, 3 months ago

Yes bcz of this covid19 the cbse syllabus has reduced some portions if the book ? that's y just 11 chapters are left for studying

Palak ? 5 years, 3 months ago

Dear what is this..... Dont write silly questions here....

Simran Khan 5 years, 3 months ago

Ji kisme
  • 1 answers

Neha Singh 5 years, 3 months ago

Manviya karuna ki divaya chamak at least pura naam likho chapter ka
  • 2 answers

Divyanshi Tyagi 5 years, 3 months ago

हिंदी कोर्स 'ए' : १. क्षितिज ( काव्य खंड )‌ - पाठ : सूरदास के पद, पाठ : राम - लक्ष्मण - परशुराम संवाद, पाठ : उत्साह, अट नहीं रही है और पाठ : कन्यादान। ( गद्य खंड ) - पाठ : नेताजी का चश्मा, पाठ : बालगोबिन भगत, पाठ : लखनवी अंदाज और पाठ : मानवीय करुणा की दिव्य चमक। २. कृतिका - पाठ : माता का आंचल, पाठ : जॉर्ज पंचम की नाक और पाठ : साना साना हाथ जोडि।

Yukti Sood 5 years, 3 months ago

Hindi syllabus for examination in board : गद्य खंड- 1. नेताजी का चश्मा 2. बालगोबिन भगत 3. लखनवी अंदाज़ 4. मानविय करुणा की दिव्य चमक पद्य खंड- 1. सूरदास (पद) 2. राम-लक्षमण-परशुराम संवाद 3. उत्साह , अट नहीं रही है 4. कन्यादान कृतिका- 1. माता का आँचल 2. जॉर्ज पंचम की नाक 3. साना साना हाथ जोड़ि
  • 1 answers

Siddharth Jangid 5 years, 3 months ago

बच्चे का माँ से ममता का रिश्ता होता है। पिता के साथ स्नेहाधारित रिश्ता होता है। दोनों प्रेम के रूप हैं पर ममता में कठोरता का कोई स्थान नहीं होता। पिता के स्नेह में किंचित कठोरता शामिल हो सकती है। इसलिए बच्चा अपने पिता का स्नेह प्राप्त करके आनंदित हो सकता है पर उसमें माँ के प्रेम के बराबर सुख नहीं मिलता है।      भोलानाथ को अपने पिता से लगाव था पर विपदा के समय वह अपनी माँ के पास जाता है। क्योंकि पिता से डांट खाने की संभावना थी पर माँ की गोद में हर स्थिति में प्रेम, ममता और दुलार मिलना निश्चित था।      वह एक बच्चा था और उसे खेल कूद अच्छा लगता था। उनके साथ वह खेल में मगन हो जाता था। एक बार जब वह गुरूजी से डांट खाने के बाद अपने पिता के साथ रोता हुआ जा रहा था, उसने अपने मित्रों को एक चिड़िया के झुण्ड के साथ खेलते हुए देखा। वह अपना दुःख भूल गया और उनके साथ खेलने लगा।      भोलानाथ और उसके साथी आस पास उपलब्ध चीजों से खेलते थे। वे मिट्टी के टूटे फूटे बर्तन, धूल, कंकड़ पत्थर, गीली मिट्टी और पत्तियों से खेलते थे। वे समधी को बकरे पर सवार करके बारात निकालने का खेल खेलते थे। कभी कभी लोगों को चिढ़ाते थे।      एक दिन जब पिताजी रामायण पढ़ रहे थे भोलानाथ अपने को आईने में देखकर खुश हो रहा था। लेकिन जब पिताजी ने उसकी ओर देखा तो उसने शर्मा कर आईना रख दिया।      पाठ के अंत में दिखाया गया है कि भोलानाथ सांप से डरकर माता की गोद में आता है, माँ अपने बेटे की हालत देखकर दुखी होती है और उसे अपने आंचल में छिपा लेती है। इस प्रकार जबकि उसका अधिक समय पिता के साथ व्यतीत होता है विपदा के समय उसे माँ की गोद में ही शांति मिलती है।
  • 4 answers

Neha Singh 5 years, 3 months ago

Yes

Abhishek Gupta 5 years, 3 months ago

Yes

Vanshika Baliyan 5 years, 3 months ago

Sahi hai na

Jitesh Gawai 5 years, 3 months ago

Yes I think so
  • 5 answers

Kanaha Yadav 5 years, 3 months ago

1 question ka answer

A B 5 years, 3 months ago

Xxx

A B 5 years, 3 months ago

In this aap provide ?

Love Preet 5 years, 3 months ago

notes for all chapters r available on this app

Love Preet 5 years, 3 months ago

of which chapter??
  • 2 answers

Neha Singh 5 years, 3 months ago

Kyuki woh baar baar chashma badalta tha

Arnav Raj 5 years, 3 months ago

Oye question nhi samagh aa rahaa
  • 1 answers

卄Αɾsнιե Λղαղժ 5 years, 3 months ago

प्लास्टिक एक एसा pradarth है जो कि आज कल सभी के दुआरा इस्तमाल किया जा रहा है. खाने से लेकर pehenne वाली सभी चीजें प्लास्टिक में आती है. प्लास्टिक का इस्तेमाल आज कल के समय में बहुत बढ़ गया है. प्लास्टिक की दुनिया से मतलब है कि आज जहा देखो वहां प्लास्टिक najar आता है. Age tum continue karlo are Yaar बहुत easy topic h
  • 1 answers

Helper . 5 years, 3 months ago

प्लास्टिक एक एसा pradarth है जो कि आज कल सभी के दुआरा इस्तमाल किया जा रहा है. खाने से लेकर pehenne वाली सभी चीजें प्लास्टिक में आती है. प्लास्टिक का इस्तेमाल आज कल के समय में बहुत बढ़ गया है. प्लास्टिक की दुनिया से मतलब है कि आज जहा देखो वहां प्लास्टिक najar आता है. Age tum continue karlo are Yaar बहुत easy topic h
  • 3 answers

Neha Singh 5 years, 3 months ago

Ji netaji ki murti ke neeche murtikr ka naam likha tha..

Hariom Rai 5 years, 3 months ago

Uuuuuumaaaaaaa

Gaurav Seth 5 years, 3 months ago

Q u e s t i o n : नेताजी की मूर्ति के नीचे मूर्तिकार का नाम लिखा था  ?

A n s w e r :

मूर्ति के नीचे लिखा 'मूर्तिकार मास्टर मोतीलाल' वाकई कस्बे का अध्यापक था ।

  • 1 answers

? Pranali.A.P ? 5 years, 3 months ago

आत्मा संबंधी या आत्मा परमात्मा के संबंध में चिन्तन-मनन।
  • 5 answers

Manorma ♥️?? Singh 5 years, 3 months ago

Thank you sisters

? Pranali.A.P ? 5 years, 3 months ago

Surdas ke pad

? Pranali.A.P ? 5 years, 3 months ago

अब तो उनके विरह सहने का सहारा भी उनसे छिन गया अर्थात अब श्री कृष्ण वापस लौटकर नहीं आने वाले हैं और इसी कारण अब उनकी प्रेम-भावना कभी संतुष्ट होने वाली नहीं है। उन्हें कृष्ण के रूप-सौंदर्य को दोबारा निहारने का मौका अब नहीं मिलेगा। उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब वह हमेशा के लिए कृष्ण से बिछड़ चुकी हैं और किसी कारणवश गोपियों के अंदर जो धैर्य बसा हुआ था, अब वह टूट चुका है। इसी वजह से गोपियाँ वियोग में कह रही हैं कि श्री कृष्ण ने सारी लोक-मर्यादा का उल्लंघन किया है, उन्होंने हमें धोखा दिया है। (3) हमारैं हरि हारिल की लकरी। मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी। जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री। सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी। सु तौ ब्याधि हमकौ लै आए, देखी सुनी न करी। यह तौ ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी। सूरदास के पद का भावार्थ :- सूरदास जी के इन पदों में गोपियां उद्धव से यह कह रही हैं कि हमारे हृदय में श्री कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम है, जो कि किसी योग-संदेश द्वारा कम होने वाला नहीं है। बल्कि इससे उनका प्रेम और भी दृढ़ हो जाएगा। गोपियाँ उद्धव से कह रही हैं कि जिस तरह हारिल (एक प्रकार का पक्षी) अपने पंजों में लकड़ी को बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़े रहता है, उसे कहीं भी गिरने नहीं देता, उसी प्रकार हमने हरि (भगवान श्री कृष्ण) को अपने ह्रदय के प्रेम-रूपी पंजों से बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़ा हुआ है। हमारे मन में दिन-रात केवल हरि ही बसते हैं। यहाँ तक कि हम सपने में भी हरि का नाम रटते रहते हैं और इसी वजह से हमें तुम्हारा यह योग संदेश किसी कड़वी ककड़ी की तरह लग रहा है। हमारे ऊपर तुम्हारे इस संदेश का कुछ असर होने वाला नहीं है। इसलिए हमें इस योग संदेश की कोई आवश्यकता नहीं है। फिर आगे गोपियाँ कहती हैं कि तुम यह संदेश उन्हें सुनाओ, जिनका मन पूरी तरह से कृष्ण की भक्ति में डूबा नहीं और शायद वे यह संदेश सुनकर विचलित हो जाएँ। पर हमारे ऊपर तुम्हारे इस संदेश का कोई असर नहीं पड़ने वाला है। (4) हरि हैं राजनीति पढ़ि आए। समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए। इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए। बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए। ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए। अब अपनै मन फेर पाइहैं, चलत जु हुते चुराए। ते क्यौं अनीति करैं आपुन, जे और अनीति छुड़ाए। राज धरम तौ यहै ‘सूर’, जो प्रजा न जाहिं सताए। सूरदास के पद का भावार्थ :- प्रस्तुत पद में सूरदास जी ने हमें यह बताने का प्रयास किया है कि किस प्रकार गोपियाँ श्री कृष्ण के वियोग में खुद को दिलासा दे रही हैं। सूरदास गोपियों के माध्यम से कह रहे हैं कि श्री कृष्ण ने राजनीति का पाठ पढ़ लिया है। जो कि मधुकर (उद्धव) के द्वारा सब समाचार प्राप्त कर लेते हैं और उन्हीं को माध्यम बनाकर संदेश भी भेज देते हैं।

? Pranali.A.P ? 5 years, 3 months ago

ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी। अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी। पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी। ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी। प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी। ‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी। सूरदास के पद का भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में गोपियाँ उद्धव (श्री कृष्ण के सखा) से व्यंग करते हुए कह रही हैं कि तुम बड़े भाग्यवान हो, जो तुम अभी तक कृष्ण के प्रेम के चक्कर में नहीं पड़े। गोपियों के अनुसार उद्धव उस कमल के पत्ते के सामान हैं, जो हमेशा जल में रहकर भी उसमें डूबता नहीं है और न ही उसके दाग-धब्बों को खुद पर आने देता है। गोपियों ने फिर उद्धव की तुलना किसी तेल के मटके से की है, जो निरंतर जल में रहकर भी उस जल से खुद को अलग रखता है। यही कारण है कि गोपियाँ उद्धव को भाग्यशाली समझती हैं, जबकि वे खुद को अभागिन अबला नारी समझती हैं, क्योंकि वह बुरी तरह कृष्ण के प्रेम में पड़ चुकी हैं। उनके अनुसार श्री कृष्ण के साथ रहते हुए भी उद्धव ने कृष्ण के प्रेम-रूपी दरिया में कभी पाँव नहीं रखा और न ही कभी उनके रूप-सौंदर्य का दर्शन किया। जबकि गोपियाँ कृष्ण के प्रेम में इस तरह पड़ चुकी हैं, मानो जैसे गुड़ में चींटियाँ लिपटी हों। (2) मन की मन ही माँझ रही। कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही। अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही। अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही। चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही। ‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही। सूरदास के पद का भावार्थ :- गोपियाँ उद्धव से अपनी पीड़ा बताते हुए कह रही हैं कि श्री कृष्ण के गोकुल छोड़ कर चले जाने के उपरांत, उनके मन में स्थित कृष्ण के प्रति प्रेम-भावना मन में ही रह गई है। वे सिर्फ़ इसी आशा से अपने तन-मन की पीड़ा को सह रही थीं कि जब कृष्ण वापस लौटेंगे, तो वे अपने प्रेम को कृष्ण के समक्ष व्यक्त करेंगी और कृष्ण के प्रेम की भागीदार बनेंगी। परन्तु जब उन्हें कृष्ण का योग-संदेश मिला, जिसमे उन्हें पता चला कि वे अब लौटकर नहीं आएंगे, तो इस संदेश को सुनकर गोपियाँ टूट-सी गईं और उनकी विरह की व्यथा और बढ़ गई।

? Pranali.A.P ? 5 years, 3 months ago

Question to pucho
  • 5 answers

Manorma ♥️?? Singh 5 years, 3 months ago

Prnali A P sister plz tell

Manorma ♥️?? Singh 5 years, 3 months ago

Plz help me

Manorma ♥️?? Singh 5 years, 3 months ago

Mail gaon me fash gai hun lockdown ki kard

Manorma ♥️?? Singh 5 years, 3 months ago

Book nahi hai na

Lucifer?? Morningstar?? 5 years, 3 months ago

Use help book
  • 3 answers

? Pranali.A.P ? 5 years, 3 months ago

George V was King of the United Kingdom and the British Dominions, and Emperor of India, from 6 May 1910 until his death in 1936. Born during the reign of his grandmother Queen Victoria, George was third in the line of succession behind his father, Prince Albert Edward, and his own elder brother, Prince Albert Victor.

Aditya Pandey 5 years, 3 months ago

Iska answer

Aditya Pandey 5 years, 3 months ago

https://youtu.be/1xKSSckSA0Q
  • 1 answers

Aditya Pandey 5 years, 3 months ago

https://youtu.be/1xKSSckSA0Q
  • 2 answers

Neha Singh 5 years, 3 months ago

देशभक्तों ने देश को आज़ादी दिलाने के लिए अपना सर्वस्व देश को समर्पित कर दिया। आज हम स्वतंत्र देश में आज़ादी की साँस ले रहे है, यह उन्हीं देशभक्तों के कारण संभव हो पाया है, उन्हीं के कारण हम आज़ाद हुए हैं परन्तु यदि किसी के मन में ऐसे देशभक्तों के लिए सम्मान की भावना नहीं है, वे उनकी देशभक्ति पर हँसते हैं तो यह बड़े ही दु:ख की बात है। ऐसे लोग सिर्फ़ अपने बारे में सोचते हैं, वे केवल स्वार्थी होते हैं। लेखक ने ऐसे लोगों पर अपना गुस्सा व्यक्त किया है।

Aditya Pandey 5 years, 3 months ago

https://youtu.be/1xKSSckSA0Q
  • 3 answers

Aditya Pandey 5 years, 3 months ago

https://youtu.be/1xKSSckSA0Q

? Pranali.A.P ? 5 years, 4 months ago

Abhi tk

? Pranali.A.P ? 5 years, 4 months ago

Sorry ye topic hmare school me nhi huaa

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