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Ask QuestionPosted by Nikk Goswami 4 years, 9 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 9 months ago
फ्रीडा डी.एच.लॉरेंस की पत्नी थीं। लॉरेंस के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया था कि मेरे लिए लॉरेंस के बारे में कुछ कह पाना असंभव-सा है। मुझे लगता है कि मेरे छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। वह मुझसे भी ज्यादा जानती है। वह सचमुच ही इतना खुला-खुला और सादा दिल आदमी थे। संभव है कि लॉरेंस मेरी रगों में, मेरी हड्डियों में समाया हो।
Posted by Huzaifa Ali 4 years, 9 months ago
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World Wide Handsome💜 4 years, 9 months ago
Posted by Hayat Mewati 4 years, 9 months ago
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Posted by Ranjeet Rawani 4 years, 9 months ago
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Posted by Anushka Parihar 4 years, 9 months ago
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World Wide Handsome💜 4 years, 9 months ago
Yogita Ingle 4 years, 9 months ago
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, जानवर, भाव, गुण आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे- राम, पुस्तक, भरतपुर, गर्मी, सर्दी आदि।
संज्ञा के भेद – संज्ञा के निम्नलिखित पाँच भेद हैं :
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा – जिस संज्ञा से किसी एक ही व्यक्ति, वस्तु या स्थान विशेष का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे –
2. जातिवाचक संज्ञा – जो संज्ञा शब्द किसी एक ही प्रकार के जाति-वर्ग या वस्तु की-बोध कराते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – मनुष्य, पहाड, नदी, भाई, बहिन, मामा, चाचा, बेटा, बेटी, माता, पिता, मंत्री, पंडित, जुलाहा, बाबू, प्रोफेसर, शिक्षक, कवि, लेखक, पुस्तक, घोड़ा, गाय, कौआ, तोता, मोर, कुर्सी, मेज, आम, शीशम, तूफान, बिजली, वर्षा, भूकंप, फूल आदि।
3. भाववाचक संज्ञा – जिन संज्ञा शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु और स्थान के गुण, दोष, धर्म, अवस्था और भाव आदि का बोध हो, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं। (धर्म, गुण, अर्थ और भाव प्रायः पर्यायवाची शब्द हैं)। जैसे – लंबाई, बुढ़ापा, नम्रता, मिठास, क्रोध, शत्रुता, दया, करुणा आदि।
Renu Singh 4 years, 9 months ago
Anushka Parihar 4 years, 9 months ago
Posted by Aditya Kumar 4 years, 9 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 9 months ago
किसी व्यक्ति ( प्राणी ) वस्तु , स्थान , अथवा भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते है। जैसे – श्याम , दिल्ली , आम , मिठास , गाय आदि।
” श्याम “ खाना खा रहा है = श्याम व्यक्ति का नाम है।
” अमरुद “ में मिठास है = अमरूद फल का नाम है।
” घोडा ” दौड़ रहा है = घोड़ा एक पशु का नाम है।
संज्ञा के तीन भेद है – व्यक्तिवाचक , जातिवाचक , भाववाचक संज्ञा।
Posted by Astha Jaiswal 4 years, 9 months ago
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Posted by Lakshita Bhatt 4 years, 9 months ago
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Adi Jain 4 years, 9 months ago
Posted by Prateek Gupta 4 years, 9 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 9 months ago
दो बैलों की कथा का सारांश
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दूसरे दिन ‘गया‘ दोबारा हीरा–मोती को ले गया। इस बार उसने उन्हें मोटी–मोटी रस्सियों में बाँध दिया तथा खाने को सूखा चारा डाल दिया। उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और अगले दिन हल जोतने से मना कर दिया। गया ने उन्हें डंडों से मारा। उन्होंने हल, जोत, जुआ सब तोड़ दिया और भाग गए किन्तु गले में लंबी-लंबी रस्सिया थीं, अतः पकड़े गए। अगले दिन उन्हें फिर से सूखा चारा मिला। शाम के समय भैरों की नन्हीं लड़की दो रोटियाँ लेकर आई। वे उन्हें खाकर प्रसन्न हो गए। लड़की की सौतेली माँ उसे बहुत परेशान करती थी। मोती के दिल में आया कि वह भैरों तथा उसकी नई पत्नी को उठाकर फेंक दे किन्तु लड़की का स्नेह देखकर चुप रह गया। अगली रात उन्होंने रस्सियाँ तुड़ाकर भागने की तैयारी कर ली। रस्सी को कमजोर करने के लिए वे उसे चबाने लगे। पर उसी समय नन्हीं लड़की आई और दोनों बैलों की रस्सियाँ खोल दीं। किन्तु फिर लड़की के स्नेह में हीरा–मोती नहीं भागे। तब लड़की ने शोर मचा दिया, फूफावाले बैल भागे जा रहे हैं ओ दादा, भागो। लड़की की आवाज सुनकर हीरा–मोती भाग खड़े हुए। गया तथा गाँव के अन्य लोगों ने पीछा किया। इससे दोनों रास्ता भटक गए। नए–नए गाँव पार करते हुए वे एक खेत के किनारे पहुँचे। खेत में मटर की फसल खड़ी थी। दोनों ने खूब मटर खाई। मस्ती में उछल–कूद करने लगे। तभी अचानक एक साड़ आ गया। दोनों डर गए। समझ में नहीं आ रहा था कि मुकाबला कैसे करें। हीरा की सलाह से दोनों ने मिलकर आक्रमण किया। साड़ जब एक बैल पर आक्रमण करता तो दूसरा बैल साड़ के पेट में सींग गड़ा देता। साड़ दो–दो शत्राओं से लड़ने का आदी नहीं था, अतः बेदम होकर गिर पड़ा। हीरा–मोती को उस पर दया आ गई। उन्होंने उसे छोड़ दिया। जीत की खुशी में मोती फिर मटर के खेत में मटर खाने लगा। तब तक दो आदमी लाठी लेकर आए। उन्हें देखकर हीरा भाग गया किन्तु मोती कीचड़ में फँस जाने के कारण पकड़ा गया। उसे कीचड़ में फँसा देखकर हीरा भी आ गया।
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आदमियों ने दोनों को पकड़कर कांजीहौस में बंद कर दिया। कांजीहौस में उन्हें दिन भर कुछ भी खाने को न मिला। वहाँ पहले से ही कई बकरियाँ, भैंसें, घोड़ें तथा गायें थे। सभी मुरदों की तरह पड़े थे। भूख के मारे हीरा–मोती ने दीवार की मिट्टी चाटनी शुरू कर दी। रात में हीरा के मन में विद्रोह की भावना उत्पन्न हुई। उसने सींगों से दीवार पर वार करके कुछ मिट्टी गिरा दी। लालटेन लेकर आए चैकीदार ने उनको कई डंडे मारे और मोटी रस्सी से बाध् दिया। मोती ने उसे चिढ़ाया। हीरा ने उत्तर दिया कि यदि दीवार गिर जाती तो कई जानवर आजाद हो जाते। हीरा की बात सुनकर मोती को भी जोश आ गया। उसने बची हुई दीवार गिरा दी। सारे जानवर भाग गए। गधे नहीं भागे। बोले भागने से क्या फायदा? फिर पकड़े जाएगें। मोती ने उन्हें सींग मारकर भगा दिया। हीरा ने मोती को भाग जाने के लिए कहा किन्तु मोती हीरा को विपत्ति में अकेला छोड़कर नहीं गया। सुबह होते ही कांजीहौस में खलबली मच गई। उन्होंने मोती को बहुत मारा तथा मोटी-मोटी रस्सियों से बाँध दिया।
हीरा–मोती को कांजीहौस में बंद हुए एक सप्ताह हो गया था। उन्हें कुछ खाने के लिए नहीं मिलता था। दिन में एक बार केवल पानी मिलता था। दोनों सूखकर ठठरी हो गए। एक दिन नीलामी हुई। उनका कोई खरीदार न था। अंत में एक कसाई ने उन्हें खरीद लिया। नीलाम होकर दोनों दढ़ियल कसाई के साथ चले। वे अपने भाग्य को कोस रहे थे। कसाई उन्हें भगा रहा था। रास्ते में उन्हें गाय–बैलों का एक झुंड दिखाई दिया। सभी जानवर उछल कूद रहे थे। हीरा–मोती सोचने लगे कि ये कितने स्वार्थी हैं। इन्हें हमारी कोई चिंता नहीं है। अचानक हीरा–मोती को लगा कि वे रास्ते उनके जाने–पहचाने हैं। उनके कमजोर शरीर में फिर से जान आ गई। उन्होंने भागना शुरू कर दिया। झूरी का घर नजदीक आ गया। वे तेजी से भागे और थान पर खड़े हो गए। झूरी उन्हें देखते ही दौड़ा और उनके गले लग गया। बैल झूरी के हाथ चाटने लगे। दढ़ियल कसाई ने बैलों की रस्सियाँ पकड़ लीं। झूरी ने कहा, “ये बैल मेरे हैं,” कसाई बोला, “मैंने इन्हें नीलामी से खरीदा है।” वह बैलों को जबरदस्ती लेकर चल दिया। मोती ने उस पर सींग चलाया तथा उसे भगाकर गाँव से दूर कर दिया। झूरी ने नादों में खली, भूसा, चोकर और दाना भर दिया। दोनों मित्र खाने लगे। गाँव में उत्साह छा गया। मालकिन ने आकर दोनों के माथे चूम लिए।
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Posted by ☺☺☺ ☺☺ 4 years, 9 months ago
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Lakshya Maharia 4 years, 9 months ago
Posted by Manas Pritam Patra 4 years, 9 months ago
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Posted by Rahul Rahul Choudhary 4 years, 9 months ago
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Shailza Dahiya 4 years, 9 months ago
Posted by Adarsh Pal Pal 4 years, 9 months ago
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Posted by Rashi Lodhi 4 years, 9 months ago
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Mamta Shanbag 4 years, 9 months ago
Posted by Rashmi Kumari 4 years, 9 months ago
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Posted by Deepak Kum 4 years, 9 months ago
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Posted by Vijayalakshmi Madduru 4 years, 9 months ago
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Posted by Abhi Verma 4 years, 9 months ago
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Posted by Anshika Tiwari 4 years, 9 months ago
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Posted by Atul Mishra 4 years, 9 months ago
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Posted by Ameya Jha 4 years, 9 months ago
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Posted by Sanjana Kumari Pandey 4 years, 9 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 9 months ago
लेखिका की दादी स्वतंत्र, साहसी, तथा एक सामान्य महिला थीं। उनके मन में लड़का - लड़की का भेद नहीं था। पीढ़ियों से परिवार में किसी कन्या का जन्म नहीं हुआ था। प्राय: सभी लोग लड़के की कामना करते थे ।
Posted by Aron Fernandes 4 years, 9 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 9 months ago
प्रिय क्रेग,
आशा है कि जब तक आप यह पत्र प्राप्त करेंगे तब तक आप पहले से बेहतर महसूस कर सकते हैं। यह एक लंबा समय रहा है कि मैंने आपको नहीं लिखा और मुझे आपके दुर्घटना के बारे में सुनकर खेद है। यह कैसे हुआ? जब मैंने दो दिन पहले सुना तो मैं चौंक गया। मुझे पता है कि आप हमेशा ऐसे सावधान ड्राइवर थे और मुझे यकीन है कि यह इस दुर्घटना में आपकी गलती नहीं थी। आपकी स्थिति कितनी गंभीर है? क्या मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं?
मैं आपकी जल्द ही वसूली के लिए प्रार्थना करूंगा और जल्द ही आपसे मिलने की कोशिश करूंगा। अगले हफ्ते शायद मुझे न्यूयॉर्क आने का रास्ता मिलेगा। कृपया, ध्यान रखें और अब से हम संपर्क में रहेंगे।
आपको जल्द से जल्द वसूली की शुभकामनाएं
तुम्हारा मित्र,
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जूली
Posted by Pratibha Jain 4 years, 9 months ago
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Anshu Chauhan 4 years, 9 months ago
Posted by Joshi Kullu 4 years, 9 months ago
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Posted by Bob Vans 4 years, 9 months ago
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Yes Yadav Babu 4 years, 9 months ago
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Somansh Sarvesh 4 years, 8 months ago
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