Yamraj ki disha summary
CBSE, JEE, NEET, CUET
Question Bank, Mock Tests, Exam Papers
NCERT Solutions, Sample Papers, Notes, Videos
Posted by Saheefa Sayeed 6 years, 10 months ago
- 1 answers
Related Questions
Posted by Harsh Sharma 2 months, 3 weeks ago
- 0 answers
Posted by R_J Officials 2 months, 1 week ago
- 0 answers
Posted by Dewanshi Juyal 2 months, 3 weeks ago
- 0 answers
Posted by Parimala Kulkarni 2 months ago
- 0 answers
Posted by Khushi Mundhra 2 months, 2 weeks ago
- 0 answers
Posted by Ranvir Singh 2 months, 2 weeks ago
- 1 answers
Posted by Vansh Garg 2 months, 1 week ago
- 0 answers
Posted by Beshumar Singh 2 months, 2 weeks ago
- 0 answers
Posted by Harshita Tiwari 2 months, 3 weeks ago
- 0 answers
myCBSEguide
Trusted by 1 Crore+ Students
Test Generator
Create papers online. It's FREE.
CUET Mock Tests
75,000+ questions to practice only on myCBSEguide app
🅿🅰🆆🅰🅽 . 6 years, 7 months ago
प्रस्तुत कविता में कवि ने सभ्यता के विकास की खतरनाक दिशा की ओर इशारा करते हुए कहा है कि जीवन-विरोधी ताकतें चारों तरफ़ फैलती जा रही हैं। जीवन के दुख-दर्द के बीच जीती माँ अपशकुन के रूप में जिस भय की चर्चा करती थी, अब वह सिर्फ़ दक्षिण दिशा में ही नहीं हैं, सर्वव्यापक है। सभी तरफ़ फैलते विध्वंस, हिंसा और मृत्यु के चिह्नों की ओर इंगित करके कवि इस चुनौती के सामने खड़ा होने का मौन आह्वान करता है।
कवि कहता है कि उसकी माँ का ईश्वर के प्रति गहरा विश्वास था। वह ईश्वर पर भरोसा करके अपना जीवन किसी तरह बिताती आई थी। वह हमेशा दक्षिण की तरफ़ पैर करके सोने के लिए मना करती थी। अपने बचपन में कवि पूछता था कि यमराज का घर कहाँ है? माँ बताती थी कि वह जहाँ भी है वहाँ से हमेशा दक्षिण की तरफ़। उसके बाद कवि कभी भी दक्षिण की तरफ़ पैर करके नहीं सोया। वह जब भी दक्षिण की ओर जाता , उसे अपनी माँ के याद अवश्य आती। माँ अब नहीं है। पर आज जिधर भी पैर करके सोओ , वही दक्षिण दिशा हो जाती है। आज चारों ओर विध्वंस और हिंसा का साम्राज्य है।
0Thank You