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कृष्णा कौन थे?

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कृष्णा कौन थे?
  • 3 answers

Abhinav Shukla 4 years, 11 months ago

श्री कृष्ण विष्णु भगवान के ही अवतार थे वह इस धरती पर द्वापर युग में हुए थे वह दोस्तों का संपूर्ण होने दोस्तों का संघार करने के लिए इस धरती पर जन्म लिया था उन्होंने गीता का निर्माण भी किया था महाभारत के युद्ध में वह अर्जुन के सारथी बने थे उनके बहुत सारे नाम थे जैसे गोपाल कन्हैया कृष्णा माखन चोर और उन्होंने अपनी एक नगरी बनाई थी जिसका नाम था द्वारिका उनके बड़े भाई का नाम बलराम था जो कि शेषनाग के अवतार थे जिन्होंने उन्हें जन्म दिया था उनका नाम देवकी था लेकिन जिन्होंने उन्हें पाला था उनका नाम यशोदा था | जय श्री कृष्ण

Saurav Bisht 4 years, 11 months ago

Shri krishna Ek bagwan teh Aur Vehe Vishnu Ji ke 8 ve Avtar tha Shri krishnaKrishna ke bhut name hai jese kanhaiya, Machanchor, Madav, Gopal aur Dwarikadesh ke name se bhi Krishna ke Pita ka name Vasudev tha aur Mata ka name Devki Aur Krishna bade hokar Dwarka ke Raja teh

Shagun Kanwar 4 years, 11 months ago

श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर माने जाते हैं। कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। कृष्ण वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहां अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न आपत्तियों में उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। 124 वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनके अवतार समाप्ति के तुरंत बाद परीक्षित के राज्य का कालखंड आता है। राजा परीक्षित, जो अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र तथा अर्जुन के पौत्र थे, के समय से ही कलियुग का आरंभ माना जाता है।
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