समाजवाद और पूंजीवाद के बीच दो …
CBSE, JEE, NEET, CUET
Question Bank, Mock Tests, Exam Papers
NCERT Solutions, Sample Papers, Notes, Videos
Posted by Himani Hasija 4 years, 11 months ago
- 1 answers
Related Questions
Posted by Suhani Sharma 1 year, 3 months ago
- 2 answers
Posted by Ritesh Patwa 1 year, 8 months ago
- 0 answers
Posted by Prallvi Bhandari 1 year, 7 months ago
- 0 answers
Posted by Prallvi Bhandari 1 year, 7 months ago
- 0 answers
Posted by Bhumika Sharma 2 months, 3 weeks ago
- 0 answers
Posted by Djangra Motivational 1 year, 6 months ago
- 0 answers
Posted by Tuba Ansari 1 year, 1 month ago
- 1 answers
Posted by Suraj Dev 680 1 year, 2 months ago
- 1 answers
Posted by Djangra Motivational 1 year, 6 months ago
- 1 answers
myCBSEguide
Trusted by 1 Crore+ Students
Test Generator
Create papers online. It's FREE.
CUET Mock Tests
75,000+ questions to practice only on myCBSEguide app
Yogita Ingle 4 years, 11 months ago
पूँजीवाद को निम्नलिखित बिन्दुओं से समझा जा सकता है-
(i) पूंजीवादी विचारधारा में हम यह पाते हैं कि यहाँ पूंजीपति अपना धन व्यय करता है जिससे वह और अधिक धन बना सके।
(ii) पूंजीवादी विचारधारा में संपत्ति को विभिन्न प्रकार से संस्थाओं और तंत्रों के उपयोग से पूँजी या फायदे में परिवर्तित किया जाता है।
(iii) मजदूरी पूँजीवाद में एक अहम भूमिका का निर्वहन करती है। इसी के सहारे कई बड़े उद्योग कार्य करते हैं।
(iv) आधुनिक बाजार पूंजीवादी विचारधारा के आधार पर ही कार्य करता है।
(v) निजी संपत्ति और विरासत की व्यवस्था पूँजीवाद में दिखाई देती है। इसमें विरासत के रूप में संपत्ति एक से दूसरे तक जाती है।
(vi) पूंजीवादी विचारधारा में अनुबंध, आर्थिक स्वतंत्रता, किसी भी निर्णय को लेने व संपत्ति के मन मुताबिक़ प्रयोग की स्वतंत्रता पायी जाती है।
(vii) इस व्यवस्था में समस्त क्रेता, विक्रेता अपने हित के लिए कार्य करते हैं तथा इस व्यवस्था में प्रतियोगिता को देखा जाता है।
(viii) इस व्यवस्था में सरकार का हस्तक्षेप बेहद ही कम होता है या यूँ कहें कि न के बराबर होता है। इस प्रकार से हम देखते हैं कि इसमें बड़े पैमाने पर मुनाफा बनाने का अवसर मिलता है।
2. समाजवाद-
(i) इस व्यवस्था में किसी एक व्यक्ति की तुलना में समाज को अधिक तवज्जो दी जाती है। यह समाज के हर एक तबके को समाज में एक उत्तम स्थान देने की वकालत करता है।
(ii) समाजवाद पूर्ण रूप से पूंजीवाद का विरोधी है। यह मानता है कि समाज के अन्दर व्याप्त असमानता पूँजीवाद के कारण ही है। यह उत्पाद से लेकर कार्य को समाज के स्तर पर देखता है।
(iii) समाजवाद प्रतियोगिता से ज्यादा आपसी सहयोग की वकालत करता है और यह मानता है कि इससे समाज में व्याप्त प्रतिस्पर्धा कम हो जायेगी।
(iv) समाजवाद समाज में उपस्थित सभी तबकों को समान आर्थिक एकता प्रदान करने की वकालत करता है। इस विचार धारा के अनुसार समाज में उपस्थित सभी लोग समान हैं और सबको एक सी समानता मिलनी चाहिए।
4Thank You