चौदहवीं शताब्दी को ‘पुनर्जागरण’ काल कहना …
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Posted by Ayaan Ali 2 years ago
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Preeti Dabral 2 years ago
यूनानी और रोमन परंपराओं से जुड़े हुए विचारों का इस युग में पुनः सूत्रपात किया गया। इंग्लैंड के पीटर बर्क (Peter Burke) जैसे आधुनिक लेखकों का यह सुझाव था कि बर्कहार्ट के ये विचार अतिशयोक्तिपूर्ण हैं। वस्तुतः बर्कहार्ट इस युग और इससे पूर्व के युग के अंतर को कुछ ज्यादा ही बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत कर रहे थे। ऐसा करने में उन्होंने पुनर्जागरण शब्द का प्रयोग किया। इस शब्द में यह आशय अंतर्निहित है कि यूनानी और रोमन सभ्यताओं का चौदहवीं शताब्दी में पुनर्जन्म हुआ तथा समकालीन विद्वानों और कलाकारों ने ईसाई विश्वदृष्टि के स्थान पर पूर्व ईसाई विश्वदृष्टि का प्रचार-प्रसार किया।
पुनर्जागरण काल गतिशीलता और कलात्मक सृजनशीलता का युग था। ठीक इसके विपरीत, मध्यकाल अंधकारमय काल था जिसमें किसी प्रकार का विकास नहीं हुआ था। इटली में पुनर्जागरण से संबंधित अनेक तत्व बारहवीं और तेरहवीं शताब्दी में पाए जा सकते हैं।
यूरोप में इस समय आए सांस्कृतिक परिवर्तन में रोम और यूनान की शास्त्रीय सभ्यता का ही केवल योगदान नहीं था अपितु रोमन संस्कृति के पुरातात्विक और साहित्यिक पुनरुद्धार ने भी इस सभ्यता के प्रति अनेक प्रशंसनीय भाव उभारने की कोशिश की। साथ ही एशिया में प्रौद्योगिकी और कार्यकुशलता यूनानी तथा रोमन लोगों की अपेक्षा अधिक विकसित थी। अतिरिक्त इस्लाम के विस्तार और मंगोलों की विजयों ने एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका को यूरोप के अनेक देशों को राजनीतिक दृष्टि के साथ-साथ व्यापार और कार्य-कुशलता के ज्ञानार्जन के लिए आपस में जोड़ने का महत्त्वपूर्ण काम किया। फलतः यूरोपियों ने न केवल यूनानियों और रोमवासियों से सीखा अपितु भारत, अरब, ईरान, मध्य एशिया और चीन से भी ज्ञान प्राप्त किया।
सार्वजनिक क्षेत्र का तात्पर्य सरकार के कार्यक्षेत्र और औपचारिक धर्म से संबंधित था और निजी क्षेत्र में परिवार और व्यक्ति का निजी धर्म था। निःसंदेह किसी व्यक्ति की दो महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ थीं-निजी तथा सार्वजनिक। वह न केवल तीन वर्गों में से किसी एक वर्ग का सदस्य ही था अपितु अपने आपमें एक स्वतंत्र व्यक्ति भी था।
इस युग की एक अन्य विशेषता यह थी कि भाषायी आधार पर यूरोप के विभिन्न क्षेत्रों ने अपनी अलग-अलग पहचान बनानी शुरू कर दी थी। पहले आंशिक रूप से रोमन साम्राज्य द्वारा और बाद में लैटिन भाषा और ईसाई धर्म द्वारा जुड़ा हुआ यूरोप अब अलग-अलग राज्यों में विभाजित होने लगा। इन राज्यों के आंतरिक रूप से जुड़े होने का एक प्रमुख कारण समान भाषा का होना था। अतः हम कह सकते हैं कि इस काल में मानव का हर दृष्टिकोण से पुनर्जन्म हुआ।
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