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Ask QuestionPosted by Lakshita Bhatt 4 years, 1 month ago
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Adi Jain 4 years, 1 month ago
Posted by Prateek Gupta 4 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 4 years, 1 month ago
दो बैलों की कथा का सारांश
</div> </div> </div> </div> </div> </div> </div> </section> <section class="elementor-section elementor-top-section elementor-element elementor-element-6778485 elementor-section-boxed elementor-section-height-default elementor-section-height-default" data-element_type="section" data-id="6778485" style="box-sizing:border-box; display:block; position:relative; color:#555555; font-family:Roboto, sans-serif; font-size:15px; font-style:normal; font-variant-ligatures:normal; font-variant-caps:normal; font-weight:400; letter-spacing:normal; orphans:2; text-align:left; text-transform:none; white-space:normal; widows:2; word-spacing:0px; -webkit-text-stroke-width:0px; background-color:#ffffff; text-decoration-thickness:initial; text-decoration-style:initial; text-decoration-color:initial"> <div class="elementor-container elementor-column-gap-default" style="margin-right:auto; margin-left:auto; max-width:1140px"> <div class="elementor-row" style="width:793.328px"> <div class="elementor-column elementor-col-100 elementor-top-column elementor-element elementor-element-2e842fc" data-element_type="column" data-id="2e842fc" style="width:793.328px"> <div class="elementor-column-wrap elementor-element-populated" style="width:793.328px; padding:10px"> <div class="elementor-widget-wrap" style="width:773.328px"> <div class="elementor-element elementor-element-c32ba51 elementor-widget elementor-widget-text-editor" data-element_type="widget" data-id="c32ba51" data-widget_type="text-editor.default" style="width:773.328px"> <div class="elementor-widget-container"> <div class="elementor-text-editor elementor-clearfix">जानवरों में गधे को सबसे बुद्धिहीन माना जाता है क्योंकि वह सबसे सीधा तथा सहनशील है। वह सुख–दुख तथा हानि–लाभ दोनों में ही एक समान रहता है। भारतीयों को इसी सहनशीलता तथा सीधेपन के कारण अफ्रीका तथा अमेरीका में अपमान सहन करना पड़ता था। गधे से थोड़ा ही कम सीमा प्राणी है बैल। उसका स्थान गधे से नीचा है क्योंकि वह कभी–कभी अड़ जाता है। झूरी के पास हीरा और मोती नाम के दो बैल थे। वे दोनों ही पछाहीं जाति के सुंदर, सुडौल और चैकस बैल थे। लंबे समय से एक–दूसरे के साथ रहते–रहते उनमें आपस में बहुत प्रेम हो गया था। वे हमेशा साथ–साथ ही उठते–बैठते व खाते–पीते थे। वे आपस में एक–दूसरे को चाटकर तथा सूघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। दोनों आखों के इशारे से ही एक–दूसरे की बात समझ लेते थे। झूरी ने एक बार दोनों बैलों को अपनी ससुराल भेज दिया। बेचारे बैल यह समझे कि उनके मालिक ने उन्हें बेच दिया है। इसलिए वे जाना नहीं चाहते थे। जैसे–तैसे वे झूरी के साले ‘गया’ के साथ चले तो गए किन्तु उनका वहा मन नहीं लगा। अतः उन्होंने वहाँ चारा नहीं खाया। रात को दोनों बैलों ने सलाह की और चुपचाप झूरी के घर की ओर चल दिए। सुबह चरनी पर खड़े बैलों को देखकर झूरी बहुत खुश हुआ। घर के तथा गाँव के बच्चों ने भी तालिया बजाकर उनका स्वागत किया। झूरी की पत्नी नाराज होकर उन्हें नमकहराम कहने लगी। गुस्से में उसने बैलों को सूखा चारा डाल दिया। झूरी ने नौकर से चारे में खली मिलाने को कहा किन्तु मालकिन के डर से उसने खली नहीं मिलाई।
दूसरे दिन ‘गया‘ दोबारा हीरा–मोती को ले गया। इस बार उसने उन्हें मोटी–मोटी रस्सियों में बाँध दिया तथा खाने को सूखा चारा डाल दिया। उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और अगले दिन हल जोतने से मना कर दिया। गया ने उन्हें डंडों से मारा। उन्होंने हल, जोत, जुआ सब तोड़ दिया और भाग गए किन्तु गले में लंबी-लंबी रस्सिया थीं, अतः पकड़े गए। अगले दिन उन्हें फिर से सूखा चारा मिला। शाम के समय भैरों की नन्हीं लड़की दो रोटियाँ लेकर आई। वे उन्हें खाकर प्रसन्न हो गए। लड़की की सौतेली माँ उसे बहुत परेशान करती थी। मोती के दिल में आया कि वह भैरों तथा उसकी नई पत्नी को उठाकर फेंक दे किन्तु लड़की का स्नेह देखकर चुप रह गया। अगली रात उन्होंने रस्सियाँ तुड़ाकर भागने की तैयारी कर ली। रस्सी को कमजोर करने के लिए वे उसे चबाने लगे। पर उसी समय नन्हीं लड़की आई और दोनों बैलों की रस्सियाँ खोल दीं। किन्तु फिर लड़की के स्नेह में हीरा–मोती नहीं भागे। तब लड़की ने शोर मचा दिया, फूफावाले बैल भागे जा रहे हैं ओ दादा, भागो। लड़की की आवाज सुनकर हीरा–मोती भाग खड़े हुए। गया तथा गाँव के अन्य लोगों ने पीछा किया। इससे दोनों रास्ता भटक गए। नए–नए गाँव पार करते हुए वे एक खेत के किनारे पहुँचे। खेत में मटर की फसल खड़ी थी। दोनों ने खूब मटर खाई। मस्ती में उछल–कूद करने लगे। तभी अचानक एक साड़ आ गया। दोनों डर गए। समझ में नहीं आ रहा था कि मुकाबला कैसे करें। हीरा की सलाह से दोनों ने मिलकर आक्रमण किया। साड़ जब एक बैल पर आक्रमण करता तो दूसरा बैल साड़ के पेट में सींग गड़ा देता। साड़ दो–दो शत्राओं से लड़ने का आदी नहीं था, अतः बेदम होकर गिर पड़ा। हीरा–मोती को उस पर दया आ गई। उन्होंने उसे छोड़ दिया। जीत की खुशी में मोती फिर मटर के खेत में मटर खाने लगा। तब तक दो आदमी लाठी लेकर आए। उन्हें देखकर हीरा भाग गया किन्तु मोती कीचड़ में फँस जाने के कारण पकड़ा गया। उसे कीचड़ में फँसा देखकर हीरा भी आ गया।
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आदमियों ने दोनों को पकड़कर कांजीहौस में बंद कर दिया। कांजीहौस में उन्हें दिन भर कुछ भी खाने को न मिला। वहाँ पहले से ही कई बकरियाँ, भैंसें, घोड़ें तथा गायें थे। सभी मुरदों की तरह पड़े थे। भूख के मारे हीरा–मोती ने दीवार की मिट्टी चाटनी शुरू कर दी। रात में हीरा के मन में विद्रोह की भावना उत्पन्न हुई। उसने सींगों से दीवार पर वार करके कुछ मिट्टी गिरा दी। लालटेन लेकर आए चैकीदार ने उनको कई डंडे मारे और मोटी रस्सी से बाध् दिया। मोती ने उसे चिढ़ाया। हीरा ने उत्तर दिया कि यदि दीवार गिर जाती तो कई जानवर आजाद हो जाते। हीरा की बात सुनकर मोती को भी जोश आ गया। उसने बची हुई दीवार गिरा दी। सारे जानवर भाग गए। गधे नहीं भागे। बोले भागने से क्या फायदा? फिर पकड़े जाएगें। मोती ने उन्हें सींग मारकर भगा दिया। हीरा ने मोती को भाग जाने के लिए कहा किन्तु मोती हीरा को विपत्ति में अकेला छोड़कर नहीं गया। सुबह होते ही कांजीहौस में खलबली मच गई। उन्होंने मोती को बहुत मारा तथा मोटी-मोटी रस्सियों से बाँध दिया।
हीरा–मोती को कांजीहौस में बंद हुए एक सप्ताह हो गया था। उन्हें कुछ खाने के लिए नहीं मिलता था। दिन में एक बार केवल पानी मिलता था। दोनों सूखकर ठठरी हो गए। एक दिन नीलामी हुई। उनका कोई खरीदार न था। अंत में एक कसाई ने उन्हें खरीद लिया। नीलाम होकर दोनों दढ़ियल कसाई के साथ चले। वे अपने भाग्य को कोस रहे थे। कसाई उन्हें भगा रहा था। रास्ते में उन्हें गाय–बैलों का एक झुंड दिखाई दिया। सभी जानवर उछल कूद रहे थे। हीरा–मोती सोचने लगे कि ये कितने स्वार्थी हैं। इन्हें हमारी कोई चिंता नहीं है। अचानक हीरा–मोती को लगा कि वे रास्ते उनके जाने–पहचाने हैं। उनके कमजोर शरीर में फिर से जान आ गई। उन्होंने भागना शुरू कर दिया। झूरी का घर नजदीक आ गया। वे तेजी से भागे और थान पर खड़े हो गए। झूरी उन्हें देखते ही दौड़ा और उनके गले लग गया। बैल झूरी के हाथ चाटने लगे। दढ़ियल कसाई ने बैलों की रस्सियाँ पकड़ लीं। झूरी ने कहा, “ये बैल मेरे हैं,” कसाई बोला, “मैंने इन्हें नीलामी से खरीदा है।” वह बैलों को जबरदस्ती लेकर चल दिया। मोती ने उस पर सींग चलाया तथा उसे भगाकर गाँव से दूर कर दिया। झूरी ने नादों में खली, भूसा, चोकर और दाना भर दिया। दोनों मित्र खाने लगे। गाँव में उत्साह छा गया। मालकिन ने आकर दोनों के माथे चूम लिए।
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Posted by ☺☺☺ ☺☺ 4 years, 1 month ago
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Lakshya Maharia 4 years, 1 month ago
Posted by Manas Pritam Patra 4 years, 1 month ago
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Posted by Rahul Rahul Choudhary 4 years, 1 month ago
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Shailza Dahiya 4 years, 1 month ago
Posted by Adarsh Pal Pal 4 years, 1 month ago
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Posted by Rashi Lodhi 4 years, 1 month ago
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Mamta Shanbag 4 years, 1 month ago
Posted by Rashmi Kumari 4 years, 1 month ago
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Posted by Deepak Kum 4 years, 1 month ago
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Posted by Vijayalakshmi Madduru 4 years ago
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Posted by Abhi Verma 4 years, 1 month ago
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Posted by Anshika Tiwari 4 years, 1 month ago
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Posted by Atul Mishra 4 years, 1 month ago
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Posted by Ameya Jha 4 years, 1 month ago
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Posted by Sanjana Kumari Pandey 4 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 4 years, 1 month ago
लेखिका की दादी स्वतंत्र, साहसी, तथा एक सामान्य महिला थीं। उनके मन में लड़का - लड़की का भेद नहीं था। पीढ़ियों से परिवार में किसी कन्या का जन्म नहीं हुआ था। प्राय: सभी लोग लड़के की कामना करते थे ।
Posted by Aron Fernandes 4 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 4 years, 1 month ago
प्रिय क्रेग,
आशा है कि जब तक आप यह पत्र प्राप्त करेंगे तब तक आप पहले से बेहतर महसूस कर सकते हैं। यह एक लंबा समय रहा है कि मैंने आपको नहीं लिखा और मुझे आपके दुर्घटना के बारे में सुनकर खेद है। यह कैसे हुआ? जब मैंने दो दिन पहले सुना तो मैं चौंक गया। मुझे पता है कि आप हमेशा ऐसे सावधान ड्राइवर थे और मुझे यकीन है कि यह इस दुर्घटना में आपकी गलती नहीं थी। आपकी स्थिति कितनी गंभीर है? क्या मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं?
मैं आपकी जल्द ही वसूली के लिए प्रार्थना करूंगा और जल्द ही आपसे मिलने की कोशिश करूंगा। अगले हफ्ते शायद मुझे न्यूयॉर्क आने का रास्ता मिलेगा। कृपया, ध्यान रखें और अब से हम संपर्क में रहेंगे।
आपको जल्द से जल्द वसूली की शुभकामनाएं
तुम्हारा मित्र,
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जूली
Posted by Pratibha Jain 4 years, 1 month ago
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Anshu Chauhan 4 years, 1 month ago
Posted by Joshi Kullu 4 years, 1 month ago
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Posted by Bob Vans 4 years, 1 month ago
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Yes Yadav Babu 4 years, 1 month ago
Posted by Prasansha Mishra 4 years, 1 month ago
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Posted by Sayyam Jain 4 years, 1 month ago
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Posted by Siya Gondiyan 4 years, 1 month ago
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Posted by Amit Shukla 4 years, 1 month ago
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Posted by Pappu Raj 4 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 4 years, 1 month ago
लेखक बालकृष्ण के मुंह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ इसलिए मानता है कि जिस प्रकार फूल के ऊपर धूल के महीन कण शोभा पाते हैं, उसी प्रकार से बालकृष्ण के मुंह पर छाई हुई गोधूलि उनके मुख की शोभा को और अधिक खूबसूरत बना देती है। उनके मुख की ऐसी कांति आज के युग में प्रचलित प्रसाधन सामग्री के उपयोग से नहीं आ सकती। गोधूलि की सहजता ने बाल कृष्ण के मधुर रुप को और भी अधिक सुंदर बना दिया है ।
Posted by Tripti Sahu 4 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 4 years, 1 month ago
इन दिनों ऑनलाइन अध्ययन एकप्रचलन सा बन गया है, कोविड-19 के चलते इस लॉकडाउन में कई स्कूलों ने पिछले कुछ महिनों से ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया को अपनाकर इसे अधिक उपयोग में लाया है। ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया को देखते हुए, मैं इससे होने वाले लाभ और नुकसान के तीन अलग-अलग शब्द सीमा के निबंध का विस्तार कर रहा हुँ। आप सभी इस विस्तार के माध्यम से ऑनलाइन अध्ययन से होने वालें लाभ और नुकसान के बारें में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकतें है।
परिचय
ऑनलाइन स्टडी अपनी सुविधा और आसान संचालन की प्रक्रिया से अधिक लोकप्रिय हो रहा है। इस निबंध में मैंनें ऑनलाइन अध्ययन से होने वाले लाभ और नुकसान के बारें में यहाँ विस्तार से बताया है।
लाभ
ऑनलाइन अध्ययन के तरीके से अध्ययन के कई फायदे है। यह बहुत सुविधाजनक है, इस सुविधा के उपयोग से आप अपने घर पर ही रहकर बातचीत कर सकते है। आप क्लासरूम की तरह यहाँ पर भी एक दुसरे से सवाल जबाब कर सकते है।
प्राकृतिक आपदा या आपातकाल की स्थिति में ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया का सही उदाहरण हाल ही में फैली कोविड-19 महामारी है, जिसका प्रभाव सारी दुनियाँ में है और इसके प्रभाव से बचने के लिए सभी प्रयत्नशील है। इन दिनों कई स्कूल छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया को अपना रहें है। वास्तव में ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया स्कूली शिक्षा के लिए एक सुरक्षित विकल्प है।
नुकसान
ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया में कई लाभों के अलावा कुछ नुकसान भी हमारें सामनें प्रस्तुत होते है। जिस तरह वास्तविक कक्षा में जो उत्साह का वातावरण होता है यहाँ उस वातावरण का अभाव होता है। एक जीवंत कक्षा या लाइव क्लास में जो आनंद का माहौल होता है, ऑनलाइन अध्ययन में उस माहौल की कमी होती है। यहाँ पर एक शिक्षक और छात्र एक दुसरे से केवल एक ही विषय को लेकर बातचीत और चर्चा कर सकते है।
इसके अलावा इसके कारण गैजेट का ओवर एक्सपोजर से स्वास्थ के कई खतरे जैसे कि सिरदर्द, आंखों का कमजोर होना और एकाग्रता में कमी आना इत्यादि का खतरा भी बढ़ जाता है।
निष्कर्ष
स्वास्थ सम्बन्धित इतने नुकसान के बाद भी इस अध्ययन प्रक्रिया का उपयोग विशिष्ट परिस्थितियों में बहुत ही फायदेमंद साबित हुआ है। जब कि आपका घर छोड़ना आपकी सुविधा और स्वास्थ के लिए हानिकारक है तो उस स्थिति में ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया आपके लिए एक वरदान साबित हो जाता है।
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