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Ask QuestionPosted by Sakina Malu 5 years, 1 month ago
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Posted by Raagreet Kaur 5 years, 1 month ago
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Posted by Rahul Kumawat 5 years, 1 month ago
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Posted by Anil Sura 5 years, 1 month ago
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Posted by Sumit Yadav 5 years, 1 month ago
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Posted by Aastha Anvi 5 years, 1 month ago
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Anamika Chandel 5 years, 1 month ago
Posted by Rashmi Sinha 5 years, 1 month ago
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Anamika Chandel 5 years, 1 month ago
Posted by Sushmita Singh 5 years, 1 month ago
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Posted by Sushmita Singh 5 years, 1 month ago
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Posted by Aman Singh 5 years, 1 month ago
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Posted by Vedanshu Nishad 5 years, 1 month ago
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Posted by Keshar Pundir Rana 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
प्रश्नः (क)
गंगा के जल और साधारण पानी में क्या अंतर है?
उत्तर:
गंगा का जल पवित्र माना जाता है। यह काफी दिनों तक रखने के बाद भी अशुद्ध नहीं होता है। इसके विपरीत साधारण जल कुछ ही दिन में खराब हो जाता है।
प्रश्नः (ख)
गंगा के उद्गम स्थल को किस नाम से जाना जाता है? इस नदी को गंगा नाम कैसे मिलता है?
उत्तर:
गंगा के उद्गम स्थल को गंगोत्री या गोमुख के नाम से जाना जाता है। वहाँ यह भागीरथी नाम से निकलती है। देवप्रयाग मेंयह अलकनंदा से मिलती है तब इसे गंगा नाम मिलता है।
प्रश्नः (ग)
भागीरथी से देव प्रयाग तक का सफ़र गंगा के लिए किस तरह लाभदायी सिद्ध होता है?
उत्तर:
भागीरथी से देवप्रयाग तक गंगा विभिन्न पहाड़ों के बीच बहती है जिससे इसमें कुछ चट्टानें धुल जाती हैं। इससे गंगा का जल दीर्घ काल तक सड़ने से बचा रहता है। इस तरह यह सफ़र गंगा के लिए लाभदायी सिद्ध होता है।
प्रश्नः (घ)
बैक्टीरिया ही पानी में सड़न पैदा करते हैं और बैक्टीरिया ही पानी की सड़न रोकते हैं, कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुछ खास किस्म के बैक्टीरिया ऐसे होते हैं जो पानी में सड़न पैदा करते हैं और कुछ बैक्टीरिया इन बैक्टीरिया को रोकने का काम करते हैं। गंगा के पानी में सड़न रोकने वाले बैक्टीरिया इनको पनपने से रोककर पानी सड़ने से बचाते हैं।
प्रश्नः (ङ)
मन को निर्मल रखने के लिए क्या उपाय बताया गया है?
उत्तर:
मन को निर्मल रखने के लिए विचारों का प्रदूषण रोकना चाहिए। इसके लिए मन में सकारात्मक विचार प्रवाहित होना चाहिए। मन में नकारात्मक विचार आते ही उसे सकारात्मक विचारों द्वारा नष्ट कर देना चाहिए।
Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(1) गंगा भारत की एक अत्यन्त पवित्र नदी है जिसका जल काफ़ी दिनों तक रखने के बावजूद अशुद्ध नहीं होता जबकि साधारण जल कुछ दिनों में ही सड़ जाता है। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री या गोमुख है। गोमुख से भागीरथी नदी निकलती है और देवप्रयाग नामक स्थान पर अलकनंदा नदी से मिलकर आगे गंगा के रूप में प्रवाहित होती है। भागीरथी के देवप्रयाग तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुल जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो उसके पानी को सड़ने नहीं देती।
हर नदी के जल में कुछ खास तरह के पदार्थ घुले रहते हैं जो उसकी विशिष्ट जैविक संरचना के लिए उत्तरदायी होते हैं। ये घुले हुए पदार्थ पानी में कुछ खास तरह के बैक्टीरिया को पनपने देते हैं तो कुछ को नहीं। कुछ खास तरह के बैक्टीरिया ही पानी की सड़न के लिए उत्तरदायी होते हैं तो कुछ पानी में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं को रोकने में सहायक होते हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि गंगा के पानी में भी ऐसे बैक्टीरिया हैं जो गंगा के पानी में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं को पनपने ही नहीं देते इसलिए गंगा का पानी काफ़ी लंबे समय तक खराब नहीं होता और पवित्र माना जाता है।
हमारा मन भी गंगा के पानी की तरह ही होना चाहिए तभी वह निर्मल माना जाएगा। जिस प्रकार पानी को सड़ने से रोकने के लिए उसमें उपयोगी बैक्टीरिया की उपस्थिति अनिवार्य है उसी प्रकार मन में विचारों के प्रदूषण को रोकने के लिए सकारात्मक विचारों के निरंतर प्रवाह की भी आवश्यकता है। हम अपने मन को सकारात्मक विचार रूपी बैक्टीरिया द्वारा आप्लावित करके ही गलत विचारों को प्रविष्ट होने से रोक सकते हैं। जब भी कोई नकारात्मक विचार उत्पन्न हो सकारात्मक विचार द्वारा उसे समाप्त कर दीजिए।
Posted by Shreeram Choudhary 5 years, 1 month ago
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Avatar ? 5 years, 1 month ago
Posted by ?? ? 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
(क) चरन-कमल बंद हरि राई ।
(ख) करि-करि प्रतिपद प्रतिमनि बसुधा, कमल बैठकी साजति ।
(ग) जोइ-जोइ माँगत, सोइ-सोड़ देती, क्रम-क्रम करि के हाते ।
उत्तर
(क) रूपक अलंकारे।
(ख) अनुप्रास एवं पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार।
(ग) अनुप्रास एवं पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार।
लक्षण-उपर्युक्त अलंकारों में से रूपक एवं अनुप्रास के लक्षण ‘काव्य-सौन्दर्य के तत्त्वों के अन्तर्गत देखें।
पुनरुक्तिप्रकाश-जब एक ही शब्द की लगातार पुनरावृत्ति होती है, तब वहाँ पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार होता है; जैसे उपर्युक्त पद ‘ख’ में करि-करि।
Posted by Malvika Goyal 5 years, 1 month ago
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Posted by Charvi Sangwan 5 years, 1 month ago
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Posted by Charvi Sangwan 5 years, 1 month ago
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Posted by Angel Bakshi 5 years, 1 month ago
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Ayushi Singh 5 years ago
Posted by Afreen Sultana 5 years, 1 month ago
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Posted by Aryan Chandra 5 years, 1 month ago
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Vikas Rai 5 years, 1 month ago
Posted by Aryan Chandra 5 years, 1 month ago
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Arav Mishra 5 years, 1 month ago
Posted by Aryan Chandra 5 years, 1 month ago
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Posted by Aryan Chandra 5 years, 1 month ago
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Posted by Nishant Chauhan 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
1. छायावाद की एक खास विशेषता है अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर:- कविता के निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है कि प्रस्तुत कविता में अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाया गया है :
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
और
कहीं साँस लेते हो,
घर घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम,
पर पर कर देते हो।
यह पंक्तियाँ फागुन और मानव मन दोनों के लिए प्रयुक्त हुई हैं।
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Yogita Ingle 5 years, 1 month ago
वामीरो लपाती गावँ की निश्छल भोली सुन्दरी थी . उसके कंठ में अपार मधुरता थी. उसके श्रृंगार-गीत को सुनके समुद्र में हिल्लोल पैदा हो जाती थी. वातावरण में ऐसी मधुरता छा जाती थी की अनजान युवक तताँरा अपनी सुध-बुध खो बैठा.
वामीरो अपने गावँ की परंपराओं का सम्मान करती थी. इसलिए वह नहीं चाहती थी की किसी अन्य गावँ का युवक उसके गीत को सुने, उसे घूरे, ताके और प्रेम-भरी बातें करें. किन्तु तताँरा से प्रेम हो जाने के बाद परम्पराएँ उसके लिए कोई महत्व नहीं रखती थी. वह अपने गावँ की परंपरा को भूलकर तताँरा से मिलती थी.
प्रेम के सच्चे अर्थ को समझने वाली वमीरो अपने प्रेमी तताँरा से बिछुड़ने के बाद उसने खाना-पीना सब छोड़ दिया और अपने परिवार से अलग हो गयी. इस प्रकार एकनिष्ठ प्रेम में समर्पित वमीरो ने प्रेम की खातिर अपने समाज एवं परिवार से अलग होकर अपने प्रेम में ही अपना अस्तित्व को मिटा डाला.
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