Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Yashika Garg 5 years ago
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Posted by Yashika Garg 5 years ago
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Posted by Manishi Sahai 5 years ago
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Gaurav Seth 5 years ago
संदेश लेखन का प्रारूप (Format for Message Writing)
(1) औपचारिक संदेश लेखन का प्रारूप (Format For Formal Message Writing)
संदेश
दिनांक : ……. समय : ……
संबोधन ………
विषय (जिस विषय हेतु सन्देश दे रहे हैं )………………………………………..
………………………………………………………………………………………………
…………………………………..
अपना नाम
(2) अनौपचारिक संदेश लेखन का प्रारूप (Format For Informal Message Writing)
संदेश
दिनांक : ……. समय : ……
विषय (जिस विषय हेतु सन्देश दे रहे हैं , वो लिखें )
…………………………………………………………….
…………………………………………………………….
और अपना नाम
संदेश लेखन के कुछ उदाहरण
अनौपचारिक संदेश व औपचारिक संदेश लेखन के कुछ उदाहरण (Example of Formal and Informal Message Writing)
उदाहरण – 1
गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर देशवासियों के लिए एक संदेश लिखें।
Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Vicky Kumar 5 years ago
Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Manyata Pathak 5 years, 1 month ago
Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 5 years ago
गोपियां श्रीकृष्ण को गुहार लगाना चाहती थीं जिन के प्रेम के प्रति उन्हें अपार विश्वास था। उन्हें लगता था कि श्रीकृष्ण ने उद्धव के माध्यम से निर्गुण ब्रह्म संबंधी संदेश भिजवा कर उन के प्रेम को धोखा दिया था।
Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 5 years ago
गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से की है जो नदी के जल में रहते हुए भी जल की ऊपरी सतह पर ही रहता है। अर्थात् जल का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता। श्री कृष्ण का सानिध्य पाकर भी वह श्री कृष्ण के प्रभाव से मुक्त हैं।
Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 5 years ago
गोपियों के हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति अगाध प्रेम था। उन्हें तो सिवाय श्रीकृष्ण के और कुछ सूझता ही नहीं था। वे तो उनकी रूप माधुरी में इस प्रकार उलझी हुई थीं जिस प्रकार चींटी गुड पर आसक्त होती है। जब एक बार चींटी गुड से चिपट जाती है तो फिर वहाँ से कभी भी छूट नहीं पाती। वे उसके लगाव में अपना जीवन वहीं लाग देती हैं। गोपियों को तो ऐसा प्रतीत होता था कि उनका मन श्रीकृष्ण के साथ ही मथुरा चला गया था। वे तो हारिल पक्षी के तिनके के समान मन वचन और कर्म से उनसे जुड़ी हुई थीं। उनकी प्रेम की अनन्यता ऐसी थी कि रात-दिन, सोते-जागते वे उन्हें ही याद करती रहती थीं।
Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 5 years ago
सीता स्वयंवर के समय शिवजी के धनुष को श्री राम ने तोड़ दिया था जिस कारण परशुराम क्रोध से भर उठे थे। उनके क्रोध को शाँत करने के लिए राम ने उनसे बिना किसी हर्ष या विषाद के कहा था कि हे नाथ! शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला कोई उन का ही दास होगा। यदि वे कोई आज्ञा देना चाहते थे तो उन्हें आदेश करें। उनकी वाणी में सहजता थी, मिठास थी। वे किसी भी प्रकार से परशुराम के गुस्से को बढ़ाने वाली वाणी नहीं बोले थे।
Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Posted by Rohit Bera 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years ago
पुस्तकालय की स्थापना (विज्ञापन) खुशखबरी शिमला वासियों आपके शहर में खुल गया है पुस्तकालय जिस में सभी प्रकार की सुविधाएँ है | बच्चों से लेकर सभी वर्ग के आयु के लोगों के लिए इस पुस्तकालय की स्थापना की गई है | आप सब यहाँ आ कर पढ़ाई कर सकते है , अख़बार पढ़ सकते , सभी विषयों की पुस्तकें पढ़ सकते है | आइए और पुस्तकालय का लाभ लीजिए | समय : सुबह 9 बजे सी 6 बजे तक | |
Posted by Rohit Bera 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years ago
पुस्तकालय की स्थापना (विज्ञापन)
खुशखबरी शिमला वासियों आपके शहर में खुल गया है पुस्तकालय जिस में सभी प्रकार की सुविधाएँ है | बच्चों से लेकर सभी वर्ग के आयु के लोगों के लिए इस पुस्तकालय की स्थापना की गई है |
आप सब यहाँ आ कर पढ़ाई कर सकते है , अख़बार पढ़ सकते , सभी विषयों की पुस्तकें पढ़ सकते है | आइए और पुस्तकालय का लाभ लीजिए |
समय :
सुबह 9 बजे सी 6 बजे तक |
Posted by Rohit Bera 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years ago
पुस्तक प्रेमियों के लिये खुश खबरी। आ रही है आपके शहर में भी पुस्तक प्रदर्शिनी जहाँ आप पा सकेंगे देश और विदेश के प्रख्यात लेखकों की पुस्तकें आकर्षक छूट के साथ। इतना ही नहीं प्रतिदिन अनेक प्रतियोगिताएँ भी होंगी जहाँ आप जीत सकते हैं मुफ़्त पुस्तकें और लेखकों से रूबरू होने के अवसर। आकर्षक स्टालों और रँगबिरँगे सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सजी पुस्तक प्रदर्शनी शुरू हो रही है 1 जुलाई से सिटी सेंटर मैदान में।
Posted by Rohit Bera 5 years, 1 month ago
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Anupama ?? 5 years, 1 month ago
Posted by Anupama ?? 5 years, 1 month ago
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Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 5 years, 1 month ago
विश्व भर में परशुराम अपने क्रोध और ब्रह्मचर्य के कारण प्रसिद्ध था। वह क्षत्रिय वंश को अपना शत्रु मानता था और उसे नष्ट करने की इच्छा के कारण विख्यात था।
Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 5 years, 1 month ago
लक्ष्मण ने कहा कि राम ने तो धनुष को नया जानकर परखा था, परन्तु वह तो राम के छूते ही टूट गया।
Posted by Rohit Singh 5 years, 1 month ago
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Shatyam Chaudhary 5 years ago
2Thank You