No products in the cart.

paryavaran ki chinta aur bharat par …

CBSE, JEE, NEET, CUET

CBSE, JEE, NEET, CUET

Question Bank, Mock Tests, Exam Papers

NCERT Solutions, Sample Papers, Notes, Videos

paryavaran ki chinta aur bharat par nibandh
  • 5 answers

Bhowmik Mansharamani 1 year, 8 months ago

This content has been hidden. One or more users have flagged this content as inappropriate. Once content is flagged, it is hidden from users and is reviewed by myCBSEguide team against our Community Guidelines. If content is found in violation, the user posting this content will be banned for 30 days from using Homework help section. Suspended users will receive error while adding question or answer. Question comments have also been disabled. Read community guidelines at https://mycbseguide.com/community-guidelines.html

Few rules to keep homework help section safe, clean and informative.
  • Don't post personal information, mobile numbers and other details.
  • Don't use this platform for chatting, social networking and making friends. This platform is meant only for asking subject specific and study related questions.
  • Be nice and polite and avoid rude and abusive language. Avoid inappropriate language and attention, vulgar terms and anything sexually suggestive. Avoid harassment and bullying.
  • Ask specific question which are clear and concise.

Remember the goal of this website is to share knowledge and learn from each other. Ask questions and help others by answering questions.

Monu Dahiya 1 year, 9 months ago

1 , 2 , 3 point

Monu Dahiya 1 year, 9 months ago

हमारी पवित्र सरिताएं और सरोवर के तटों पर आस्था केन्द्र काशी, मथुरा, हरिद्वार आदि तीर्थ स्थापित हैं। वृक्ष हर प्रकार से पृथ्वी के रक्षक हैं, जो मरुस्थल पर नियंत्रण करते हैं, नदियों की बाढ़ की रोकथाम व जलवायु को स्वच्छ रखते हैं, समय पर वर्षा लाने में सहायक हैं, धरती की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं । वृक्ष हमारा दाता है। हमें निरन्तर सुख ही देता रहता है। जनता व सरकार का दायित्व बनता है कि अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर वातावरण को दूषित होने से बचाएं। ऐसा करके हम अपना ही नहीं, सर्वजन हितकारी कल्याण का काम करेंगे। हमें वृक्षों व वनों को अपने पुत्रों की भांति पालना व रक्षा करनी चाहिए, वृक्षों का निष्प्रयोजन काटना न हो और हो भी तो उतने या उससे दुगने वृक्ष अवश्य लगाएं। अगर समय रहते नहीं चेते तो दूषित वातावरण हमें और हमारी भावी विनाश का कारण बन सकता है।

Monu Dahiya 1 year, 9 months ago

वृक्ष-वनस्पतियां सभी प्राणियों के प्राण हैं। हमारे सभी ब्राह्मण गं रथों, वेदों, भारतीय दर्शनशास्त्रों में कितने ही ऐसे प्रमाण हैं 'प्राणों वै वनस्पति', वन- वनस्पतियों के सुख शांतिदायक और अनुकूल होन की कामना की गई है। वैसे भी भारतीय परम्परा में वटवृक्ष, आम्र, पीपल, तुलसी आदि का नाश सर्वथा निषेध माना गया है।

Monu Dahiya 1 year, 9 months ago

पूरी दुनिया पर्यावरण प्रदूषण के भय से त्रस्त है। यह चिंता नई नहीं है पहले भी थी। तब हमारे मुनियों ने इस विषय पर भी चिन्तन किया था, इसके समाधान भी पेश किए थे। उन्होंने पर्यावरण के हानिकारक प्रत्येक काम को आसुरी प्रवृत्ति और हितकर को दैवी प्रवृत्ति माना है। हमारी अदूरदर्शिता के कारण इस पृथ्वी पर रहने वालों के सामने पर्यावरण प्रदूषण एक विकराल रूप धारण कर रहा है। कुदरत का ऐसा प्रावधान है कि वृक्ष-वनस्पतियां आदि पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनें। यह सब प्राकृतिक सम्पदाएं पर्यावरण के सजग प्रहरी हैं, जो एक आवश्यक भूमिका निभाते हैं। वृक्ष कार्बन-डाई ऑक्साइड आदि हानिकारक गैसों को शोषित कर लेते हैं और सब प्राणियों के लिए जीवनदायक प्राण वायु (ऑक्सीजन) उपलब्ध कराते हैं।
http://mycbseguide.com/examin8/

Related Questions

Maili ho gai ganga pr feature
  • 0 answers

myCBSEguide App

myCBSEguide

Trusted by 1 Crore+ Students

Test Generator

Test Generator

Create papers online. It's FREE.

CUET Mock Tests

CUET Mock Tests

75,000+ questions to practice only on myCBSEguide app

Download myCBSEguide App