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Yogita Ingle 5 years, 3 months ago

 वामीरो लपाती गावँ की निश्छल भोली सुन्दरी थी . उसके कंठ में अपार मधुरता थी. उसके श्रृंगार-गीत को सुनके समुद्र में हिल्लोल पैदा हो जाती थी. वातावरण में ऐसी मधुरता छा जाती थी की अनजान युवक तताँरा अपनी सुध-बुध खो बैठा.
वामीरो अपने गावँ की परंपराओं का सम्मान करती थी. इसलिए वह नहीं चाहती थी की किसी अन्य गावँ का युवक उसके गीत को सुने, उसे घूरे, ताके और प्रेम-भरी बातें करें. किन्तु तताँरा से प्रेम हो जाने के बाद परम्पराएँ उसके लिए कोई महत्व नहीं रखती थी. वह अपने गावँ की परंपरा को भूलकर तताँरा से मिलती थी.
प्रेम के सच्चे अर्थ को समझने वाली वमीरो अपने प्रेमी तताँरा से बिछुड़ने के बाद उसने खाना-पीना सब छोड़ दिया और अपने परिवार से अलग हो गयी. इस प्रकार एकनिष्ठ प्रेम में समर्पित वमीरो ने प्रेम की खातिर अपने समाज एवं परिवार से अलग होकर अपने प्रेम में ही अपना अस्तित्व को मिटा डाला.

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Anamika Chandel 5 years, 3 months ago

शिक्षा का केन्द्र: तक्षशिला का बौद्ध मठ भारतीय शिक्षा का इतिहास भारतीय सभ्यता का भी इतिहास है। भारतीय समाज के विकास और उसमें होने वाले परिवर्तनों की रूपरेखा में शिक्षा की जगह और उसकी भूमिका को भी निरंतर विकासशील पाते हैं। सूत्रकाल तथा लोकायत के बीच शिक्षा की सार्वजनिक प्रणाली के पश्चात हम बौद्धकालीन शिक्षा को निरंतर भौतिक तथा सामाजिक प्रतिबद्धता से परिपूर्ण होते देखते हैं। बौद्धकाल में स्त्रियों और शूद्रों को भी शिक्षा की मुख्य धारा में सम्मिलित किया गया। प्राचीन भारत में जिस शिक्षा व्यवस्था का निर्माण किया गया था वह समकालीन विश्व की शिक्षा व्यवस्था से समुन्नत व उत्कृष्ट थी लेकिन कालान्तर में भारतीय शिक्षा का व्यवस्था ह्रास हुआ। विदेशियों ने यहाँ की शिक्षा व्यवस्था को उस अनुपात में विकसित नहीं किया, जिस अनुपात में होना चाहिये था। अपने संक्रमण काल में भारतीय शिक्षा को कई चुनौतियों व समस्याओं का सामना करना पड़ा। आज भी ये चुनौतियाँ व समस्याएँ हमारे सामने हैं जिनसे दो-दो हाथ करना है। १८५० तक भारत में गुरुकुल की प्रथा चलती आ रही थी परन्तु मकोले द्वारा अंग्रेजी शिक्षा के संक्रमण के कारण भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था का अंत हुआ और भारत में कई गुरुकुल तोड़े गए और उनके स्थान पर कान्वेंट और पब्लिक स्कूल खोले गए। . नई!!: राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय शिक्षा का इतिहास  राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (अंग्रेज़ी:नेशनल काउन्सिल ऑफ टीचर्स एड्युकेशन, लघु:NCTE) भारत सरकार की एक संस्था है, जिसकी स्थापना राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद अधिनियम, १९९३ (#७३, १९९३) के अन्तर्गत १७ अगस्त, १९९५ में की गई थी। इसका उत्तरदायित्व भारतीय शिक्षा प्रणाली के मानक, प्रक्रियाएं एवं धाराओं की स्थापना एवं निरीक्षण करना है। . नई!!: राष्ट्रीय शिक्षा नीति और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद  शिक्षा नीति शिक्षा प्रणाली को नियन्त्रित करने वाले सभी सिद्धान्तों एवं नियम-कानूनों के समुच्चय को शिक्षा नीति (Education policy) कहा जाता है। . नई!!: राष्ट्रीय शिक्षा नीति और शिक्षा नीति  उचित समय और उचित स्थान पर उचित कार्य करने की कला को नीति (Policy) कहते हैं। नीति, सोचसमझकर बनाये गये सिद्धान्तों की प्रणाली है जो उचित निर्णय लेने और सम्यक परिणाम पाने में मदद करती है। नीति में अभिप्राय का स्पष्ट उल्लेख होता है। नीति को एक प्रक्रिया (procedure) या नयाचार (नय+आचार / protocol) की तरह लागू किया जाता है। . जवाहर नवोदय विद्यालय जवाहर नवोदय विद्यालय जवाहर नवोदय विद्यालय अथवा नवोदय विद्यालय भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जाने वाली पूरी तरह से आवासीय, सह शिक्षा, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नई दिल्ली से संबद्ध शिक्षण परियोजना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति - १९८६ के अन्तर्गत ऐसे आवासीय विद्यालयों की कल्पना की गई जिन्हें जवाहर नवोदय विद्यालय का नाम दिया गया, जो सर्वश्रेष्ठ ग्रामीण प्रतिभाओं को आगे लाने का उत्तम प्रयास है। इस परीयोजना का प्रमुख लक्ष्य गांव-गांव तक उत्तम शिक्षा पहुचाना है। ये विद्यालय पूर्णतः आवासीय एवं निःशुल्क विद्यालय होते हैं जहाँ विद्यार्थियों को नि:शुल्क आवास, भोजन, शिक्षा एवं खेलकूद सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। हर जिले में एक नवोदय विद्यालय होता है। . नई!!: राष्ट्रीय शिक्षा नीति और जवाहर नवोदय विद्यालय ·
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Anamika Chandel 5 years, 3 months ago

भूमिका-आज का युग विज्ञान का युग है। आज के वैज्ञानिक युग ने मनुष्य के जीवन में बहुत ही प्रभाव उत्पन्न किया है। आज मनुष्य के जीवन में जितनी भी गतिविधियां हो रही है वह सभी विज्ञान की वजह से ही संभव हो पाई है। आज के समय में पुराने रहस्य को भी खोज लिया गया है । आज विज्ञान की वजह से ही आकाश की ऊंचाइयों से लेकर पाताल की गहराइयों को नापना संभव हो पाया है। मनुष्य ने जो प्रगति की है उसका इतिहास इस बात का साक्षी है कि वह किसी समय जानवरों का जीवन जीता था। गुफाओं में रहता था कच्चा मांस और फल सब्जियां खाता था, पेड़ों और पौधों की पत्तियों और छालों को कपड़ों की तरह पहनता था। धीरे-धीरे उसने आग लगाना सीखा और वहां से वह निरंतर आगे बढ़ता चला गया और आधुनिक युग में बहुत आगे बढ़ता चला गया। विज्ञान की वजह से मनुष्य जीवन हर तरह से बदल गया है। विज्ञान की वजह से ही आज मनुष्य इतनी ऊंचाइयों पर पहुंच गया है। विज्ञान का अर्थ- विज्ञान का अर्थ होता है विशिष्ट ज्ञान। अर्थात किसी विषय या वस्तु के बारे में विशेष और व्यवस्थित ज्ञान होना। किसी के पास विशेष ज्ञान होता है तभी विशेष काम किए जाते हैं। विज्ञान शब्द साहित्य और दर्शन के क्षेत्र में भी अर्थ दे सकता है क्योंकि किसी भी विषय का वशिष्ठ ज्ञान होना ही ज्ञान कहलाता है।
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Gaurav Seth 5 years, 3 months ago

प्रश्नः (क)
गंगा के जल और साधारण पानी में क्या अंतर है?
उत्तर:
गंगा का जल पवित्र माना जाता है। यह काफी दिनों तक रखने के बाद भी अशुद्ध नहीं होता है। इसके विपरीत साधारण जल कुछ ही दिन में खराब हो जाता है।

प्रश्नः (ख)
गंगा के उद्गम स्थल को किस नाम से जाना जाता है? इस नदी को गंगा नाम कैसे मिलता है?
उत्तर:
गंगा के उद्गम स्थल को गंगोत्री या गोमुख के नाम से जाना जाता है। वहाँ यह भागीरथी नाम से निकलती है। देवप्रयाग मेंयह अलकनंदा से मिलती है तब इसे गंगा नाम मिलता है।

प्रश्नः (ग)
भागीरथी से देव प्रयाग तक का सफ़र गंगा के लिए किस तरह लाभदायी सिद्ध होता है?
उत्तर:
भागीरथी से देवप्रयाग तक गंगा विभिन्न पहाड़ों के बीच बहती है जिससे इसमें कुछ चट्टानें धुल जाती हैं। इससे गंगा का जल दीर्घ काल तक सड़ने से बचा रहता है। इस तरह यह सफ़र गंगा के लिए लाभदायी सिद्ध होता है।

प्रश्नः (घ)
बैक्टीरिया ही पानी में सड़न पैदा करते हैं और बैक्टीरिया ही पानी की सड़न रोकते हैं, कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुछ खास किस्म के बैक्टीरिया ऐसे होते हैं जो पानी में सड़न पैदा करते हैं और कुछ बैक्टीरिया इन बैक्टीरिया को रोकने का काम करते हैं। गंगा के पानी में सड़न रोकने वाले बैक्टीरिया इनको पनपने से रोककर पानी सड़ने से बचाते हैं।

प्रश्नः (ङ)
मन को निर्मल रखने के लिए क्या उपाय बताया गया है?
उत्तर:
मन को निर्मल रखने के लिए विचारों का प्रदूषण रोकना चाहिए। इसके लिए मन में सकारात्मक विचार प्रवाहित होना चाहिए। मन में नकारात्मक विचार आते ही उसे सकारात्मक विचारों द्वारा नष्ट कर देना चाहिए।

Gaurav Seth 5 years, 3 months ago

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

(1) गंगा भारत की एक अत्यन्त पवित्र नदी है जिसका जल काफ़ी दिनों तक रखने के बावजूद अशुद्ध नहीं होता जबकि साधारण जल कुछ दिनों में ही सड़ जाता है। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री या गोमुख है। गोमुख से भागीरथी नदी निकलती है और देवप्रयाग नामक स्थान पर अलकनंदा नदी से मिलकर आगे गंगा के रूप में प्रवाहित होती है। भागीरथी के देवप्रयाग तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुल जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो उसके पानी को सड़ने नहीं देती।

हर नदी के जल में कुछ खास तरह के पदार्थ घुले रहते हैं जो उसकी विशिष्ट जैविक संरचना के लिए उत्तरदायी होते हैं। ये घुले हुए पदार्थ पानी में कुछ खास तरह के बैक्टीरिया को पनपने देते हैं तो कुछ को नहीं। कुछ खास तरह के बैक्टीरिया ही पानी की सड़न के लिए उत्तरदायी होते हैं तो कुछ पानी में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं को रोकने में सहायक होते हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि गंगा के पानी में भी ऐसे बैक्टीरिया हैं जो गंगा के पानी में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं को पनपने ही नहीं देते इसलिए गंगा का पानी काफ़ी लंबे समय तक खराब नहीं होता और पवित्र माना जाता है।

हमारा मन भी गंगा के पानी की तरह ही होना चाहिए तभी वह निर्मल माना जाएगा। जिस प्रकार पानी को सड़ने से रोकने के लिए उसमें उपयोगी बैक्टीरिया की उपस्थिति अनिवार्य है उसी प्रकार मन में विचारों के प्रदूषण को रोकने के लिए सकारात्मक विचारों के निरंतर प्रवाह की भी आवश्यकता है। हम अपने मन को सकारात्मक विचार रूपी बैक्टीरिया द्वारा आप्लावित करके ही गलत विचारों को प्रविष्ट होने से रोक सकते हैं। जब भी कोई नकारात्मक विचार उत्पन्न हो सकारात्मक विचार द्वारा उसे समाप्त कर दीजिए।

Palak ? 3 years, 7 months ago

Dear ye kya h..... No question it is just wastage of time?
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Avatar ? 5 years, 3 months ago

वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद-परिचय, पद-व्याख्या या पदान्वय कहते है। व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है - वाक्य में उस पद की स्थिति बताना, उसका लिंग, वचन, कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।
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Confusion ??? Master ??? 5 years, 3 months ago

Shringaar

Gaurav Seth 5 years, 3 months ago

(क) चरन-कमल बंद हरि राई ।
(ख) करि-करि प्रतिपद प्रतिमनि बसुधा, कमल बैठकी साजति ।
(ग) जोइ-जोइ माँगत, सोइ-सोड़ देती, क्रम-क्रम करि के हाते ।
उत्तर
(क) रूपक अलंकारे।
(ख) अनुप्रास एवं पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार।
(ग) अनुप्रास एवं पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार।

लक्षण-उपर्युक्त अलंकारों में से रूपक एवं अनुप्रास के लक्षण ‘काव्य-सौन्दर्य के तत्त्वों के अन्तर्गत देखें।
पुनरुक्तिप्रकाश-जब एक ही शब्द की लगातार पुनरावृत्ति होती है, तब वहाँ पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार होता है; जैसे उपर्युक्त पद ‘ख’ में करि-करि।

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Muskan Kumari 5 years, 3 months ago

अकर्मक क्रिया

Charvi Sangwan 5 years, 3 months ago

अकर्मक क्रिया
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Anupama ?? 5 years, 3 months ago

Vah bimar hone ke karan tumhare ghar nhi aa saki

Pawan Tiwari 5 years, 3 months ago

वह बीमार के कारण तुम्हारे घर नहीं आयी।
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Rashmi Sinha 5 years, 3 months ago

Parichay samapt hote hi hum kanpur chle gae

Charvi Sangwan 5 years, 3 months ago

Thanks, but it is a मिश्रित वाक्य

Palak Gupta 5 years, 3 months ago

हम कानपुर गए क्योकी परीक्षा समाप्त हो गई
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Ayushi Singh 5 years, 2 months ago

Ake samrajya tha waha Kai raja Rani bahut gunwan Thai waha Ka mantri bahut budhiman tha aur waha ki Ake Rajkumari thi aur waha pai kuch daridra aur sanki log bhi rahate Thai waha pai Ake din chori hue tab raja nai Kaha ki Jo Chor Ka pata lagayega Mai use innam dunga
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Vikas Rai 5 years, 3 months ago

भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु पर भाव व्यक्त करते हुए कहा कि उनके पुत्र की आत्मा परमात्मा के पास चली गई है ।
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Arav Mishra 5 years, 3 months ago

भोलानाध अपने साथियों के साथ अनेकों तरह के खेल खेलता था और उन खेलों से जुड़ी अनेकों तुकबंदियां गाया करता था अतः जब कभी वह किसी बात पर रोता और से सकता था तो अपने मित्रों को देखकर रोना भूल जाता था क्योंकि मित्रों के साथ खेले जाने वाले अनेक तरह के खेलों तथा उनके साथ की जाने वाले विभिन्न शहरों की स्मृतियां उसके दिमाग में ताजा होती थी अतः उन्हें खेलों और शरारती की कल्पनाओं में पुनः डूबने के कारण वह अपने दुख दर्द भूल कर रोना और चिल्लाना भूल बैठता था|
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Piyush Agarwal 5 years, 3 months ago

Uddhav k vyahvar ki tulna bhanware se ki gyi h

Tina ? 5 years, 3 months ago

Uddhav ke vyayahare le tulna kamal le patte se ki gyi h
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Gaurav Seth 5 years, 3 months ago

1. छायावाद की एक खास विशेषता है अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।

उत्तर:- कविता के निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है कि प्रस्तुत कविता में अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाया गया है :
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
और
कहीं साँस लेते हो,
घर घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम,
पर पर कर देते हो।
यह पंक्तियाँ फागुन और मानव मन दोनों के लिए प्रयुक्त हुई हैं।

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