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I want summary of Hindi vasant chapter 9 Chidiya ki bacchi
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Basheera Fatima 4 years, 11 months ago

इस कहानी में लेखक श्री जैनेंद्र कुमार ने आज़ादी की महत्ता और मनुष्य के स्वार्थी स्वभाव का वर्णन किया है| माधव दास बहुत ही अमीर व्यक्ति हैं। उन्होंने संगमरमर की आलीशान कोठी बनवाई है। उसके सामने सुंदर बगीचा लगवाया है जिसमें फ़व्वारा भी लगा था| शाम के समय कोठी के चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे बैठकर बगीचे की सुंदरता का आनंद लिया करते थे। शाम के समय कोठी के चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे बैठकर बगीचे की सुंदरता का आनंद लिया करते थे। परन्तु उन्हें कुछ खाली-सा लगता था| एक शाम एक चिड़िया गुलाब की टहनी पर आकर बैठ गई थी। उसकी गर्दन लाल थी और धीरे-धीरे गुलाबी होते हुए किनारों पर नील रंग थे। पंख बहुत चमकदार थे। उसके शरीर पर विचित्र चित्रकारी थी। माधवदास को वह चिड़िया बहुत सुंदर लगी। चिड़िया बगीचे से खुश होकर डालों पर थिरक रही थी| थोड़ी देर तक उसे देखते रहने के बाद उन्होंने चिड़िया से कहा कि यह बगीचा उन्होंने उसी के लिये बनवाया है। चिड़िया माधवदास की बात सुनकर संकोच में पड़ गई । उसने कहा कि वह तो यहाँ केवल साँस लेने के लिए रुक गई थी। माधवदास ने उससे कहा कि यह बगीचा मेरा है और वह यहाँ रह सकती थी। माधवदास की बातें सुनकर चिड़िया थिरकना भूल गई। माधवदास ने उस चिड़िया को उसके सूने महल में रुककर चहचहाने के लिए कहा। चिड़िया बोली कि वह अपने घर माँ के पास जा रही थी। वह अपने घर से धूप खाने, हवा से खेलने और फूलों से बातें करने निकली थी। माधवदास ने रुकने के बदले चिड़िया को सोने का पिंजरा बनवाने की बात की। उसने चिड़िया को खाने के लिए मोती देने को कहा। चिड़िया उसकी बात सुन कर डर गयी| वह कहती है माँ से अच्छी कोई चीज़ नहीं लगती है। उसके पास माँ का बनाया हुआ घोंसला है, खाना है| वह अपने घर वापस जा रही है। उसकी माँ उसका इंतज़ार कर रही होगी। माधवदास उसे रोकने के तरह-तरह के लालच देता है परन्तु वह नहीं मानती| माधवदास उसे कहते हैं कि वे उसके रहने के लिए सोने का पिंजरा बनवा देंगे, महल में मोतियों के झालर बनवा देंगें। जिस कटोरी में वह पानी पिएगी वह भी सोने की होगी। इसी बीच माधव दास एक बटन दबा देते हैं जिसकी आवाज़ सुनते ही कोठी के अन्दर से एक नौकर दौड़ा आता है। सेठ माधवदास उसे इशारे करके नौकर से चिड़िया को पकड़ने के लिए कहता है। सेठ उसे जान-बूझकर रोके रखने के लिए उसके भाई-बहनों के बारे में पूछता है। चिड़िया उसे बताती है कि उसकी दो बहन और एक भाई है। चिड़िया को अपने घर जाने की जल्दी थी चूँकि कुछ ही देर में रात होने वाली थी| अचानक चिड़िया को अपने शरीर पर कठोर हाथों का स्पर्श महसूस होता है। वह चीख मारती हुई नौकर के हाथ से फिसल जाती है। वह जल्दी-जल्दी उड़ती हुई अपनी माँ के पास जा पहुँची। वह अपनी माँ की गोद में दुबक कर जोर-जोर से रोना शुरू कर देती है। माँ ने उससे उसके रोने का कारण पूछती है परन्तु यह कुछ नहीं बोल पाती। वह अपनी माँ की छाती से इस तरह चिपक जाती है जैसे कभी अलग नहीं होगी।

Gaurav Seth 5 years ago

इस कहानी में लेखक श्री जैनेंद्र कुमार ने आज़ादी की महत्ता और मनुष्य के स्वार्थी स्वभाव का वर्णन किया है| माधव दास बहुत ही अमीर व्यक्ति हैं। उन्होंने संगमरमर की आलीशान कोठी बनवाई है। उसके सामने सुंदर बगीचा लगवाया है जिसमें फ़व्वारा भी लगा था| शाम के समय कोठी के चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे बैठकर बगीचे की सुंदरता का आनंद लिया करते थे। शाम के समय कोठी के चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे बैठकर बगीचे की सुंदरता का आनंद लिया करते थे। परन्तु उन्हें कुछ खाली-सा लगता था| 

एक शाम एक चिड़िया गुलाब की टहनी पर आकर बैठ गई थी। उसकी गर्दन लाल थी और धीरे-धीरे गुलाबी होते हुए किनारों पर नील रंग थे। पंख बहुत चमकदार थे। उसके शरीर पर विचित्र चित्रकारी थी। माधवदास को वह चिड़िया बहुत सुंदर लगी। चिड़िया बगीचे से खुश होकर डालों पर थिरक रही थी| थोड़ी देर तक उसे देखते रहने के बाद उन्होंने चिड़िया से कहा कि यह बगीचा उन्होंने उसी के लिये बनवाया है। चिड़िया माधवदास की बात सुनकर संकोच में पड़ गई । उसने कहा कि वह तो यहाँ केवल साँस लेने के लिए रुक गई थी। माधवदास ने उससे कहा कि यह बगीचा मेरा है और वह यहाँ रह सकती थी। माधवदास की बातें सुनकर चिड़िया थिरकना भूल गई। माधवदास ने उस चिड़िया को उसके सूने महल में रुककर चहचहाने के लिए कहा। चिड़िया बोली कि वह अपने घर माँ के पास जा रही थी। वह अपने घर से धूप खाने, हवा से खेलने और फूलों से बातें करने निकली थी।

माधवदास ने रुकने के बदले चिड़िया को सोने का पिंजरा बनवाने की बात की। उसने चिड़िया को खाने के लिए मोती देने को कहा। चिड़िया उसकी बात सुन कर डर गयी| वह कहती है माँ से अच्छी कोई चीज़ नहीं लगती है। उसके पास माँ का बनाया हुआ घोंसला है, खाना है| वह अपने घर वापस जा रही है। उसकी माँ उसका इंतज़ार कर रही होगी। माधवदास उसे रोकने के तरह-तरह के लालच देता है परन्तु वह नहीं मानती| माधवदास उसे कहते हैं कि वे उसके रहने के लिए सोने का पिंजरा बनवा देंगे, महल में मोतियों के झालर बनवा देंगें। जिस कटोरी में वह पानी पिएगी वह भी सोने की होगी।

इसी बीच माधव दास एक बटन दबा देते हैं जिसकी आवाज़ सुनते ही कोठी के अन्दर से एक नौकर दौड़ा आता है। सेठ माधवदास उसे इशारे करके नौकर से चिड़िया को पकड़ने के लिए कहता है। सेठ उसे जान-बूझकर रोके रखने के लिए उसके भाई-बहनों के बारे में पूछता है। चिड़िया उसे बताती है कि उसकी दो बहन और एक भाई है। चिड़िया को अपने घर जाने की जल्दी थी चूँकि कुछ ही देर में रात होने वाली थी|

अचानक चिड़िया को अपने शरीर पर कठोर हाथों का स्पर्श महसूस होता है। वह चीख मारती हुई नौकर के हाथ से फिसल जाती है। वह जल्दी-जल्दी उड़ती हुई अपनी माँ के पास जा पहुँची। वह अपनी माँ की गोद में दुबक कर जोर-जोर से रोना शुरू कर देती है। माँ ने उससे उसके रोने का कारण पूछती है परन्तु यह कुछ नहीं बोल पाती। वह अपनी माँ की छाती से इस तरह चिपक जाती है जैसे कभी अलग नहीं होगी।

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