Sawpragan and parpragan me antar batao
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Posted by Saloni Kumari 1 year, 11 months ago
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Preeti Dabral 1 year, 11 months ago
1. इस प्रक्रिया में किसी एक पुष्प के परागकणों का स्थानान्तरण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र (स्वयुग्मन) अथवा उसी पौधे पर उत्पन्न अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर (स्वजात युग्मन) होता है।
2. इस प्रक्रिया में भाग लेने वाले पुष्पों के परागकोष और वर्तिकाग्रों के परिपक्र होने का समय एक ही होता है।
3. बन्द पुष्पी अवस्था में स्वपरागण की प्रक्रिया ही संभव है।
4. स्वपरागण के लिए बाहरी साधनों अथवा माध्यम की जरुरत नहीं होती।
5. यह पौधे के लिए मितव्ययी विधि है।
6. इस प्रक्रिया के द्वारा लक्षणों की शुद्धता बनी रहती है।
7. स्व परागण के द्वारा व्यर्थ अथवा हानिकारक गुणों की सन्तति पौधों से हटाना संभव नहीं है।
पर परागण (cross pollination)
1. यहाँ परागकणों का स्थानान्तरण , उसी प्रजाति के अन्य पौधों के वर्तिकाग्र पर होता है , (पर युग्मन)
2. सामान्यतया यहाँ परागकोष और वर्तिकाग्र भिन्न भिन्न समय पर परिपक्र होते है।
3. परपरागण के लिए पुष्प का खुला होना अनिवार्य होना है।
4. परपरागण के लिए जैविक अथवा अजैविक बाहरी माध्यम अथवा साधन की आवश्यकता होती है।
5. इसमें पौधे को असंख्य परागकणों के अतिरिक्त कुछ अन्य साधनों जैसे रंग गंध और मकरंद आदि का भी उत्पादन करना होता है अत: यह मितव्ययिता के विपरीत है।
6. इस प्रक्रिया के द्वारा संकर अथवा विषम युग्मजी सन्तति उत्पन्न होती है। अतः लक्षणों की शुद्धता प्राप्त नहीं होती।
7. इसके द्वारा अनुपयोगी लक्षणों को आगामी सन्तति पीढ़ी से हटाया जा सकता है।
2Thank You