Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Vinayak Patidar 5 years ago
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Posted by Sonit Agrawal 5 years ago
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Posted by Rishabh Choudhary 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को राख की ढेरी के रूप में पाया। उसकी मृत्यु हो गई थी।Mar 31, 2019
Posted by Vaibhav Ojha 5 years ago
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Posted by Asmi . 5 years ago
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Posted by Asmi . 5 years ago
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Posted by Krisha Pipalava 5 years ago
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Gaurav Seth 5 years ago
प्रश्न 1 - लेखक किसके रोने का कारण नहीं जान सका ?
(A) बच्चे के
(B) बुढ़िया के
(C) दूकान वाले के
(D) इनमें से कोई नहीं
A n s w e r:
(B) बुढ़िया के
Posted by Surjeet Mohanty 5 years ago
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Posted by Surjeet Mohanty 4 years, 5 months ago
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Sia ? 4 years, 5 months ago
शब्द - एक या अनेक वर्णों से बना हुआ अर्थपूर्ण समूह शब्द कहलाता है।
जैसे – राम, आम, खा, इत्यादि
पद - जब इन अर्थपूर्ण शब्दों का प्रयोग वाक्य में किया जाता है, तो उस शब्द को पद कहते है। यह शब्द मात्र शब्द नहीं होते हैं बल्कि यह शब्द वाक्य में संज्ञा, वचन, लिंग, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, इत्यादि दर्शाता है। और वाक्य में प्रयोग होने वाले शब्द पद कहलाते हैं।
जैसे – राम आम खा रहा है।
इस वाक्य में राम और आम शब्द का पद परिचय है संज्ञा, इसका वचन है एकवचन, और खा रहा है का पद परिचय है क्रिया।
Posted by Surjeet Mohanty 5 years ago
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Gaurav Seth 5 years ago
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
<hr />
दोहा छंद तो ऐसा होता है जो आकार में छोटा है परन्तु अर्थ बहुत गहरा लिए हुए होता है। उनका गूढ़ अर्थ ही उनकी गागर में सागर भरने की प्रवृत्ति को स्पष्ट कर देता है। ठीक वैसे ही जैसे नट कुंडली को समेटकर कूदकर रस्सी पर चढ़ जाता है।
Posted by Sneha Garg 5 years ago
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Posted by Palak Sharma 5 years, 1 month ago
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ᵗʰⁱˢ ᵍⁱʳˡ ⁱˢ ༒︎Dᴇᴀᴅ Iɴsɪᴅᴇ༒︎✔︎ 5 years, 1 month ago
Posted by Khushi Pandey 5 years, 1 month ago
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Posted by Khushi Pandey 5 years, 1 month ago
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Posted by Dipankar Pimple 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
अनौपचारिक-पत्र की प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द), अभिवादन व समाप्ति में किन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए-
(1) अपने से बड़े आदरणीय संबंधियों के लिए-
प्रशस्ति – आदरणीय, पूजनीय, पूज्य, श्रद्धेय आदि।
अभिवादन – सादर प्रणाम, सादर चरणस्पर्श, सादर नमस्कार आदि।
समाप्ति – आपका बेटा, पोता, नाती, बेटी, पोती, नातिन, भतीजा आदि।
(2) अपने से छोटों या बराबर वालों के लिए-
प्रशस्ति – प्रिय, चिरंजीव, प्यारे, प्रिय मित्र आदि।
अभिवादन – मधुर स्मृतियाँ, सदा खुश रहो, सुखी रहो, आशीर्वाद आदि।
समाप्ति – तुम्हारा, तुम्हारा मित्र, तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभचिंतक आदि।
अनौपचारिक-पत्र का प्रारूप-
(प्रेषक-लिखने वाले का पता)
………………
दिनांक ……………….
संबोधन ……………….
अभिवादन ……………….
पहला अनुच्छेद ………………. (कुशल-मंगल समाचार)
दूसरा अनुच्छेद ……….. (विषय-वस्तु-जिस बारे में पत्र लिखना है)
तीसरा अनुच्छेद ……………. (समाप्ति)
प्रापक के साथ प्रेषक का संबंध
प्रेषक का नाम …………….
Posted by Aditya Raj Goswami 5 years, 1 month ago
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Sneha Agrawal 5 years, 1 month ago
Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे?
उत्तर:- सोनजुही की पीली कली मनमोहक होती है। लेखिका को विचार आया कि वह छोटा जीव लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठ जाता था। उसका नाम गिल्लू था। लेखिका के निकट पहुँचने ही उनके कंधे पर कूदकर उन्हें चौंका देता था। तब लेखिका को कली की खोज रहती थी, पर आज उस लघुप्राण की खोज थी।
Posted by Mobasshir Mobasshir 5 years, 1 month ago
- 1 answers
Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
(1) औपचारिक संदेश लेखन का प्रारूप (Format For Formal Message Writing)
संदेश
दिनांक : ……. समय : ……
संबोधन ………
विषय (जिस विषय हेतु सन्देश दे रहे हैं )………………………………………..
………………………………………………………………………………………………
…………………………………..
अपना नाम
(2) अनौपचारिक संदेश लेखन का प्रारूप (Format For Informal Message Writing)
संदेश
दिनांक : ……. समय : ……
विषय (जिस विषय हेतु सन्देश दे रहे हैं , वो लिखें )
…………………………………………………………….
…………………………………………………………….
और अपना नाम
Posted by Damini Damini 5 years, 1 month ago
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Posted by Hruthik Kankala 5 years, 1 month ago
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Hamit Singh 5 years ago
Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
दूसरे पद में ‘गरीब निवाजु’ ईश्वर को कहा गया है। जिस व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा होती है वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है। नीच से नीच व्यक्ति का भी उद्धार हो जाता है। ऐसे लोग जो स्पर्श दोष के कारण हाथ लगने पर अपने-आपको अपवित्र मानते हैं। ऐसे दीनों पर दया करने वाले प्रभु ही है जो दुखियों के दर्द से द्रवित हो जाते हैं। न्होंने गरीबों और कमज़ोर समझे जाने वाले और अछूत कहलाने वालों का उद्धार किया है। इससे इन लोगों को समाज में मान-सम्मान और ऊँचा स्थान मिल सकता है।
Posted by Anuja Shedge 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
समन्वय (Co-ordination) प्रबंध का सार है जो उपक्रम की विभिन्न क्रियाओं में तालमेल बनाये रखता है। यह निर्धारित लक्ष्य पूर्ति हेतु की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं में एकता अथवा तालमेल बनाये रखता है। समन्वय से लोग एक टीम के रूप में कार्य करते हैं, जिससे पारस्परिक सहयोग की वृद्धि होती है तथा संबंधित व्यावसायिक उपक्रम का सफल संचालन सम्भव होता है।
समन्वय के लक्षण अथवा विशेषताएँ :-
- समन्वय एक सतत प्रक्रिया है।
- यह प्रबंध का सार है।
- यह समूह प्रयासों के अनावश्यक अपवव्य को रोकता है।
- समन्वय स्थापित करने का प्राथमिक कार्य प्रबन्धकों का है।
- यह क्रियाओं में एकरूपता लता है।
Posted by Navneet Kaur 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
- title or
- headline
1. वह शब्द या शब्द समूह जो किसी विषय से परिचित होने के लिए सबसे ऊपर लिखा जाता है; (टाइटिल) 2. किसी ग्रंथ या लेख आदि के विषय का परिचायक शब्द; रचना नाम
Posted by Rajesh Choudhary 5 years, 1 month ago
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Sneha Agrawal 5 years, 1 month ago
Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई उसका घाव रुई से पोंछा उस पर पेंसिलिन दवा लगाई फिर उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की परन्तु उसका मुँह खुल नहीं सका। कई घंटे के उपचार के बाद उसने एक बूँद पानी पिया। तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे-धीरे स्वस्थ हुआ।
</main>Posted by Abhishek Vishwakarma 5 years, 1 month ago
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Ashtransh Verma 5 years, 1 month ago
Venkat Karthik 5 years, 1 month ago
Posted by Ankush Rathour 5 years, 1 month ago
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Posted by Dheeraj Dheeraj 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
'दो बैलों की कथा' प्रेमचंद द्वारा लिखित रचना है। प्रेमचंद अपनी रचनाओं के माध्यम से संदेश देने में माहिर हैं। समाज को अपनी रचनाओं के माध्यम से कैसे जगाया जाए, यह उन्हें बहुत अच्छी तरह आता है। यह कहानी सांकेतिक भाषा में यह संदेश देती है कि मनुष्य हो या कोई भी प्राणी हो, स्वतंत्रता उसके लिए बहुत महत्व रखती है। स्वतंत्रता को पाने के लिए लड़ना भी पड़े, तो बिना हिचकिचाए लड़ना चाहिए। जन्म के साथ ही स्वतंत्रता सबका अधिकार है, उसे बनाए रखना सबका परम कर्तव्य है। दो बैलों की कथा में बैलों के माध्यम से लेखक अपने विचार समाज के समक्ष रखता है। इस कहानी में दो मित्र बैल अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं। यह कहानी दो बैलों के बीच में घनिष्ट भावात्मक संबंध को दर्शाती है। यह कहानी मनुष्य और जानवर के बीच में उत्पन्न परस्पर संबंध का सुंदर चित्र भी प्रस्तुत करती है।
Posted by Pragya Bhalavi 5 years, 1 month ago
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Posted by Arun Kushwah 5 years, 1 month ago
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Posted by Sanvi Shrivastav 5 years, 1 month ago
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Abhishek Kumar 5 years, 1 month ago
《Aruba》°°° 《Sayed》❤ 5 years, 1 month ago
Posted by Vishu Chaudhary 5 years, 1 month ago
- 1 answers
Abhishek Kumar 5 years, 1 month ago

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Tanu Prajapati 5 years ago
1Thank You