Soordas k 4 padd ka kavya …
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Posted by Varun Kumar 2 years, 5 months ago
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Preeti Dabral 2 years, 5 months ago
सूरदास के पदों कि काव्यगत विशेषताएं :-
1) सूरदास के पदों में भक्ति भाव
का वर्णन है। सूरदास भक्तिकाल के कवि थे ।
तथा भक्ति उनके काव्य में आना जायस था ।
सूरदास भक्तिकाल के सगुण भक्ति के कृष्ण
भक्त शाखा के अन्तर्गत आते है ।वस्तुत: उनके
कव्यो में श्री कृष्ण के प्रति प्रेम का वर्णन
दिखाई देता है।
उदाहरण :-
हमारे प्रभु औगुन चित न धरौ।
समदरसी है मान तुम्हारौ, सोई पार करौ।
2) सूरदास के पदों में वात्सल्य चित्रण देखने
को भी मिलता है । सूरदास ने कृष्ण के बाल
अवस्था का वर्णन करने हेतु वात्सल्य रस का
ही प्रयोग किया है ।
उदाहरण :-
जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावै दुलरावै मल्हावै जोइ सोइ कछु गावै॥
मेरे लाल को आउ निंदरिया काहें न आनि सुवावै।
तू काहै नहिं बेगहिं आवै तोकौं कान्ह बुलावै॥
3) सूरदास ने अपने पदों में अलौकिक प्रेम की
व्यजना किया है । उन्होंने गोपी - कृष्ण के
स्वरूप अलौकिक प्रेम को दर्शाया है ।
4) सूरदास के पदों में ब्रज भाषा का पुट
मिलता है। उन्होंने अपने काव्य में ब्रज भाषा
का प्रयोग किया है साथ ही ग्रामीण, अरबी -
फारसी जैसे शब्दो को भी अपने काव्य में
स्थान दिया है ।
5) सूरदास ने अपने काव्यो में ' पद ' छंद का
प्रयोग किया है। उन्होंने ' पद ' छंद को महत्व
दिया है ।
सूरदास के संबंध में विद्वानों का विचार :-
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार -
" सूरदास जब अपने प्रिय विषय का वर्णन
शुरू करते हैं तो मानो अलंकार-शास्त्र हाथ
जोड़कर उनके पीछे-पीछे दौड़ा करता है।
उपमाओं की बाढ़ आ जाती है, रूपकों की
वर्षा होने लगती है। "
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