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1. अपठित गद्यांश प्रश्न निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: संसार के सभी देशों में शिक्षित व्यक्ति की सबसे पहली पहचान यह होती है कि वह अपनी मातृभाषा में दक्षता से काम कर सकता है। केवल भारत ही एक देश है, जिसमें शिक्षित व्यक्ति यह समझा जाता है, जो अपनी मातृभाषा में दक्ष हो या नहीं, किंतु अंग्रेजी में जिसकी दक्षता असंदिग्ध हो संसार के अन्य देशों में सुसंस्कृत व्यक्ति वह समझा जाता है, जिसके घर में अपनी भाषा की पुस्तकों का संग्रह हो और जिसे बराबर यह पता रहे कि उसकी भाषा के अच्छे लेखक और कवि कौन है तथा समय-समय पर उनकी कौन-सी कृतियाँ प्रकाशित हो रही हैं। भारत में स्थिति दूसरी है। यहाँ प्राय घर में साज-सज्जा के आधुनिक उपकरण तो होते हैं किंतु अपनी भाषा की कोई पुस्तक या पत्रिका दिखाई नहीं पड़ती। यह दुरावल्या भने से किसी ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम है किंतु वह सुदशा नहीं, दुरावस्या ही है और जब तक यह दुरावस्या कायम है हमे अपने-आप को सही अर्थों में शिक्षित और सुसंस्कृत मानने का ठीक-ठीक न्यासंगत अधिकार नहीं है। इस दुरावस्था का एक भयानक दुष्परिणाम यह है कि भारतीय भाषाओं के समकालीन साहित्य पर उन लोगों की दृष्टि नहीं पड़ती, जो विश्वविद्यालयों के प्रायः सर्वोत्तम छात्र थे और अब शासन तंत्र में ऊँचे ओहदों पर काम कर रहे हैं। इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लेखक केवल यूरोपीय और अमेरिकी लेखकों से ही नहीं हैं. बल्कि उनकी किस्मत निम्र वर्मा, इंडोनेशिया, चीन और आपान के लेखकों की किस्मत से भी खराब है, क्योंकि इन सभी देशों के लेखकों की कृतियाँ वहाँ के अत्यंत सुशिक्षित लोग भी पढ़ते हैं। केवल हम ही है. जिनकी पुस्तकों पर यहाँ के तथाकथित शिक्षित समुदाय की दृष्टि प्राय नहीं पड़ती। निम्नलिखित प्रश्नों में से निर्देशानुसार सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए: 1. संसार के अन्य देशों में सुसंस्कृत व्यक्ति किसे समझा जाता है ? (क) सभी भाषाओं का ज्ञाता हो। (ख) अपनी मातृभाषा की जानकारी हो। (ग) अपनी मातृभाषा में रचित साहित्य और साहित्यकारों की जानकारी हो (घ) अपनी मातृभाषा बोलने में कुशल हो। 2. भारत में मातृभाषा के साहित्य की स्थिति कैसी है? (क) अच्छी (ख) दयनीय (ग) बहुत अच्छी (घ) उच्चकोटि की 3. भारतीय भाषाओं के लेखकों की किस्मत क्यों खराब है? (क) मातृभाषा की पुस्तकों पर शिक्षित समुदाय का ध्यान अधिक है। (ख) मातृभाषा की पुस्तकों पर शिक्षित समुदाय का ध्यान नहीं है। (ग) मातृभाषा की पुस्तक पर अशिक्षित लोगों का ध्यान है।
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