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अर्थ स्पष्ट कीजिए— सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का !
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Saloni Harinkhede 4 years, 1 month ago

जिस फसल को हम किसी अनाज या सब्जी या फल के रूप में देखते हैं, वह और कुछ नहीं बल्कि नदियों के पानी का जादू है। वह हाथों के स्पर्श की महिमा है। वह कई प्रकार की मिट्टी का गुण धर्म अपने में संजोए हुए है। वह सूरज की किरणों का रूपांतर है। आपने जीव विज्ञान के पाठ में पढ़ा होगा कि किस तरह सूरज की किरणों की ऊर्जा अपना रूप बदलकर पादपों में भोजन के रूप में जमा होती है। कवि को यह भी लगता है कि फसल में हवा की थिरकन का सिमटा हुआ संकोच भी भरा हुआ है। फसल के तैयार होने में कई शक्तियों और अवयवों का योगदान होता है। फसल के तैयार होने में मिट्टी से जरूरी पोषक मिलते हैं। फिर पानी, धूप और हवा उसके तैयार होने में अपना योगदान देती है। लेकिन उसपर से हजारों किसानों की मेहनत ही फसल को समुचित रूप से तैयार कर पाती है।
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