कवि जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय …
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Posted by Sujata Singh 4 years ago
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Yogita Ingle 4 years ago
रचनाएँ–प्रसाद जी अनेक विषयों एवं भाषाओं के प्रकाण्ड पण्डित और प्रतिभासम्पन्न कवि थे। इन्होंने नाटक, उपन्यास, कहानी, निबन्ध आदि सभी साहित्यिक विधाओं पर अपनी लेखनी चलायी और अपने कृतित्व से इन्हें अलंकृत किया। इनका काव्य हिन्दी-साहित्य की अमूल्य निधि है। इनके प्रमुख काव्यग्रन्थों का विवरण निम्नवत् है-
कामायनी—यह प्रसाद जी की कालजयी रचना है। इसमें मानव को श्रद्धा और मनु के माध्यम से हृदय और बुद्धि के समन्वय का सन्देश दिया गया है। इस रचना पर कवि को मंगलाप्रसाद पारितोषिक भी मिल चुका है।
आँसू-यह प्रसाद जी का वियोग का काव्य है। इसमें वियोगजनित पीड़ा और दु:ख मुखर हो उठा है।
लहर—यह प्रसाद जी का भावात्मक काव्य-संग्रह है।
झरना—इसमें प्रसाद जी की छायावादी कविताएँ संकलित हैं, जिसमें सौन्दर्य और प्रेम की अनुभूति साकार हो उठी है।
कहानी—आकाशदीप, इन्द्रजाल, प्रतिध्वनि, आँधी।
उपन्यास-कंकाल, तितली, इरावती (अपूर्ण)।
निबन्ध-काव्य और कला तथा अन्य निबन्ध।
चम्पू-प्रेम राज्य। इनके अन्य काव्य-ग्रन्थ चित्राधार, कानन-कुसुम, करुणालय, महाराणा को महत्त्व, प्रेम-पथिक आदि हैं।
साहित्य में स्थान–प्रसाद जी असाधारण प्रतिभाशाली कवि थे। उनके काव्य में एक ऐसा नैसर्गिक आकर्षण एवं चमत्कार है कि सहृदय पाठक उसमें रसमग्न होकर अपनी सुध-बुध खो बैठता है। निस्सन्देह वे आधुनिक हिन्दी-काव्य-गगन के अप्रतिम तेजोमय मार्तण्ड हैं।
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