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मस्त योगी हैकि हम सुख देखकर सबका सुखी हैं, कुछ अजब मन है कि हम दुख देखकर सबका दुखी हैं, तुम हमारी चोटियों को बर्फ को यों मत कुरेदो. दहकता लावा हृदय में है कि हम ज्वालामुखी हैं! लास्य भी हमने किए हैं और तांडव भी किए हैं, वंश मीरा और शिव के, विष पिया है और जिये हैं, दूध माँ का या कि चंदन या कि केसर जो समझ लो, यह हमारे देश की रज है, कि हम इसके लिए हैं! (क) इस कविता में किस देश के निवासियो की बात की गई है? क (ख) लास्य और तांडव से आप क्या समझते हैं? (ग) इस कविता में भारतीयों की किस विशेषता को उजागर किया | (घ) कविता का मूल भाव क्या है? (ड) कविता के लिए उचित शीर्षक दीजिए?
  • 1 answers

Shiva Soni 1 year, 11 months ago

http://mycbseguide.com/examin8/

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