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अम्बा ने भीष्म से बदला कैसे लिया ?
  • 5 answers

Devjyoti Das 4 years, 8 months ago

Bhishm ko mar kar

Anvi Garg 4 years, 8 months ago

Amba n bhishma se badla lene k liye sabse phele bhagwan parshuram k pass gyi, jinse bhishma n vidya li thi. Unhone kha ki devi aap bhagwan shiv k pass jaye, vo hi aapki isme sahayta kar sakte hai. Fir, Amba n bohot tap kiya jisse bhagwan shiv prakat hue. Uske baad shivji n unse kha ki mai aapki kissi se badla lene m sahayta nhi kar sakta. Parantu, agar aap bhavishya m kisi mahan karya se judengi to avashya aap unki mrityu kar paengi. To Amba n bhagwan shiv se kha ki fir m jeena nhi chahati. Mai punha janam lungi aur bhishma ki mrityu ka karan banungi. Aur fir Amba n shikhandini k naam se raja drupad k yha janam liya. Aur bhishma n bhi unko vachan diya tha ki agar vo kisi yudh m unke samne prakat hongi to vh apne shastra tyag denge. To jab Amba mahabharata jese mahan yudh m bhag liya, tab vo bhishma ki mrityu ka karan ban pai.

Ahana Sharma Vii A 4 years, 8 months ago

अम्बा ने भीषण से बदला शिखंडी बनकर लिया।

Tanisha? Kakde 4 years, 8 months ago

Amba na bisma sa badla rop bad alkar kiya Sri kandy

Yogita Ingle 4 years, 8 months ago

अम्बा महाभारत में काशीराज की पुत्री बताई गयी हैं|अम्बा की दो और बहनें थीं अम्बिका और अम्बालिका। अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर होने वाला था। उनके स्वयंवर में जाकर अकेले ही भीष्म ने वहाँ आये समस्त राजाओं को परास्त कर दिया और तीनों कन्याओं का हरण करके हस्तिनापुर ले आये जहाँ उन्होंने तीनों बहनों को सत्यवती के सामने प्रस्तुत किया ताकि उनका विवाह हस्तिनापुर के राजा और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य के साथ सम्पन्न हो जाये।जब अम्बा ने यह बताया कि उसने राज शाल्व को मन से अपना पति मान लिया है तो विचित्रवीर्य ने उससे विवाह करने से इन्कार कर दिया। भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भिजवा दिया। राजा शाल्व ने अम्बा को ग्रहण नहीं किया अतः वह हस्तिनापुर लौट कर आ गई और भीष्म से बोली, "हे आर्य! आप मुझे हर कर लाये हैं अतएव आप मुझसे विवाह करें।" किन्तु भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा के कारण उसके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। अम्बा रुष्ट हो गई और यह कह कर कि वही भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगी वह परशुराम के पास गई और उनसे अपनी व्यथा सुना कर सहायता माँगी। परशुराम ने अम्बा से कहा, "हे देवि! आप चिन्ता न करें, मैं आपका विवाह भीष्म के साथ करवाऊँगा।" परशुराम ने भीष्म को बुलावा भेजा किन्तु भीष्म उनके पास नहीं गये। इस पर क्रोधित होकर परशुराम भीष्म के पास पहुँचे और दोनों वीरों में भयानक युद्ध छिड़ गया। दोनों ही अभूतपूर्व योद्धा थे इसलिये हार-जीत का फैसला नहीं हो सका। आखिर देवताओं ने हस्तक्षेप कर के इस युद्ध को बन्द करवा दिया। अम्बा निराश हो कर वन में तपस्या करने चली गई जहाँ उसने महादेव की घोर तपस्या की। महादेव उसकी तपस्या से प्रसन्न हुये और उसके समक्ष प्रकट होकर उसे यह वर दिया कि वह अगले जन्म में भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगी। यह वर पाकर अम्बा ने आत्म दाह कर लिया और अगले जन्म में राजा द्रुपद के घर में शिखण्डी के रूप में जन्म लिया। शिखण्डी कुरुक्षेत्र के युद्ध में भीष्म के मृत्यु का कारण बने क्योंकि कृष्ण ने उस दिन शिखण्डी को अर्जुन का सारथी बनाया और क्योंकि भीष्म को शिखण्डी के पूर्व जन्म का ज्ञात था, अतएव उन्होंने एक महिला के विरुद्ध शस्त्र उठाने से इन्कार कर दिया और इसी बीच अर्जुन ने मौका पाकर भीष्म पर बाणों की वर्षा कर दी जिसके कारण भीष्म आहत होकर धरती पर गिर गये।

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