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Apathit gadhyansh

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Apathit gadhyansh
  • 3 answers

Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

प्रश्नः (क)
गंगा के जल और साधारण पानी में क्या अंतर है?
उत्तर:
गंगा का जल पवित्र माना जाता है। यह काफी दिनों तक रखने के बाद भी अशुद्ध नहीं होता है। इसके विपरीत साधारण जल कुछ ही दिन में खराब हो जाता है।

प्रश्नः (ख)
गंगा के उद्गम स्थल को किस नाम से जाना जाता है? इस नदी को गंगा नाम कैसे मिलता है?
उत्तर:
गंगा के उद्गम स्थल को गंगोत्री या गोमुख के नाम से जाना जाता है। वहाँ यह भागीरथी नाम से निकलती है। देवप्रयाग मेंयह अलकनंदा से मिलती है तब इसे गंगा नाम मिलता है।

प्रश्नः (ग)
भागीरथी से देव प्रयाग तक का सफ़र गंगा के लिए किस तरह लाभदायी सिद्ध होता है?
उत्तर:
भागीरथी से देवप्रयाग तक गंगा विभिन्न पहाड़ों के बीच बहती है जिससे इसमें कुछ चट्टानें धुल जाती हैं। इससे गंगा का जल दीर्घ काल तक सड़ने से बचा रहता है। इस तरह यह सफ़र गंगा के लिए लाभदायी सिद्ध होता है।

प्रश्नः (घ)
बैक्टीरिया ही पानी में सड़न पैदा करते हैं और बैक्टीरिया ही पानी की सड़न रोकते हैं, कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुछ खास किस्म के बैक्टीरिया ऐसे होते हैं जो पानी में सड़न पैदा करते हैं और कुछ बैक्टीरिया इन बैक्टीरिया को रोकने का काम करते हैं। गंगा के पानी में सड़न रोकने वाले बैक्टीरिया इनको पनपने से रोककर पानी सड़ने से बचाते हैं।

प्रश्नः (ङ)
मन को निर्मल रखने के लिए क्या उपाय बताया गया है?
उत्तर:
मन को निर्मल रखने के लिए विचारों का प्रदूषण रोकना चाहिए। इसके लिए मन में सकारात्मक विचार प्रवाहित होना चाहिए। मन में नकारात्मक विचार आते ही उसे सकारात्मक विचारों द्वारा नष्ट कर देना चाहिए।

Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

(1) गंगा भारत की एक अत्यन्त पवित्र नदी है जिसका जल काफ़ी दिनों तक रखने के बावजूद अशुद्ध नहीं होता जबकि साधारण जल कुछ दिनों में ही सड़ जाता है। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री या गोमुख है। गोमुख से भागीरथी नदी निकलती है और देवप्रयाग नामक स्थान पर अलकनंदा नदी से मिलकर आगे गंगा के रूप में प्रवाहित होती है। भागीरथी के देवप्रयाग तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुल जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो उसके पानी को सड़ने नहीं देती।

हर नदी के जल में कुछ खास तरह के पदार्थ घुले रहते हैं जो उसकी विशिष्ट जैविक संरचना के लिए उत्तरदायी होते हैं। ये घुले हुए पदार्थ पानी में कुछ खास तरह के बैक्टीरिया को पनपने देते हैं तो कुछ को नहीं। कुछ खास तरह के बैक्टीरिया ही पानी की सड़न के लिए उत्तरदायी होते हैं तो कुछ पानी में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं को रोकने में सहायक होते हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि गंगा के पानी में भी ऐसे बैक्टीरिया हैं जो गंगा के पानी में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं को पनपने ही नहीं देते इसलिए गंगा का पानी काफ़ी लंबे समय तक खराब नहीं होता और पवित्र माना जाता है।

हमारा मन भी गंगा के पानी की तरह ही होना चाहिए तभी वह निर्मल माना जाएगा। जिस प्रकार पानी को सड़ने से रोकने के लिए उसमें उपयोगी बैक्टीरिया की उपस्थिति अनिवार्य है उसी प्रकार मन में विचारों के प्रदूषण को रोकने के लिए सकारात्मक विचारों के निरंतर प्रवाह की भी आवश्यकता है। हम अपने मन को सकारात्मक विचार रूपी बैक्टीरिया द्वारा आप्लावित करके ही गलत विचारों को प्रविष्ट होने से रोक सकते हैं। जब भी कोई नकारात्मक विचार उत्पन्न हो सकारात्मक विचार द्वारा उसे समाप्त कर दीजिए।

Palak ? 3 years, 5 months ago

Dear ye kya h..... No question it is just wastage of time?
http://mycbseguide.com/examin8/

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