लिखिए
अपठित गदयारा का ध्यानपूर्वक
पुरुषार्थ दार्शनिक विषय है, पर दर्शन का जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है। वह थोडे-से विद्यार्थियों का पाठ्य विषयमात्र नहीं है। प्रत्येक समाज को एक दार्शनिक मत स्वीकार करना होगा। उसी के आधार पर उसकी राजनैतिक, सामाजिक और कौटुम्बिक व्यवस्था का व्यूह खड़ा होगा। जो समाज अपने वैयक्तिक और सामूहिक जीवन को केवल प्रतीयमान, उपयोगिता के आधार पर चलाना चाहेंगा उसको बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। एक विभाग के आदर्श दूसरे विभाग के आदर्श से टकराएंगे। जो बात एक क्षेत्र में ठीक जयेगी वही दूसरे क्षेत्र में अनुचित कहलाएगी और मनुष्य के लिए अपना कर्तव्य स्थिर करना कठिन हो जाएगा। इसका तमाशा आज दीख पड़ रहा है। चोरी करना बुरा है, पर पराये देश का शोषण करना बुरा नहीं है।
झूठ बोलना बुरा है, पर राजनैतिक क्षेत्र में सच बोलने पर अड़े रहना मूर्खता है। घरवालों के साथ, देशवासियों के साथ और परदेशियों के साथ बर्ताव करने के लिए अलग-अलग आचारावलियाँ बन गई हैं। इससे विवेकशील मनुष्य को कष्ट होता है। पग-पग पर धर्म-संकट में पड़ जाता है कि क्या करूँ? कल्याण इसी में है कि खूब सोच-विचार कर एक व्यापक दार्शनिक मत अंगीकार किया जाए और फिर सारे व्यवहार की नींव बनाया जाए । यह असम्भव प्रयत्न नहीं है। प्राचीन भारत ने वर्णाश्रम धर्म इसी प्रकार स्थापित किया था। वर्तमान काल में रूस ने मार्क्सवाद को अपने राष्ट्रीय जीवन की सभी चेष्टाओं का केन्द्र बनाया है। ऐसा करने से सभी उद्योग एकसूत्र में बंध जाते हैं और आदर्शों और कर्तव्यों के टकराने की सम्भावना बहुत ही कम हो जाती है।
(१) किसी समाज की राजनैतिक, सामाजिक तथा कौटुम्बिक व्यवस्था कब मजबूत बनेगी ?
(अ) जब पूरा समाज एक व्यवहार करेगा
(ब) जब सारा समाज एक रास्ते पर चलेगा
(स) जब सबके दार्शनिक मत अलग-अलग होंगे
(द) जब सब का दार्शनिक मत एक होगा
(२) दर्शन किससे पृथक नहीं है ?
(अ) मानव जीवन से
(ब) ईश्वरीय सत्ता से
धर्मसंकट से
(द) विद्यार्थियों से
(३) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उचित विकल्प चुनिए
।
'कारण (R) : जो बात एक क्षेत्र में ठीक जंचेगी वहीं दूसरे क्षेत्र में अनुचित कहलाएगी
कथन (A) मनुष्य के लिए अपना कर्तव्य स्थिर करना कठिन हो जाएगा
(अ) कथन (A) गलत हैं किंतु कारण (R) सही है।
(ब) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत हैं।
(स) कथन (A) सही है और कारण (R)कथन (A) की सही व्याख्या है।
(द) कथन (A)सही हैं किंतु कारण (R)कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(४) "पुरुषार्थ दार्शनिक विषय है, पर दर्शन का जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है" उक्त कथन के पक्ष में निम्नलिखित
तर्कों पर विचार कीजिए ।
(1) पुरुषार्थ कुछ विद्यार्थियों का पाठ्य विषय है।
(2) किसी समाज की राजनैतिक, सामाजिक तथा कौटुंबिक व्यवस्था की मजबूती का प्रमुख कारण सब का दार्शनिक मत एक होना है।
(3) वैचारिक समानता से सभी एक सूत्र में बंध सकते हैं।
(अ) कथन 1 सही है
(ब) कथन 2 सही है
(स) कथन 3 सही है
। (द) कथन 2 व 3 सही है।
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Posted by Chinmay Bansal
1 year, 8 months ago
Chinmay Bansal 1 year, 8 months ago
3Thank You