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Yogita Ingle 4 years, 9 months ago

लेखक बालकृष्ण के मुंह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ इसलिए मानता है कि जिस प्रकार फूल के ऊपर धूल के महीन कण शोभा पाते हैं, उसी प्रकार से बालकृष्ण के मुंह पर छाई हुई गोधूलि उनके मुख की शोभा को और अधिक खूबसूरत बना देती है। उनके मुख की ऐसी कांति आज के युग में प्रचलित प्रसाधन सामग्री के उपयोग से नहीं आ सकती। गोधूलि की सहजता ने बाल कृष्ण के मधुर रुप को और भी अधिक सुंदर बना दिया है ।

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Suman Kumari 4 years, 9 months ago

What a rubbish questions!! Uffffffff

Gaurav Seth 4 years, 9 months ago

झूरी दोनों बैलों के साथ कैसा व्यवहार करता था? उत्तर: झूरी दोनों बैलों के साथ बहुत अच्छा व्यवहार करता था, वह उन्हें जानवर नहीं वरन् परिवार का सदस्य मानता था। उनके खाने-पीने व स्वास्थ्य के प्रति सचेत था। झूरी उनसे काम भी एक हद तक ही करवाता था।

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Negu Meto 4 years, 9 months ago

sunny deol ki tarha gilheri ka bachha ghayal hogaya tha

[email protected] Dungarwal 4 years, 9 months ago

Gilheri ke bachhe ko koaa ne choch se gayal kar diya tha

Shrutika Pokale 4 years, 10 months ago

Gilheri la bacha uka ma pr gya hu ta
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Saloni Harinkhede 4 years, 9 months ago

Question pura liko
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Meghna Thapar 4 years, 10 months ago

Global politics, also known as world politics, names both the discipline that studies the political and economic patterns of the world and the field that is being studied. At the centre of that field are the different processes of political globalization in relation to questions of social power.

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Prisha Soun 4 years, 10 months ago

Khud jar le be
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Aman Rangi 4 years, 10 months ago

Don't know

Sahil Singh 4 years, 10 months ago

Q nhi believe hua

Aman Rangi 4 years, 10 months ago

Believe nahi hua

Aman Rangi 4 years, 10 months ago

Okk

Sahil Singh 4 years, 10 months ago

Ya single hu m
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Pranav Bhongale 4 years, 10 months ago

What do you want to ask

Sakshi Jagtap 4 years, 10 months ago

what's this Pratima?
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago

 लेखक ने चिट्ठियाँ टोपी के नीचे रखीं और डंडा लेकर भाई को साथ लेकर चल दिए। दोनों उछलते-कूदते उस कुएँ तक पहुँच गए जिसमें एक काला साँप पड़ा हुआ था। जैसे ही टोपी उतारकर कुएँ में ढेला फेंका, वैसे ही टोपी के नीचे रखी हुई तीनों चिट्ठियाँ कुएँ में जा गिरी।

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Tanay Lathi 4 years, 9 months ago

उत्तर : चकोर की तुलना भक्त से की गई है क्योंकि जिस तरह चोकर पक्षी पुरी रात चंद्रमा को निहारता रहता है, ठीक उसी प्रकार एक भक्त भी अपने स्वामी (भगवान) की भक्ति में मुग्ध (लीन) हो जाता है।

Shrutika Pokale 4 years, 10 months ago

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Niyatee Agarwal 4 years, 10 months ago

King of Awadh

Muskan Mishra 4 years, 10 months ago

Mtlb Awadh ke raja
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Kapish Rawool 4 years, 10 months ago

Ohkk

Jatin Verma 4 years, 10 months ago

Yee

Shrutika Pokale 4 years, 10 months ago

Thanks

Yogita Ingle 4 years, 10 months ago

लेखक पहले तो घर आए अतिथि का गर्मजोशी से स्वागत करता है परंतु दूसरे ही दिन से उसके व्यवहार में बदलाव आने लगता है। यह बदलाव आधुनिक सभ्यता की कमियों का स्पष्ट लक्षण है। मैं इस बात से पूर्णतया सहमत हूँ। लेखक जिस अतिथि को देवतुल्य समझता है वही अतिथि मनुष्य और कुछ अंशों में राक्षस-सा नजर आने लगता है। उसे अपनी सहनशीलता की समाप्ति दिखाई देने लगती है तथा अपना बजट खराब होने लगता है, जो आधुनिक सभ्यता की कमियों का स्पष्ट प्रमाण है।

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Samyuktha Shiva Kumar 4 years, 10 months ago

अतिथि को देखते ही लेखक के मन में सबसे पहले यह विचार आया कि ये अतिथि कितने दिन तक यहां रहेगा और यह भी सोचा कि उसकी आर्थिक दशा क्या होगी
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago

एवरेस्ट अभियान की पहली बाधा खंभु हिमपात थी। लेखिका को इस बाधा का पता अग्रिम दल का नेतृत्व कर रहे उपनेता प्रेमचंद से चला।

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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago

अंगदोरजी के साथ साउथकोल से आगे बढ़ने पर लेखिका ने देखा कि बाहर हलकी-हलकी हवा चल रही थी और ठंड भी बहुत अधिक थी। लेखिका अपने आरोही उपस्कर में अच्छी स्थिति में थी। वह अंगदोरजी के साथ निश्चित गति से आगे बढ़ी जा रही थी। रास्ते में जमे हुए बरफ़ की सीधी व ढलाऊ चट्टानें सख्त और भुरभुरी जो शीशे की चादरों जैसी थीं। लेखिका को बरफ़ काटने के लिए फावड़े का इस्तेमाल करना पड़ा और सख्ती से फावड़ा चलाना पड़ा ताकि बरफ़ कट जाए। उसने चलते हुए उन खतरनाक स्थलों पर अत्यंत सावधानी से कदम उठाया।

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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago

आत्मविश्वास ऐसा कुछ है जिसे सिखाया नहीं जा सकता। यह तय करने के लिए व्यक्ति पर निर्भर है कि वे खुद के अंदर कितना विश्वास रखते हैं। मैं उस बिंदु पर हूं जहां मुझे पता है कि मुझे पहले विश्वास करना चाहिए कि इससे पहले कि वे मुझ पर विश्वास करें। कोई भी हमें खुश या दुख की बात नहीं सिखाता है। वे स्वाभाविक भावनाएं हैं जिनके साथ हम मानसिक, शारीरिक रूप से, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से विकसित होते हैं।
             जब आप उस बिंदु पर पहुंच जाते हैं जहां आप दूसरों को यह बताते हैं कि आप जीवन के बारे में कैसा महसूस करते हैं, तो आपको एक आंतरिक सर्वेक्षण को रोकना होगा और लेना होगा। अपने आप से पूछें कि आत्मविश्वास और आत्म-आश्वासन की कमी आपको सबसे अच्छा होने से रोकती है, जिससे आप संभावना बना सकते हैं अक्सर ये भावनाएं उन लोगों से आती हैं जो अन्य लोगों की नकारात्मकता को दूर करने की अनुमति देती हैं। आपको अपने जीवन का नियंत्रण लेने के लिए तैयार रहना होगा और जो कुछ भी आपको वापस पकड़ रहा है। तो अक्सर हम लोगों के रूप में, स्वयं को प्रमाणित करने से पहले समाज से मान्यता प्राप्त करें मैंने समाज को यह निर्धारित करने की अनुमति दी है कि मुझे कैसे दिखना चाहिए, ड्रेस और महसूस करना चाहिए यह मेरे लिए एक स्टैंड लेने और मेरी अपनी नियति के नियंत्रण में रहने का समय है।

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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago

‘मित्रता’ का तात्पर्य है – किसी के दुःख-सुख का सच्चा साथी होना | सच्चे मित्रों में कोई दुराव-छिपाव नहीं होता | वे निश्छल भाव से अपना सुख-दुख दुसरे को कह सकते हैं | उनमें आपसी विश्वास होता है | विश्वास के कारण ही वे अपना ह्रदय दुसरे के सामने खोल पाते हैं |

मित्रता शक्तिवर्धक औषधि के समान है | मित्रता में नीरस से कम भी आसानी से हो जाते हैं | दो मित्र मिलकर दो से ग्यारह हो जाते है|

मनुष्य को अपनी ज़िंदगी के दुःख बाँटने के लिए कोई सहारा चाहिए | मित्रता ही ऐसा सहारा है | एडिसन महोदय लिखते हैं – ‘मित्रता ख़ुशी को दूना करके और दुःख को बाँटकर प्रसन्नता बढ़ाती है तथा मुसीबत कम करती है |’

विद्वानों का कहना है कि अचानक बनी मित्रता से सोच-समझकर की गई मित्रता अधिक ठीक है | मित्र को पहचानने में जल्दी नहीं करनी चाहिए | यह काम धीरे-धीरे धर्यपूर्वक कारण चाहिए | सुकरात का बचन है- ‘ मित्रता करके में शीघ्रता मत करो, परंतु करो तो अंत तक निभाओ |’

मित्रता समान उम्र के, समान स्तर के, समान रूचि के लोगों में अधिक गहरी होती है | जहाँ स्तर में असमानता होगी, वहाँ छोटे-बड़े का भेद होना शुरू हो जाएगा |

     सच्ची मित्र वाही है जो हमें कुमार्ग की और जाने से रोके तथा सन्मार्ग की प्रेरणा दे | सच्चा मित्र चापलूसी नहीं करता | मित्र के अवगुणों प्र पर्दा भी नहीं डालता | वह कुशलता-पूर्वक मित्र को उसके अवगुणों से सावधान करता है | उसे सन्मार्ग पर चलने में सहयोग देता है |

 

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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago

इंटरनेट हर क्षेत्र की महत्वपूर्ण ज़रुरत के रुप में सामने आया है। यह रामबाण औषधि की तरह कार्य करता है। पहले अध्ययन के लिए पुस्तकों व पत्र-पत्रिकाओं तक ही सीमित रहना पड़ता था। इस कारण मनुष्य का ज्ञान भी सीमित रहता था।

जितनी जानकारी उसे एक या दो समाचार-पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं या पुस्तकों से प्राप्त होती थीं , उससे कहीं अधिक सामग्री आज उसे कंप्यूटर तथा इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध हो जाती है। 

एक व्यापारी से लेकर आम आदमी तक समाचार-पत्र पर निर्भर था। परन्तु आज किसी भी विषय में जानकारी या उससे जुड़े समाचार चाहिए, तो कंप्यूटर खोलिए और तुरंत जानकारी प्राप्त कीजिए।

इंटरनेट में समाचार, विज्ञापन, खरीद-फ़रोक्त, व्यापार संबंधी सूचनाएँ, नौकरी संबंधी सूचनाएँ सभी एक स्थान पर प्राप्त कर हो जाती हैं। यह ऐसी संचार क्रांति है, जिसने सब बदलकर रख दिया है।

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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago

विज्ञान और तकनीक की अद्‌भुत खोजों ने मनुष्य के जीवन में एक क्रांति ला दी है। आज का युग विज्ञान का युग है । कंप्यूटर मनुष्य की इन्हीं अद्‌भुत खोजों में से एक है जिसने मानव जीवन को लगभग सभी क्षेत्रों में प्रभावित किया है ।

आज के युग को यदि हम कंप्यूटर का युग कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । शिक्षा मनोरंजन, चिकित्सा, यातायात, संचार आदि सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर ने अपनी उपयोगिता सिद्‌ध की है । शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर अत्यंत उपयोगी सिद्‌ध हो रहे हैं । विद्‌यालयों में धीरे-धीरे कंप्यूटर विषय अनिवार्य हो रहा है । छोटे शहरों एवं महानगरों में कंप्यूटर की शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों, शिक्षण संस्थानों आदि की बढ़ती संख्या कंप्यूटर की लोकप्रियता का साक्षात प्रमाण है ।

कंप्यूटर के माध्यम से पठन-पाठन का स्तर भी अच्छा हुआ है । आजकल अनेक ऐसे विद्‌यालय खोले जा रहे हैं जहाँ इंटरनेट के माध्यम से व्यक्ति घर बैठे ज्ञान प्राप्त कर सकता है । प्रबंधन, कानून व रिसर्च में संलग्न विद्‌यार्थियों के लिए कंप्यूटर एक वरदान सिद्‌ध हो रहा है । पुस्तकों के प्रकाशन में भी कंप्यूटरों की अनिवार्य भूमिका हो गई है ।

कार्यालयों में कंप्यूटर के माध्यम से कार्य करना अत्यंत सहज एवं सरल हो गया है। अब कार्यालय संबंधी सभी महत्वपूर्ण आंकडों व तथ्यों को ‘फाइल’ में सुरक्षित रखा जाता है जिससे समय की काफी बचत होती है । अनेक कार्य जिनमें कई व्यक्तियों की आवश्यकता होती थी अब वही कार्य एक कंप्यूटर के माध्यम से बहुत कम समय में ही संपन्न हो जाता है ।

यही कारण है कि अब प्रत्येक सरकारी तथा गैर-सरकारी कार्यालयों में कंप्यूटर का उपयोग अनिवार्य हो गया है । सभी व्यापारिक सूचनाएँ इसमें दर्ज होती हैं जिससे व्यापार करना सरल हो गया है ।

कंप्यूटर के द्‌वारा संचार के क्षेत्र में एक क्रांति सी आ गई है । ‘ई-मेल’ के माध्यम से हजारों मील बैठे अपने संबंधी अथवा मित्र से लोग बहुत ही कम खर्च तथा समय से अपने संदेश भेज सकते हैं तथा ग्रहण कर सकते हैं । ‘इंटरनेट’ के माध्यम से मनुष्य हर प्रकार की जानकारी का आदान-प्रदान विश्व के किसी भी कोने से करने में सक्षम है । वास्तविक रूप में इंटरनेट का विस्तार असीमित है ।

अत: इसे हम एक विशिष्ट दुनिया के रूप में देख सकते हैं । यह न केवल सूचनाओं के आदान-प्रदान को संभव बनाता है अपितु व्यक्ति को उसके निजी समय या अवकाश के अनुसार किसी भी नवीनतम जानकारी को हासिल करने का स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है

यातायात के क्षेत्र में भी कंप्यूटर की विशेष उपयोगिता है । हवाई मार्गों का निर्धारण एवं नियंत्रण, महानगरों की ‘रेड लाइट सिग्नल’ प्रणाली आदि कंप्यूटर की ही देन है । इसके अतिरिक्त अंतरिक्ष अनुसंधान, मौसम संबंधी जानकारी, मुद्रण आदि में कंप्यूटर का विशेष योगदान है ।

इस प्रकार हम देखते हैं कि आधुनिक युग में कंप्यूटर मनुष्य के जीवन के हर क्षेत्र से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ा हुआ है । विज्ञान के इस अद्‌भुत उपहार को नकराना संभव नहीं है । यह आज की आवश्यकता दै । प्रारंभ में अवश्य ही यह एक विशिष्ट जनसमूह तक सीमित था परंतु सरकार के सकारात्मक रुख के कारण यह धीरे-धीरे विस्तार ले रहा है ।

परिणामस्वरूप यह हजारों मध्यवर्गीय लोगों की आवश्यकता बन गया है । हमारे देश में जहाँ बेरोजगारी व आर्थिक संकट के घने बादल हैं, ऐसे वातावरण में निसंदेह कंप्यूटर का विस्तार समय लेगा । परंतु जिस प्रकार इसकी आवश्यकता वढ़ रही है अथवा जिस तीव्रगति से कंप्यूटरीकरण हो रहा है उसे देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बहुत शीघ्र ही यह दूरदर्शन की भाँति सभी घरों में अपनी जगह बना लेगा ।

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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago

संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना' − इस पंक्ति का आशय है संबंधों में परिवर्तन आना। जो संबंध आत्मीयतापूर्ण थे अब घृणा और तिरस्कार में बदलने लगे। जब लेखक के घर अतिथि आया था तो उसके संबंध सौहार्द पूर्ण थे। उसने उसका स्वागत प्रसन्नता पूर्वक किया था। लेखक ने अपनी ढ़ीली-ढ़ाली आर्थिक स्थिति के बाद भी उसे शानदार डिनर खिलाया और सिनेमा दिखाया। लेकिन अतिथि चार पाँच दिन रुक गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे। 

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