प्रस्तावना
हाल के कुछ दशकों में मानवीय गतिविधियों के कारण पर्यावरण पर बहुत बुरा असर पड़ा है। ओजोन परत का क्षरण इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। साथ ही वैश्विक उष्मीयता (ग्लोबल वार्मिंग) दुनिया के लिए खतरे की घंटी है। मानवों द्वारा वनों की कटाई ही पर्यावरण असंतुलन का सबसे बड़ा कारण है।
पर्यावरण को कई अवांछनीय कारक जोकि मानव स्वास्थ्य, प्राकृतिक संसाधनों और प्रदूषण के कारकों जैसे प्रदूषण, हरितगृह प्रभाव (ग्रीनहाउस) आदि के कारण प्रभावित होते हैं।
पर्यावरण सुरक्षा का उद्देश्य, कारण एवं प्रभाव
पर्यावरण की सुरक्षा और मानव अस्तित्व के लिए उसकी प्रासंगिकता को देखते हुए 3-14 जून 1992, के मध्य ब्राजील के शहर ‘रियो डी जेनेरियो’ में प्रथम पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें विश्व के 174 देशों नें हिस्सा लिया। पर्यावरण का संरक्षण समस्त मानव जाति के साथ-साथ इस धरती के सभी जीव-जंतुओं के जीवन के लिए अति आवश्यक है।
यह सिलसिला आगे भी प्रवाहमान रहा और दस साल बाद सन् 2002 में जोहान्सबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन का पुनः आयोजन किया गया और विश्व के सभी देशों से पर्यावरण संरक्षण के लिए बनाये गये नियमों का पालन करने का आग्रह किया गया। यदि पर्यावरण संरक्षित रहेगा, तभी यह पृथ्वी सुरक्षित रहेगी, और पृथ्वी सही सलामत रहेगी, तभी हम जीवित रह पायेंगे। सभी एक-दूसरे से जुड़े है। पर्यावरण का संरक्षण हमें किसी और के लिए नहीं, बल्कि अपने लिए करना है।
जलवायु परिवर्तन
97% जलवायु वैज्ञानिक इस बात को मानते है कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन इसका मुख्य कारण है। शायद अधिक चरम मौसम की घटनाओं जैसे कि सूखा, जंगल की आग, गर्मी की लहरें और बाढ़ जैसी घटनाओं कार्बन के अधिक उत्सर्जन के कारण ही होता है।
अब दुनिया को सावधान हो जाना चाहिए और कार्बन उत्सर्जन को कम कर देना चाहिए, अन्यथा इसके भीषण परिणाम भोगने पड़ सकते हैं। इस वक़्त विश्व का लगभग 21 प्रतिशत कार्बन अकेले अमेरिका उत्सर्जित करता है।
अगर प्रत्येक व्यक्ति मिल कर अपना योगदान दें तो कार्बन का उत्सर्जन कम किया जा सकता है। हम अपने घर से ही शुरुआत कर सकते हैं। कम से कम गाड़ियों का इस्तमाल करें, और कोशिश करें कि विद्युत चलित वाहनों का इस्तमाल करें।
वनोन्मूलन
वनों की कटाई से कार्बन की मात्रा पर्यावरण में बहुत ज्यादा हो गयी है। पेड़ कार्बन डाई ऑक्साइड का अवशोषण कर लेते हैं और हमें प्राणवायु ऑक्सीजन देते हैं, किंतु उनकी कटाई से पूरा चक्र ही बाधित हो गया है। यह अनुमान है कि कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 15 प्रतिशत वनों की कटाई से होता है।
उपसंहार
वन्यजीवों के आवासों पर मानव अतिक्रमण बढ़ने से जैव विविधता का तेजी से नुकसान हो रहा है जिससे खाद्य सुरक्षा, जनसंख्या स्वास्थ्य और विश्व स्थिरता को खतरा है। जैव विविधता के नुकसान में जलवायु परिवर्तन का भी बड़ा योगदान है, क्योंकि कुछ प्रजातियां बदलते तापमान के अनुकूल नहीं बन पाती हैं। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड के लिविंग प्लेनेट इंडेक्स के अनुसार, पिछले 35 वर्षों में जैव विविधता में 27 प्रतिशत की गिरावट आई है।
उपभोक्ताओं के रूप में हम सभी पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले उत्पादों को खरीदकर जैव विविधता की रक्षा में मदद कर सकते हैं। साथ ही पॉलिथीन के स्थान पर घर का बना कपड़े का थैला प्रयोग कर सकते हैं। यह प्रयास भी पर्यावरण संरक्षण में हाथ बंटाएगा।
Preeti Dabral 2 years, 8 months ago
प्रस्तावना
हाल के कुछ दशकों में मानवीय गतिविधियों के कारण पर्यावरण पर बहुत बुरा असर पड़ा है। ओजोन परत का क्षरण इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। साथ ही वैश्विक उष्मीयता (ग्लोबल वार्मिंग) दुनिया के लिए खतरे की घंटी है। मानवों द्वारा वनों की कटाई ही पर्यावरण असंतुलन का सबसे बड़ा कारण है।
पर्यावरण को कई अवांछनीय कारक जोकि मानव स्वास्थ्य, प्राकृतिक संसाधनों और प्रदूषण के कारकों जैसे प्रदूषण, हरितगृह प्रभाव (ग्रीनहाउस) आदि के कारण प्रभावित होते हैं।
पर्यावरण सुरक्षा का उद्देश्य, कारण एवं प्रभाव
पर्यावरण की सुरक्षा और मानव अस्तित्व के लिए उसकी प्रासंगिकता को देखते हुए 3-14 जून 1992, के मध्य ब्राजील के शहर ‘रियो डी जेनेरियो’ में प्रथम पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें विश्व के 174 देशों नें हिस्सा लिया। पर्यावरण का संरक्षण समस्त मानव जाति के साथ-साथ इस धरती के सभी जीव-जंतुओं के जीवन के लिए अति आवश्यक है।
यह सिलसिला आगे भी प्रवाहमान रहा और दस साल बाद सन् 2002 में जोहान्सबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन का पुनः आयोजन किया गया और विश्व के सभी देशों से पर्यावरण संरक्षण के लिए बनाये गये नियमों का पालन करने का आग्रह किया गया। यदि पर्यावरण संरक्षित रहेगा, तभी यह पृथ्वी सुरक्षित रहेगी, और पृथ्वी सही सलामत रहेगी, तभी हम जीवित रह पायेंगे। सभी एक-दूसरे से जुड़े है। पर्यावरण का संरक्षण हमें किसी और के लिए नहीं, बल्कि अपने लिए करना है।
जलवायु परिवर्तन
97% जलवायु वैज्ञानिक इस बात को मानते है कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन इसका मुख्य कारण है। शायद अधिक चरम मौसम की घटनाओं जैसे कि सूखा, जंगल की आग, गर्मी की लहरें और बाढ़ जैसी घटनाओं कार्बन के अधिक उत्सर्जन के कारण ही होता है।
अब दुनिया को सावधान हो जाना चाहिए और कार्बन उत्सर्जन को कम कर देना चाहिए, अन्यथा इसके भीषण परिणाम भोगने पड़ सकते हैं। इस वक़्त विश्व का लगभग 21 प्रतिशत कार्बन अकेले अमेरिका उत्सर्जित करता है।
अगर प्रत्येक व्यक्ति मिल कर अपना योगदान दें तो कार्बन का उत्सर्जन कम किया जा सकता है। हम अपने घर से ही शुरुआत कर सकते हैं। कम से कम गाड़ियों का इस्तमाल करें, और कोशिश करें कि विद्युत चलित वाहनों का इस्तमाल करें।
वनोन्मूलन
वनों की कटाई से कार्बन की मात्रा पर्यावरण में बहुत ज्यादा हो गयी है। पेड़ कार्बन डाई ऑक्साइड का अवशोषण कर लेते हैं और हमें प्राणवायु ऑक्सीजन देते हैं, किंतु उनकी कटाई से पूरा चक्र ही बाधित हो गया है। यह अनुमान है कि कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 15 प्रतिशत वनों की कटाई से होता है।
उपसंहार
वन्यजीवों के आवासों पर मानव अतिक्रमण बढ़ने से जैव विविधता का तेजी से नुकसान हो रहा है जिससे खाद्य सुरक्षा, जनसंख्या स्वास्थ्य और विश्व स्थिरता को खतरा है। जैव विविधता के नुकसान में जलवायु परिवर्तन का भी बड़ा योगदान है, क्योंकि कुछ प्रजातियां बदलते तापमान के अनुकूल नहीं बन पाती हैं। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड के लिविंग प्लेनेट इंडेक्स के अनुसार, पिछले 35 वर्षों में जैव विविधता में 27 प्रतिशत की गिरावट आई है।
उपभोक्ताओं के रूप में हम सभी पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले उत्पादों को खरीदकर जैव विविधता की रक्षा में मदद कर सकते हैं। साथ ही पॉलिथीन के स्थान पर घर का बना कपड़े का थैला प्रयोग कर सकते हैं। यह प्रयास भी पर्यावरण संरक्षण में हाथ बंटाएगा।
3Thank You