नम्ननिखित गद्यांश को पढ़कर नीचेनदए गए प्रश्नोांके उत्तर दीनजये–
निद्वयनोांकय यह कथन बहुत ठीक हैनक निनम्रतय केनबनय स्वतन्त्रतय कय कोउ अथथनही ।इस बयत को
सब िोग मयनतेहैंनक आत्मसांस्कयर के निए थोड़ी-बहुत मयननसक स्वतांत्रतय परमयिश्यक है-चयहे
उस स्वतांत्रतय मेंअनभमयन और नम्रतय दोनोांकय मेि हो और चयहेिह नम्रतय ही सेउत्पन्न हो। यह बयत
तो नननित हैनक जो मनुष्य मययथदयपूिथक जीिन व्यतीत करनय चयहतय है,उसकेनिए िह गुण अननिययथ
है, नजससेआत्मननभथरतय आती हैऔर नजससेअपनेपैरोांके बि िड़य होनय आतय है। युिय को यह
सदय स्मरण रिनय चयनहए नक िह बहुत कम बयतेंजयनतय है, अपनेही आदशथसेिह बहुत नीचेहैऔर
उसकी आकयांक्षयएां उसकी योग्यतय सेकही ांबढ़ी हुई है।उसेइस बयत कय ध्ययन रिनय चयनहए नक िह
अपनेबड़ो कय सम्मयन करे,चोट और बरयबर ियिो सेकोमितय कय व्यिहयर करें,येबयतेंआत्ममययथदय
के निए आिश्यक हैं।यह सयरय सांसयर , जो कु छ हम हैंऔर जो कु छ हमयरय है-हमयरय शरीर, हमयरी
आत्मय ,हमयरेभोग ,हमयरेघर और बयहर की दशय , हमयरेबहुत सेअिगुन और थोड़ेगन-सब इसी
बयत की आिश्यक्तय प्रकट करतेहैंनक हमेंअपनी आत्मय को नम्र रिनय चयनहए ।नम्रतय सेमेरय
अनभप्रयय दब्बूपन सेनही है, नजसके कयरण मनुष्य दुसरो कय मुुँह तयकतय है, नजससेउसकय सांकल्प
क्षीण और उसकी प्रज्ञय मांद हो जयती हैनजसके कयरण िह आगेबढ़नेके समय भी पीछेरहतय हैऔर
अिसर पड़नेपर चट-पट नकसी बयत कय ननणथय नही कर सकतय।मनुष्य कय बेड़य उसके अपनेही
हयथ मेहै,उसेिह चयहेनजधर िेजयये। सच्ची आत्मय िही है, जो प्रत्येक दशय में, प्रत्येक खथथनत के
बीच अपनी रयह आप ननकयिती है।
(क) ‘निनम्रतय केनबनय स्वतांत्रतय कय कोई अथथनही’ इस कथन कय आशय स्पष्ट कीनजए। 1
(ख) मययथदयपूिथक जीनेकेनिए नकन गुणोांकय होनय अननिययथहैऔर क्ोां? 2
(ग) दब्बूपन व्यखक्त केनिकयस मेंनकस प्रकयर बयधक होतय है?स्पष्ट कीनजए । 1
(घ) आत्ममययथदय केनिए कौन सी बयतेंआिश्यक हैं? इससेव्यखक्त को क्य ियभ होतय है? 2
(ङ) आत्मय को नम्र रिनेकी आिश्यकतय नकनको-नकनको होती है? 1
(च) ननदेशयनुसयर उत्तर दीनजए । 2
(i) नम्रतय , अननिययथकय नििोम निखिये।
(ii) अनभमयन और सांकल्प मेंप्रयुक्त उपसगथऔर मूि शब्द निखिये।
(छ) उपयुथक्त गद्यांश कय उपयुक्त शीर्थक दीनजये। 1
Posted by Sumit Kumar
4 years, 11 months ago