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1) अलंकार के भेद कि परिभाषा और उदाहरण सहीत स्पष्ट कीजिए। ?
  • 4 answers
अनुप्रास अलंकार उसे कहते है जिस शब्द एक से ज्यादा बार आता है

Lavi Singh 4 years ago

Hi
Ryt..????

Yogita Ingle 4 years ago

शब्दालंकार के तीन भेद हैं –

  1. अनुप्रास अलंकार: जब काव्य में किसी वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है अर्थात् कोई वर्ण एक से अधिक बार

    आता है तो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं; जैसे –
    तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
    यहाँ ‘त’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुई है। अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

    अन्य उदाहरण –

    रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम। (‘र’ वर्ण की आवृत्ति)

    चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल-थल में। (‘च’ वर्ण की आवृत्ति)

  2. यमक अलंकार: जब काव्य में कोई शब्द एक से अधिक बार आए और उनके अर्थ अलग-अलग हों तो उसे यमक अलंकार होता है; जैसे- तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती है।

    उपर्युक्त पंक्ति में बेर शब्द दो बार आया परंतु इनके अर्थ हैं – समय, एक प्रकार का फल। इस तरह यहाँ यमक अलंकार है।

    अन्य उदाहरण –
    कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
    या खाए बौराए नर, वा पाए बौराय।।
    यहाँ कनक शब्द के अर्थ हैं – सोना और धतूरा। अतः यहाँ यमक अलंकार है।

  3. श्लेष अलंकार: 

    श्लेष अलंकार- श्लेष का अर्थ है- चिपका हुआ। अर्थात् एक शब्द के अनेक अर्थ चिपके होते हैं। जब काव्य में कोई शब्द एक बार आए और उसके एक से अधिक अर्थ प्रकट हो, तो उसे श्लेष अलंकार कहते हैं; जैसे –

    रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
    पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष चून।।

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