भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी …

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Gaurav Seth 4 years, 11 months ago
भारतीय सन्दर्भ में सत्ता की साझेदारी में युक्तिपरक कारण समझदारी या तर्क के सिद्धांत पर कार्य करता है जबकि नैतिक तत्व सत्ता के बँटवारे के महत्व को बतलाता है। युक्तिपरक कारण शक्ति विभाजन के लाभों पर बल देती है और नैतिक कारण वास्तविक शक्ति विभाजन की योग्यता पर बल देते हैं।
युक्तिपरक कारण- भारत एक लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में सत्ता का बँटवारा सामाजिक समूहों के बीच टकराव को कम करता है। भारत में अनेक सामाजिक समूह भाषा, क्षेत्र, लिंग, धर्म, सामाजिक स्तर बांटे जा सकते है। अतः सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष को रोकने के लिए सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की भागीदारी लाभकारी है। इसे सत्ता की भागीदारी का बौद्धिक दृष्टिकोण का कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि संविधान निर्माण के समय तीन भाषाई फार्मूला विद्यार्थियों पर लागू न कर सभी पर हिंदी भाषा को जबरदस्ती थोप दिया जाता, तो भारत के अनेक भागो में हिंसात्मक आंदोलन चलते रहते परन्तु वर्तमान में भारत के सभी लोग स्वेच्छा से हिंदी, अंग्रेजी, क्षेत्रीय भाषा के साथ-साथ यूरोपीय भाषा भी सीख रहे है।
नैतिक कारण- लोकतंत्र में वह सरकार वैधानिक होती है जिसमे सभी लोग व्यवस्था से जुड़े होते है। सरकार लोकतंत्र को उदारवादी बनाने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयत्न करती है। कानून इस तरह बनाए जाते है जिससे की किसी की भी धार्मिक आस्था और विश्वासों को ठेस न पहुँचे। प्राचीन वर्गों को राजनितिक प्रक्रियाओं में हिस्सा लेने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए। जिन्हें अभी तक राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा जाता रहा है। सत्ता की भागीदारी का यह दृष्टिकोण नैतिक दृष्टिकोण कहलाता है।
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